Sutra Navigation: Nirayavalika ( निरयावलिकादि सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1008010 | ||
Scripture Name( English ): | Nirayavalika | Translated Scripture Name : | निरयावलिकादि सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-१ काल |
Translated Chapter : |
अध्ययन-१ काल |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 10 | Category : | Upang-08 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तए णं तीसे चेल्लणाए देवीए अन्नया कयाइ तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अयमेयारूवे दोहले पाउब्भूए–धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ, संपुण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयत्थाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयपुण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयलक्खणाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयविहवाओ णं ताओ अम्मयाओ, सुलद्धे णं तासिं अम्मयाणं मानुस्सए जम्मजीवियफले, जाओ णं सेणियस्स रन्नो उयरवलिमंसेहिं सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिएहि य सुरं च महुं च मेरगं च जाइं च सीधुं च पसन्नं च आसाएमाणीओ विसाएमाणीओ परिभाएमाणीओ परिभुंजेमाणीओ दोहलं विणेंति। तए णं सा चेल्लणा देवी तंसि दोहलंसि अविणिज्जमाणंसि सुक्का भुक्खा निम्मंसा ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा नित्तेया दीणविमणवयणा पंडुलइयमुही ओमंथियनयनवयनकमला जहोचियं पुप्फ-वत्थगंधमल्लालंकारं अपरिभुंजमाणी करयलमलियव्व कमलमाला ओहयमणसंकप्पा जाव झियाइ। तए णं तीसे चेल्लणाए देवीए अंगपडियारियाओ चेल्लणं देविं सुक्कं भुक्खं जाव झियायमाणिं पासंति, पासित्ता जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु सेणियं रायं एवं वयासी– एवं खलु सामी! चेल्लणा देवी न याणामो केणइ कारणेणं सुक्का भुक्खा जाव झियाइ। तए णं से सेणिए राया तासिं अंगपडियारियाणं अंतिए एयमट्ठं सोच्चा निसम्म तहेव संभंते समाणे जेणेव चेल्लणा देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चेल्लणं देविं सुक्कं भुक्खं जाव झियायमाणिं पासित्ता एवं वयासी–किं णं तुमं देवानुप्पिए! सुक्का भुक्खा जाव झियासि? तए णं सा चेल्लणा देवी सेणियस्स रन्नो एयमट्ठं नो आढाइ नो परिजाणइ तुसिणीया संचिट्ठइ। तए णं से सेणिए राया चेल्लणं देविं दोच्चंपि तच्चंपि एवं वयासी– किं णं अहं देवानुप्पिए! एयमट्ठस्स नो अरिहे सवणयाए, जं णं तुमं एयमट्ठं रहस्सीकरेसि? तए णं सा चेल्लणा देवी सेणिएणं रन्ना दोच्चंपि तच्चंपि एवं वुत्ता समाणी सेणियं रायं एवं वयासी– नत्थि णं सामी! से केइ अट्ठे जस्स णं तुब्भे अनरिहा सवणयाए, नो चेव णं इमस्स अट्ठस्स सवणयाए। एवं खलु सामी! ममं तस्स ओरालस्स जाव महासुमिणस्स तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अयमेयारूवे दोहले पाउब्भूए– धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव जाओ णं तुब्भं उयरवलिमंसेहिं सोल्लएहि य जाव दोहलं विनेंति। तए णं अहं सामी! तंसि दोहलंसि अविणिज्जमाणंसि सुक्का भुक्खा जाव झियामि। तए णं से सेणिए राया चेल्लणं देविं एवं वयासी–मा णं तुमं देवानुप्पिए! ओहयमनसंकप्पा जाव झियाहि। अहं णं तहा घत्तिहामि जहा णं तव दोहलस्स संपत्ती भविस्सइ त्तिकट्टु चेल्लणं देविं ताहिं इट्ठाहिं कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मनामाहिं ओरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिं धन्नाहिं मंगल्लाहिं मितमहुरसस्सिरीयाहिं वग्गूहिं समासासेइ, समासासेत्ता चेल्लणाए देवीए अंतियाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव सीहासने तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीहासनवरंसि पुरत्थाभिमुहे निसीयइ, निसीयित्ता तस्स दोहलस्स संपत्तिनिमित्तं बहूहिं आएहि य उवाएहि य उप्पत्तियाए य वेणइयाए य कम्मियाए य पारिणामियाए य परिणामेमाणे-परिणामेमाणे तस्स दोहलस्स आयं वा उवायं वा ठिइं वा अविंदमाणे ओहयमन-संकप्पे जाव झियाइ। इमं च णं अभए कुमारे ण्हाए जाव अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे सयाओ गिहाओ पडिनि-क्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सेणियं रायं ओहयमनसंकप्पं जाव झियायमाणं पासइ, पासित्ता एवं वयासी– अन्नया णं ताओ! तुब्भे ममं पासित्ता हट्ठतुट्ठचित्तमाणंदिया पीइमणा परमसोमनस्सिया हरिसवस विसप्पमाणहियया भवह, किं णं ताओ! अज्ज तुब्भे ओहयमनसंकप्पा जाव झियाह? तं जइ णं अहं ताओ! एयमट्ठस्स अरिहे सवणयाए तो णं तुब्भे मम एयमट्ठं जहाभूयमवितहं असंदिद्धं परिकहेह, जहा णं अहं तस्स अट्ठस्स अंतगमनं करेमि। तए णं से सेणिए राया अभयं कुमारं एवं वयासी–नत्थि णं पुत्ता! से केइ अट्ठे जस्स णं तुमं अणरिहे सवणयाए। एवं खलु पुत्ता! तव चुल्लमाउयाए चेल्लणाए देवीए तस्स ओरालस्स जाव महासुमिणस्स तिण्हं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अयमेयारूवे दोहले पाउब्भूए–धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव जाओ णं मम उदरवलिमंसेहिं सोल्लेहिं य जाव दोहलं विनेंति। तए णं सा चेल्लणा देवी तंसि दोहलंसि अविणिज्जमाणंसि सुक्का जाव झियाइ। तए णं अहं पुत्ता! तस्स दोहलस्स संपत्तिनिमित्तं बहूहिं आएहि य उवाएहि य उप्पत्तियाए य वेनइयाए य कम्मियाए य पारिणामियाए य परिणामेमाणे-परिणामेमाणे तस्स दोहलस्स आयं वा उवायं वा ठिइं वा अविंदमाणे ओहयमणसंकप्पे जाव झियामि। तए णं से अभए कुमारे सेणियं रायं एवं वयासी– मा णं ताओ! तुब्भे ओहयमनसंकप्पा जाव झियाह। अहं णं तहा घत्तिहामि जहा णं मम चुल्लमाउयाए चेल्लणाए देवीए तस्स दोहलस्स संपत्ती भविस्सइत्ति कट्टु सेणियं रायं ताहिं इट्ठाहिं कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मणामाहिं ओरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिं धन्नाहिं मंगल्लाहिं मितमहुरसस्सिरीयाहिं वग्गूहिं समासासेइ, समासासेत्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अब्भिंतरए रहस्सियए ठाणिज्जे पुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी– गच्छह णं तुब्भे देवानुप्पिया! सूणाओ अल्लं मंसं सरुहिरं वत्थिपुडगं च गिण्हह, ममं उवनेह। तए णं ते ठाणिज्जा पुरिसा अभएणं कुमारेणं एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुट्ठा करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं सामि! त्ति आणाए विनएणं वयणं पडिसुणेंति, पडिसुणेत्ता अभयस्स कुमारस्स अंतियाओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव सूणा तेणेव उवागच्छंति, अल्लं मंसं सरुहिरं वत्थिपुडगं च गिण्हंति, गिण्हिता जेणेव अभए कुमारे तेणेव उवागच्छंति, उवाग-च्छित्ता करयल परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु तं अल्लं मंसं सरुहिरं वत्थिपुडगं च उवनेंति। तए णं से अभए कुमारे तं अल्लं मंसं सरुहिरं अप्पकप्पियं करेइ, करेत्ता जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सेणियं रायं रहस्सियगंसि सयणिज्जंसि उत्ताणयं निवज्जावेइ, निवज्जावेत्ता सेणियस्स उयरवलीसु तं अल्लं मंसं सरुहिरं विरवेइ, विरवेत्ता वत्थिपुडएणं वेढेइ, वेढेत्ता सवंतीकरणेणं करेइ, करेत्ता चेल्लणं देविं उप्पिं पासाए उल्लोयणवरगयं ठवावेइ, ठवावेत्ता चेल्लणाए देवीए अहे सपक्खिं सपडिदिसिं सेणियं रायं सयणिज्जंसि उत्ताणगं निवज्जावेइ, सेणियस्स रन्नो उयरवलिमं-साइं कप्पणि-कप्पियाइं करेइ, करेत्ता सेयभायणंसि पक्खिवइ। तए णं से सेणिए राया अलियमुच्छियं करेइ, करेत्ता मुहुत्तंतरेणं