Sutra Navigation: Anuyogdwar ( अनुयोगद्वारासूत्र )

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Sr No : 1024322
Scripture Name( English ): Anuyogdwar Translated Scripture Name : अनुयोगद्वारासूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

अनुयोगद्वारासूत्र

Translated Chapter :

अनुयोगद्वारासूत्र

Section : Translated Section :
Sutra Number : 322 Category : Chulika-02
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] से किं तं समोयारे? समोयारे छव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–१. नामसमोयारे २. ठवणसमोयारे ३. दव्वसमोयारे ४. खेत्तसमोयारे ५. कालसमोयारे ६. भावसमोयारे। नामट्ठवणाओ गयाओ जाव। से तं भवियसरीरदव्वसमोयारे। से किं तं जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्वसमोयारे? जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्वसमोयारे तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–आयसमोयारे परसमोयारे तदुभयसमोयारे। सव्वदव्वा वि णं आयसमोयारेणं आयभावे समोयरंति, परसमोयारेणं जहा कुंडे वदराणि, तदुभयसमोयरेणं जहा घरे थंभो आयभावे य, जहा घडे गीवा आयभावे य। अहवा जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्वसमोयारे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–आयसमोयारे य तदुभयसमोयारे य। चउसट्ठिया आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं बत्तीसियाए समोयरइ आयभावे य। बत्तीसिया आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं सोल-सियाए समोयरइ आयभावे य। सोलसिया आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं अट्ठभाइयाए समोयरइ आयभावे य। अट्ठभाइया आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभय-समोयारेणं चउभाइयाए समोयरइ आयभावे य। चउभाइया आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं अद्धमाणीए समोयरइ आयभावे य। अद्धमाणी आयसमोयारेणं आयभावे समो-यरइ, तदुभयसमोयारेणं माणीए समोयरइ आयभावे य। से तं जाणगसरीर-भविय-सरीर-वतिरित्ते दव्वसमोयारे। से तं नोआगमओ दव्वसमोयारे। से तं दव्वसमोयारे। से किं तं खेत्तसमोयारे? खेत्तसमोयारे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–आयसमोयारे य तदुभयसमोयारे य। भरहे वासे आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं जंबुद्दीवे दीवे समोयरइ आयभावे य। जंबुद्दीवे दीवे आयसमोयारेणं आय-भावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं तिरियलोए समोयरइ आयभावे य। तिरियलोए आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं लोए समोयरइ आयभावे य। लोए आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं अलोए समोयरइ आयभावे य। से तं खेत्तसमोयारे। से किं तं कालसमोयारे? कालसमोयारे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–आयसमोयारे य तदुभय-समोयारे य। सभए आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं आवलियाए समोयरइ आयभावे य। आवलिया आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं आणापाणूए समोयरइ आयभावे य। एवं जाव सागरोवमे आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं ओसप्पिणुस्सप्पिणीसु समोयरइ आयभावे य। ओसप्पिणुस्सप्पिणीओ आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं पोग्गलपरियट्टे समोयरइ आयभावे य। पोग्गलपरियट्टे आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं तीतद्धा अणागतद्धासु समोयरइ आयभावे य। तीतद्धा अनागतद्धाओ आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं सव्वद्धाए समोयरइ आयभावे य। से तं कालसमोयारे। से किं तं भावसमोयारे? भावसमोयारे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–आयसमोयारे य तदुभयसमोयारे य। कोहे आय समोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं