Sutra Navigation: Chandrapragnapati ( चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र )

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Sr No : 1007325
Scripture Name( English ): Chandrapragnapati Translated Scripture Name : चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

प्राभृत-१

Translated Chapter :

प्राभृत-१

Section : प्राभृत-प्राभृत-१ Translated Section : प्राभृत-प्राभृत-१
Sutra Number : 25 Category : Upang-06
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] जइ खलु तस्सेव आदिच्चस्स संवच्छरस्स सइं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, सइं अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति, सइं दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, सइं दुवालसमुहुत्ता राती भवति। पढमे छम्मासे अत्थि अट्ठारसमुहुत्ता राती, नत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे अत्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे, नत्थि दुवालसमुहुत्ता राती। दोच्चे छम्मासे अत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे, नत्थि अट्ठारसमुहुत्ता राती, अत्थि दुवालसमुहुत्ता राती, नत्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे। पढमे वा छम्मासे दोच्चे वा छम्मासे नत्थि पन्नरसमुहुत्ते दिवसे, नत्थि पन्नरसमुहुत्ता राती। तत्थ णं को हेतूति वएज्जा? ता अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वब्भंतराए सव्वखुड्डाए वट्टे तेल्लापूयसंठाणसंठिए, वट्टे रहचक्कवालसंठाणसंठिए, वट्टे पुक्खरकण्णिया-संठाणसंठिए, वट्टे पडिपुण्णचंदसंठाणसंठिए एगं जोयणसयसहस्सं आयाम-विक्खंभेणं, तिन्नि जोयणसयसहस्साइं सोलस सहस्साइं दोन्नि य सत्तावीसे जोयणसए तिन्नि य कोसे अट्ठावीसं च धनुसयं तेरस अंगुलाइं अद्धंगुलं च किंचि विसेसाहियं परिक्खेवेणं पन्नत्ते। ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राती भवति। से निक्खममाणे सूरिए नवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अब्भिंतरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ‘ता जया णं सूरिए अब्भिंतरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ’, तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालस-मुहुत्ता राती भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया। से निक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि अब्भिंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए अब्भिंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राती भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया। एवं खलु एएणं उवाएणं निक्खममाणे सूरिए तयानंतराओ तयानंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणे-संकममाणे दो-दो ‘एगट्ठिभागे मुहुत्तस्स’ एगमेगे मंडले दिवसखेत्तस्स निवड्ढेमाणे-निवड्ढेमाणे रयणिखेत्तस्स अभिवुड्ढेमाणे-अभिवुड्ढेमाणे सव्वबाहिरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतराओ मंडलाओ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सव्वब्भंतरमंडलं पणिहाय एगेणं तेसीएणं राइंदियसएणं तिन्नि-छावट्ठे एगट्ठिभागमुहुत्ते सए दिवसखेत्तस्स निवुड्ढित्ता रयणिखेत्तस्स अभिवुड्ढित्ता चारं चरइ, तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति, जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ। एस णं पढमे छम्मासे, एस णं ‘पढमस्स छम्मासस्स’ पज्जवसाणे। से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए बाहिरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए। से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए। एवं खलु एएणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तयानंतराओ तयानंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणे-संकममाणे दो-दो एगट्ठिभागमुहुत्ते एगमेगे मंडले रयणिखेत्तस्स निवुड्ढेमाणे-निवुड्ढेमाणे दिवसखेत्तस्स अभिवुड्ढेमाणे-अभिवुड्ढेमाणे सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिराओ मंडलाओ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सव्वबाहिरं मंडलं पणिहाय एगेणं तेसोएणं राइंदियसएणं तिन्निछावट्ठे एगट्ठिभागमुहुत्ते सए रयणिखेत्तस्स निवुड्ढित्ता दिवसखेत्तस्स अभिवुड्ढित्ता चारं चरइ, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राती भवति। एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे। एस णं आदिच्चे संवच्छरे, एस णं आदिच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे। इति खलु तस्सेवं आदिच्चस्स संवच्छरस्स सइं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, सइं अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति, सइं दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, सइं दुवालसमुहुत्ता राती भवति। पढमे छम्मासे अत्थि अट्ठारसमुहुत्ता राती, नत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे, अत्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे, नत्थि दुवालसमुहुत्ता राती। दोच्चे छम्मासे अत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे, नत्थि अट्ठारसमुहुत्ता राती, अत्थि दुवालसमुहुत्ता राती, नत्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे। पढमे वा छम्मासे दोच्चे वा छम्मासे नत्थि पन्नरसमुहुत्ते दिवसे, नत्थि पन्नरसमुहुत्ता राती। नन्नत्थ राइंदियाणं वड्ढोवुड्ढीए मुहुत्ताण वा चयोवचएणं, नन्नत्थ अनुवायईए, ‘गाहाओ भाणियव्वाओ’।