अन्नमननेण सद्धिं संलवमाणे चिट्ठइ। तए णं से अभए कुमारे सेणियस्स रन्नो उयरवलिमंसाइं गिण्हेइ, गिण्हेत्ता जेणेव चेल्लणा देवी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता चेल्लणाए देवीए उवनेइ। तए णं सा चेल्लणा देवी सेणियस्स रन्नो तेहिं उयरवलिमंसेहिं सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिएहि य सुरं च महुं च मेरगं च जाइं च सीधुं च पसन्नं च आसाएमाणी विसाएमाणी परिभाएमाणी परिभुंजेमाणी दोहलं विनेइ। तए णं सा चेल्लणा देवी संपुण्णदोहला सम्माणियदोहला वोच्छिण्णदोहला तं गब्भं सुहंसुहेणं परिवहइ। | ||
Sutra Meaning : | तत्पश्चात् परिपूर्ण तीन मास बीतने पर चेलना देवी को इस प्रकार का दोहद उत्पन्न हुआ – वे माताएं धन्य हैं यावत् वे पुण्यशालिनी हैं, उन्होंने पूर्व में पुण्य उपार्जित किया है, उनका वैभव सफल है, मानवजन्म और जीवन का, सुफल प्राप्त किया है जो श्रेणिक राजा की उदरावली के शूल पर सेके हुए, तले हुए, भूने हुए मांस का तथा सूरा यावत् मधु, मेरक, मद्य, सीधु और प्रसन्ना नामक मदिराओं का आस्वादन यावत् विस्वादन तथा उपभोग करती हुई और अपनी सहेलियों को आपस में वितरीत करती हुई अपने दोहद को पूर्ण करती हैं – किन्तु इस अयोग्य एवं अनिष्ट दोहद के पूर्ण न होने से चेलना देवी शुष्क, पीड़ित, मांसरहित, जीर्ण और जीर्ण शरीर वाली हो गई, निस्तेज, दिन, विमनस्क जैसी हो गई, विवर्णमुखी, नेत्र और मुखकमल को नमाकर यथोचित पुष्प, वस्त्र, गन्ध, माला और अलंकारों का उपभोग नहीं करती हुई, मुरझाई हुई, आहतमनोरथा यावत् चिन्ताशोक – सागर में निमग्न हो, हथेली पर मुख को टिकाकर आर्त्तध्यान में डूब गई। तब चेलना देवी की अंगपरिचारिकाओं ने चेलना देवी को सूखी – सी, भूख से ग्रस्त – सी यावत् चिन्तित देखा। वे श्रेणिक राजा के पास पहुँची। उन्होंने दोनों हाथ जोड़कर मस्तक पर अंजलि करके श्रेणिक राजा से कहा – ‘स्वामिन् ! न मालूम किस कारण से चेलना देवी शुष्क – बुभुक्षित जैसी होकर यावत् आर्त्तध्यान में डूबी हुई हैं। श्रेणिक राजा उन अंगपरिचारिकाओं की इस बात को सूनकर और समझकर आकुल – व्याकुल होता हुआ, चेलना देवी के पास आया। चेलना देवी को सूखी – सी, भूख से पीड़ित जैसी, यावत् आर्त्तध्यान करती हुई देखकर बोला – ‘देवानुप्रिये ! तुम क्यों शुष्कशरीर, भूखी – सी यावत् चिन्ताग्रस्त हो रही हो ?’ लेकिन चेलना देवी ने श्रेणिक राजा के इस प्रश्न का आदर नहिं किया, वह चूपचाप बैठी रही। तब श्रेणिक राजा ने पुनः दूसरी बार और फिर तीसरी बार भी यही प्रश्न चेलना देवी से पूछा और कहा – देवानुप्रिये ! क्या मैं इस बात को सूनने के योग्य नहीं हूँ जो तुम मुझसे इसे छिपा रही हो ? चेलना देवी ने श्रेणिक राजा से कहा – ’स्वामिन् ! बात यह है कि उस उदार यावत् महास्वप्न को देखने के तीन मास पूर्ण होने पर मुझे इस प्रकार का यह दोहद उत्पन्न हुआ है’ – वे माताएं धन्य हैं जो आपकी उदरावलि के शूल पर सेके हुए यावत् मांस द्वारा तथा मदिरा द्वारा अपने दोहद को पूर्ण करती हैं। लेकिन स्वामिन् ! उस दोहद को पूर्ण न कर सकने के कारण मैं शुष्कशरीरी, भूखी – सी यावत् चिन्तित हो रही हूँ। तब श्रेणिक राजा ने चेलना देवी की उक्त बात को सूनकर उसे आश्वासन देते हुए कहा – देवानुप्रिये ! तुम हतोत्साह एवं चिन्तित न होओ। मैं कोई ऐसा उपाय करूँगा जिससे तुम्हारे दोहद की पूर्ति हो सकेगी। ऐसा कहकर चेलनादेवी को इष्ट, कान्त, प्रिय, मनोज्ञ, मणाम, प्रभावक, कल्याणप्रद, शिव, धन्य, मंगलरूप, मृदु – मधुर वाणी से आश्वस्त किया। वह चेलना देवी के पास से निकलकर बाह्य सभाभवन में उत्तम सिंहासन के पास आया। आकर पूर्व की ओर मुख करके आसीन हो गया। वह दोहद की संपूर्ति के लिए आयों से उपायों से औत्पत्तिकी, वैनयिकी, कार्मिकी और पारिणामिकी – बुद्धियों