Sutra Navigation: Uttaradhyayan ( उत्तराध्ययन सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1022866 | ||
Scripture Name( English ): | Uttaradhyayan | Translated Scripture Name : | उत्तराध्ययन सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-२९ सम्यकत्व पराक्रम |
Translated Chapter : |
अध्ययन-२९ सम्यकत्व पराक्रम |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 1166 | Category : | Mool-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] मनगुत्तयाए णं भंते! जीवे किं जणयइ? मनगुत्तयाए णं जीवे एगग्गं जणयइ। एगग्गचित्ते णं जीवे मनगुत्ते संजमाराहए भवइ। | ||
Sutra Meaning : | भन्ते ! मनोगुप्ति से जीव को क्या प्राप्त होता है ? मनोगुप्ति से जीव एकाग्रता को प्राप्त होता है। एकाग्र चित्त वाला जीव अशुभ विकल्पों से मन की रक्षा करता है, और संयम का आराधक होता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] managuttayae nam bhamte! Jive kim janayai? Managuttayae nam jive egaggam janayai. Egaggachitte nam jive managutte samjamarahae bhavai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhante ! Manogupti se jiva ko kya prapta hota hai\? Manogupti se jiva ekagrata ko prapta hota hai. Ekagra chitta vala jiva ashubha vikalpom se mana ki raksha karata hai, aura samyama ka aradhaka hota hai. |