Sutra Navigation: Suryapragnapti ( सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007028 | ||
Scripture Name( English ): | Suryapragnapti | Translated Scripture Name : | सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
प्राभृत-१ |
Translated Chapter : |
प्राभृत-१ |
Section : | प्राभृत-प्राभृत-६ | Translated Section : | प्राभृत-प्राभृत-६ |
Sutra Number : | 28 | Category : | Upang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] ता केवतियं ते एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता-विकंपइत्ता सूरिए चारं चरइ आहितेति वएज्जा? तत्थ खलु इमाओ सत्त पडिवत्तीओ पन्नत्ताओ। तत्थ एगे एवमाहंसु–ता दो जोयणाइं अद्धबायालीसं तेसीतिसतभागे जोयणस्स एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता-विकंपइत्ता सूरिए चारं चरइ आहितेति वएज्जा–एगे एवमाहंसु १ एगे पुण एवमाहंसु–ता अड्ढाइज्जाइं जोयणाइं एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता-विकंपइत्ता सूरिए चारं चरइ आहितेति वएज्जा–एगे एवमाहंसु २ एगे पुण एवमाहंसु–ता तिभागूणाइं तिन्नि जोयणाइं एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता-विकंपइत्ता सूरिए चारं चरइ आहितेति वएज्जा–एगे एवमाहंसु ३ एगे पुण एवमाहंसु–ता तिन्नि जोयणाइं अद्धसीतालीसं च तेसीतिसयभागे जोयणस्स एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता विकंपइत्ता सूरिए चारं चरइ आहितेति वएज्जा–एगे एवमाहंसु ४ एगे पुण एवमाहंसु–ता अद्धुट्ठाइं जोयणाइं एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता-विकंपइत्ता सूरिए चारं चरइ आहितेति वएज्जा–एगे एवमाहंसु ५ एगे पुण एवमाहंसु–ता चउब्भागूणाइं चत्तारि जोयणाइं एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता-विकंपइत्ता सूरिए चारं चरइ आहितेति वएज्जा–एगे एवमाहंसु ६ एगे पुण एवमाहंसु–ता चत्तारि जोयणाइं अद्धबावन्नं च तेसीति-सयभागे जोयणस्स एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता-विकंपइत्ता सूरिए चारं चरइ आहितेति वएज्जा–एगे एवमाहंसु ७ वयं पुण एवं वयामो–ता दो जोयणाइं अडतालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगं मंडलं एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता-विकंपइत्ता सूरिए चारं चरइ। तत्थ णं को हेतूति वएज्जा? ता अयन्नं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वब्भंतराए जाव परिक्खेवेणं पन्नत्ते, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राती भवति। से निक्खममाणे सूरिए नवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अब्भिंतरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए अब्भिंतरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं दो जोयणाइं अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता चारं चरइ, तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राती भवति दोहिं एगट्ठिभा-गमुहुत्तेहिं अहिया। से निक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि अब्भिंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए अब्भिंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं पंच जोयणाइं पणतीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स दोहिं राइंदिएहिं विकंपइत्ता चारं चरइ, तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राती भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया। एवं खलु एतेणं उवाएणं निक्खममाणे सूरिए तयानंतराओ तयानंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणे-संकममाणे दो-दो जोयणाइं अडतालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगं मंडलं एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपमाणे-विकंपमाणे सव्वबाहिरं मंडलं उवसं-कमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतराओ मंडलाओ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सव्वब्भंतरं मंडलं पणिहाय एगेणं तेसीतेणं राइंदियसतेणं पंचदसुत्तरजोयणसए विकंपइत्ता चारं चरइ, तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठार-समुहुत्ता राती भवति, जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ। एस णं पढमे छम्मासे, एस णं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे। से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए बाहिरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं दो-दो जोयणाइं अडतालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता चारं चरइ, तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्तं दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठि-भागमुहुत्तेहिं अहिए। से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरतच्चंसि