Sutra Navigation: Suryapragnapti ( सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र )

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Sr No : 1007039
Scripture Name( English ): Suryapragnapti Translated Scripture Name : सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

प्राभृत-८

Translated Chapter :

प्राभृत-८

Section : Translated Section :
Sutra Number : 39 Category : Upang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] ता कहं ते उदयसंठिती आहितेति वएज्जा? तत्थ खलु इमाओ तिन्नि पडिवत्तीओ पन्नत्ताओ। तत्थेगे एवमाहंसु–ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढेवि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, ता जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढेवि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढेवि सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, ता जया णं उत्तरड्ढे सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढेवि सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, ... ... एवं परिहावेतव्वं–सोलसमुहुत्ते दिवसे पन्नरसमुहुत्ते दिवसे चउद्दसमुहुत्ते दिवसे तेरसमुहुत्ते दिवसे जाव ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढेवि बारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, ता जया णं उत्तरड्ढे बारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढेवि बारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, ता जया णं दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमे णं सदा पन्नरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, सदा पन्नरसमुहुत्ता राती भवति, अवट्ठिया णं तत्थ राइंदिया पन्नत्ता समणाउसो! एगे एवमाहंसु १ एगे पुण एवमाहंसु–ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढेवि अट्ठारसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ, ता जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढेवि अट्ठार-समुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ, एवं परिहावेतव्वं–सत्तरसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ, सोलसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ, पन्नरसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ, चोद्दसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ, तेरसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे बारसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढेवि बारसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ, ता जया णं उत्तरड्ढे बारसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढेवि बारसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमे णं नो सदा पन्नरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, नो सदा पन्नरसमुहुत्ता राती भवति, अनवट्ठिता णं तत्थ राइंदिया पन्नत्ता समणाउसो! एगे एवमाहंसु २ एगे पुण एवमाहंसु– ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढे दुवालसमुहुत्ता राती भवति, ता जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढे दुवालसमुहुत्ता राती भवति, ता जया णं दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढे दुवालसमुहुत्ता राती भवति, ता जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढे दुवालसमुहुत्ता राती भवति। एवं नेतव्वं सगलेहि य अनंतरेहि य एक्केक्के दो दो आलावगा सव्वेहिं दुवालसमुहुत्ता राती भवति जाव ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे बारसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढे दुवालसमुहुत्ता राती भवति, ता जया णं उत्तरड्ढे दुवालसमुहु-त्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढे दुवालसमुहुत्ता राती भवति, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिम-पच्चत्थिमेणं नेवत्थि पन्नरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, नेवत्थि पन्नरसमुहुत्ता राती भवति, वोच्छिण्णा णं तत्थ राइंदिया पन्नत्ता समणाउसो! एगे एवमाहंसु ३। वयं पुण एवं वदामो–ता जंबुद्दीवे दीवे सूरिया उदीण-पाईणमुग्गच्छ पाईणदाहिणमागच्छंति पाईणदाहिणमुग्गच्छ दाहिणपडीणमागच्छंति दाहिणपडीणमुग्गच्छ पडीणउदीणमागच्छंति पडीण-उदीणमुग्गच्छ उदीणपाईणमागच्छंति, ता जया णं जंबु-द्दीवे दीवे दाहिणड्ढे दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढेवि दिवसे भवइ। जया णं उत्तरड्ढे दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमे णं राती भवति। ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं दिवसे भवइ तया णं पच्चत्थिमे नवि दिवसे भवइ। ता जया णं पच्चत्थिमे णं दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणे णं राती भवति। ता जया णं दाहिणड्ढे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढेवि उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ। ता जया णं उत्तरड्ढे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमे णं जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राती भवति। ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं पच्चत्थिमे नवि उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ। ता जया णं पच्चत्थिमे णं उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणे णं जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राती भवति, ... ... एवं एएणं गमेणं नेतव्वं–अट्ठारसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ, साइरेगदुवालसमुहुत्ता राती भवति, सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तेरसमुहुत्ता राती भवति, सत्तरसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ, साइरेग-तेरसमुहुत्ता राती भवति, सोलसमुहुत्ते दिवसे भवइ, चोद्दसमुहुत्ता राती भवति, सोलसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ, साइरेगचोद्दसमुहुत्ता राती भवति, पन्नरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, पन्नरसमुहुत्ता राती भवति, पन्नरसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ, साइरेगपन्नरसमुहुत्ता राती भवति, चउद्दसमुहुत्ते दिवसे भवइ, सोलसमुहुत्ता राती भवति, चोद्दसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ, साइरेगसोलसमुहुत्ता राती भवति, तेरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, सत्तरसमुहुत्ता राती भवति, तेरसमुहुत्तानंतरे दिवसे भवइ, साइरेगसत्तरस-मुहुत्ता राती भवति, जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति। एवं भणितव्वं। ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे वासाणं पढमे समए पडिवज्जति तया णं उत्तरड्ढेवि वासाणं पढमे समए पडिवज्जति, जया णं उत्तरड्ढे वासाणं पढमे समये पडिवज्जति, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमे णं अनंतरपुरक्खडे कालसमयंसि वासाणं पढमे समए पडिव-ज्जति, ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं वासाणं पढमे समए पडिवज्जति तया णं पच्चत्थिमे नवि वासाणं पढमे समए पडिवज्जति जया णं पच्चत्थिमे णं वासाणं पढमे समए पडिवज्जति तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणे णं अनंतर-पच्छाकडकालसमयंसि वासाणं पढमे समए पडिवण्णे भवइ। जहा समओ एवं आवलिया आणापाण थोवे लवे मुहुत्ते अहोरत्ते पक्खे मासे उडू। एते दस आलावगा जहा वासाणं, एवं हेमंताणं गिम्हाणं च भाणियव्वा। ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे पढमे अयने पडिवज्जति तया णं उत्तरड्ढेवि पढमे अयने पडिवज्जति, ता जया णं उत्तरड्ढे पढमे अयने पडिवज्जति तया णं दाहिणड्ढेवि पढमे अयने पडिवज्जति, ता जया णं उत्तरड्ढे पढमे अयने पडिवज्जति तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमे णं अनंतरपुरक्खडे कालसमयंसि पढमे अयने पडिवज्जति, ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं पढमे अयने पडिवज्जति तया णं पच्चत्थिमे नवि पढमे अयने पडिवज्जति, ता जया णं पच्चत्थिमे णं पढमे अयने पडिवज्जति तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणे णं अनंतरपच्छाकडकालसमयंसि पढमे अयने पडिवण्णे भवइ। जहा अयने तहा संवच्छरे जुगे वाससए वाससहस्से वाससयसहस्से पुव्वंगे पुव्वे एवं जाव सीसपहेलिया पलिओवमे सागरोवमे। ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे पढमा ओसप्पिणी पडिवज्जति तया णं उत्तरड्ढेवि पढमा ओसप्पिणी पडिवज्जति, ता जया णं उत्तरड्ढे पढमा ओसप्पिणी पडिवज्जति तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमे णं नेवत्थि ओसप्पिणी नेव अत्थि उस्सप्पिणी अवट्ठिते णं तत्थ काले पन्नत्ते समणाउसो! एवं उस्सप्पिणीवि। ता लवणे णं समुद्दे सूरिया उदीण-पाईणमुग्गच्छ तहेव। ता जया णं लवणे समुद्दे दाहिणड्ढे दिवसे भवइ तया णं लवणसमुद्दे उत्तरड्ढेवि दिवसे भवइ, ता जया णं उत्तरड्ढे दिवसे भवइ तया णं लवण समुद्दे पुरत्थिमपच्चत्थिमे णं राती भवति। जहा जंबुद्दीवे दीवे तहेव जाव उस्सप्पिणी। तहा धायइसंडे णं दीवे सूरिया उदीण-पाई-णमुग्गच्छ तहेव। ता जया णं धायइसंडे दीवे दाहिणड्ढे दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढेवि दिवसे भवइ, जया णं उत्तरड्ढे दिवसे भवइ तया णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वयाणं पुरत्थिमपच्चत्थिमे णं राती भवति। एवं जंबुद्दीवे दीवे जहा तहेव जाव उस्सप्पिणी। कालोए णं जहा लवणे समुद्दे तहेव। सा अब्भंतरपुक्खरद्धे णं सूरिया उदीण-पाईणमुग्गच्छ तहेव। ता जया णं अब्भंतरपुक्खरद्धे णं दाहिणड्ढे दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढेवि दिवसे भवइ, ता जया णं उत्तरड्ढे दिवसे भवइ तया णं अब्भिंतरपुक्खरद्धे मंदराणं पव्वयाणं पुरत्थिमपच्चत्थिमे णं राती भवति, सेसं जहा जंबुद्दीवे दीवे तहेव जाव ओसप्पिणी-उस्सप्पिणीओ।
Sutra Meaning : सूर्य की उदय संस्थिति कैसी है ? इस विषय में तीन प्रतिपत्तियाँ हैं। एक परमतवादी कहता है कि जब जंबूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में भी अट्ठारह मुहूर्त्त प्रमाण दिन होता है। जब उत्तरार्द्ध में अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन होता है तब दक्षिणार्द्ध में भी अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन होता है। जब जंबूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में सत्तरह मुहूर्त्त प्रमाण दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में भी सत्तरह मुहूर्त्त का दिन होता है। इसी तरह उत्तरार्द्ध में सत्तरह मुहूर्त्त का दिन होता है तब दक्षिणार्द्ध में भी समझना। इसी प्रकार से एक – एक मुहूर्त्त की हानि करते – करते सोलह – पन्द्रह यावत्‌ बारह मुहूर्त्त प्रमाण जानना। जब जंबूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में बारह मुहूर्त्त का दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में भी बारह मुहूर्त्त का दिन होता है और उत्तरार्द्ध में बारह मुहूर्त्त का दिन होता है तब दक्षिणार्द्ध में भी बारह मुहूर्त्त का दिन होता है। उस समय जंबूद्वीप के मेरु पर्वत के पूर्व और पश्चिम में हंमेशा पन्द्रह मुहूर्त्त का दिन और पन्द्रह मुहूर्त्त की रात्रि अवस्थित रहती है। कोई दूसरा कहता है कि जंबूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में जब अट्ठारह मुहूर्त्तान्तर दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में भी अट्ठारहमुहूर्त्तान्तर दिन होता है और उत्तरार्द्ध में मुहूर्त्तान्तर दिन होता है तब दक्षिणार्द्ध में भी अट्ठारह मुहूर्त्तान्तर का दिन होता है। इसी क्रम से इसी अभिलाप से सत्तरह – सोलह यावत्‌ बारह मुहूर्त्तान्तर प्रमाण को पूर्ववत्‌ समझ लेना। इन सब मुहूर्त्त प्रमाण काल में जंबूद्वीप के मेरु पर्वत के पूर्व और पश्चिम में सदा पन्द्रह मुहूर्त्त का दिन नहीं होता और सदा पन्द्रह मुहूर्त्त की रात्रि भी नहीं होती, लेकिन वहाँ रात्रिदिन का प्रमाण अनवस्थित रहता है। कोई मतवादी यह भी कहता है कि जब जंबूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है और उत्तरार्द्ध अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन होता है तब दक्षिणार्द्ध में बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। जब दक्षिणार्द्ध में अट्ठारह मुहूर्त्तान्तर का दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में बारह मुहूर्त्त प्रमाण रात्रि होती है, उत्तरार्द्ध में अट्ठारह मुहूर्त्तान्तर दिन होता है तब दक्षिणार्द्ध में बारह मुहूर्त्त प्रमाण रात्रि होती है। इसी प्रकार इसी अभिलाप से बारह