Sutra Navigation: Rajprashniya ( राजप्रश्नीय उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005783 | ||
Scripture Name( English ): | Rajprashniya | Translated Scripture Name : | राजप्रश्नीय उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
प्रदेशीराजान प्रकरण |
Translated Chapter : |
प्रदेशीराजान प्रकरण |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 83 | Category : | Upang-02 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तए णं दढपतिण्णे दारगे पंचधाईपरिक्खित्ते–खीरधाईए मज्जणधाईए मंडणधाईए अंकधाईए कीलावणधाईए, अन्नाहि बहूहिं खुज्जाहिं चिलाइयाहिं वामणियाहिं वडभियाहिं बब्बरियाहिं बउसि-याहिं जोणियाहिं पल्हवियाहिं ईसिणियाहिं थारु-इणियाहिं लासियाहिं लउसियाहिं दमिलाहिं सिंहलीहिं पुलिंदीहिं आरबीहिं पक्कणीहिं बहलीहिं मुरंडीहिं सबरीहिं पारसीहिं नानादेसीहिं विदेस-परिमंडियाहिं इंगिय चिंतिय पत्थिय वियाणयाहिं सदेश नेवत्थ गहिय देसाहिं निउणकुसलाहिं विणीयाहिं, चेडिया-चक्कवाल वरतरुणिवंद परियाल संपरिवुडे वरिसधर कंचुइमहयरवंदपरिक्खित्ते हत्थाओ हत्थं साहरिज्जमाणे-साहरिज्जमाणे उवनचिज्जमाणे-उवनचिज्जमाणे अंकाओ अंकं परिभुज्जमाणे-(२) उवगाइज्जमाणे-(२) उवलालिज्जमाणे-(२) उवगूहिज्जमाणे(२) अवतासिज्ज-माणे-(२) परिवंदिज्जमाणे-(२) परिचुंबिज्जमाणे-(२) रम्मेसु मणिकोट्टिमतलेसु परंगमाणे परंगमाणे गिरिकंदरमल्लीणे विव चंपगवरपायवे निव्वाघायंसि सुहंसुहेणं परिवड्ढिस्सइ। तए णं तं दढपइण्णं दारगं अम्मापियरो सातिरेगअट्ठवासजायगं जाणित्ता सोभणंसि तिहिकरण णक्खत्त मुहुत्तंसि ण्हायं कयबलिकम्मं कयकोउयमंगल पायच्छित्तं सव्वालंकारविभूसियं करेत्ता महया इड्ढीसक्कारसमुदएणं कलायरियस्स उवणेहिंति। तए णं से कलायरिए तं दढपइण्णं दारगं लेहाइयाओ गणियप्पहाणाओ सउणरुयपज्ज-वसाणाओ बावत्तरिं कलाओ सुत्तओ अत्थओ य गंथओ य करणओ य सिक्खावेहिइ सेहावेहिइ, तं जहा–१. लेहं २. गणियं ३. रूवं ४. नट्टं ५. गीयं ६. वाइयं ७. सरगयं ८. पुक्खरगयं ९. समतालं १. जूयं ११. जणवायं १२. पासगं १३. अट्ठावयं १४. पीरेकव्वं १५. दगमट्टियं १६. अन्नविहिं १७. पाणविहिं १८. वत्थविहिं १९. विलेवणविहिं २. सयणविहिं २१. अज्जं २२. पहेलियं २३. मागहियं २४. गाहं २५. गीइयं २६. सिलोगं २७. हिरण्णजुत्तिं २८. सुवण्णजुत्तिं २९. आभरणविहिं ३. तरुणीपडिकम्मं ३१. इत्थिलक्खणं ३२. पुरिसलक्खणं ३३. हयलक्खणं ३४. गयलक्खणं ३५. गोणलक्खणं ३६. कुक्कुडलक्खणं ३७. छत्तलक्खणं ३८. चक्कलक्खणं ३९. दंडलक्खणं ४. असिलक्खणं ४१. मणिलक्खणं ४२. कागणिलक्खणं ४३. वत्थुविज्जं ४४. णगरमाणं ४५. खंधावारमाणं ४६. चारं ४७. पडिचारं ४८. वूहं ४९. पडिवूहं ५. चक्कवूहं ५१. गरुलवूहं ५२. सगडवूहं ५३. जुद्धं ५४. निजुद्धं ५५. जुद्धजुद्धं ५६. अट्ठिजुद्धं ५७. मुट्ठिजुद्धं ५८. बाहुजुद्धं ५९. लयाजुद्धं ६. ईसत्थं ६१. छरुप्पवायं ६२. धणुवेयं ६३. हिरण्णपागं ६४. सुवण्णपागं ६५. सुत्तखेड्डं ६६. वट्टखेड्डं ६७. णालियाखेड्डं ६८. पत्तच्छेज्जं ६९. कडगच्छेज्जं ७. सज्जीवं ७१. निज्जीवं ७२. सउणरुयं इति। तए णं से कलायरिए तं दढपइण्ण दारगं लेहाइयाओ गणियप्पहाणाओ सउणरुयपज्ज-वसाणाओ बावत्तरिं कलाओ सुत्तओ य अत्थओ य गंथओ य करणओ य सिक्खावेत्ता सेहावेत्ता अम्मापिऊणं उवणेहिइ। तए णं तस्स दढपइण्णस्स दारगस्स अम्मापियरो तं कलायरियं विउलेणं असण पाण खाइम साइमेणं वत्थ गंध मल्लालंकारेणं सक्कारिस्संति सम्माणिस्संति, विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलइस्संति, दलइत्ता पडिविसज्जेहिंति। | ||
Sutra Meaning : | उसके बाद वह दृढ़प्रतिज्ञ शिशु, क्षीरधात्री, मंडनधात्री, मज्जनधात्री, अंकधात्री और क्रीडापनधात्री – इन पाँच धायमाताओं की देखरेख में तथा इनके अतिरिक्त इंगित, चिन्तित, प्रार्थित को जानने वाली, अपने – अपने देश के वेष को पहनने वाली, निपुण, कुशल – प्रवीण एवं प्रशिक्षित ऐसी कुब्जा, चिलातिका, वामनी, वडभी, बर्बरी, बकुशी, योनकी, पल्हविका, ईसिनिका, वारुणिका, लासिका, लाकुसिका, द्रावड़ी, सिंहली, पुलिंदी, आरबी, पक्वणी, बहली, मुरण्डी, शबरी, (शबर देश की), पारसी (पारस देश की) आदि अनेक देश – विदेशों की तरुण दासियों एवं वर्षधरों, कंचुकियों और महत्तरकों के समुदाय से परिवेष्टित होता हुआ, हाथों ही हाथों में लिया जाता, दुलराया जाता, एक से दूसरी गोद में लिया जाता, गा – गाकर बहलाया जाता, क्रीड़ादि द्वारा लालन – पालन किया जाता, लाड़ किया जाता, लोरियाँ सूनाया जाता, चुम्बन किया जाता और रमणीय मणिजटित प्रांगण में चलाया जाता हुआ व्याघातरहित गिरि – गुफा में स्थित श्रेष्ठ चम्पक वृक्ष के समान सुखपूर्वक दिनोंदिन परिवर्धित होगा। तत्पश्चात् दृढ़प्रतिज्ञबालक साधिक आठ वर्ष होने पर कलाशिक्षणके लिए माता – पिता शुभ तिथि, करण, नक्षत्र और मुहूर्त्तमें स्नान, बलिकर्म, कौतुक – मंगल – प्रायश्चित्त कराके और अलंकारों से विभूषित कर ऋद्धि – वैभव, सत्कार, समारोहपूर्वक कलाचार्य पास ले जाएंगे। तब कलाचार्य उस दृढ़प्रतिज्ञ बालक को गणित जिनमें प्रधान है ऐसी लेखादि शकुनिरुत तक ७२ कला सूत्र से, अर्थ से, ग्रन्थ से तथा प्रयोग से सिद्ध करायेंगे, अभ्यास करायेंगे १. लेखन, २. गणित, ३. रूप सजाना, ४. नाट्य, ५. संगीत, ६. वाद्य, ७. स्वर, ८. ढोल, ९. सूर – ताल, १०. द्यूत, ११. वाद – विवाद, १२. पासा, १३. चौपड़, १४. काव्य, १५. जल और मिट्टी को मिलाकर वस्तु निर्माण करना, १६. अन्न, १७. पानी, १८. वस्त्र, १९. विलोपनविधि, २०. शय्या, २१. छन्दो, २२. पहेलियाँ, २३. मागधिक, २४. निद्रायिका, २५. प्राकृतभाषा, २६. गीति – छंद, २७. श्लोक, २८. हिरण्ययुक्ति, २९. स्वर्णयुक्ति, ३०. आभूषण, ३१. तरुणीप्रतिकर्म, ३२. स्त्रीलक्षण, ३३. पुरुषलक्षण, ३४. अश्वलक्षण, ३५. हाथीलक्षण, ३६. मुगालक्षण, ३७. छत्रलक्षण, ३८. चक्र – लक्षण, ३९. दंड – लक्षण, ४०. असिलक्षण, ४१. मणि – लक्षण, ४२. काकणी – लक्षण, ४३. वास्तुविद्या, ४४. नगर बसाना, ४५. स्कन्धावार, ४६. माप – नाप, ४७. प्रतिचार, ४८. व्यूह, ४९. चक्रव्यूह, ५०. गरुड़व्यूह, ५१. शकटव्यूह, ५२. युद्ध, ५३. नियुद्ध, ५४. युद्ध – युद्ध, ५५. अट्ठि – युद्ध, ५६. मुष्ठियुद्ध, ५७. बाहु – युद्ध, ५८. लतायुद्ध, ५९. इष्वस्त्र, ६०. तलवार, ६१. धनुर्वेद, ६२. चाँदीपाक, ६३. सोनापाक, ६४. मणियोंनिर्माण, ६५. धातुपाक, ६६. सूत्रलेख, ६७. वृत्तखेल, ६८. नालिकाखेल, ६९. पत्रछेदन, ७०. पार्वतीयभूमिछेदन, ७१. मूर्छित, ७२. शकुनज्ञान करना। , तत्पश्चात् कलाचार्य उस दृढ़प्रतिज्ञ बालक को गणित प्रधान, लेखन से लेकर शकुनिरुत पर्यन्त बहत्तर कलाओं को सूत्र से, अर्थ से, ग्रन्थ एवं प्रयोग से सिखला कर, सिद्ध कराकर माता – पिता के पास ले जायेंगे। तब उस दृढ़प्रतिज्ञ बालक के माता – पिता विपुल अशन, पान, खाद्य, स्वाद्य रूप चतुर्विध आहार, वस्त्र, गन्ध, माला और अलंकारों से कलाचार्य को सत्कार, सम्मान करेंगे और फिर जीविका के योग्य विपुल प्रीतिदान देंगे। जीविका के योग्य विपुल प्रीतिदान देकर बिदा करेंगे। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tae nam dadhapatinne darage pamchadhaiparikkhitte–khiradhaie majjanadhaie mamdanadhaie amkadhaie kilavanadhaie, annahi bahuhim khujjahim chilaiyahim vamaniyahim vadabhiyahim babbariyahim bausi-yahim joniyahim palhaviyahim isiniyahim tharu-iniyahim lasiyahim lausiyahim damilahim simhalihim pulimdihim arabihim pakkanihim bahalihim muramdihim sabarihim parasihim nanadesihim videsa-parimamdiyahim imgiya chimtiya patthiya viyanayahim sadesha nevattha gahiya desahim niunakusalahim viniyahim, chediya-chakkavala varatarunivamda pariyala samparivude varisadhara kamchuimahayaravamdaparikkhitte hatthao hattham saharijjamane-saharijjamane uvanachijjamane-uvanachijjamane amkao amkam paribhujjamane-(2) uvagaijjamane-(2) uvalalijjamane-(2) uvaguhijjamane(2) avatasijja-mane-(2) parivamdijjamane-(2) parichumbijjamane-(2) rammesu manikottimatalesu paramgamane paramgamane girikamdaramalline viva champagavarapayave nivvaghayamsi suhamsuhenam parivaddhissai. Tae nam tam dadhapainnam daragam ammapiyaro satiregaatthavasajayagam janitta sobhanamsi tihikarana nakkhatta muhuttamsi nhayam kayabalikammam kayakouyamamgala payachchhittam savvalamkaravibhusiyam karetta mahaya iddhisakkarasamudaenam kalayariyassa uvanehimti. Tae nam se kalayarie tam dadhapainnam daragam lehaiyao ganiyappahanao saunaruyapajja-vasanao bavattarim kalao suttao atthao ya gamthao ya karanao ya sikkhavehii sehavehii, tam jaha–1. Leham 2. Ganiyam 