जो साधु – साध्वी एक मास का – एक महिने का निर्वर्तन योग्य परिहार स्थान यानि कि पाप या पापजनक सावद्य कर्मानुष्ठान का सेवन करके गुरु के पास अपना पाप प्रदर्शित करे यानि कि आलोचना करे तब माया, कपट किए बिना यानि कि निःशल्य आलोचना करे तो एक मास का ही प्रायश्चित्त आता है, लेकिन यदि माया – कपट से यानि कि शल्ययुक्त आलोचना की हो तो वो प्रायश्चित्त दो मास का आता है।
उसी तरह दो, तीन, चार, पाँच मास निर्वर्तन योग्य पापजनक सावद्य कर्मानुष्ठान का सेवन करने के बाद गुरु के समक्ष आलोचना करे तब कोई भी छल बिना आलोचना करे तो उतने ही मास का और शल्ययुक्त आलोचना करे तो १ – १ अधिक मास का प्रायश्चित्त आता है, जैसे कि दो मास के बाद निर्वर्तन पाए ऐसे, पाप की निष्कपट आलोचना दो मास का प्रायश्चित्त, सशल्य आलोचना तीन मास का प्रायश्चित्त, लेकिन छ मास से ज्यादा प्रायश्चित्त कभी नहीं आता। सशल्य या निःशल्य आलोचना का महत्तम प्रायश्चित्त छ मास समझना।
सूत्र – १३७०–१३७४
Jo sadhu – sadhvi eka masa ka – eka mahine ka nirvartana yogya parihara sthana yani ki papa ya papajanaka savadya karmanushthana ka sevana karake guru ke pasa apana papa pradarshita kare yani ki alochana kare taba maya, kapata kie bina yani ki nihshalya alochana kare to eka masa ka hi prayashchitta ata hai, lekina yadi maya – kapata se yani ki shalyayukta alochana ki ho to vo prayashchitta do masa ka ata hai.
Usi taraha do, tina, chara, pamcha masa nirvartana yogya papajanaka savadya karmanushthana ka sevana karane ke bada guru ke samaksha alochana kare taba koi bhi chhala bina alochana kare to utane hi masa ka aura shalyayukta alochana kare to 1 – 1 adhika masa ka prayashchitta ata hai, jaise ki do masa ke bada nirvartana pae aise, papa ki nishkapata alochana do masa ka prayashchitta, sashalya alochana tina masa ka prayashchitta, lekina chha masa se jyada prayashchitta kabhi nahim ata. Sashalya ya nihshalya alochana ka mahattama prayashchitta chha masa samajhana.
Sutra – 1370–1374