मुहूर्त्त तक का कथन कर लेना यावत्‌ जब दक्षिणार्द्ध में बारह मुहूर्त्तान्तर प्रमाण दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में बार मुहूर्त्त प्रमाण की रात्रि होती है एवं मेरुपर्वत के पूर्व – पश्चिम में पन्द्रह मुहूर्त्त की रात्रि या दिन कभी नहीं होता, वहाँ रात्रिदिन अवस्थित हैं। भगवंत फरमाते हैं कि जंबूद्वीप में इशान कोने में सूर्य उदित होता है वहाँ से अग्निकोने में जाता है, अग्नि कोने में उदित होकर नैऋत्य कोने में जाता है, नैऋत्य कोने में उदित होकर वायव्य कोने में जाता है और वायव्य कोने में उदित होकर इशान कोने में जाता है। जब जंबूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में भी दिन होता है और जब उत्तरार्द्ध में दिन होता है तब मेरुपर्वत के पूर्व – पश्चिम में रात्रि होती है। जब दक्षिणार्द्ध में अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में भी अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन होता है और उत्तरार्द्ध में अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन होता है तब मेरु पर्वत के पूर्व – पश्चिम में जघन्या बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। इसी तरह जब मेरु पर्वत के पूर्व – पश्चिम में जघन्या बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। इसी तरह जब मेरु पर्वत के पूर्व – पश्चिम में उत्कृष्ट अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन होता है, तब मेरुपर्वत के उत्तर – दक्षिण में जघन्या बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। इसी क्रम से इसी प्रकार आलापक से समझ लेना चाहिए की जब अट्ठारह मुहूर्त्तान्तर दिवस होता है तब सातिरेक बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है, सत्तरह मुहूर्त्त का दिवस होता है तब तेरह मुहूर्त्त की रात्रि होती है…यावत्‌…जघन्य बारह मुहूर्त्त का दिन होता है तब उत्कृष्ट अट्ठारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। जब इस जंबूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में वर्षाकाल का प्रथम समय होता है तब उत्तरार्द्ध में भी वर्षाकाल का प्रथम समय होता है, जब उत्तरार्द्ध में वर्षाकाल का प्रथम समय होता है तब मेरुपर्वत के पूर्व – पश्चिम में अनन्तर पुरस्कृतकाल में वर्षाकाल का आरम्भ होता है; जब मेरुपर्वत के पूर्व – पश्चिम में वर्षाकाल का प्रथम समय होता है तब मेरुपर्वत के दक्षिण – उत्तर में अनन्तर पश्चातकृत्‌ काल में वर्षाकाल का प्रथम समय समाप्त होता है। समय के कथनानुसार आवलिका, आनप्राण, स्तोक यावत्‌ ऋतु के दश आलापक समझ लेना। वर्षाऋतु के कथनानुसार हेमन्त और ग्रीष्मऋतु का कथन भी समझ लेना। जब जंबूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में प्रथम अयन होता है तब उत्तरार्द्ध में भी प्रथम अयन होता है और उत्तरार्द्ध में प्रथम अयन होता है तब मेरुपर्वत के पूर्व – पश्चिम में अनन्तर पुरस्कृत्‌ काल में पहला अयन प्राप्त होता है। जब मेरुपर्वत के पूर्व – पश्चिम में प्रथम अयन होता है तब उत्तर – दक्षिण में अनन्तर पश्चातकृत्‌ कालसमय में प्रथम अयन समाप्त होता है। अयन के कथनानुसार संवत्सर, युग, शतवर्ष यावत्‌ सागरोपम काल में भी समझ लेना। जब जंबूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में उत्सर्पिणी होती है तब उत्तरार्द्ध में भी उत्सर्पिणी होती है, जब उत्तरार्द्ध में उत्सर्पिणी होती है तब मेरु पर्वत के पूर्व – पश्चिम में उत्सर्पिणी या अवसर्पिणी नहीं होती है क्योंकि – वहाँ अवस्थित काल होता है। इसी तरह अवसर्पिणी भी जान लेना। लवणसमुद्र – धातकीखण्डद्वीप – कालोदसमुद्र एवं अभ्यन्तर पुष्करवरार्द्धद्वीप इन सबका समस्त कथन जंबूद्वीप के समान ही समझ लेना, विशेष यह कि जंबूद्वीप के स्थान पर स्व – स्व द्वीप समुद्र को कहना।