माणे समोयरइ आयभावे य। माने आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभय समोयारेणं मायाए समोयरइ आयभावे य। माया आय-समोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं लोभे समोयरइ आयभावे य। लोभे आयसमो-यारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं रागे समोयरइ आयभावे य। रागे आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं मोहणिज्जे समोयरइ आयभावे य। मोहणिज्जे आयसमो-यारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं अट्ठकम्मपगडीसु समोयरइ आयभावे य। अट्ठकम्म-पगडीओ आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं छव्विहे भावे समोयरइ आयभावे य छव्विहे भावे आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं जीवे समोयरइ आयभावे य। जीवे आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं जीवत्थिकाए समोयरइ आयभावे य। जीवत्थिकाए आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं सव्वदव्वेसु समोयरइ आयभावे य।
Sutra Meaning : समवतार क्या है ? समवतार के छह प्रकार हैं, जैसे – नामसमवतार, स्थापनासमवतार, द्रव्यसमवतार, क्षेत्रसमवतार, कालसमवतार और भावसमवतार। नाम और स्थापना (समवतार) का वर्णन पूर्ववत्‌ जानना। द्रव्यसमवतार दो प्रकार का कहा है – आगमद्रव्यसमवतार, नोआगमद्रव्यसमवतार। यावत्‌ आगमद्रव्यसमवतार का तथा नोआगमद्रव्यसमवतार के भेद ज्ञायकशरीर और भव्यशरीर नोआगमद्रव्यसमवतार का स्वरूप पूर्ववत्‌ जानना ज्ञायकशरीर – भव्यशरीरव्यतिरिक्तद्रव्यसमवतार कितने प्रकार का है ? तीन प्रकार का है – आत्मसमवतार, परसमवतार, तदुभवसमवतार।आत्मसमवतार की अपेक्षा सभी द्रव्य आत्मभाव – में रहती हैं, परमसमवतारापेक्षया कुंड में बेर की तरह परभाव में रहते हैं तथा तदुभयसमवतार से (सभी द्रव्य) घर में स्तम्भ अथवा घट में ग्रीवा की तरह परभाव तथा आत्मभाव – दोनों में रहते हैं। अथवा ज्ञायकशरीरभव्यशरीरव्यतिरिक्त द्रव्यसमवतार दो प्रकार का है – आत्मसमवतार और तदुभयसमवतार। जैसे आत्मसमवतार से चतुष्षष्टिका आत्मभाव में रहती है और तदुभयसमवतार की अपेक्षा द्वात्रिंशिका में भी और अपने निजरूप में भी रहती है। द्वात्रिंशिका आत्मसमवतार की अपेक्षा आत्मभाव में और उभयसमवतार की अपेक्षा षोडशिका में भी रहती है और आत्मभाव में भी रहती है। षोडशिका आत्मसमवतार से आत्मभाव में समवतीर्ण होती है और तदुभयसमवतार की अपेक्षा अष्ट – भागिका में भी तथा अपने निजरूप में भी रहती है। अष्टभागिका आत्मसमवतार की अपेक्षा आत्मभाव में तथा तदुभयसमवतार की अपेक्षा चतुर्भागिका में भी समवतरित होती है और अपने निज स्वरूप में भी समवतरित होती है। आत्मसमवतार की अपेक्षा चतुर्भागिका आत्मभाव में और तदुभयसमवतार से अर्धमानिका में समवतीर्ण होती है एवं आत्मभाव में भी। आत्मसमवतार से अर्धमानिका आत्मभाव में एवं तदुभयसमवतार की अपेक्षा मानिका में तथा आत्मभाव में भी समवतीर्ण होती है। यह ज्ञायक – शरीरभव्यशरीरव्यतिरिक्त द्रव्यसमवतार का वर्णन है। इस तरह नोआगमद्रव्यसमवतार और द्रव्यसमवतार की प्ररूपणा पूर्ण हुई। क्षेत्रसमवतार क्या है ? दो प्रकार से है। आत्मसमवतार, तदुभयसमवतार। आत्मसमवतार की अपेक्षा भरतक्षेत्र आत्मभाव में रहता है और तदुभयसमवतार की अपेक्षा जम्बूद्वीप में भी रहता है और आत्मभाव में भी रहता है। आत्मसमवतार की अपेक्षा जम्बूद्वीप आत्मभाव में रहता है और तदुभयसमवतार की अपेक्षा तिर्यक्‌लोक में भी समवतरित होता है और आत्म – भाव में भी। आत्मसमवतार से तिर्यक्‌लोक आत्मभाव में समवतीर्ण होता है और तदुभयसमवतार की अपेक्षा लोक में समवतरित होता है और आत्मभाव – निजरूप में भी। कालसमवतार दो प्रकार का है यथा – आत्मसमवतार, तदुभयसमवतार। जैसे – आत्मसमवतार की अपेक्षा समय आत्मभाव में रहता है और तदुभयसमवतार की अपेक्षा आवलिका में भी और आत्मभाव