Sutra Navigation: Uttaradhyayan ( उत्तराध्ययन सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1023020 | ||
Scripture Name( English ): | Uttaradhyayan | Translated Scripture Name : | उत्तराध्ययन सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-३२ प्रमादस्थान |
Translated Chapter : |
अध्ययन-३२ प्रमादस्थान |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 1320 | Category : | Mool-04 |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] कायस्स फासं गहणं वयंति तं रागहेउं तु मणुन्नमाहु । तं दोसहेउं अमणुन्नमाहु समो य जो तेसु स वीयरागो ॥ | ||
Sutra Meaning : | काय का विषय स्पर्श है। जो स्पर्श राग में कारण है उसे मनोज्ञ कहते हैं। जो स्पर्श द्वेष का कारण होता है उसे अमनोज्ञ कहते हैं। काय स्पर्श का ग्राहक है, स्पर्श काय का ग्राह्य है। जो राग का कारण है उसे मनोज्ञ कहते हैं और जो द्वेष का कारण है, उसे अमनोज्ञ कहते हैं। सूत्र – १३२०, १३२१ | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] kayassa phasam gahanam vayamti tam ragaheum tu manunnamahu. Tam dosaheum amanunnamahu samo ya jo tesu sa viyarago. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Kaya ka vishaya sparsha hai. Jo sparsha raga mem karana hai use manojnya kahate haim. Jo sparsha dvesha ka karana hota hai use amanojnya kahate haim. Kaya sparsha ka grahaka hai, sparsha kaya ka grahya hai. Jo raga ka karana hai use manojnya kahate haim aura jo dvesha ka karana hai, use amanojnya kahate haim. Sutra – 1320, 1321 |