से वारंवार विचार करते हुए भी इसके आय – उपाय, स्थिति एवं निष्पत्ति को समझ न पाने के कारण उत्साहहीन यावत् चिन्ताग्रस्त हो उठा। इधर अभयकुमार स्नान करके यावत् अपने शरीर को अलंकृत करके अपने आवासगृह से बाहर निकला। जहाँ श्रेणिक राजा था, वहाँ आया। उसने श्रेणिक राजा को निरुत्साहित जैसा देखा, यह देखकर वह बोला – तात ! पहले जब कभी आप मुझे आता हुआ देखते थे तो हर्षित यावत् सन्तुष्टहृदय होते थे, किन्तु आज ऐसी क्या बात है जो आप उदास यावत् चिन्ता में डूबे हुए हैं ? तात ! यदि मैं इस अर्थ को सूनने के योग्य हूँ तो आप सत्य एवं बिना किसी संकोच – संदेह के कहिए, जिससे मैं उसका हल करने का उपाय करूँ। अभयकुमार के कहने पर श्रेणिक राजा ने अभयकुमार से कहा – पुत्र ! है पुत्र ! तुम्हारी विमाता चेलना देवी को उस उदार यावत् महास्वप्न को देखे तीन मास बीतने पर यावत् ऐसा दोहद उत्पन्न हुआ है कि जो माताएं मेरी उदरावलि के शूलित आदि मांस से अपने दोहद को पूर्ण करती है – आदि। लेकिन चेलना देवी उस दोहद के पूर्ण न हो सकने के कारण शुष्क यावत् चिन्तित हो रही है। इसलिए पुत्र ! उस दोहद की पूर्ति के निर्मित आयों यावत् स्थिति को समझ नहीं सकने के कारण मैं भग्नमनोरथ यावत् चिन्तित हो रहा हूँ। श्रेणिक राजा के इस मनोगत भाव को सूनने के बाद अभयकुमार ने श्रेणिक राजा से कहा – ‘तात ! आप भग्नमनोरथ यावत् चिन्तित न हों, मैं ऐसा कोई जतन करूँगा कि जिससे मेरी छोटी माता चेलना देवी के उस दोहद की पूर्ति हो सकेगी।’ श्रेणिक राजा को आश्वस्त करने के पश्चात् अभयकुमार जहाँ अपना भवन था वहाँ आया। आकर गुप्त रहस्यों के जानकार आन्तरिक विश्वस्त पुरुषों को बुलाया और उनसे कहा – तुम जाओ और सूनागार में जाकर गीला मांस, रुधिर और वस्तिपुटक लाओ। वे रहस्यज्ञाता पुरुष अभयकुमार की इस बात को सुनकर हर्षित एवं संतुष्ट हुए यावत् अभय – कुमार के पास से निकले। गीला मांस, रक्त एवं वस्तिपुटक को लिया। जहाँ अभयकुमार था, वहाँ आकर दोनों हाथ जोड़कर यावत् उस मांस, रक्त एवं वस्तिपुटक को रख दिया। तब अभयकुमार ने उस रक्त और मांस से थोड़ा भाग कैंची से काटा। जहाँ श्रेणिक राजा था, वहाँ आया और श्रेणिक राजा को एकान्त में शैया पर चित लिटाया। श्रेणिक राजा की उदरावली पर उस आर्द्र रक्त – मांस को फैला दिया – और फिर वस्तिपुटक को लपेट दिया। वह ऐसा प्रतीत होने लगा जैसे रक्त – धारा बह रही हो। और फिर ऊपर के माले में चेलना देवी को अवलोकन करने के आसन से बैठाया, बैठाकर चेलना देवी के ठीक नीचे सामने की ओर श्रेणिक राजा को शैया पर चित लिटा दिया। कतरनी से श्रेणिक राजा की उदरावली का मांस काटा, काटकर उसे एक बर्तन में रखा। तब श्रेणिक राजा ने झूठ – मूठ मूर्च्छित होने का दिखावा किया और उसके बाद कुछ समय के अनन्तर आपस में बातचीत करने में लीन हो गए। तत्पश्चात् अभयकुमार ने श्रेणिक राजा की उदरावली के मांस – खण्डों को लिया, लेकर जहाँ चेलना देवी थी, वहाँ आया और आकर चेलना देवी के सामने रख दिया। तब चेलना देवी ने श्रेणिक राजा के उस उदरावली के मांस से यावत् अपना दोहद पूर्ण किया। दोहद पूर्ण होने पर चेलना देवी का दोहद संपन्न, सम्मानित और निवृत्त हो गया। तब वह उस गर्भ का सुखपूर्वक वहन करने लगी। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tae nam tise chellanae devie annaya kayai tinham masanam bahupadipunnanam ayameyaruve dohale paubbhue–dhannao nam tao ammayao, sampunnao nam tao ammayao, kayatthao nam tao ammayao, kayapunnao nam tao ammayao, kayalakkhanao nam tao ammayao, kayavihavao nam tao ammayao, suladdhe nam tasim ammayanam manussae jammajiviyaphale, jao nam seniyassa ranno uyaravalimamsehim sollehi ya taliehi ya bhajjiehi ya suram cha mahum cha meragam cha jaim cha sidhum cha pasannam cha asaemanio visaemanio paribhaemanio paribhumjemanio dohalam vinemti. Tae nam sa chellana devi tamsi dohalamsi avinijjamanamsi sukka bhukkha nimmamsa olugga oluggasarira nitteya dinavimanavayana pamdulaiyamuhi omamthiyanayanavayanakamala jahochiyam puppha-vatthagamdhamallalamkaram aparibhumjamani karayalamaliyavva kamalamala ohayamanasamkappa java jhiyai. Tae nam tise chellanae devie amgapadiyariyao chellanam devim sukkam bhukkham java jhiyayamanim pasamti, pasitta jeneva senie raya teneva uvagachchhamti, uvagachchhitta karayala pariggahiyam dasanaham sirasavattam matthae amjalim kattu seniyam rayam evam vayasi– evam khalu sami! Chellana devi na yanamo kenai karanenam sukka bhukkha java jhiyai. Tae nam se senie raya tasim amgapadiyariyanam amtie eyamattham sochcha nisamma taheva sambhamte samane jeneva chellana devi teneva uvagachchhai, uvagachchhitta chellanam devim sukkam bhukkham java jhiyayamanim pasitta evam vayasi–kim nam tumam devanuppie! Sukka bhukkha java jhiyasi? Tae nam sa chellana devi seniyassa ranno eyamattham no adhai no parijanai tusiniya samchitthai. Tae nam se senie raya chellanam devim dochchampi tachchampi evam vayasi– kim nam aham devanuppie! Eyamatthassa no arihe savanayae, jam nam tumam eyamattham rahassikaresi? Tae nam sa chellana devi senienam ranna dochchampi tachchampi evam vutta samani seniyam rayam evam vayasi– natthi nam sami! Se kei atthe jassa nam tubbhe anariha savanayae, no cheva nam imassa atthassa savanayae. Evam khalu sami! Mamam tassa oralassa java mahasuminassa tinham masanam bahupadipunnanam ayameyaruve dohale paubbhue– dhannao nam tao ammayao java jao nam tubbham uyaravalimamsehim sollaehi ya java dohalam vinemti. Tae nam aham sami! Tamsi dohalamsi avinijjamanamsi sukka bhukkha java jhiyami. Tae nam se senie raya chellanam devim evam vayasi–ma nam tumam devanuppie! Ohayamanasamkappa java jhiyahi. Aham nam taha ghattihami jaha nam tava dohalassa sampatti bhavissai ttikattu chellanam devim tahim itthahim kamtahim piyahim manunnahim manamahim oralahim kallanahim sivahim dhannahim mamgallahim mitamahurasassiriyahim vagguhim samasasei, samasasetta chellanae devie amtiyao padinikkhamai, padinikkhamitta jeneva bahiriya uvatthanasala jeneva sihasane teneva uvagachchhai, uvagachchhitta sihasanavaramsi puratthabhimuhe nisiyai, nisiyitta tassa dohalassa sampattinimittam bahuhim aehi ya uvaehi ya uppattiyae ya venaiyae ya kammiyae ya parinamiyae ya parinamemane-parinamemane tassa dohalassa ayam va uvayam va thiim va avimdamane ohayamana-samkappe java jhiyai. Imam cha nam abhae kumare nhae java appamahagghabharanalamkiyasarire sayao gihao padini-kkhamai, padinikkhamitta jeneva bahiriya uvatthanasala jeneva senie raya teneva uvagachchhai, uvagachchhitta seniyam rayam ohayamanasamkappam java jhiyayamanam pasai, pasitta evam vayasi– Annaya nam tao! Tubbhe mamam pasitta hatthatutthachittamanamdiya piimana paramasomanassiya harisavasa visappamanahiyaya bhavaha, kim nam tao! Ajja tubbhe ohayamanasamkappa java jhiyaha? Tam jai nam aham tao! Eyamatthassa arihe savanayae to nam tubbhe mama eyamattham