Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006712 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-१३ परिणाम |
Translated Chapter : |
पद-१३ परिणाम |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 412 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] गतिपरिणामे णं भंते! कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–फुसमाणगतिपरिणामे य अफुसमाणगतिपरिणामे य, अहवा दीहगइपरिणामे य हस्सगइपरिणामे य। संठाणपरिणामे णं भंते! कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा–परिमंडलसंठाणपरिणामे जाव आययसंठाणपरिणामे। भेयपरिणामे णं भंते! कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा–खंडाभेदपरिणामे जाव उक्करियाभेदपरिणामे। वण्णपरिणामे णं भंते! कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा–कालवण्णपरिणामे जाव सुक्किलवण्णपरिणामे। गंधपरिणामे णं भंते! कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–सुब्भिगंधपरिणामे य दुब्भिगंधपरिणामे य। रसपरिणामे णं भंते! कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा–तित्तरसपरिणामे जाव महुररसपरिणामे। फासपरिणामे णं भंते! कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! अट्ठविहे पन्नत्ते, तं जहा–कक्खडफासपरिणामे य लुक्खफासपरिणामे य। अगरुयलहुयपरिणामे णं भंते! कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! एगागारे पन्नत्ते। सद्दपरिणामे णं भंते! कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–सुब्भिसद्दपरिणामे य दुब्भिसद्दपरिणामे य। से त्तं अजीवपरिणामे। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! गतिपरिणाम कितने प्रकार का है ? दो प्रकार का – स्पृशद्गतिपरिणाम और अस्पृशद्गतिपरि – णाम, अथवा दीर्घगतिपरिणा और ह्रस्वगतिपरिणाम। संस्थानपरिणाम पाँच प्रकार का है – परिमण्डलसंस्थान – परिणाम, यावत् आयतसंस्थानपरिणाम। भेदपरिणाम पाँच प्रकार का है – खण्डभेदपरिणाम, यावत् उत्कटिका भेदपरिणाम। वर्णपरिणाम पाँच प्रकार का है – कृष्णवर्णपरिणाम, यावत् शुक्ल वर्णपरिणाम। गन्धपरिणाम दो प्रकार का है – सुगन्धपरिणाम और दुर्गन्धपरिणाम। रसपरिणाम पाँच प्रकार का है – तिक्तरसपरिणाम, यावत् मधुर – रसपरिणाम। स्पर्शपरिणाम आठ प्रकार का है – कर्कश स्पर्शपरिणाम, यावत् रूक्षस्पर्शपरिणाम। अगुरुलघुपरिणाम एक ही प्रकार का है। शब्दपरिणाम दो प्रकार का है – सुरभि शब्दपरिणाम और दुरभि शब्दपरिणाम। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] gatipariname nam bhamte! Kativihe pannatte? Goyama! Duvihe pannatte, tam jaha–phusamanagatipariname ya aphusamanagatipariname ya, ahava dihagaipariname ya hassagaipariname ya. Samthanapariname nam bhamte! Kativihe pannatte? Goyama! Pamchavihe pannatte, tam jaha–parimamdalasamthanapariname java ayayasamthanapariname. Bheyapariname nam bhamte! Kativihe pannatte? Goyama! Pamchavihe pannatte, tam jaha–khamdabhedapariname java ukkariyabhedapariname. Vannapariname nam bhamte! Kativihe pannatte? Goyama! Pamchavihe pannatte, tam jaha–kalavannapariname java sukkilavannapariname. Gamdhapariname nam bhamte! Kativihe pannatte? Goyama! Duvihe pannatte, tam jaha–subbhigamdhapariname ya dubbhigamdhapariname ya. Rasapariname nam bhamte! Kativihe pannatte? Goyama! Pamchavihe pannatte, tam jaha–tittarasapariname java mahurarasapariname. Phasapariname nam bhamte! Kativihe pannatte? Goyama! Atthavihe pannatte, tam jaha–kakkhadaphasapariname ya lukkhaphasapariname ya. Agaruyalahuyapariname nam bhamte! Kativihe pannatte? Goyama! Egagare pannatte. Saddapariname nam bhamte! Kativihe pannatte? Goyama! Duvihe pannatte, tam jaha–subbhisaddapariname ya dubbhisaddapariname ya. Se ttam ajivapariname. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Gatiparinama kitane prakara ka hai\? Do prakara ka – sprishadgatiparinama aura asprishadgatipari – nama, athava dirghagatiparina aura hrasvagatiparinama. Samsthanaparinama pamcha prakara ka hai – parimandalasamsthana – parinama, yavat ayatasamsthanaparinama. Bhedaparinama pamcha prakara ka hai – khandabhedaparinama, yavat utkatika bhedaparinama. Varnaparinama pamcha prakara ka hai – krishnavarnaparinama, yavat shukla varnaparinama. Gandhaparinama do prakara ka hai – sugandhaparinama aura durgandhaparinama. Rasaparinama pamcha prakara ka hai – tiktarasaparinama, yavat madhura – rasaparinama. Sparshaparinama atha prakara ka hai – karkasha sparshaparinama, yavat rukshasparshaparinama. Agurulaghuparinama eka hi prakara ka hai. Shabdaparinama do prakara ka hai – surabhi shabdaparinama aura durabhi shabdaparinama. |