Sutra Navigation: Chandrapragnapati ( चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007499 | ||
Scripture Name( English ): | Chandrapragnapati | Translated Scripture Name : | चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
प्राभृत-१ |
Translated Chapter : |
प्राभृत-१ |
Section : | प्राभृत-प्राभृत-१ | Translated Section : | प्राभृत-प्राभृत-१ |
Sutra Number : | 199 | Category : | Upang-06 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] ता कहं ते राहुकम्मे आहितेति वदेज्जा? तत्थ खलु इमाओ दो पडिवत्तीओ पन्नत्ताओ। तत्थेगे एवमाहंसु–ता अत्थि णं से राहू देवे, जे णं चंदं वा सूरं वा गेण्हति–एगे एवमाहंसु १ एगे पुण एवमाहंसु–ता नत्थि णं से राहू देवे, जे णं चंदं वा सूरं वा गेण्हति–एगे एवमाहंसु २ तत्थ जेते एवमाहंसु–ता अत्थि णं से राहू देवे, जे णं चंदं वा सूरं वा गेण्हति, ते एवमाहंसु–ता राहू णं देवे चंदं वा सूरं वा गेण्हमाणे बुद्धंतेणं गिण्हित्ता बुद्धंतेणं मुयति, बुद्धंतेणं गिण्हित्ता मुद्धंतेणं मुयंति, मुद्धंतेणं गिण्हित्ता बुद्धंतेणं मुयति, मुद्धंतेणं गिण्हित्ता मुद्धंतेणं मुयति, वामभुयंतेणं गिण्हित्ता वामभुयंतेणं मुयति, वामभुयंतेणं गिण्हित्ता दाहिणभुयंतेणं मुयति दाहिणभुयंतेणं गिण्हित्ता वाम-भुयंतेणं मुयति, दाहिणभुयंतेणं गिण्हित्ता दाहिणभुयंतेणं मुयति। तत्थ जेते एवमाहंसु–ता नत्थि णं से राहू देवे, जे णं चंदं वा सूरं वा गेण्हति, ते एवमाहंसु–तत्थ णं इमे पन्नरस कसिणपोग्गला पन्नत्ता, तं जहा–सिंघाडए जडिलए खरए खतए अंजणे खंजणे सीतले हिमसीतले केलासे अरुणाभे परिज्जए णभसूरए कविलए पिंगलए राहू। ता जया णं एते पन्नरस कसिणा पोग्गला सया चंदस्स वा सूरस्स वा लेसानुबद्धचारिणो भवंति तया णं मानुसलोयंसि माणुसा एवं वदंति–एवं खलु राहू चंदं वा सूरं वा गेण्हति। ता जया णं एते पन्नरस कसिणा पोग्गला नो सया चंदस्स वा सूरस्स वा लेसानुबद्धचारिणो भवंति, नो खलु तया णं मानुसलोयम्मि मनुस्सा एवं वदंति–एवं खलु राहू चंदं वा सूरं वा गेण्हति–एगे एवमाहंसु। वयं पुण एवं वदामो–ता राहू णं देवे महिड्ढिए महाजुतीए महाबले महाजसे महानुभावे वरवत्थधरे वरमल्लधरे वराभणधारी। राहुस्स णं देवस्स नव नामधेज्जा पन्नत्ता, तं जहा–सिंघाडए जडिलए खतए खरए दद्दरे मगरे मच्छे कच्छभे कण्हसप्पे। ता राहुस्स णं देवस्स विमाणा पंचवण्णा पन्नत्ता, तं जहा–किण्हा नीला लोहिता हालिद्दा सुक्किला। अत्थि कालए राहुविमाने खंजणवण्णाभे पन्नत्ते, अत्थि णीलए राहुविमाने लाउयवण्णाभे पन्नत्ते, अत्थि लोहिए राहुविमाने मंजिट्ठावण्णाभे पन्नत्ते, अत्थि पीतए राहुविमाने हालिद्दवण्णाभे पन्नत्ते, अत्थि सुक्किलए राहुविमाने भासरासिवण्णाभे पन्नत्ते। ता जया णं राहुदेवे आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेस्सं पुरत्थिमेणं आवरित्ता पच्चत्थिमेणं वीतीवयति तया णं पुरत्थिमेणं चंदे वा सूरे वा उवदंसेति, पच्चत्थिमेणं राहू। जया णं राहुदेवे आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं दाहिणेणं आवरित्ता उत्तरेणं वीतीवयति तया णं दाहिणेणं चंदे वा सूरे वा उवदंसेति, उत्तरेणं राहू। एतेणं अभिलावेणं पच्चत्थिमेणं आवरित्ता पुरत्थिमेणं वीतीवयति, उत्तरेणं आवरित्ता दाहिणेणं वीतीवयति। जया णं राहू देवे आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं दाहिणपुरत्थिमेणं आवरित्ता उत्तरपच्चत्थिमेणं वीतीवयति तया णं दाहिणपुरत्थिमेणं चंदे वा सूरे वा उवदंसेति, उत्तरपच्चत्थिमेणं राहू जया णं राहू देवे आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं दाहिणपच्चत्थिमेणं आवरित्ता उत्तरपुरत्थिमेणं वीतीवयति