Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2000283 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २०. सम्यक्चारित्रसूत्र | Translated Section : | २०. सम्यक्चारित्रसूत्र |
Sutra Number : | 283 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | प्रवचनसार 1/79 | ||
Mool Sutra : | चत्ता पावारंभं, समुट्ठिदो वा सुहम्मि चरियम्हि। ण जहदि जदि मोहादी, ण लहदि सो अप्पगं सुद्धं।।२२।। | ||
Sutra Meaning : | पाप-आरम्भ (प्रवृत्ति) को त्यागकर शुभ अर्थात् व्यवहारचारित्र में आरूढ़ रहने पर भी यदि जीव मोहादि भावों से मुक्त नहीं होता है तो वह शुद्ध आत्मा को प्राप्त नहीं करता। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Chatta pavarambham, samutthido va suhammi chariyamhi. Na jahadi jadi mohadi, na lahadi so appagam suddham..22.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Papa-arambha (pravritti) ko tyagakara shubha arthat vyavaharacharitra mem arurha rahane para bhi yadi jiva mohadi bhavom se mukta nahim hota hai to vaha shuddha atma ko prapta nahim karata. |