जो साधु – साध्वी बार – बार दोष सेवन करके एक, दो, तीन, चार या पाँच मास का प्रायश्चित्त स्थानक सेवन करके आलोचना करते हुए माया सहित आलोवे तो उतने ही मास का प्रायश्चित्त आता है, मायापूर्वक आलोवे तो एक – एक अधीक मास का प्रायश्चित्त आए यानि एक मासवाले को दो मास, दो मासवाले को तीन मास, यावत् पाँच मासवाले को छ मास प्रायश्चित्त।
पाँच मास से ज्यादा समय का प्रायश्चित्त स्थान सेवन करके कपट सहित या रहित आलोचना करे तो भी छ मास का प्रायश्चित्त आता है क्योंकि छ मास से ज्यादा प्रायश्चित्त नहीं है। जिस तीर्थंकर के शासन में जितना उत्कृष्ट तप हो उससे ज्यादा प्रायश्चित्त नहीं आता।
सूत्र – ६–१०
Jo sadhu – sadhvi bara – bara dosha sevana karake eka, do, tina, chara ya pamcha masa ka prayashchitta sthanaka sevana karake alochana karate hue maya sahita alove to utane hi masa ka prayashchitta ata hai, mayapurvaka alove to eka – eka adhika masa ka prayashchitta ae yani eka masavale ko do masa, do masavale ko tina masa, yavat pamcha masavale ko chha masa prayashchitta.
Pamcha masa se jyada samaya ka prayashchitta sthana sevana karake kapata sahita ya rahita alochana kare to bhi chha masa ka prayashchitta ata hai kyomki chha masa se jyada prayashchitta nahim hai. Jisa tirthamkara ke shasana mem jitana utkrishta tapa ho usase jyada prayashchitta nahim ata.
Sutra – 6–10