jahabhuyamavitaham asamdiddham parikaheha, jaha nam aham tassa atthassa amtagamanam karemi. Tae nam se senie raya abhayam kumaram evam vayasi–natthi nam putta! Se kei atthe jassa nam tumam anarihe savanayae. Evam khalu putta! Tava chullamauyae chellanae devie tassa oralassa java mahasuminassa tinham masanam bahupadipunnanam ayameyaruve dohale paubbhue–dhannao nam tao ammayao java jao nam mama udaravalimamsehim sollehim ya java dohalam vinemti. Tae nam sa chellana devi tamsi dohalamsi avinijjamanamsi sukka java jhiyai. Tae nam aham putta! Tassa dohalassa sampattinimittam bahuhim aehi ya uvaehi ya uppattiyae ya venaiyae ya kammiyae ya parinamiyae ya parinamemane-parinamemane tassa dohalassa ayam va uvayam va thiim va avimdamane ohayamanasamkappe java jhiyami. Tae nam se abhae kumare seniyam rayam evam vayasi– ma nam tao! Tubbhe ohayamanasamkappa java jhiyaha. Aham nam taha ghattihami jaha nam mama chullamauyae chellanae devie tassa dohalassa sampatti bhavissaitti kattu seniyam rayam tahim itthahim kamtahim piyahim manunnahim manamahim oralahim kallanahim sivahim dhannahim mamgallahim mitamahurasassiriyahim vagguhim samasasei, samasasetta jeneva sae gihe teneva uvagachchhai, uvagachchhitta abbhimtarae rahassiyae thanijje purise saddavei, saddavetta evam vayasi– gachchhaha nam tubbhe devanuppiya! Sunao allam mamsam saruhiram vatthipudagam cha ginhaha, mamam uvaneha. Tae nam te thanijja purisa abhaenam kumarenam evam vutta samana hatthatuttha karayalapariggahiyam sirasavattam matthae amjalim kattu evam sami! Tti anae vinaenam vayanam padisunemti, padisunetta abhayassa kumarassa amtiyao padinikkhamamti, padinikkhamitta jeneva suna teneva uvagachchhamti, allam mamsam saruhiram vatthipudagam cha ginhamti, ginhita jeneva abhae kumare teneva uvagachchhamti, uvaga-chchhitta karayala pariggahiyam sirasavattam matthae amjalim kattu tam allam mamsam saruhiram vatthipudagam cha uvanemti. Tae nam se abhae kumare tam allam mamsam saruhiram appakappiyam karei, karetta jeneva senie raya teneva uvagachchhai, uvagachchhitta seniyam rayam rahassiyagamsi sayanijjamsi uttanayam nivajjavei, nivajjavetta seniyassa uyaravalisu tam allam mamsam saruhiram viravei, viravetta vatthipudaenam vedhei, vedhetta savamtikaranenam karei, karetta chellanam devim uppim pasae ulloyanavaragayam thavavei, thavavetta chellanae devie ahe sapakkhim sapadidisim seniyam rayam sayanijjamsi uttanagam nivajjavei, seniyassa ranno uyaravalimam-saim kappani-kappiyaim karei, karetta seyabhayanamsi pakkhivai. Tae nam se senie raya aliyamuchchhiyam karei, karetta muhuttamtarenam annamananena saddhim samlavamane chitthai. Tae nam se abhae kumare seniyassa ranno uyaravalimamsaim ginhei, ginhetta jeneva chellana devi teneva uvagachchhai uvagachchhitta chellanae devie uvanei. Tae nam sa chellana devi seniyassa ranno tehim uyaravalimamsehim sollehi ya taliehi ya bhajjiehi ya suram cha mahum cha meragam cha jaim cha sidhum cha pasannam cha asaemani visaemani paribhaemani paribhumjemani dohalam vinei. Tae nam sa chellana devi sampunnadohala sammaniyadohala vochchhinnadohala tam gabbham suhamsuhenam parivahai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Tatpashchat