तया णं दाहिणपच्चत्थिमेणं चंदे वा सूरे वा उवदंसेति, उत्तरपुरत्थिमेणं राहू। एतेणं अभिलावेणं उत्तरपच्चत्थिमेणं आवरेत्ता दाहिणपुरत्थिमेणं वीतीवयति, उत्तर-पुरत्थिमेणं आवरेत्ता दाहिणपच्चत्थिमेणं वीतीवयति। ता जया णं राहू देवे आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं आवरेत्ता वीतीवयति तया णं मनुस्सलोए मनुस्सा वदंति–एवं खलु राहुणा चंदे वा सूरे वा गहिते–एवं खलु राहुणा चंदे वा सूरे वा गहिते। ता जया णं राहू देवे आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं आवरेत्ता पासेणं वीतीवयति तया णं मनुस्सलोयंमि मनुस्सा वदंति–एवं खलु चंदेण वा सूरेण वा राहुस्स कुच्छी भिन्ना–एवं खलु चंदेण वा सूरेण वा राहुस्स कुच्छी भिन्ना। ता जया णं राहुदेवे आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं आवरेत्ता पच्चोसक्कति तया णं मनुस्सलोए मनुस्सा वदंति–एवं खलु राहुणा चंदे वा सूरे वा वंते–एवं खलु राहुणा चंदे वा सूरे वा वंते। ता जया णं राहू देवे आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं आवरेत्ता मज्झंमज्झेणं वीतीवयति तया णं मनुस्सलोए मनुस्सा वदंति–एवं खलु राहुणा चंदे वा सूरे वा वइयरिए–एवं खलु राहुणा चंदे वा सूरे वा वइयरिए। ता जया णं राहू देवे आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं आवरेत्ताणं अहे सपक्खिं सपडिदिसिं चिट्ठति तया णं मनुस्सलोयंसि मनुस्सा वदंति–एवं खलु राहुणा चंदे वा सूरे वा घत्थे–एवं खलु राहुणा चंदे वा सूरे वा घत्थे। ता कतिविहे णं राहू पन्नत्ते? ता दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–धुवराहू य पव्वराहू य। तत्थ णं जेसे धुवराहू, से णं बहुलपक्खस्स पाडिवए पन्नरसतिभागेणं पन्नरसतिभागं चंदस्स लेसं आवरेमाणे-आवरेमाणे चिट्ठति, तं जहा–पढमाए पढमं भागं जाव पन्नरसीए पन्नरसमं भागं, चरमे समए चंदे रत्ते भवइ, अवसेसे समए चंदे रत्ते य विरत्ते य भवति। तमेव सुक्कपक्खे उवदंसेमाणे-उवदंसेमाणे चिट्ठति, तं जहा–पढमाए पढमं भागं जाव पन्नरसीए पन्नरसमं भागं, चरिमे समए चंदे विरत्ते भवति, अवसेसे समए चंदे रत्ते य विरत्ते य भवइ। तत्थ णं जेसे पव्वराहू, से जहन्नेणं छण्हं मासाणं, उक्कोसेणं बायालीसाए मासाणं चंदस्स, अडतालीसाए संवच्छराणं सूरस्स। | ||
Sutra Meaning : | हे भगवंत ! चंद्रादि का अनुभाव किस प्रकार से है ? इस विषय में दो प्रतिपत्तियाँ है। एक कहता है कि चंद्र – सूर्य जीवरूप नहीं है, अजीवरूप है; घनरूप नहीं है, सुषिररूप है, श्रेष्ठ शरीरधारी नहीं, किन्तु कलेवररूप है, उनको उत्थान – कर्म – बल – वीर्य या पुरिषकार पराक्रम नहीं है, उनमें विद्युत, अशनिपात ध्वनि नहीं है, लेकिन उनके नीचे बादर वायुकाय संमूर्च्छित होता है और वहीं विद्युत यावत् ध्वनि उत्पन्न करता है। कोई दूसरा इस से संपूर्ण विपरीत मतवाला है – वह कहता है चंद्र – सूर्य जीवरूप यावत् पुरुष पराक्रम से युक्त हैं, वह विद्युत यावत् ध्वनि उत्पन्न करता है। भगवंत फरमाते हैं कि चंद्र – सूर्य के देव महाऋद्धिक यावत् महानुभाग है, उत्तम वस्त्र – माल्य – आभरण के धारक है, अव्यवच्छित नय से अपनी स्वाभाविक आयु पूर्ण करके पूर्वोत्पन्न देव का च्यवन होता है और अन्य उत्पन्न होता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] ta kaham te rahukamme ahiteti vadejja? Tattha khalu imao do padivattio pannattao. Tatthege evamahamsu–ta atthi nam se rahu deve, je nam chamdam va suram va genhati–ege evamahamsu 1 Ege puna evamahamsu–ta natthi nam se rahu deve, je nam chamdam va suram va genhati–ege evamahamsu 2 Tattha jete evamahamsu–ta atthi nam se rahu deve, je