[सूत्र] जे भिक्खू मंसादीयं वा मच्छादीयं वा मंसखलं वा मच्छखलं वा आहेणं वा पहेणं वा संमेलं वा हिंगोलं वा अन्नयरं वा तहप्पगारं विरूवरूवं हीरमाणं पेहाए ताए आसाए ताए पिवासाए तं रयणिं अन्नत्थ उवाइणावेति, उवाइणावेंतं वा सातिज्जति।
Sutra Meaning :
जो साधु – साध्वी, जहाँ भोजन में पहले माँस – मच्छी दी जाती हो फिर दूसरा भोजन दिया जाता हो, जहाँ माँस या मच्छी पकाए जाते हो वो स्थान, भोजनगृह में से जो लाया जाता हो या दूसरी किसी जगह ले जाते हो, विवाह आदि के लिए जो भोजन तैयार होता हो, मृत भोजन, या ऐसे तरीके का अन्य भोजन एक जगह से दूसरी जगह ले जा रहे हो, ऐसे भोजन की उम्मीद से या तृषा से यानि भोजन की अभिलाषा से उस रात को अन्यत्र निवास करे यानि कि शय्यातर की बजाय दूसरी जगह रात व्यतीत करे, करवाए या अनुमोदन करे तो प्रायश्चित्त।
Mool Sutra Transliteration :
[sutra] je bhikkhu mamsadiyam va machchhadiyam va mamsakhalam va machchhakhalam va ahenam va pahenam va sammelam va himgolam va annayaram va tahappagaram viruvaruvam hiramanam pehae tae asae tae pivasae tam rayanim annattha uvainaveti, uvainavemtam va satijjati.
Sutra Meaning Transliteration :
Jo sadhu – sadhvi, jaham bhojana mem pahale mamsa – machchhi di jati ho phira dusara bhojana diya jata ho, jaham mamsa ya machchhi pakae jate ho vo sthana, bhojanagriha mem se jo laya jata ho ya dusari kisi jagaha le jate ho, vivaha adi ke lie jo bhojana taiyara hota ho, mrita bhojana, ya aise tarike ka anya bhojana eka jagaha se dusari jagaha le ja rahe ho, aise bhojana ki ummida se ya trisha se yani bhojana ki abhilasha se usa rata ko anyatra nivasa kare yani ki shayyatara ki bajaya dusari jagaha rata vyatita kare, karavae ya anumodana kare to prayashchitta.