[सूत्र] जे भिक्खू थलाओ नावं जले ओकसावेति, ओकसावेंतं वा सातिज्जति।
Sutra Meaning :
जो साधु – साध्वी (नौका – विहार के लिए) नाव को स्थल में से यानि किनारे से पानी में, पानी में से किनारे पर मँगवाए, छिद्र आदि कारण से पानी से भरी नाँव में से पानी बाहर नीकाले, कीचड़ में फँसी नाव बाहर नीकाले, आधे रास्ते में दूसरा नाविक मुझे लेने आएगा वैसा कहकर यानि बड़ी नाँव में जाने के लिए छोटी नाँव में बैठे, ऊर्ध्व एक योजन या आधे योजन से ज्यादा लम्बे मार्ग को पार करनेवाली नौका में विहार करे – इन सभी दोष का सेवन करे, करवाए या करनेवाले की अनुमोदना करे तो प्रायश्चित्त।
सूत्र – १२६५–१२७१
Mool Sutra Transliteration :
[sutra] je bhikkhu thalao navam jale okasaveti, okasavemtam va satijjati.
Sutra Meaning Transliteration :
Jo sadhu – sadhvi (nauka – vihara ke lie) nava ko sthala mem se yani kinare se pani mem, pani mem se kinare para mamgavae, chhidra adi karana se pani se bhari namva mem se pani bahara nikale, kichara mem phamsi nava bahara nikale, adhe raste mem dusara navika mujhe lene aega vaisa kahakara yani bari namva mem jane ke lie chhoti namva mem baithe, urdhva eka yojana ya adhe yojana se jyada lambe marga ko para karanevali nauka mem vihara kare – ina sabhi dosha ka sevana kare, karavae ya karanevale ki anumodana kare to prayashchitta.
Sutra – 1265–1271