Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2000556 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | ३२. आत्मविकाससूत्र (गुणस्थान) | Translated Section : | ३२. आत्मविकाससूत्र (गुणस्थान) |
Sutra Number : | 556 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | गोम्मटसार जीवकाण्ड 51 | ||
Mool Sutra : | एयम्मि गुणट्ठाणे, विसरिससमयट्ठिएहिं जीवेहिं। पुव्वमपत्ता जम्हा, होंति अपुव्वा हु परिणामा।।११।। | ||
Sutra Meaning : | इस आठवें गुणस्थान में विसदृश (विभिन्न) समयों में स्थित जीव ऐसे-ऐसे अपूर्व परिणामों (भावों) को धारण करते हैं, जो पहले कभी भी नहीं हो पाये थे। इसीलिए इसका नाम अपूर्वकरण गुणस्थान है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Eyammi gunatthane, visarisasamayatthiehim jivehim. Puvvamapatta jamha, homti apuvva hu parinama..11.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Isa athavem gunasthana mem visadrisha (vibhinna) samayom mem sthita jiva aise-aise apurva parinamom (bhavom) ko dharana karate haim, jo pahale kabhi bhi nahim ho paye the. Isilie isaka nama apurvakarana gunasthana hai. |