में भी रहता है। इसी प्रकार आनप्राण, स्तोक, लव, मुहूर्त्त, अहोरात्र, पक्ष, मास, ऋतु, अयन, संवत्सर, युग, यावत्‌ पल्योपम, सागरोपम ये सभी आत्मसमवतार में आत्मभाव में और तदुभयसमवतार से अवसर्पिणी – उत्सर्पिणी में भी और आत्मसमभाव में भी रहते हैं। अवसर्पिणी – उत्सर्पिणी काल आत्मसमवतार की अपेक्षा आत्मभाव में रहता है और तदुभयसमवतार की अपेक्षा पुद्‌गल परावर्तन में भी और आत्मभाव में भी रहता है। पुद्‌गलपरावर्तनकाल आत्मसमवतार की अपेक्षा निजरूप में रहता है और तदुभयसमवतार से अतीत और अनागत काल में भी एवं आत्मभाव में भी रहता है। अतीत – अनागत काल आत्मसमवतार की अपेक्षा आत्मभाव में रहता है, तदुभयसमवतार की अपेक्षा सर्वाद्धाकाल में भी रहता है और आत्मभाव में भी रहता है। भावसमवतार क्या है ? दो प्रकार का है। आत्मसमवतार और तदुभयसमवतार। आत्मसमवतार की अपेक्षा क्रोध निजस्वरूप में रहता है और तदुभयसमवतार से मान में और निजस्वरूप में भी समवतीर्ण होता है। इसी प्रकार मान, माया, लोभ, राग, मोहनीय और अष्टकर्म प्रकृतियाँ आत्मसमवतार से आत्मभाव में तथा तदुभयसमवतार से छह प्रकार के भावों में और आत्मभाव में भी रहती हैं। इसी प्रकार छह भाव जीव, जीवास्तिकाय, आत्मसमवतार की अपेक्षा निजस्वरूप में रहते हैं और तदुभयसमवतार की अपेक्षा द्रव्यों में और आत्मभाव में भी रहते हैं। इनकी संग्रहणी गाथा इस प्रकार हैं –
Mool Sutra Transliteration : [sutra] se kim tam samoyare? Samoyare chhavvihe pannatte, tam jaha–1. Namasamoyare 2. Thavanasamoyare 3. Davvasamoyare 4. Khettasamoyare 5. Kalasamoyare 6. Bhavasamoyare. Namatthavanao gayao java. Se tam bhaviyasariradavvasamoyare. Se kim tam janagasarira-bhaviyasarira-vatiritte davvasamoyare? Janagasarira-bhaviyasarira-vatiritte davvasamoyare tivihe pannatte, tam jaha–ayasamoyare parasamoyare tadubhayasamoyare. Savvadavva vi nam ayasamoyarenam ayabhave samoyaramti, parasamoyarenam jaha kumde vadarani, tadubhayasamoyarenam jaha ghare thambho ayabhave ya, jaha ghade giva ayabhave ya. Ahava janagasarira-bhaviyasarira-vatiritte davvasamoyare duvihe pannatte, tam jaha–ayasamoyare ya tadubhayasamoyare ya. Chausatthiya ayasamoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam battisiyae samoyarai ayabhave ya. Battisiya ayasamoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam sola-siyae samoyarai ayabhave ya. Solasiya ayasamoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam atthabhaiyae samoyarai ayabhave ya. Atthabhaiya ayasamoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhaya-samoyarenam chaubhaiyae samoyarai ayabhave ya. Chaubhaiya ayasamoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam addhamanie samoyarai ayabhave ya. Addhamani ayasamoyarenam ayabhave samo-yarai, tadubhayasamoyarenam manie samoyarai ayabhave ya. Se tam janagasarira-bhaviya-sarira-vatiritte davvasamoyare. Se tam noagamao davvasamoyare. Se tam davvasamoyare. Se kim tam khettasamoyare? Khettasamoyare duvihe pannatte, tam jaha–ayasamoyare ya tadubhayasamoyare ya. Bharahe vase ayasamoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam jambuddive dive samoyarai ayabhave ya. Jambuddive dive ayasamoyarenam aya-bhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam tiriyaloe samoyarai ayabhave ya. Tiriyaloe ayasamoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam loe samoyarai ayabhave ya. Loe ayasamoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam aloe samoyarai ayabhave ya. Se