paripurna tina masa bitane para chelana devi ko isa prakara ka dohada utpanna hua – ve mataem dhanya haim yavat ve punyashalini haim, unhomne purva mem punya uparjita kiya hai, unaka vaibhava saphala hai, manavajanma aura jivana ka, suphala prapta kiya hai jo shrenika raja ki udaravali ke shula para seke hue, tale hue, bhune hue mamsa ka tatha sura yavat madhu, meraka, madya, sidhu aura prasanna namaka madiraom ka asvadana yavat visvadana tatha upabhoga karati hui aura apani saheliyom ko apasa mem vitarita karati hui apane dohada ko purna karati haim – kintu isa ayogya evam anishta dohada ke purna na hone se chelana devi shushka, pirita, mamsarahita, jirna aura jirna sharira vali ho gai, nisteja, dina, vimanaska jaisi ho gai, vivarnamukhi, netra aura mukhakamala ko namakara yathochita pushpa, vastra, gandha, mala aura alamkarom ka upabhoga nahim karati hui, murajhai hui, ahatamanoratha yavat chintashoka – sagara mem nimagna ho, hatheli para mukha ko tikakara arttadhyana mem duba gai. Taba chelana devi ki amgaparicharikaom ne chelana devi ko sukhi – si, bhukha se grasta – si yavat chintita dekha. Ve shrenika raja ke pasa pahumchi. Unhomne donom hatha jorakara mastaka para amjali karake shrenika raja se kaha – ‘svamin ! Na maluma kisa karana se chelana devi shushka – bubhukshita jaisi hokara yavat arttadhyana mem dubi hui haim. Shrenika raja una amgaparicharikaom ki isa bata ko sunakara aura samajhakara akula – vyakula hota hua, chelana devi ke pasa aya. Chelana devi ko sukhi – si, bhukha se pirita jaisi, yavat arttadhyana karati hui dekhakara bola – ‘devanupriye ! Tuma kyom shushkasharira, bhukhi – si yavat chintagrasta ho rahi ho\?’ lekina chelana devi ne shrenika raja ke isa prashna ka adara nahim kiya, vaha chupachapa baithi rahi. Taba shrenika raja ne punah dusari bara aura phira tisari bara bhi yahi prashna chelana devi se puchha aura kaha – devanupriye ! Kya maim isa bata ko sunane ke yogya nahim hum jo tuma mujhase ise chhipa rahi ho\? Chelana devi ne shrenika raja se kaha – ’svamin ! Bata yaha hai ki usa udara yavat mahasvapna ko dekhane ke tina masa purna hone para mujhe isa prakara ka yaha dohada utpanna hua hai’ – ve mataem dhanya haim jo apaki udaravali ke shula para seke hue yavat mamsa dvara tatha madira dvara apane dohada ko purna karati haim. Lekina svamin ! Usa dohada ko purna na kara sakane ke karana maim shushkashariri, bhukhi – si yavat chintita ho rahi hum. Taba shrenika raja ne chelana devi ki ukta bata ko sunakara use ashvasana dete hue kaha – devanupriye ! Tuma hatotsaha evam chintita na hoo. Maim koi aisa upaya karumga jisase tumhare dohada ki purti ho sakegi. Aisa kahakara chelanadevi ko ishta, kanta, priya, manojnya, manama, prabhavaka, kalyanaprada, shiva, dhanya, mamgalarupa, mridu – madhura vani se ashvasta kiya. Vaha chelana devi ke pasa se nikalakara bahya sabhabhavana mem uttama simhasana ke pasa aya. Akara purva ki ora mukha karake asina ho gaya. Vaha dohada ki sampurti ke lie ayom se upayom se autpattiki, vainayiki, karmiki aura parinamiki – buddhiyom se varamvara vichara karate hue bhi isake aya – upaya, sthiti evam nishpatti