[सूत्र] जे भिक्खू कोउहल्लपडियाए तणमालियं वा मुंजमालियं वा वेत्तमालियं वा भिंडमालियं वा मयणमालियं वा पिच्छ मालियं वा दंतमालियं वा सिंगमालियं वा संखमालियं वा हड्डमालियं वा कट्ठमालियं वा पत्तमालियं वा पुप्फमालियं वा फलमा-लियं वा बीजमालियं वा हरियमालियं वा करेति, करेंतं वा सातिज्जति।
Sutra Meaning :
जो साधु – साध्वी कुतुहूलवृत्ति से हार, कड़े, आभूषण, वस्त्र आदि करवाए, अपने पास रखे या धारण करे यानि पहने। यह सब काम खुद करे – दूसरों से करवाए या वैसा करनेवाले की अनुमोदना करे तो प्रायश्चित्त।
(उद्देशक – ७ के सूत्र ४७० से ४८१ उन १२ सूत्र में यह सब वर्णन किया है, वे सब बात यहाँ समझ लेना। फर्क इतना कि वहाँ यह सब काम मैथुन ईच्छा से बताए हैं वे यहाँ कुतुहूल वृत्ति से किए हुए जानना – समझना।)
सूत्र – ११११–११२२
Mool Sutra Transliteration :
[sutra] je bhikkhu kouhallapadiyae tanamaliyam va mumjamaliyam va vettamaliyam va bhimdamaliyam va mayanamaliyam va pichchha maliyam va damtamaliyam va simgamaliyam va samkhamaliyam va haddamaliyam va katthamaliyam va pattamaliyam va pupphamaliyam va phalama-liyam va bijamaliyam va hariyamaliyam va kareti, karemtam va satijjati.
Sutra Meaning Transliteration :
Jo sadhu – sadhvi kutuhulavritti se hara, kare, abhushana, vastra adi karavae, apane pasa rakhe ya dharana kare yani pahane. Yaha saba kama khuda kare – dusarom se karavae ya vaisa karanevale ki anumodana kare to prayashchitta.
(uddeshaka – 7 ke sutra 470 se 481 una 12 sutra mem yaha saba varnana kiya hai, ve saba bata yaham samajha lena. Pharka itana ki vaham yaha saba kama maithuna ichchha se batae haim ve yaham kutuhula vritti se kie hue janana – samajhana.)
Sutra – 1111–1122