मंडलंसि उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए बाहिरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं पंच जोयणाइं पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स दोहिं राइंदिएहिं विकंपइत्ता चारं चरइ, तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए। एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तयानंतराओ तयानंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणे-संकममाणे दो-दो जोयणाइं अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपमाणे-विकंपमाणे सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिराओ मंडलाओ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सव्वबाहिरं मंडलं पणिहाय एगेणं तेसी-तेणं राइंदियसतेणं पंचदसुत्तरे जोयणसते विकंपइत्ता चारं चरइ, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राती भवति। एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एस णं आदिच्चे संवच्छरे, एस णं आदिच्चस्स संवच्छस्स पज्जवसाणे। | ||
Sutra Meaning : | हे भगवन् ! क्या सूर्य एक – एक रात्रिदिन में प्रविष्ट होकर गति करता है ? इस विषय में सात प्रतिपत्तियाँ हैं। जैसे की कोई एक परमतवादी बताता है की – दो योजन एवं बयालीस का अर्द्धभाग तथा एक योजन के १८३ भाग क्षेत्र को एक – एक रात्रि में विकम्पीत करके सूर्य गति करता है। अन्य एक मत में यह प्रमाण अर्द्धतृतीय योजन कहा है। तीसरा कोई तीन भाग कम तीन योजन परिमित क्षेत्र में एक – एक रात्रि में सूर्य की गति बताता है। चौथा कोई यह प्रमाण तीन योजन और एक योजन के सैंतालीस का अर्द्धभाग तथा एक योजन का १८३ भाग क्षेत्र का एक – एक रात्रिदिन में विकम्पन करके सूर्य गति बताता है। पाँचवा इस गति का प्रमाण अर्द्ध योजन का बताता है। छठ्ठा मतवादी चार भाग कम चार योजन प्रमाण कहता है और सातवां मतवादी कहता है की चार योजन तथा पाँचवा अर्द्ध योजन एवं एक योजन का १८७वां भाग क्षेत्र को एक एक अहोरात्र में विकम्पन करके सूर्य गति करता है। भगवंत फरमाते हैं कि दो योजन तथा एक योजन के अडचत्तालीस एकसट्ठांश भाग एक एक मंडल क्षेत्र का एक एक अहोरात्र में विकम्पन करके सूर्य गति करता है। यह जम्बूद्वीप सर्वद्वीप समुद्रों से घीरा हुआ है, उसमें जब सूर्य सर्वाभ्यन्तर मंडल को उपसंक्रमण करके गति करता है उस समय परमप्रकर्ष प्राप्त उत्कृष्ट अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन और जघन्या बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। निष्क्रमण करता हुआ सूर्य नए संवत्सर का आरंभ करते हुए सर्वाभ्यन्तर मंडल के अनन्तर ऐसे पहेले बाह्य मंडल में उपसंक्रमण से गति करता है, तब दो योजन और एक योजन के अडचत्तालीस एकसट्ठांश भाग को एक अहोरात्र में विकम्पन करके गति करता है, उस समय दो एकसट्ठांश मुहूर्त्त की दिन में वृद्धि और रात्रि में हानि होती है। वह सूर्य दूसरी अहोरात्रि में तीसरे मंडल में उपसंक्र – मण करके गति करता है तब दो अहोरात्र में पाँच योजन के पैंतीश एकसट्ठांश भाग से विकम्पन करके गमन करता है, उस समय चार एकसट्ठांश भाग मुहूर्त्त की दिन में हानि और रात्रि में वृद्धि होती है। इस प्रकार से निष्क्रमीत सूर्य अनन्तर – अनन्तर मंडल में गति करता हुआ संक्रमण करता है, तब एक अहोरात्र में दो योजन एवं एक योजन के अडचत्तालीस एकसट्ठांश भाग विकम्पन करता हुआ सर्वबाह्य मंडल में पहुँचता है। १८३ अहोरात्र में वह सूर्य ११५ योजन विकम्पन करके गति करता है। सर्वबाह्य मंडल में पहुँचता है तब परमप्रकर्ष प्राप्त उत्कृष्ट अट्ठारह मुहूर्त्त की रात्रि और जघन्य बारह मुहूर्त्त का दिन होता है। यह हुए प्रथम छ मास और छ मास का पर्यवसान। दूसरे छह मास में वह सर्वबाह्य मंडल से सर्वाभ्यन्तर मंडल में प्रवेश करता है। प्रथम अहोरात्र में अनन्तर प्रथम मंडल में प्रविष्ट होते हुए वह दो योजन और एक योजन का अडचत्तालीश एकसट्ठांश भाग क्षेत्र को विकम्पन करके गति करता है तब दो एकसट्ठांश मुहूर्त्त की दिन में वृद्धि और रात्रि में हानि होती है। इसी प्रकार से पूर्वोक्त कथनानुसार सर्वबाह्य मंडल की अवधि करके १८३ रात्रिदिन में वह सर्वाभ्यन्तर मंडल में संक्रमण करके पहुँचता है, तब उत्कृष्ट अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन और जघन्या बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। यह दूसरे छ मास हुए और ये हुआ दूसरे छ मास का पर्यवसान। यह है आदित्य संवत्सर। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] ta kevatiyam te egamegenam raimdienam vikampaitta-vikampaitta surie charam charai ahiteti vaejja? Tattha khalu imao satta padivattio pannattao. Tattha ege evamahamsu–ta do joyanaim addhabayalisam tesitisatabhage joyanassa egamegenam raimdienam vikampaitta-vikampaitta surie charam charai ahiteti vaejja–ege evamahamsu 1 Ege puna evamahamsu–ta addhaijjaim joyanaim egamegenam raimdienam vikampaitta-vikampaitta surie charam charai ahiteti vaejja–ege evamahamsu 2 Ege puna evamahamsu–ta tibhagunaim tinni joyanaim egamegenam raimdienam vikampaitta-vikampaitta surie charam charai ahiteti vaejja–ege evamahamsu 3 Ege puna evamahamsu–ta tinni joyanaim addhasitalisam cha tesitisayabhage joyanassa egamegenam raimdienam vikampaitta vikampaitta surie charam charai ahiteti vaejja–ege evamahamsu 4 Ege puna evamahamsu–ta addhutthaim joyanaim egamegenam raimdienam vikampaitta-vikampaitta surie charam charai ahiteti vaejja–ege evamahamsu 5 Ege puna evamahamsu–ta chaubbhagunaim chattari joyanaim egamegenam raimdienam vikampaitta-vikampaitta surie charam charai ahiteti vaejja–ege evamahamsu 6 Ege puna evamahamsu–ta chattari joyanaim addhabavannam cha tesiti-sayabhage joyanassa egamegenam raimdienam vikampaitta-vikampaitta surie charam charai ahiteti vaejja–ege evamahamsu 7 Vayam puna evam vayamo–ta do joyanaim adatalisam cha egatthibhage joyanassa egamegam mamdalam egamegenam raimdienam vikampaitta-vikampaitta surie charam charai. Tattha nam ko hetuti vaejja? Ta ayannam jambuddive dive savvadivasamuddanam savvabbhamtarae java parikkhevenam pannatte, ta jaya nam surie savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam uttamakatthapatte ukkosae attharasamuhutte divase bhavai, jahanniya duvalasamuhutta rati bhavati. Se nikkhamamane surie navam samvachchharam ayamane padhamamsi ahorattamsi abbhimtaranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai, ta jaya nam surie abbhimtaranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai, taya nam do joyanaim adayalisam cha egatthibhage joyanassa egenam raimdienam vikampaitta charam charai, taya nam attharasamuhutte divase bhavai dohim egatthibhagamuhuttehim une duvalasamuhutta rati bhavati dohim egatthibha-gamuhuttehim ahiya. Se nikkhamamane surie dochchamsi ahorattamsi abbhimtaram tachcham mamdalam uvasamkamitta charam charai, ta jaya nam surie abbhimtaram tachcham mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam pamcha joyanaim panatisam egatthibhage joyanassa dohim raimdiehim vikampaitta charam charai, taya nam attharasamuhutte divase bhavai chauhim egatthibhagamuhuttehim une, duvalasamuhutta rati bhavati chauhim egatthibhagamuhuttehim ahiya. Evam khalu etenam uvaenam nikkhamamane surie tayanamtarao tayanamtaram mamdalao mamdalam samkamamane-samkamamane do-do joyanaim adatalisam cha egatthibhage joyanassa egamegam mamdalam egamegenam raimdienam vikampamane-vikampamane savvabahiram mamdalam uvasam-kamitta charam charai, ta jaya nam surie savvabbhamtarao mamdalao savvabahiram mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam savvabbhamtaram mamdalam panihaya egenam tesitenam raimdiyasatenam pamchadasuttarajoyanasae vikampaitta charam charai, taya nam uttamakatthapatta ukkosiya atthara-samuhutta rati bhavati, jahannae duvalasamuhutte divase bhavai. Esa nam padhame chhammase, esa nam padhamassa chhammasassa pajjavasane. Se pavisamane surie dochcham chhammasam ayamane padhamamsi ahorattamsi bahiranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai, ta jaya nam surie bahiranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam do-do joyanaim adatalisam cha egatthibhage joyanassa egenam raimdienam vikampaitta charam charai, taya nam attharasamuhutta rati bhavati dohim egatthibhagamuhuttehim una, duvalasamuhuttam divase bhavai dohim egatthi-bhagamuhuttehim ahie. Se pavisamane surie dochchamsi ahorattamsi bahiratachchamsi mamdalamsi uvasamkamitta charam charai, ta jaya nam surie bahiratachcham mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam pamcha joyanaim panatisam cha egatthibhage joyanassa dohim raimdiehim vikampaitta charam charai, taya nam attharasamuhutta rati bhavati chauhim egatthibhagamuhuttehim una, duvalasamuhutte divase bhavai chauhim egatthibhagamuhuttehim ahie. Evam khalu etenuvaenam pavisamane surie tayanamtarao tayanamtaram mamdalao