tam khettasamoyare. Se kim tam kalasamoyare? Kalasamoyare duvihe pannatte, tam jaha–ayasamoyare ya tadubhaya-samoyare ya. Sabhae ayasamoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam avaliyae samoyarai ayabhave ya. Avaliya ayasamoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam anapanue samoyarai ayabhave ya. Evam java sagarovame ayasamoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam osappinussappinisu samoyarai ayabhave ya. Osappinussappinio ayasamoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam poggalapariyatte samoyarai ayabhave ya. Poggalapariyatte ayasamoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam titaddha anagataddhasu samoyarai ayabhave ya. Titaddha anagataddhao ayasamoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam savvaddhae samoyarai ayabhave ya. Se tam kalasamoyare. Se kim tam bhavasamoyare? Bhavasamoyare duvihe pannatte, tam jaha–ayasamoyare ya tadubhayasamoyare ya. Kohe aya samoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam mane samoyarai ayabhave ya. Mane ayasamoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhaya samoyarenam mayae samoyarai ayabhave ya. Maya aya-samoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam lobhe samoyarai ayabhave ya. Lobhe ayasamo-yarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam rage samoyarai ayabhave ya. Rage ayasamoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam mohanijje samoyarai ayabhave ya. Mohanijje ayasamo-yarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam atthakammapagadisu samoyarai ayabhave ya. Atthakamma-pagadio ayasamoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam chhavvihe bhave samoyarai ayabhave ya chhavvihe bhave ayasamoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam jive samoyarai ayabhave ya. Jive ayasamoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam jivatthikae samoyarai ayabhave ya. Jivatthikae ayasamoyarenam ayabhave samoyarai, tadubhayasamoyarenam savvadavvesu samoyarai ayabhave ya.
Sutra Meaning Transliteration : Samavatara kya hai\? Samavatara ke chhaha prakara haim, jaise – namasamavatara, sthapanasamavatara, dravyasamavatara, kshetrasamavatara, kalasamavatara aura bhavasamavatara. Nama aura sthapana (samavatara) ka varnana purvavat janana. Dravyasamavatara do prakara ka kaha hai – agamadravyasamavatara, noagamadravyasamavatara. Yavat agamadravyasamavatara ka tatha noagamadravyasamavatara ke bheda jnyayakasharira aura bhavyasharira noagamadravyasamavatara ka svarupa purvavat janana Jnyayakasharira – bhavyashariravyatiriktadravyasamavatara kitane prakara ka hai\? Tina prakara ka hai – atmasamavatara, parasamavatara, tadubhavasamavatarA.Atmasamavatara ki apeksha sabhi dravya atmabhava – mem rahati haim, paramasamavatarapekshaya kumda mem bera ki taraha parabhava mem rahate haim tatha tadubhayasamavatara se (sabhi dravya) ghara mem stambha athava ghata mem griva ki taraha parabhava tatha atmabhava – donom mem rahate haim. Athava jnyayakasharirabhavyashariravyatirikta dravyasamavatara do prakara ka hai – atmasamavatara aura tadubhayasamavatara. Jaise atmasamavatara se chatushshashtika atmabhava mem rahati hai aura tadubhayasamavatara ki apeksha dvatrimshika mem bhi aura apane