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] ta kaham te udayasamthiti ahiteti vaejja? Tattha khalu imao tinni padivattio pannattao. Tatthege evamahamsu–ta jaya nam jambuddive dive dahinaddhe attharasamuhutte divase bhavai taya nam uttaraddhevi attharasamuhutte divase bhavai, ta jaya nam uttaraddhe attharasamuhutte divase bhavai taya nam dahinaddhevi attharasamuhutte divase bhavai, ta jaya nam jambuddive dive dahinaddhe sattarasamuhutte divase bhavai taya nam uttaraddhevi sattarasamuhutte divase bhavai, ta jaya nam uttaraddhe sattarasamuhutte divase bhavai taya nam dahinaddhevi sattarasamuhutte divase bhavai,.. .. Evam parihavetavvam–solasamuhutte divase pannarasamuhutte divase chauddasamuhutte divase terasamuhutte divase java ta jaya nam jambuddive dive dahinaddhe barasamuhutte divase bhavai taya nam uttaraddhevi barasamuhutte divase bhavai, ta jaya nam uttaraddhe barasamuhutte divase bhavai taya nam dahinaddhevi barasamuhutte divase bhavai, ta jaya nam dahinaddhe barasamuhutte divase bhavai taya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa puratthimapachchatthime nam sada pannarasamuhutte divase bhavai, sada pannarasamuhutta rati bhavati, avatthiya nam tattha raimdiya pannatta samanauso! Ege evamahamsu 1 Ege puna evamahamsu–ta jaya nam jambuddive dive dahinaddhe attharasamuhuttanamtare divase bhavai taya nam uttaraddhevi attharasamuhuttanamtare divase bhavai, ta jaya nam uttaraddhe attharasamuhuttanamtare divase bhavai taya nam dahinaddhevi atthara-samuhuttanamtare divase bhavai, evam parihavetavvam–sattarasamuhuttanamtare divase bhavai, solasamuhuttanamtare divase bhavai, pannarasamuhuttanamtare divase bhavai, choddasamuhuttanamtare divase bhavai, terasamuhuttanamtare divase bhavai ta jaya nam jambuddive dive dahinaddhe barasamuhuttanamtare divase bhavai, taya nam uttaraddhevi barasamuhuttanamtare divase bhavai, ta jaya nam uttaraddhe barasamuhuttanamtare divase bhavai taya nam dahinaddhevi barasamuhuttanamtare divase bhavai, taya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa puratthimapachchatthime nam no sada pannarasamuhutte divase bhavai, no sada pannarasamuhutta rati bhavati, anavatthita nam tattha raimdiya pannatta samanauso! Ege evamahamsu 2 Ege puna evamahamsu– ta jaya nam jambuddive dive dahinaddhe attharasamuhutte divase bhavai taya nam uttaraddhe duvalasamuhutta rati bhavati, ta jaya nam uttaraddhe attharasamuhutte divase bhavai taya nam dahinaddhe duvalasamuhutta rati bhavati, ta jaya nam dahinaddhe attharasamuhuttanamtare divase bhavai taya nam uttaraddhe duvalasamuhutta rati bhavati, ta jaya nam uttaraddhe attharasamuhuttanamtare divase bhavai taya nam dahinaddhe duvalasamuhutta rati bhavati. Evam netavvam sagalehi ya anamtarehi ya ekkekke do do alavaga savvehim duvalasamuhutta rati bhavati java ta jaya nam jambuddive dive dahinaddhe barasamuhuttanamtare divase bhavai taya nam uttaraddhe duvalasamuhutta rati bhavati, ta jaya nam uttaraddhe duvalasamuhu-ttanamtare divase bhavai taya nam dahinaddhe duvalasamuhutta rati bhavati, taya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa puratthima-pachchatthimenam nevatthi pannarasamuhutte divase bhavai, nevatthi pannarasamuhutta rati bhavati, vochchhinna nam tattha raimdiya pannatta samanauso! Ege evamahamsu 3. Vayam puna evam vadamo–ta jambuddive dive suriya udina-painamuggachchha painadahinamagachchhamti painadahinamuggachchha dahinapadinamagachchhamti dahinapadinamuggachchha padinaudinamagachchhamti padina-udinamuggachchha udinapainamagachchhamti, ta jaya nam jambu-ddive dive dahinaddhe divase bhavai taya nam uttaraddhevi divase bhavai. Jaya nam uttaraddhe divase bhavai taya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa puratthimapachchatthime nam rati bhavati. Ta jaya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa puratthime nam divase bhavai taya nam pachchatthime