mamdalam samkamamane-samkamamane do-do joyanaim adayalisam cha egatthibhage joyanassa egamegenam raimdienam vikampamane-vikampamane savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai, ta jaya nam surie savvabahirao mamdalao savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam savvabahiram mamdalam panihaya egenam tesi-tenam raimdiyasatenam pamchadasuttare joyanasate vikampaitta charam charai, taya nam uttamakatthapatte ukkosae attharasamuhutte divase bhavai, jahanniya duvalasamuhutta rati bhavati. Esa nam dochche chhammase, esa nam dochchassa chhammasassa pajjavasane esa nam adichche samvachchhare, esa nam adichchassa samvachchhassa pajjavasane. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | He bhagavan ! Kya surya eka – eka ratridina mem pravishta hokara gati karata hai\? Isa vishaya mem sata pratipattiyam haim. Jaise ki koi eka paramatavadi batata hai ki – do yojana evam bayalisa ka arddhabhaga tatha eka yojana ke 183 bhaga kshetra ko eka – eka ratri mem vikampita karake surya gati karata hai. Anya eka mata mem yaha pramana arddhatritiya yojana kaha hai. Tisara koi tina bhaga kama tina yojana parimita kshetra mem eka – eka ratri mem surya ki gati batata hai. Chautha koi yaha pramana tina yojana aura eka yojana ke saimtalisa ka arddhabhaga tatha eka yojana ka 183 bhaga kshetra ka eka – eka ratridina mem vikampana karake surya gati batata hai. Pamchava isa gati ka pramana arddha yojana ka batata hai. Chhaththa matavadi chara bhaga kama chara yojana pramana kahata hai aura satavam matavadi kahata hai ki chara yojana tatha pamchava arddha yojana evam eka yojana ka 187vam bhaga kshetra ko eka eka ahoratra mem vikampana karake surya gati karata hai. Bhagavamta pharamate haim ki do yojana tatha eka yojana ke adachattalisa ekasatthamsha bhaga eka eka mamdala kshetra ka eka eka ahoratra mem vikampana karake surya gati karata hai. Yaha jambudvipa sarvadvipa samudrom se ghira hua hai, usamem jaba surya sarvabhyantara mamdala ko upasamkramana karake gati karata hai usa samaya paramaprakarsha prapta utkrishta attharaha muhurtta ka dina aura jaghanya baraha muhurtta ki ratri hoti hai. Nishkramana karata hua surya nae samvatsara ka arambha karate hue sarvabhyantara mamdala ke anantara aise pahele bahya mamdala mem upasamkramana se gati karata hai, taba do yojana aura eka yojana ke adachattalisa ekasatthamsha bhaga ko eka ahoratra mem vikampana karake gati karata hai, usa samaya do ekasatthamsha muhurtta ki dina mem vriddhi aura ratri mem hani hoti hai. Vaha surya dusari ahoratri mem tisare mamdala mem upasamkra – mana karake gati karata hai taba do ahoratra mem pamcha yojana ke paimtisha ekasatthamsha bhaga se vikampana karake gamana karata hai, usa samaya chara ekasatthamsha bhaga muhurtta ki dina mem hani aura ratri mem vriddhi hoti hai. Isa prakara se nishkramita surya anantara – anantara mamdala mem gati karata hua samkramana karata hai, taba eka ahoratra mem do yojana evam eka yojana ke adachattalisa ekasatthamsha bhaga vikampana karata hua sarvabahya mamdala mem pahumchata hai. 183 ahoratra mem vaha surya 115 yojana vikampana karake gati karata hai. Sarvabahya mamdala mem pahumchata hai taba paramaprakarsha prapta utkrishta attharaha muhurtta ki ratri aura jaghanya baraha muhurtta ka dina hota hai. Yaha hue prathama chha masa aura chha masa ka paryavasana. Dusare chhaha masa mem vaha sarvabahya mamdala se sarvabhyantara mamdala mem pravesha karata hai. Prathama ahoratra mem anantara prathama mamdala mem pravishta hote hue vaha do yojana aura eka yojana ka adachattalisha ekasatthamsha bhaga kshetra ko vikampana karake gati karata hai taba do ekasatthamsha muhurtta ki dina mem vriddhi aura ratri mem hani hoti hai. Isi prakara se purvokta kathananusara sarvabahya mamdala ki avadhi karake 183 ratridina mem vaha sarvabhyantara mamdala mem samkramana karake pahumchata hai, taba utkrishta attharaha muhurtta ka dina aura jaghanya baraha muhurtta ki ratri hoti hai. Yaha dusare chha masa hue aura ye hua dusare chha masa ka paryavasana. Yaha hai aditya samvatsara. |