Sutra Meaning : सूर्य के उक्त गमनागमन के दौरान एक संवत्सर में अट्ठारह मुहूर्त्त प्रमाणवाला एक दिन और अट्ठारह मुहूर्त्त प्रमाण की एक रात्रि होती है। तथा बारह मुहूर्त्त का एक दिन और बारह मुहूर्त्तवाली एक रात्रि होती है। पहले छ मास में अट्ठारह मुहूर्त्त की एक रात्रि और बारह मुहूर्त्त का एक दिन होता है। तथा दूसरे छ मास में अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन और बारह मुहूर्त्त की एक रात्रि होती है। लेकिन पहले या दूसरे छ मास में पन्द्रह मुहूर्त्त का दिवस या रात्रि नहीं होती इसका क्या हेतु है ? वह मुझे बताईए। यह जंबूद्वीप नामक द्वीप है। सर्व द्वीप समुद्रों से घीरा हुआ है। जब सूर्य सर्वाभ्यन्तर मंडल को प्राप्त करके गति करता है, तब परमप्रकर्ष को प्राप्त उत्कृष्ट अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन होता है और जघन्य बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। जब वहीं सूर्य सर्वाभ्यन्तर मंडल से नीकलकर नये सूर्यसंवत्सर को आरंभ करके पहले अहोरात्र में सर्वाभ्यन्तर मंडल के अनन्तर मंडल में संक्रमण कर के गति करता है तब अट्ठारह मुहूर्त्त के दिन में दो एकसट्ठांश भाग न्यून होते हैं और बारह मुहूर्त्त की रात्रि में दो एकसट्ठांश भाग की वृद्धि होती है। इसी तरह और एक मंडल में संक्रमण करता है तब चार एकसट्ठांश मुहूर्त्त का दिन घटता है और रात्रि बढ़ती है। इसी तरह एक – एक मंडल में आगे – आगे सूर्य का संक्रमण होता है और अट्ठारसमुहूर्त्त के दिन में दो एकसट्ठांश दो एकसट्ठांश मुहूर्त्त की हानि होती है और उतनी ही रात्रि में वृद्धि होती है। इसी तरह सर्वाभ्यन्तर मंडल से नीकलकर सर्व बाह्य मंडल में जब सूर्य संक्रमण करता है तब १८३ रात्रिदिन पूर्ण होते हैं और तीनसो छासठ मुहूर्त्त के एकसट्ठ भाग मुहूर्त्त प्रमाण दिन की हानि और रात्रि की वृद्धि होती है, उस समय उत्कृष्ट अट्ठारह मुहूर्त्त की रात्रि और बारह मुहूर्त्त का दिन होता है। इस तरह यह पहले छ मास पूर्ण होते हैं। पहले छ मास पूर्ण होते ही सूर्य सर्व बाह्यमंडल से सर्वाभ्यन्तर मंडल की ओर गमन करता है। जब वह अनन्तर पहले अभ्यन्तर मंडल में संक्रमण करता है, तब दो एकसट्ठांश मुहूर्त्त रात्रि की हानि होती है और दिन में वृद्धि होती है। इसी तरह इसी अनुक्रम से दो एकसट्ठांश मुहूर्त्त रात्रि की हानि और दिन की वृद्धि होत होते जब सूर्य सर्वाभ्यन्तर मंडल में प्रविष्ट करके संक्रमण करता है, तब उत्कृष्ट अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन और जघन्य बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। यह सूर्य पूर्वोक्त रीति से १८३ दिन तक अभ्यन्तर मंडल की तरफ गमन करता है, इस तरह दूसरे छ मास पूर्ण होते हैं। इसी तरह दो छ मास का एक आदित्य संवत्सर होता है। उसमें एक ही बार अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन और बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है तथा एक ही बार १८ मुहूर्त्त की रात्रि और बारह मुहूर्त्त का दिन होता है। पन्द्रह मुहूर्त्त का दिन और पन्द्रह मुहूर्त्त की रात्रि नहीं होती। अनुपात गति से यह हो सकता है।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] jai khalu tasseva adichchassa samvachchharassa saim attharasamuhutte divase bhavai, saim attharasamuhutta rati bhavati, saim duvalasamuhutte divase bhavai, saim duvalasamuhutta rati bhavati. Padhame chhammase atthi attharasamuhutta rati, natthi attharasamuhutte divase atthi duvalasamuhutte divase, natthi duvalasamuhutta rati. Dochche chhammase atthi attharasamuhutte divase, natthi attharasamuhutta rati, atthi duvalasamuhutta rati, natthi duvalasamuhutte divase. Padhame va chhammase dochche va chhammase natthi pannarasamuhutte divase, natthi pannarasamuhutta rati. Tattha nam ko hetuti vaejja? Ta ayannam jambuddive dive savvadivasamuddanam savvabbhamtarae savvakhuddae vatte tellapuyasamthanasamthie, vatte rahachakkavalasamthanasamthie, vatte pukkharakanniya-samthanasamthie, vatte