[सूत्र] जे भिक्खू अन्नउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा पाए आमज्जेज्ज वा पमज्जेज्ज वा, आमज्जंतं वा पमज्जंतं वा सातिज्जति।
Sutra Meaning :
जो साधु – साध्वी अन्यतीर्थिक या गृहस्थ के पाँव को एक या अनेकबार प्रमार्जन करे, करवाए, अनुमोदना करे, (इस सूत्र से आरम्भ करके) एक गाँव से दूसरे गाँव जाते हुए यानि कि विचरण करते हुए जो साधु – साध्वी अन्य तीर्थिक या गृहस्थ के मस्तक को आवरण करे, करवाए, अनुमोदना करे तो प्रायश्चित्त।
(यहाँ ६६५ से ७१७ कुल – ५३ सूत्र हैं। जो उद्देशक – ३ के सूत्र १३३ से १८५ अनुसार जान लेना। फर्क केवल इतना कि इस ५३ दोष का सेवन अन्य तीर्थिक या गृहस्थ को लेकर किया, करवाया या अनुमोदन किया हो)
सूत्र – ६६५–७१७
Mool Sutra Transliteration :
[sutra] je bhikkhu annautthiyassa va garatthiyassa va pae amajjejja va pamajjejja va, amajjamtam va pamajjamtam va satijjati.
Sutra Meaning Transliteration :
Jo sadhu – sadhvi anyatirthika ya grihastha ke pamva ko eka ya anekabara pramarjana kare, karavae, anumodana kare, (isa sutra se arambha karake) eka gamva se dusare gamva jate hue yani ki vicharana karate hue jo sadhu – sadhvi anya tirthika ya grihastha ke mastaka ko avarana kare, karavae, anumodana kare to prayashchitta.
(yaham 665 se 717 kula – 53 sutra haim. Jo uddeshaka – 3 ke sutra 133 se 185 anusara jana lena. Pharka kevala itana ki isa 53 dosha ka sevana anya tirthika ya grihastha ko lekara kiya, karavaya ya anumodana kiya ho)
Sutra – 665–717