nijarupa mem bhi rahati hai. Dvatrimshika atmasamavatara ki apeksha atmabhava mem aura ubhayasamavatara ki apeksha shodashika mem bhi rahati hai aura atmabhava mem bhi rahati hai. Shodashika atmasamavatara se atmabhava mem samavatirna hoti hai aura tadubhayasamavatara ki apeksha ashta – bhagika mem bhi tatha apane nijarupa mem bhi rahati hai. Ashtabhagika atmasamavatara ki apeksha atmabhava mem tatha tadubhayasamavatara ki apeksha chaturbhagika mem bhi samavatarita hoti hai aura apane nija svarupa mem bhi samavatarita hoti hai. Atmasamavatara ki apeksha chaturbhagika atmabhava mem aura tadubhayasamavatara se ardhamanika mem samavatirna hoti hai evam atmabhava mem bhi. Atmasamavatara se ardhamanika atmabhava mem evam tadubhayasamavatara ki apeksha manika mem tatha atmabhava mem bhi samavatirna hoti hai. Yaha jnyayaka – sharirabhavyashariravyatirikta dravyasamavatara ka varnana hai. Isa taraha noagamadravyasamavatara aura dravyasamavatara ki prarupana purna hui. Kshetrasamavatara kya hai\? Do prakara se hai. Atmasamavatara, tadubhayasamavatara. Atmasamavatara ki apeksha bharatakshetra atmabhava mem rahata hai aura tadubhayasamavatara ki apeksha jambudvipa mem bhi rahata hai aura atmabhava mem bhi rahata hai. Atmasamavatara ki apeksha jambudvipa atmabhava mem rahata hai aura tadubhayasamavatara ki apeksha tiryakloka mem bhi samavatarita hota hai aura atma – bhava mem bhi. Atmasamavatara se tiryakloka atmabhava mem samavatirna hota hai aura tadubhayasamavatara ki apeksha loka mem samavatarita hota hai aura atmabhava – nijarupa mem bhi. Kalasamavatara do prakara ka hai yatha – atmasamavatara, tadubhayasamavatara. Jaise – atmasamavatara ki apeksha samaya atmabhava mem rahata hai aura tadubhayasamavatara ki apeksha avalika mem bhi aura atmabhava mem bhi rahata hai. Isi prakara anaprana, stoka, lava, muhurtta, ahoratra, paksha, masa, ritu, ayana, samvatsara, yuga, yavat palyopama, sagaropama ye sabhi atmasamavatara mem atmabhava mem aura tadubhayasamavatara se avasarpini – utsarpini mem bhi aura atmasamabhava mem bhi rahate haim. Avasarpini – utsarpini kala atmasamavatara ki apeksha atmabhava mem rahata hai aura tadubhayasamavatara ki apeksha pudgala paravartana mem bhi aura atmabhava mem bhi rahata hai. Pudgalaparavartanakala atmasamavatara ki apeksha nijarupa mem rahata hai aura tadubhayasamavatara se atita aura anagata kala mem bhi evam atmabhava mem bhi rahata hai. Atita – anagata kala atmasamavatara ki apeksha atmabhava mem rahata hai, tadubhayasamavatara ki apeksha sarvaddhakala mem bhi rahata hai aura atmabhava mem bhi rahata hai. Bhavasamavatara kya hai\? Do prakara ka hai. Atmasamavatara aura tadubhayasamavatara. Atmasamavatara ki apeksha krodha nijasvarupa mem rahata hai aura tadubhayasamavatara se mana mem aura nijasvarupa mem bhi samavatirna hota hai. Isi prakara mana, maya, lobha, raga, mohaniya aura ashtakarma prakritiyam atmasamavatara se atmabhava mem tatha tadubhayasamavatara se chhaha prakara ke bhavom mem aura atmabhava mem bhi rahati haim. Isi prakara chhaha bhava jiva, jivastikaya, atmasamavatara ki apeksha nijasvarupa mem rahate haim aura tadubhayasamavatara ki apeksha dravyom mem aura atmabhava mem bhi rahate haim. Inaki samgrahani gatha isa prakara haim –