3. Ruvam 4. Nattam 5. Giyam 6. Vaiyam 7. Saragayam 8. Pukkharagayam 9. Samatalam 1. Juyam 11. Janavayam 12. Pasagam 13. Atthavayam 14. Pirekavvam 15. Dagamattiyam 16. Annavihim 17. Panavihim 18. Vatthavihim 19. Vilevanavihim 2. Sayanavihim 21. Ajjam 22. Paheliyam 23. Magahiyam 24. Gaham 25. Giiyam 26. Silogam 27. Hirannajuttim 28. Suvannajuttim 29. Abharanavihim 3. Tarunipadikammam 31. Itthilakkhanam 32. Purisalakkhanam 33. Hayalakkhanam 34. Gayalakkhanam 35. Gonalakkhanam 36. Kukkudalakkhanam 37. Chhattalakkhanam 38. Chakkalakkhanam 39. Damdalakkhanam 4. Asilakkhanam 41. Manilakkhanam 42. Kaganilakkhanam 43. Vatthuvijjam 44. Nagaramanam 45. Khamdhavaramanam 46. Charam 47. Padicharam 48. Vuham 49. Padivuham 5. Chakkavuham 51. Garulavuham 52. Sagadavuham 53. Juddham 54. Nijuddham 55. Juddhajuddham 56. Atthijuddham 57. Mutthijuddham 58. Bahujuddham 59. Layajuddham 6. Isattham 61. Chharuppavayam 62. Dhanuveyam 63. Hirannapagam 64. Suvannapagam 65. Suttakheddam 66. Vattakheddam 67. Naliyakheddam 68. Pattachchhejjam 69. Kadagachchhejjam 7. Sajjivam 71. Nijjivam 72. Saunaruyam iti. Tae nam se kalayarie tam dadhapainna daragam lehaiyao ganiyappahanao saunaruyapajja-vasanao bavattarim kalao suttao ya atthao ya gamthao ya karanao ya sikkhavetta sehavetta ammapiunam uvanehii. Tae nam tassa dadhapainnassa daragassa ammapiyaro tam kalayariyam viulenam asana pana khaima saimenam vattha gamdha mallalamkarenam sakkarissamti sammanissamti, viulam jiviyariham piidanam dalaissamti, dalaitta padivisajjehimti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Usake bada vaha drirhapratijnya shishu, kshiradhatri, mamdanadhatri, majjanadhatri, amkadhatri aura kridapanadhatri – ina pamcha dhayamataom ki dekharekha mem tatha inake atirikta imgita, chintita, prarthita ko janane vali, apane – apane desha ke vesha ko pahanane vali, nipuna, kushala – pravina evam prashikshita aisi kubja, chilatika, vamani, vadabhi, barbari, bakushi, yonaki, palhavika, isinika, varunika, lasika, lakusika, dravari, simhali, pulimdi, arabi, pakvani, bahali, murandi, shabari, (shabara desha ki), parasi (parasa desha ki) adi aneka desha – videshom ki taruna dasiyom evam varshadharom, kamchukiyom aura mahattarakom ke samudaya se pariveshtita hota hua, hathom hi hathom mem liya jata, dularaya jata, eka se dusari goda mem liya jata, ga – gakara bahalaya jata, kriradi dvara lalana – palana kiya jata, lara kiya jata, loriyam sunaya jata, chumbana