navi divase bhavai. Ta jaya nam pachchatthime nam divase bhavai taya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa uttaradahine nam rati bhavati. Ta jaya nam dahinaddhe ukkosae attharasamuhutte divase bhavai taya nam uttaraddhevi ukkosae attharasamuhutte divase bhavai. Ta jaya nam uttaraddhe ukkosae attharasamuhutte divase bhavai taya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa puratthimapachchatthime nam jahanniya duvalasamuhutta rati bhavati. Ta jaya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa puratthime nam ukkosae attharasamuhutte divase bhavai, taya nam pachchatthime navi ukkosae attharasamuhutte divase bhavai. Ta jaya nam pachchatthime nam ukkosae attharasamuhutte divase bhavai taya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa uttaradahine nam jahanniya duvalasamuhutta rati bhavati,.. .. Evam eenam gamenam netavvam–attharasamuhuttanamtare divase bhavai, sairegaduvalasamuhutta rati bhavati, sattarasamuhutte divase bhavai, terasamuhutta rati bhavati, sattarasamuhuttanamtare divase bhavai, sairega-terasamuhutta rati bhavati, solasamuhutte divase bhavai, choddasamuhutta rati bhavati, solasamuhuttanamtare divase bhavai, sairegachoddasamuhutta rati bhavati, pannarasamuhutte divase bhavai, pannarasamuhutta rati bhavati, pannarasamuhuttanamtare divase bhavai, sairegapannarasamuhutta rati bhavati, chauddasamuhutte divase bhavai, solasamuhutta rati bhavati, choddasamuhuttanamtare divase bhavai, sairegasolasamuhutta rati bhavati, terasamuhutte divase bhavai, sattarasamuhutta rati bhavati, terasamuhuttanamtare divase bhavai, sairegasattarasa-muhutta rati bhavati, jahannae duvalasamuhutte divase bhavai, ukkosiya attharasamuhutta rati bhavati. Evam bhanitavvam. Ta jaya nam jambuddive dive dahinaddhe vasanam padhame samae padivajjati taya nam uttaraddhevi vasanam padhame samae padivajjati, jaya nam uttaraddhe vasanam padhame samaye padivajjati, taya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa puratthimapachchatthime nam anamtarapurakkhade kalasamayamsi vasanam padhame samae padiva-jjati, ta jaya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa puratthime nam vasanam padhame samae padivajjati taya nam pachchatthime navi vasanam padhame samae padivajjati jaya nam pachchatthime nam vasanam padhame samae padivajjati taya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa uttaradahine nam anamtara-pachchhakadakalasamayamsi vasanam padhame samae padivanne bhavai. Jaha samao evam avaliya anapana thove lave muhutte ahoratte pakkhe mase udu. Ete dasa alavaga jaha vasanam, evam hemamtanam gimhanam cha bhaniyavva. Ta jaya nam jambuddive dive dahinaddhe padhame ayane padivajjati taya nam uttaraddhevi padhame ayane padivajjati, ta jaya nam uttaraddhe padhame ayane padivajjati taya nam dahinaddhevi padhame ayane padivajjati, ta jaya nam uttaraddhe padhame ayane padivajjati taya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa puratthimapachchatthime nam anamtarapurakkhade kalasamayamsi padhame ayane padivajjati, ta jaya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa puratthime nam padhame ayane padivajjati taya nam pachchatthime navi padhame ayane padivajjati, ta jaya nam pachchatthime nam padhame ayane padivajjati taya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa uttaradahine nam anamtarapachchhakadakalasamayamsi padhame ayane padivanne bhavai. Jaha ayane taha samvachchhare juge vasasae vasasahasse vasasayasahasse puvvamge puvve evam java sisapaheliya paliovame sagarovame. Ta jaya nam jambuddive dive dahinaddhe padhama