ko samajha na pane ke karana utsahahina yavat chintagrasta ho utha. Idhara abhayakumara snana karake yavat apane sharira ko alamkrita karake apane avasagriha se bahara nikala. Jaham shrenika raja tha, vaham aya. Usane shrenika raja ko nirutsahita jaisa dekha, yaha dekhakara vaha bola – tata ! Pahale jaba kabhi apa mujhe ata hua dekhate the to harshita yavat santushtahridaya hote the, kintu aja aisi kya bata hai jo apa udasa yavat chinta mem dube hue haim\? Tata ! Yadi maim isa artha ko sunane ke yogya hum to apa satya evam bina kisi samkocha – samdeha ke kahie, jisase maim usaka hala karane ka upaya karum. Abhayakumara ke kahane para shrenika raja ne abhayakumara se kaha – putra ! Hai putra ! Tumhari vimata chelana devi ko usa udara yavat mahasvapna ko dekhe tina masa bitane para yavat aisa dohada utpanna hua hai ki jo mataem meri udaravali ke shulita adi mamsa se apane dohada ko purna karati hai – adi. Lekina chelana devi usa dohada ke purna na ho sakane ke karana shushka yavat chintita ho rahi hai. Isalie putra ! Usa dohada ki purti ke nirmita ayom yavat sthiti ko samajha nahim sakane ke karana maim bhagnamanoratha yavat chintita ho raha hum. Shrenika raja ke isa manogata bhava ko sunane ke bada abhayakumara ne shrenika raja se kaha – ‘tata ! Apa bhagnamanoratha yavat chintita na hom, maim aisa koi jatana karumga ki jisase meri chhoti mata chelana devi ke usa dohada ki purti ho sakegi.’ shrenika raja ko ashvasta karane ke pashchat abhayakumara jaham apana bhavana tha vaham aya. Akara gupta rahasyom ke janakara antarika vishvasta purushom ko bulaya aura unase kaha – tuma jao aura sunagara mem jakara gila mamsa, rudhira aura vastiputaka lao. Ve rahasyajnyata purusha abhayakumara ki isa bata ko sunakara harshita evam samtushta hue yavat abhaya – kumara ke pasa se nikale. Gila mamsa, rakta evam vastiputaka ko liya. Jaham abhayakumara tha, vaham akara donom hatha jorakara yavat usa mamsa, rakta evam vastiputaka ko rakha diya. Taba abhayakumara ne usa rakta aura mamsa se thora bhaga kaimchi se kata. Jaham shrenika raja tha, vaham aya aura shrenika raja ko ekanta mem shaiya para chita litaya. Shrenika raja ki udaravali para usa ardra rakta – mamsa ko phaila diya – aura phira vastiputaka ko lapeta diya. Vaha aisa pratita hone laga jaise rakta – dhara baha rahi ho. Aura phira upara ke male mem chelana devi ko avalokana karane ke asana se baithaya, baithakara chelana devi ke thika niche samane ki ora shrenika raja ko shaiya para chita lita diya. Katarani se shrenika raja ki udaravali ka mamsa kata, katakara use eka bartana mem rakha. Taba shrenika raja ne jhutha – mutha murchchhita hone ka dikhava kiya aura usake bada kuchha samaya ke anantara apasa mem batachita karane mem lina ho gae. Tatpashchat abhayakumara ne shrenika raja ki udaravali ke mamsa – khandom ko liya, lekara jaham chelana devi thi, vaham aya aura akara chelana devi ke samane rakha diya. Taba chelana devi ne shrenika raja ke usa udaravali ke mamsa se yavat apana dohada purna kiya. Dohada purna hone para chelana devi ka dohada sampanna, sammanita aura nivritta ho gaya. Taba vaha usa garbha ka sukhapurvaka vahana karane lagi. |