Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2000294 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २१. साधनासूत्र | Translated Section : | २१. साधनासूत्र |
Sutra Number : | 294 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | उत्तराध्ययन 33/12 | ||
Mool Sutra : | विवित्तसेज्जाऽऽसणजंतियाणं, ओमाऽसणाणं दमिइंदियाणं। न रागसत्तू धरिसेइ चित्तं, पराइओ वाहिरिवोसहेहिं।।७।। | ||
Sutra Meaning : | जो विविक्त (स्त्री आदि से रहित) शय्यासन से नियंत्रित (युक्त) है, अल्प-आहारी है और दमितेन्द्रिय है, उसके चित्त को राग-द्वेषरूपी विकार पराजित नहीं कर सकते, जैसे औषधि से पराजित या विनष्ट व्याधि पुनः नहीं सताती। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Vivittasejjasanajamtiyanam, omasananam damiimdiyanam. Na ragasattu dharisei chittam, paraio vahirivosahehim..7.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jo vivikta (stri adi se rahita) shayyasana se niyamtrita (yukta) hai, alpa-ahari hai aura damitendriya hai, usake chitta ko raga-dvesharupi vikara parajita nahim kara sakate, jaise aushadhi se parajita ya vinashta vyadhi punah nahim satati. |