osappini padivajjati taya nam uttaraddhevi padhama osappini padivajjati, ta jaya nam uttaraddhe padhama osappini padivajjati taya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa puratthimapachchatthime nam nevatthi osappini neva atthi ussappini avatthite nam tattha kale pannatte samanauso! Evam ussappinivi. Ta lavane nam samudde suriya udina-painamuggachchha taheva. Ta jaya nam lavane samudde dahinaddhe divase bhavai taya nam lavanasamudde uttaraddhevi divase bhavai, ta jaya nam uttaraddhe divase bhavai taya nam lavana samudde puratthimapachchatthime nam rati bhavati. Jaha jambuddive dive taheva java ussappini. Taha dhayaisamde nam dive suriya udina-pai-namuggachchha taheva. Ta jaya nam dhayaisamde dive dahinaddhe divase bhavai taya nam uttaraddhevi divase bhavai, jaya nam uttaraddhe divase bhavai taya nam dhayaisamde dive mamdaranam pavvayanam puratthimapachchatthime nam rati bhavati. Evam jambuddive dive jaha taheva java ussappini. Kaloe nam jaha lavane samudde taheva. Sa abbhamtarapukkharaddhe nam suriya udina-painamuggachchha taheva. Ta jaya nam abbhamtarapukkharaddhe nam dahinaddhe divase bhavai taya nam uttaraddhevi divase bhavai, ta jaya nam uttaraddhe divase bhavai taya nam abbhimtarapukkharaddhe mamdaranam pavvayanam puratthimapachchatthime nam rati bhavati, sesam jaha jambuddive dive taheva java osappini-ussappinio.
Sutra Meaning Transliteration : Surya ki udaya samsthiti kaisi hai\? Isa vishaya mem tina pratipattiyam haim. Eka paramatavadi kahata hai ki jaba jambudvipa ke dakshinarddha mem attharaha muhurtta ka dina hota hai taba uttararddha mem bhi attharaha muhurtta pramana dina hota hai. Jaba uttararddha mem attharaha muhurtta ka dina hota hai taba dakshinarddha mem bhi attharaha muhurtta ka dina hota hai. Jaba jambudvipa ke dakshinarddha mem sattaraha muhurtta pramana dina hota hai taba uttararddha mem bhi sattaraha muhurtta ka dina hota hai. Isi taraha uttararddha mem sattaraha muhurtta ka dina hota hai taba dakshinarddha mem bhi samajhana. Isi prakara se eka – eka muhurtta ki hani karate – karate solaha – pandraha yavat baraha muhurtta pramana janana. Jaba jambudvipa ke dakshinarddha mem baraha muhurtta ka dina hota hai taba uttararddha mem bhi baraha muhurtta ka dina hota hai aura uttararddha mem baraha muhurtta ka dina hota hai taba dakshinarddha mem bhi baraha muhurtta ka dina hota hai. Usa samaya jambudvipa ke meru parvata ke purva aura pashchima mem hammesha pandraha muhurtta ka dina aura pandraha muhurtta ki ratri avasthita rahati hai. Koi dusara kahata hai ki jambudvipa ke dakshinarddha mem jaba attharaha muhurttantara dina hota hai taba uttararddha mem bhi attharahamuhurttantara dina hota hai aura uttararddha mem muhurttantara dina hota hai taba dakshinarddha mem bhi attharaha muhurttantara ka dina hota hai. Isi krama se isi abhilapa se sattaraha – solaha yavat baraha muhurttantara pramana ko purvavat samajha lena. Ina saba muhurtta pramana kala mem jambudvipa ke meru parvata ke purva aura pashchima mem sada pandraha muhurtta ka dina nahim hota aura sada pandraha muhurtta ki ratri bhi nahim hoti, lekina vaham ratridina ka pramana anavasthita rahata hai. Koi matavadi yaha bhi kahata hai ki jaba jambudvipa ke dakshinarddha mem attharaha muhurtta ka dina hota hai taba uttararddha mem baraha muhurtta ki ratri hoti hai aura uttararddha attharaha muhurtta ka dina hota hai taba dakshinarddha mem baraha muhurtta ki ratri hoti hai. Jaba dakshinarddha mem attharaha muhurttantara ka dina hota hai taba uttararddha mem baraha muhurtta pramana ratri hoti