nam chamdam va suram va genhati, te evamahamsu–ta rahu nam deve chamdam va suram va genhamane buddhamtenam ginhitta buddhamtenam muyati, buddhamtenam ginhitta muddhamtenam muyamti, muddhamtenam ginhitta buddhamtenam muyati, muddhamtenam ginhitta muddhamtenam muyati, vamabhuyamtenam ginhitta vamabhuyamtenam muyati, vamabhuyamtenam ginhitta dahinabhuyamtenam muyati dahinabhuyamtenam ginhitta vama-bhuyamtenam muyati, dahinabhuyamtenam ginhitta dahinabhuyamtenam muyati. Tattha jete evamahamsu–ta natthi nam se rahu deve, je nam chamdam va suram va genhati, te evamahamsu–tattha nam ime pannarasa kasinapoggala pannatta, tam jaha–simghadae jadilae kharae khatae amjane khamjane sitale himasitale kelase arunabhe parijjae nabhasurae kavilae pimgalae rahu. Ta jaya nam ete pannarasa kasina poggala saya chamdassa va surassa va lesanubaddhacharino bhavamti taya nam manusaloyamsi manusa evam vadamti–evam khalu rahu chamdam va suram va genhati. Ta jaya nam ete pannarasa kasina poggala no saya chamdassa va surassa va lesanubaddhacharino bhavamti, no khalu taya nam manusaloyammi manussa evam vadamti–evam khalu rahu chamdam va suram va genhati–ege evamahamsu. Vayam puna evam vadamo–ta rahu nam deve mahiddhie mahajutie mahabale mahajase mahanubhave varavatthadhare varamalladhare varabhanadhari. Rahussa nam devassa nava namadhejja pannatta, tam jaha–simghadae jadilae khatae kharae daddare magare machchhe kachchhabhe kanhasappe. Ta rahussa nam devassa vimana pamchavanna pannatta, tam jaha–kinha nila lohita halidda sukkila. Atthi kalae rahuvimane khamjanavannabhe pannatte, atthi nilae rahuvimane lauyavannabhe pannatte, atthi lohie rahuvimane mamjitthavannabhe pannatte, atthi pitae rahuvimane haliddavannabhe pannatte, atthi sukkilae rahuvimane bhasarasivannabhe pannatte. Ta jaya nam rahudeve agachchhamane va gachchhamane va viuvvamane va pariyaremane va chamdassa va surassa va lessam puratthimenam avaritta pachchatthimenam vitivayati taya nam puratthimenam chamde va sure va uvadamseti, pachchatthimenam rahu. Jaya nam rahudeve agachchhamane va gachchhamane va viuvvamane va pariyaremane va chamdassa va surassa va lesam dahinenam avaritta uttarenam vitivayati taya nam dahinenam chamde va sure va uvadamseti, uttarenam rahu. Etenam abhilavenam pachchatthimenam avaritta puratthimenam vitivayati, uttarenam avaritta dahinenam vitivayati. Jaya nam rahu deve agachchhamane va gachchhamane va viuvvamane va pariyaremane va chamdassa va surassa va lesam dahinapuratthimenam avaritta uttarapachchatthimenam vitivayati taya nam dahinapuratthimenam chamde va sure va uvadamseti, uttarapachchatthimenam rahu jaya nam rahu deve agachchhamane va gachchhamane va viuvvamane va pariyaremane va chamdassa va surassa va lesam dahinapachchatthimenam avaritta uttarapuratthimenam vitivayati taya nam dahinapachchatthimenam chamde va sure va uvadamseti, uttarapuratthimenam rahu. Etenam abhilavenam uttarapachchatthimenam avaretta dahinapuratthimenam vitivayati, uttara-puratthimenam avaretta dahinapachchatthimenam vitivayati. Ta jaya nam rahu deve agachchhamane va