Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005833 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्विविध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
द्विविध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 33 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से किं तं बादरतेउक्काइया? बादरतेउक्काइया अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–इंगाले जाला मुम्मुरे अच्ची अलाए सुद्धागणी उक्का विज्जू असणी निग्घाए संघरिससमुट्ठिए सूरकंतमणिनिस्सिए। जे यावन्ने तहप्पगारा ते समासतो दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य। तत्थ णं जेते अपज्जत्तगा ते णं असंपत्ता। तत्थ णं जेते पज्जत्तगा, एएसि णं वण्णादेसेणं गंधादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाइं, संखेज्जाइं जोणिप्पमुहसयसहस्साइं। पज्जत्तग-निस्साए अपज्जत्तगा वक्कमंति– जत्थ एगो तत्थ नियमा असंखेज्जा। तेसि णं भंते! जीवाणं कति सरीरगा पन्नत्ता? गोयमा! तओ सरीरगा पन्नत्ता, तं जहा–ओरालिए तेयए कम्मए सेसं तं चेव। सरीरगा सूइकलावसंठिया। तिन्नि लेस्सा। ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिन्नि राइंदियाइं। तिरियमनुस्सेहिंतो उववाओ। सेसं तं चेव जाव एगगतिया दुआगतिया, परित्ता असंखेज्जा पन्नत्ता। सेत्तं बादरतेउक्काइया। सेत्तं तेउक्काइया। | ||
Sutra Meaning : | बादर तेजस्कायिकों का स्वरूप क्या है ? बादर तेजस्कायिक अनेक प्रकार के हैं, कोयले की अग्नि, ज्वाला की अग्नि, मुर्मूर की अग्नि यावत् सूर्यकान्त मणि से निकली हुई अग्नि और भी अन्य इसी प्रकार की अग्नि। ये बादर तेजस्कायिक जीव संक्षेप से दो प्रकार के हैं – पर्याप्त और अपर्याप्त। भगवन् ! उन जीवों के कितने शरीर कहे गये हैं ? गौतम ! तीन – औदारिक, तैजस और कार्मण। शेष बादर पृथ्वीकाय की तरह समझना। अन्तर यह है कि उनके शरीर सूइयों के समुदाय के आकार के हैं, उनमें तीन लेश्याएं हैं, जघन्य स्थिति अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट तीन रात – दिन की है। तिर्यंच और मनुष्यों से वे आते हैं और केवल एक तिर्यंचगति में ही जाते हैं। वे प्रत्येकशरीर वाले हैं और असंख्यात कहे गये हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se kim tam badarateukkaiya? Badarateukkaiya anegaviha pannatta, tam jaha–imgale jala mummure achchi alae suddhagani ukka vijju asani nigghae samgharisasamutthie surakamtamaninissie. Je yavanne tahappagara te samasato duviha pannatta, tam jaha–pajjattaga ya apajjattaga ya. Tattha nam jete apajjattaga te nam asampatta. Tattha nam jete pajjattaga, eesi nam vannadesenam gamdhadesenam rasadesenam phasadesenam sahassaggaso vihanaim, samkhejjaim jonippamuhasayasahassaim. Pajjattaga-nissae apajjattaga vakkamamti– jattha ego tattha niyama asamkhejja. Tesi nam bhamte! Jivanam kati sariraga pannatta? Goyama! Tao sariraga pannatta, tam jaha–oralie teyae kammae sesam tam cheva. Sariraga suikalavasamthiya. Tinni lessa. Thiti jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam tinni raimdiyaim. Tiriyamanussehimto uvavao. Sesam tam cheva java egagatiya duagatiya, paritta asamkhejja pannatta. Settam badarateukkaiya. Settam teukkaiya. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Badara tejaskayikom ka svarupa kya hai\? Badara tejaskayika aneka prakara ke haim, koyale ki agni, jvala ki agni, murmura ki agni yavat suryakanta mani se nikali hui agni aura bhi anya isi prakara ki agni. Ye badara tejaskayika jiva samkshepa se do prakara ke haim – paryapta aura aparyapta. Bhagavan ! Una jivom ke kitane sharira kahe gaye haim\? Gautama ! Tina – audarika, taijasa aura karmana. Shesha badara prithvikaya ki taraha samajhana. Antara yaha hai ki unake sharira suiyom ke samudaya ke akara ke haim, unamem tina leshyaem haim, jaghanya sthiti antamuhurtta aura utkrishta tina rata – dina ki hai. Tiryamcha aura manushyom se ve ate haim aura kevala eka tiryamchagati mem hi jate haim. Ve pratyekasharira vale haim aura asamkhyata kahe gaye haim. |