Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005890 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | नैरयिक उद्देशक-१ | Translated Section : | नैरयिक उद्देशक-१ |
Sutra Number : | 90 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए घनोदधिवलए केवतियं बाहल्लेणं पन्नत्ते? गोयमा! छ जोयणाणि बाहल्लेणं पन्नत्ते। सक्करप्पभाए पुढवीए घनोदधिवलए केवतियं बाहल्लेणं पन्नत्ते? गोयमा! सतिभागाइं छजोयणाइं बाहल्लेणं पन्नत्ते। वालुयप्पभाए पुच्छा। गोयमा! तिभागूणाइं सत्त जोयणाइं बाहल्लेणं पन्नत्ते। एवं एतेणं अभिलावेणं– पंकप्पभाए सत्त जोयणाइं बाहल्लेणं पन्नत्ते। धूमप्पभाए सतिभागाइं सत्त जोयणाइं। तमप्पभाए तिभागूणाइं अट्ठ जोयणाइं। तमतमप्पभाए अट्ठ जोयणाइं। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए घनवायवलए केवतियं बाहल्लेणं पन्नत्ते? गोयमा! अद्धपंचमाइं जोयणाइं बाहल्लेणं। सक्करप्पभाए पुच्छा। गोयमा! कोसूणाइं पंच जोयणाइं बाहल्लेणं। एवं एत्तेणं अभिलावेणं–वालुयप्पभाए पंच जोयणाइं बाहल्लेणं। पंकप्पभाए सक्कोसाइं पंच जोयणाइं बाहल्लेणं। धूमप्पभाए अद्धछट्ठाइं जोयणाइं बाहल्लेणं। तमप्पभाए कोसूणाइं छ जोयणाइं बाहल्लेणं। अहेसत्तमाए छ जोयणाइं बाहल्लेणं। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तनुवायवलए केवतियं बाहल्लेणं पन्नत्ते? गोयमा! छक्कोसेणं बाहल्लेणं पन्नत्ते। एवं एतेणं अभिलावेणं–सक्करप्पभाए सतिभागे छक्कोसे बाहल्लेणं। वालुयप्पभाए तिभागूणे सत्त कोसं बाहल्लेणं। पंकप्पभाए पुढवीए सत्त कोसं बाहल्लेणं। धूमप्पभाए सतिभागे सत्त कोसे बाहल्लेणं। तमप्पभाए तिभागूने अट्ठ कोसे बाहल्लेणं। अधेसत्तमाए पुढवीए अट्ठ कोसे बाहल्लेणं। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए घनोदधिवलयस्स छज्जोयणबाहल्लस्स खेत्तच्छेएणं छिज्जमाणस्स अत्थि दव्वाइं वण्णतो काल नील लोहित हालिद्द सुक्किलाइं जाव? हंता अत्थि। सक्करप्पभाए णं भंते! पुढवीए घनोदधिवलयस्स सतिभागछजोयणबाहल्लस्स खेत्तच्छेदेणं छिज्जमाणस्स जाव? हंता अत्थि। एवं जाव अधेसत्तमाए जं जस्स बाहल्लं। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए घनवातवलयस्स अद्धपंचमजोयणबाहल्लस्स खेत्त-च्छेदेणं छिज्जमाणस्स जाव? हंता अत्थि। एवं जाव अहेसत्तमाए जं जस्स बाहल्लं। एवं तनुवायवलयस्सवि जाव अधेसत्तमाए जं जस्स बाहल्लं। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए घनोदधिवलए किंसंठिते पन्नत्ते? गोयमा! वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते पन्नत्ते, जे णं इमं रयणप्पभं पुढविं सव्वतो संपरिक्खिवित्ताणं चिट्ठति। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए घनवातवलए किंसंठिते पन्नत्ते? गोयमा! वट्टे वलयागार संठाणसंठिते पन्नत्ते, जे णं इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए घनोदधिवलयं सव्वतो समंता संपरिक्खिवित्ताणं चिट्ठइ। एवं जाव अहेसत्तमाए घनवातवलए। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तनुवातवलए किंसंठिते पन्नत्ते? गोयमा! वट्टे वलयागारसंठाणसंठिए पन्नत्ते, जे णं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घनवातवलयं सव्वतो समंता संपरिक्खिवित्ताणं चिट्ठइ। एवं जाव अधेसत्तमाए तनुवातवलए। इमा णं भंते! रयणप्पभा पुढवी केवतियं आयामविक्खंभेणं? केवतियं परिक्खेवेणं पन्नत्ता? गोयमा! असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं आयामविक्खंभेणं, असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं परिक्खे-वेणं पन्नत्ते। एवं जाव अधेसत्तमा। इमा णं भंते! रयणप्पभा पुढवी अंते य मज्झे य सव्वत्थ समा बाहल्लेणं पन्नत्ता? हंता गोयमा! इमा णं रयणप्पभा पुढवी अंते य मज्झे य सव्वत्थ समा बाहल्लेणं। एवं जाव अधेसत्तमा। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी का घनोदधिवलय कितना मोटा है ? गौतम ! छह योजन, शर्कराप्रभापृथ्वी का घनोदधिवलय त्रिभागसहित छह योजन मोटा है। वालुकाप्रभा त्रिभागशून्य सात योजन का है। पंकप्रभा का घनोदधिवलय सात योजन का, धूमप्रभा का त्रिभागसहित सात योजन का, तमःप्रभा का त्रिभागन्यून आठ योजन का और तमस्तमःप्रभा का आठ योजन का है। हे भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी का घनवातवलय कितनी मोटाई वाला है ? गौतम ! साढ़े चार योजन का मोटा है। शर्कराप्रभा का एक कोस कम पाँच योजन, वालुकाप्रभा का पाँच योजन का, पंकप्रभा का एक कोस अधिक पाँच योजन का, धूमप्रभा का साढ़े पाँच योजन का और तमस्तमःप्रभा पृथ्वी का एक कोस कम छह योजन का बाहल्य है। हे भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी का तनुवातवलय कितनी मोटाई वाला कहा गया है ? गौतम ! छह कोस, शर्कराप्रभा का त्रिभागसहित छह कोस, वालुकाप्रभा का त्रिभाग – न्यून सात कोस, पंकप्रभा का सात कोस, धूमप्रभा का त्रिभागसहित सात कोस का, तमःप्रभा का त्रिभागन्यून आठ कोस और अधःसप्तमपृथ्वी का तनुवातवलय आठ कोस बाहल्य वाला है। हे भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी के छह योजन बाहल्य वाले और प्रतरादि विभाग वाले घनोदधिवलय में वर्ण से काले आदि द्रव्य हैं क्या ? हाँ, गौतम ! हैं। इस प्रकार सप्तमपृथ्वी के घनोदधिवलय तक कहना। हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के साढ़े चार योजन बाहल्य वाले और प्रतरादि रूप में विभक्त घनवातवलय में वर्णादि परिणत द्रव्य हैं क्या ? हाँ, गौतम ! हैं। इसी प्रकार सातवी पृथ्वी तक कहना। इसी प्रकार तनुवातवलय के सम्बन्ध में भी अपने – अपने बाहल्य का विशेषण लगाकर सप्तम पृथ्वी तक कहना चाहिए। हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के घनोदधिवलय का आकार कैसा कहा गया है ? गौतम ! वर्तुल और वलयाकार कहा गया है, क्योंकि वह इस रत्नप्रभा पृथ्वी को चारों और से घेरकर रहा हुआ है। इसी प्रकार सातों पृथ्वीयों के घनोदधिवलय का आकार समझना। विशेषता यह है कि वे सब अपनी – अपनी पृथ्वी को घेरकर रहे हुए हैं। हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के घनवातवलय का आकार कैसा कहा गया है ? गौतम ! वर्तुल और वलयाकार कहा गया है, क्योंकि वह इस रत्नप्रभा पृथ्वी के घनोदधिवलय को चारों ओर से घेरकर रहा हुआ है। इसी तरह सातों पृथ्वीयों के घनवातवलय का आकार जानना। रत्नप्रभापृथ्वी के तनुवातवलय, वर्तुल और वलयाकार कहा गया है, क्योंकि वह घनवातवलय को चारों ओर से घेरकर रहा हुआ है। इसी प्रकार सप्तमपृथ्वी तक के तनुवातवलय का आकार जानना। हे भगवन् ! यह रत्नप्रभा पृथ्वी कितनी लम्बी – चौड़ी है ? गौतम ! असंख्यात हजार योजन लम्बी और चौड़ी तथा असंख्यात हजार योजन की परिधि वाली है। इसी प्रकार सप्तमपृथ्वी तक कहना। यह रत्नप्रभापृथ्वी अन्त में और मध्य में सर्वत्र समान बाहल्य वाली है। इसी प्रकार सातवीं पृथ्वी तक कहना। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] imise nam bhamte! Rayanappabhae pudhavie ghanodadhivalae kevatiyam bahallenam pannatte? Goyama! Chha joyanani bahallenam pannatte. Sakkarappabhae pudhavie ghanodadhivalae kevatiyam bahallenam pannatte? Goyama! Satibhagaim chhajoyanaim bahallenam pannatte. Valuyappabhae puchchha. Goyama! Tibhagunaim satta joyanaim bahallenam pannatte. Evam etenam abhilavenam– pamkappabhae satta joyanaim bahallenam pannatte. Dhumappabhae satibhagaim satta joyanaim. Tamappabhae tibhagunaim attha joyanaim. Tamatamappabhae attha joyanaim. Imise nam bhamte! Rayanappabhae pudhavie ghanavayavalae kevatiyam bahallenam pannatte? Goyama! Addhapamchamaim joyanaim bahallenam. Sakkarappabhae puchchha. Goyama! Kosunaim pamcha joyanaim bahallenam. Evam ettenam abhilavenam–valuyappabhae pamcha joyanaim bahallenam. Pamkappabhae sakkosaim pamcha joyanaim bahallenam. Dhumappabhae addhachhatthaim joyanaim bahallenam. Tamappabhae kosunaim chha joyanaim bahallenam. Ahesattamae chha joyanaim bahallenam. Imise nam bhamte! Rayanappabhae pudhavie tanuvayavalae kevatiyam bahallenam pannatte? Goyama! Chhakkosenam bahallenam pannatte. Evam etenam abhilavenam–sakkarappabhae satibhage chhakkose bahallenam. Valuyappabhae tibhagune satta kosam bahallenam. Pamkappabhae pudhavie satta kosam bahallenam. Dhumappabhae satibhage satta kose bahallenam. Tamappabhae tibhagune attha kose bahallenam. Adhesattamae pudhavie attha kose bahallenam. Imise nam bhamte! Rayanappabhae pudhavie ghanodadhivalayassa chhajjoyanabahallassa khettachchheenam chhijjamanassa atthi davvaim vannato kala nila lohita halidda sukkilaim java? Hamta atthi. Sakkarappabhae nam bhamte! Pudhavie ghanodadhivalayassa satibhagachhajoyanabahallassa khettachchhedenam chhijjamanassa java? Hamta atthi. Evam java adhesattamae jam jassa bahallam. Imise nam bhamte! Rayanappabhae pudhavie ghanavatavalayassa addhapamchamajoyanabahallassa khetta-chchhedenam chhijjamanassa java? Hamta atthi. Evam java ahesattamae jam jassa bahallam. Evam tanuvayavalayassavi java adhesattamae jam jassa bahallam. Imise nam bhamte! Rayanappabhae pudhavie ghanodadhivalae kimsamthite pannatte? Goyama! Vatte valayagarasamthanasamthite pannatte, je nam imam rayanappabham pudhavim savvato samparikkhivittanam chitthati. Imise nam bhamte! Rayanappabhae pudhavie ghanavatavalae kimsamthite pannatte? Goyama! Vatte valayagara samthanasamthite pannatte, je nam imise nam rayanappabhae pudhavie ghanodadhivalayam savvato samamta samparikkhivittanam chitthai. Evam java ahesattamae ghanavatavalae. Imise nam bhamte! Rayanappabhae pudhavie tanuvatavalae kimsamthite pannatte? Goyama! Vatte valayagarasamthanasamthie pannatte, je nam imise rayanappabhae pudhavie ghanavatavalayam savvato samamta samparikkhivittanam chitthai. Evam java adhesattamae tanuvatavalae. Ima nam bhamte! Rayanappabha pudhavi kevatiyam ayamavikkhambhenam? Kevatiyam parikkhevenam pannatta? Goyama! Asamkhejjaim joyanasahassaim ayamavikkhambhenam, asamkhejjaim joyanasahassaim parikkhe-venam pannatte. Evam java adhesattama. Ima nam bhamte! Rayanappabha pudhavi amte ya majjhe ya savvattha sama bahallenam pannatta? Hamta goyama! Ima nam rayanappabha pudhavi amte ya majjhe ya savvattha sama bahallenam. Evam java adhesattama. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Isa ratnaprabhaprithvi ka ghanodadhivalaya kitana mota hai\? Gautama ! Chhaha yojana, sharkaraprabhaprithvi ka ghanodadhivalaya tribhagasahita chhaha yojana mota hai. Valukaprabha tribhagashunya sata yojana ka hai. Pamkaprabha ka ghanodadhivalaya sata yojana ka, dhumaprabha ka tribhagasahita sata yojana ka, tamahprabha ka tribhaganyuna atha yojana ka aura tamastamahprabha ka atha yojana ka hai. He bhagavan ! Isa ratnaprabhaprithvi ka ghanavatavalaya kitani motai vala hai\? Gautama ! Sarhe chara yojana ka mota hai. Sharkaraprabha ka eka kosa kama pamcha yojana, valukaprabha ka pamcha yojana ka, pamkaprabha ka eka kosa adhika pamcha yojana ka, dhumaprabha ka sarhe pamcha yojana ka aura tamastamahprabha prithvi ka eka kosa kama chhaha yojana ka bahalya hai. He bhagavan ! Isa ratnaprabhaprithvi ka tanuvatavalaya kitani motai vala kaha gaya hai\? Gautama ! Chhaha kosa, sharkaraprabha ka tribhagasahita chhaha kosa, valukaprabha ka tribhaga – nyuna sata kosa, pamkaprabha ka sata kosa, dhumaprabha ka tribhagasahita sata kosa ka, tamahprabha ka tribhaganyuna atha kosa aura adhahsaptamaprithvi ka tanuvatavalaya atha kosa bahalya vala hai. He bhagavan ! Isa ratnaprabhaprithvi ke chhaha yojana bahalya vale aura prataradi vibhaga vale ghanodadhivalaya mem varna se kale adi dravya haim kya\? Ham, gautama ! Haim. Isa prakara saptamaprithvi ke ghanodadhivalaya taka kahana. He bhagavan ! Isa ratnaprabha prithvi ke sarhe chara yojana bahalya vale aura prataradi rupa mem vibhakta ghanavatavalaya mem varnadi parinata dravya haim kya\? Ham, gautama ! Haim. Isi prakara satavi prithvi taka kahana. Isi prakara tanuvatavalaya ke sambandha mem bhi apane – apane bahalya ka visheshana lagakara saptama prithvi taka kahana chahie. He bhagavan ! Isa ratnaprabha prithvi ke ghanodadhivalaya ka akara kaisa kaha gaya hai\? Gautama ! Vartula aura valayakara kaha gaya hai, kyomki vaha isa ratnaprabha prithvi ko charom aura se gherakara raha hua hai. Isi prakara satom prithviyom ke ghanodadhivalaya ka akara samajhana. Visheshata yaha hai ki ve saba apani – apani prithvi ko gherakara rahe hue haim. He bhagavan ! Isa ratnaprabha prithvi ke ghanavatavalaya ka akara kaisa kaha gaya hai\? Gautama ! Vartula aura valayakara kaha gaya hai, kyomki vaha isa ratnaprabha prithvi ke ghanodadhivalaya ko charom ora se gherakara raha hua hai. Isi taraha satom prithviyom ke ghanavatavalaya ka akara janana. Ratnaprabhaprithvi ke tanuvatavalaya, vartula aura valayakara kaha gaya hai, kyomki vaha ghanavatavalaya ko charom ora se gherakara raha hua hai. Isi prakara saptamaprithvi taka ke tanuvatavalaya ka akara janana. He bhagavan ! Yaha ratnaprabha prithvi kitani lambi – chauri hai\? Gautama ! Asamkhyata hajara yojana lambi aura chauri tatha asamkhyata hajara yojana ki paridhi vali hai. Isi prakara saptamaprithvi taka kahana. Yaha ratnaprabhaprithvi anta mem aura madhya mem sarvatra samana bahalya vali hai. Isi prakara satavim prithvi taka kahana. |