hai, uttararddha mem attharaha muhurttantara dina hota hai taba dakshinarddha mem baraha muhurtta pramana ratri hoti hai. Isi prakara isi abhilapa se baraha muhurtta taka ka kathana kara lena yavat jaba dakshinarddha mem baraha muhurttantara pramana dina hota hai taba uttararddha mem bara muhurtta pramana ki ratri hoti hai evam meruparvata ke purva – pashchima mem pandraha muhurtta ki ratri ya dina kabhi nahim hota, vaham ratridina avasthita haim. Bhagavamta pharamate haim ki jambudvipa mem ishana kone mem surya udita hota hai vaham se agnikone mem jata hai, agni kone mem udita hokara nairitya kone mem jata hai, nairitya kone mem udita hokara vayavya kone mem jata hai aura vayavya kone mem udita hokara ishana kone mem jata hai. Jaba jambudvipa ke dakshinarddha mem dina hota hai taba uttararddha mem bhi dina hota hai aura jaba uttararddha mem dina hota hai taba meruparvata ke purva – pashchima mem ratri hoti hai. Jaba dakshinarddha mem attharaha muhurtta ka dina hota hai taba uttararddha mem bhi attharaha muhurtta ka dina hota hai aura uttararddha mem attharaha muhurtta ka dina hota hai taba meru parvata ke purva – pashchima mem jaghanya baraha muhurtta ki ratri hoti hai. Isi taraha jaba meru parvata ke purva – pashchima mem jaghanya baraha muhurtta ki ratri hoti hai. Isi taraha jaba meru parvata ke purva – pashchima mem utkrishta attharaha muhurtta ka dina hota hai, taba meruparvata ke uttara – dakshina mem jaghanya baraha muhurtta ki ratri hoti hai. Isi krama se isi prakara alapaka se samajha lena chahie ki jaba attharaha muhurttantara divasa hota hai taba satireka baraha muhurtta ki ratri hoti hai, sattaraha muhurtta ka divasa hota hai taba teraha muhurtta ki ratri hoti hai…yavat…jaghanya baraha muhurtta ka dina hota hai taba utkrishta attharaha muhurtta ki ratri hoti hai. Jaba isa jambudvipa ke dakshinarddha mem varshakala ka prathama samaya hota hai taba uttararddha mem bhi varshakala ka prathama samaya hota hai, jaba uttararddha mem varshakala ka prathama samaya hota hai taba meruparvata ke purva – pashchima mem anantara puraskritakala mem varshakala ka arambha hota hai; jaba meruparvata ke purva – pashchima mem varshakala ka prathama samaya hota hai taba meruparvata ke dakshina – uttara mem anantara pashchatakrit kala mem varshakala ka prathama samaya samapta hota hai. Samaya ke kathananusara avalika, anaprana, stoka yavat ritu ke dasha alapaka samajha lena. Varsharitu ke kathananusara hemanta aura grishmaritu ka kathana bhi samajha lena. Jaba jambudvipa ke dakshinarddha mem prathama ayana hota hai taba uttararddha mem bhi prathama ayana hota hai aura uttararddha mem prathama ayana hota hai taba meruparvata ke purva – pashchima mem anantara puraskrit kala mem pahala ayana prapta hota hai. Jaba meruparvata ke purva – pashchima mem prathama ayana hota hai taba uttara – dakshina mem anantara pashchatakrit kalasamaya mem prathama ayana samapta hota hai. Ayana ke kathananusara samvatsara, yuga, shatavarsha yavat sagaropama kala mem bhi samajha lena. Jaba jambudvipa ke dakshinarddha mem utsarpini hoti hai taba uttararddha mem bhi utsarpini hoti hai, jaba uttararddha mem utsarpini hoti hai taba meru parvata ke purva – pashchima mem utsarpini ya avasarpini nahim hoti hai kyomki – vaham avasthita kala hota hai. Isi taraha avasarpini bhi jana lena. Lavanasamudra – dhatakikhandadvipa – kalodasamudra evam abhyantara pushkaravararddhadvipa ina sabaka samasta kathana jambudvipa ke samana hi samajha lena, vishesha yaha ki jambudvipa ke sthana para sva – sva dvipa samudra ko kahana.