gachchhamane va viuvvamane va pariyaremane va chamdassa va surassa va lesam avaretta vitivayati taya nam manussaloe manussa vadamti–evam khalu rahuna chamde va sure va gahite–evam khalu rahuna chamde va sure va gahite. Ta jaya nam rahu deve agachchhamane va gachchhamane va viuvvamane va pariyaremane va chamdassa va surassa va lesam avaretta pasenam vitivayati taya nam manussaloyammi manussa vadamti–evam khalu chamdena va surena va rahussa kuchchhi bhinna–evam khalu chamdena va surena va rahussa kuchchhi bhinna. Ta jaya nam rahudeve agachchhamane va gachchhamane va viuvvamane va pariyaremane va chamdassa va surassa va lesam avaretta pachchosakkati taya nam manussaloe manussa vadamti–evam khalu rahuna chamde va sure va vamte–evam khalu rahuna chamde va sure va vamte. Ta jaya nam rahu deve agachchhamane va gachchhamane va viuvvamane va pariyaremane va chamdassa va surassa va lesam avaretta majjhammajjhenam vitivayati taya nam manussaloe manussa vadamti–evam khalu rahuna chamde va sure va vaiyarie–evam khalu rahuna chamde va sure va vaiyarie. Ta jaya nam rahu deve agachchhamane va gachchhamane va viuvvamane va pariyaremane va chamdassa va surassa va lesam avarettanam ahe sapakkhim sapadidisim chitthati taya nam manussaloyamsi manussa vadamti–evam khalu rahuna chamde va sure va ghatthe–evam khalu rahuna chamde va sure va ghatthe. Ta kativihe nam rahu pannatte? Ta duvihe pannatte, tam jaha–dhuvarahu ya pavvarahu ya. Tattha nam jese dhuvarahu, se nam bahulapakkhassa padivae pannarasatibhagenam pannarasatibhagam chamdassa lesam avaremane-avaremane chitthati, tam jaha–padhamae padhamam bhagam java pannarasie pannarasamam bhagam, charame samae chamde ratte bhavai, avasese samae chamde ratte ya viratte ya bhavati. Tameva sukkapakkhe uvadamsemane-uvadamsemane chitthati, tam jaha–padhamae padhamam bhagam java pannarasie pannarasamam bhagam, charime samae chamde viratte bhavati, avasese samae chamde ratte ya viratte ya bhavai. Tattha nam jese pavvarahu, se jahannenam chhanham masanam, ukkosenam bayalisae masanam chamdassa, adatalisae samvachchharanam surassa. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | He bhagavamta ! Chamdradi ka anubhava kisa prakara se hai\? Isa vishaya mem do pratipattiyam hai. Eka kahata hai ki chamdra – surya jivarupa nahim hai, ajivarupa hai; ghanarupa nahim hai, sushirarupa hai, shreshtha shariradhari nahim, kintu kalevararupa hai, unako utthana – karma – bala – virya ya purishakara parakrama nahim hai, unamem vidyuta, ashanipata dhvani nahim hai, lekina unake niche badara vayukaya sammurchchhita hota hai aura vahim vidyuta yavat dhvani utpanna karata hai. Koi dusara isa se sampurna viparita matavala hai – vaha kahata hai chamdra – surya jivarupa yavat purusha parakrama se yukta haim, vaha vidyuta yavat dhvani utpanna karata hai. Bhagavamta pharamate haim ki chamdra – surya ke deva mahariddhika yavat mahanubhaga hai, uttama vastra – malya – abharana ke dharaka hai, avyavachchhita naya se apani svabhavika ayu purna karake purvotpanna deva ka chyavana hota hai aura anya utpanna hota hai. |