Sutra Navigation: Uttaradhyayan ( उत्तराध्ययन सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1023397 | ||
Scripture Name( English ): | Uttaradhyayan | Translated Scripture Name : | उत्तराध्ययन सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति |
Translated Chapter : |
अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 1697 | Category : | Mool-04 |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] तेवीस सागराइं उक्कोसेण ठिई भवे । पढमम्मि जहन्नेणं बावीसं सागरोवमा ॥ | ||
Sutra Meaning : | प्रथम ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति तेईस जघन्य बाईस सागरोपम। द्वितीय ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट चौबीस जघन्य तेईस सागरोपम। तृतीय ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट पच्चीस, जघन्य चौबीस सागरोपम। चतुर्थ ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट छब्बीस, जघन्य पच्चीस सागरोपम। पंचम ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट सत्ताईस, जघन्य छब्बीस सागरोपम। षष्ठ ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट अट्ठाईस सागरोपम और जघन्य सत्ताईस सागरोपम। सप्तम ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट उनतीस और जघन्य अट्ठाईस सागरोपम हैं। अष्टम ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट तीस और जघन्य उनतीस सागरोपम हैं। और नवम ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति इक्कीस सागरोपम और जघन्य तीस सागरोपम हैं। सूत्र – १६९७–१७०५ | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] tevisa sagaraim ukkosena thii bhave. Padhamammi jahannenam bavisam sagarovama. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Prathama graiveyaka devom ki utkrishta ayusthiti teisa jaghanya baisa sagaropama. Dvitiya graiveyaka devom ki utkrishta chaubisa jaghanya teisa sagaropama. Tritiya graiveyaka devom ki utkrishta pachchisa, jaghanya chaubisa sagaropama. Chaturtha graiveyaka devom ki utkrishta chhabbisa, jaghanya pachchisa sagaropama. Pamchama graiveyaka devom ki utkrishta sattaisa, jaghanya chhabbisa sagaropama. Shashtha graiveyaka devom ki utkrishta atthaisa sagaropama aura jaghanya sattaisa sagaropama. Saptama graiveyaka devom ki utkrishta unatisa aura jaghanya atthaisa sagaropama haim. Ashtama graiveyaka devom ki utkrishta tisa aura jaghanya unatisa sagaropama haim. Aura navama graiveyaka devom ki utkrishta ayusthiti ikkisa sagaropama aura jaghanya tisa sagaropama haim. Sutra – 1697–1705 |