padipunnachamdasamthanasamthie egam joyanasayasahassam ayama-vikkhambhenam, tinni joyanasayasahassaim solasa sahassaim donni ya sattavise joyanasae tinni ya kose atthavisam cha dhanusayam terasa amgulaim addhamgulam cha kimchi visesahiyam parikkhevenam pannatte. Ta jaya nam surie savvabbhamtaramamdalam uvasamkamitta charam charai, taya nam uttamakatthapatte ukkosae attharasamuhutte divase bhavai, jahanniya duvalasamuhutta rati bhavati. Se nikkhamamane surie navam samvachchharam ayamane padhamamsi ahorattamsi abbhimtaranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai, ‘ta jaya nam surie abbhimtaranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai’, taya nam attharasamuhutte divase bhavai dohim egatthibhagamuhuttehim une, duvalasa-muhutta rati bhavati dohim egatthibhagamuhuttehim ahiya. Se nikkhamamane surie dochchamsi ahorattamsi abbhimtaram tachcham mamdalam uvasamkamitta charam charai, ta jaya nam surie abbhimtaram tachcham mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam attharasamuhutte divase bhavai chauhim egatthibhagamuhuttehim une, duvalasamuhutta rati bhavati chauhim egatthibhagamuhuttehim ahiya. Evam khalu eenam uvaenam nikkhamamane surie tayanamtarao tayanamtaram mamdalao mamdalam samkamamane-samkamamane do-do ‘egatthibhage muhuttassa’ egamege mamdale divasakhettassa nivaddhemane-nivaddhemane rayanikhettassa abhivuddhemane-abhivuddhemane savvabahiramamdalam uvasamkamitta charam charai, ta jaya nam surie savvabbhamtarao mamdalao savvabahiram mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam savvabbhamtaramamdalam panihaya egenam tesienam raimdiyasaenam tinni-chhavatthe egatthibhagamuhutte sae divasakhettassa nivuddhitta rayanikhettassa abhivuddhitta charam charai, taya nam uttamakatthapatta ukkosiya attharasamuhutta rati bhavati, jahannae duvalasamuhutte divase bhavai. Esa nam padhame chhammase, esa nam ‘padhamassa chhammasassa’ pajjavasane. Se pavisamane surie dochcham chhammasam ayamane padhamamsi ahorattamsi bahiranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai, ta jaya nam surie bahiranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam attharasamuhutta rati bhavati dohim egatthibhagamuhuttehim una, duvalasamuhutte divase bhavai dohim egatthibhagamuhuttehim ahie. Se pavisamane surie dochchamsi ahorattamsi bahiram tachcham mamdalam uvasamkamitta charam charai, ta jaya nam surie bahiram tachcham mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam attharasamuhutta rati bhavati chauhim egatthibhagamuhuttehim una, duvalasamuhutte divase bhavai chauhim egatthibhagamuhuttehim ahie. Evam khalu eenuvaenam pavisamane surie tayanamtarao tayanamtaram mamdalao mamdalam samkamamane-samkamamane do-do egatthibhagamuhutte egamege mamdale rayanikhettassa nivuddhemane-nivuddhemane divasakhettassa abhivuddhemane-abhivuddhemane savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai, ta jaya nam surie savvabahirao mamdalao savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam savvabahiram mamdalam panihaya egenam tesoenam raimdiyasaenam tinnichhavatthe egatthibhagamuhutte sae rayanikhettassa nivuddhitta divasakhettassa abhivuddhitta charam charai, taya nam uttamakatthapatte ukkosae attharasamuhutte divase bhavai, jahanniya duvalasamuhutta rati bhavati. Esa nam dochche chhammase, esa nam dochchassa chhammasassa pajjavasane. Esa nam adichche samvachchhare, esa nam adichchassa samvachchharassa pajjavasane. Iti khalu tassevam adichchassa samvachchharassa saim attharasamuhutte divase bhavai, saim attharasamuhutta rati bhavati, saim duvalasamuhutte divase bhavai, saim duvalasamuhutta rati bhavati. Padhame chhammase atthi attharasamuhutta rati, natthi attharasamuhutte divase, atthi duvalasamuhutte divase, natthi duvalasamuhutta rati. Dochche chhammase atthi attharasamuhutte divase, natthi attharasamuhutta rati, atthi duvalasamuhutta rati, natthi duvalasamuhutte divase. Padhame va chhammase dochche va chhammase natthi pannarasamuhutte divase, natthi pannarasamuhutta rati. Nannattha raimdiyanam vaddhovuddhie muhuttana va chayovachaenam, nannattha anuvayaie, ‘gahao bhaniyavvao’.