kiya jata aura ramaniya manijatita pramgana mem chalaya jata hua vyaghatarahita giri – gupha mem sthita shreshtha champaka vriksha ke samana sukhapurvaka dinomdina parivardhita hoga. Tatpashchat drirhapratijnyabalaka sadhika atha varsha hone para kalashikshanake lie mata – pita shubha tithi, karana, nakshatra aura muhurttamem snana, balikarma, kautuka – mamgala – prayashchitta karake aura alamkarom se vibhushita kara riddhi – vaibhava, satkara, samarohapurvaka kalacharya pasa le jaemge. Taba kalacharya usa drirhapratijnya balaka ko ganita jinamem pradhana hai aisi lekhadi shakuniruta taka 72 kala sutra se, artha se, grantha se tatha prayoga se siddha karayemge, abhyasa karayemge 1. Lekhana, 2. Ganita, 3. Rupa sajana, 4. Natya, 5. Samgita, 6. Vadya, 7. Svara, 8. Dhola, 9. Sura – tala, 10. Dyuta, 11. Vada – vivada, 12. Pasa, 13. Chaupara, 14. Kavya, 15. Jala aura mitti ko milakara vastu nirmana karana, 16. Anna, 17. Pani, 18. Vastra, 19. Vilopanavidhi, 20. Shayya, 21. Chhando, 22. Paheliyam, 23. Magadhika, 24. Nidrayika, 25. Prakritabhasha, 26. Giti – chhamda, 27. Shloka, 28. Hiranyayukti, 29. Svarnayukti, 30. Abhushana, 31. Tarunipratikarma, 32. Strilakshana, 33. Purushalakshana, 34. Ashvalakshana, 35. Hathilakshana, 36. Mugalakshana, 37. Chhatralakshana, 38. Chakra – lakshana, 39. Damda – lakshana, 40. Asilakshana, 41. Mani – lakshana, 42. Kakani – lakshana, 43. Vastuvidya, 44. Nagara basana, 45. Skandhavara, 46. Mapa – napa, 47. Pratichara, 48. Vyuha, 49. Chakravyuha, 50. Garuravyuha, 51. Shakatavyuha, 52. Yuddha, 53. Niyuddha, 54. Yuddha – yuddha, 55. Atthi – yuddha, 56. Mushthiyuddha, 57. Bahu – yuddha, 58. Latayuddha, 59. Ishvastra, 60. Talavara, 61. Dhanurveda, 62. Chamdipaka, 63. Sonapaka, 64. Maniyomnirmana, 65. Dhatupaka, 66. Sutralekha, 67. Vrittakhela, 68. Nalikakhela, 69. Patrachhedana, 70. Parvatiyabhumichhedana, 71. Murchhita, 72. Shakunajnyana karana., tatpashchat kalacharya usa drirhapratijnya balaka ko ganita pradhana, lekhana se lekara shakuniruta paryanta bahattara kalaom ko sutra se, artha se, grantha evam prayoga se sikhala kara, siddha karakara mata – pita ke pasa le jayemge. Taba usa drirhapratijnya balaka ke mata – pita vipula ashana, pana, khadya, svadya rupa chaturvidha ahara, vastra, gandha, mala aura alamkarom se kalacharya ko satkara, sammana karemge aura phira jivika ke yogya vipula pritidana demge. Jivika ke yogya vipula pritidana dekara bida karemge. |