Sutra Meaning Transliteration : Surya ke ukta gamanagamana ke daurana eka samvatsara mem attharaha muhurtta pramanavala eka dina aura attharaha muhurtta pramana ki eka ratri hoti hai. Tatha baraha muhurtta ka eka dina aura baraha muhurttavali eka ratri hoti hai. Pahale chha masa mem attharaha muhurtta ki eka ratri aura baraha muhurtta ka eka dina hota hai. Tatha dusare chha masa mem attharaha muhurtta ka dina aura baraha muhurtta ki eka ratri hoti hai. Lekina pahale ya dusare chha masa mem pandraha muhurtta ka divasa ya ratri nahim hoti isaka kya hetu hai\? Vaha mujhe bataie. Yaha jambudvipa namaka dvipa hai. Sarva dvipa samudrom se ghira hua hai. Jaba surya sarvabhyantara mamdala ko prapta karake gati karata hai, taba paramaprakarsha ko prapta utkrishta attharaha muhurtta ka dina hota hai aura jaghanya baraha muhurtta ki ratri hoti hai. Jaba vahim surya sarvabhyantara mamdala se nikalakara naye suryasamvatsara ko arambha karake pahale ahoratra mem sarvabhyantara mamdala ke anantara mamdala mem samkramana kara ke gati karata hai taba attharaha muhurtta ke dina mem do ekasatthamsha bhaga nyuna hote haim aura baraha muhurtta ki ratri mem do ekasatthamsha bhaga ki vriddhi hoti hai. Isi taraha aura eka mamdala mem samkramana karata hai taba chara ekasatthamsha muhurtta ka dina ghatata hai aura ratri barhati hai. Isi taraha eka – eka mamdala mem age – age surya ka samkramana hota hai aura attharasamuhurtta ke dina mem do ekasatthamsha do ekasatthamsha muhurtta ki hani hoti hai aura utani hi ratri mem vriddhi hoti hai. Isi taraha sarvabhyantara mamdala se nikalakara sarva bahya mamdala mem jaba surya samkramana karata hai taba 183 ratridina purna hote haim aura tinaso chhasatha muhurtta ke ekasattha bhaga muhurtta pramana dina ki hani aura ratri ki vriddhi hoti hai, usa samaya utkrishta attharaha muhurtta ki ratri aura baraha muhurtta ka dina hota hai. Isa taraha yaha pahale chha masa purna hote haim. Pahale chha masa purna hote hi surya sarva bahyamamdala se sarvabhyantara mamdala ki ora gamana karata hai. Jaba vaha anantara pahale abhyantara mamdala mem samkramana karata hai, taba do ekasatthamsha muhurtta ratri ki hani hoti hai aura dina mem vriddhi hoti hai. Isi taraha isi anukrama se do ekasatthamsha muhurtta ratri ki hani aura dina ki vriddhi hota hote jaba surya sarvabhyantara mamdala mem pravishta karake samkramana karata hai, taba utkrishta attharaha muhurtta ka dina aura jaghanya baraha muhurtta ki ratri hoti hai. Yaha surya purvokta riti se 183 dina taka abhyantara mamdala ki tarapha gamana karata hai, isa taraha dusare chha masa purna hote haim. Isi taraha do chha masa ka eka aditya samvatsara hota hai. Usamem eka hi bara attharaha muhurtta ka dina aura baraha muhurtta ki ratri hoti hai tatha eka hi bara 18 muhurtta ki ratri aura baraha muhurtta ka dina hota hai. Pandraha muhurtta ka dina aura pandraha muhurtta ki ratri nahim hoti. Anupata gati se yaha ho sakata hai.