Sutra Navigation: Rajprashniya ( राजप्रश्नीय उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005736 | ||
Scripture Name( English ): | Rajprashniya | Translated Scripture Name : | राजप्रश्नीय उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
सूर्याभदेव प्रकरण |
Translated Chapter : |
सूर्याभदेव प्रकरण |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 36 | Category : | Upang-02 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तस्स णं मूलपासायवडेंसयस्स उत्तरपुरत्थिमेणं, एत्थ णं सभा सुहम्मा पन्नत्ता–एगं जोयणसयं आयामेणं, पन्नासं जोयणाइं विक्खंभेणं, बावत्तरिं जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, अनेगखंभसयसन्निविट्ठा जाव अच्छरगणसंघसंविकिण्णा दिव्वतुडियसद्दसंपणाइया अच्छा जाव पडिरूवा। सभाए णं सुहम्माए तिदिसिं तओ दारा पन्नत्ता, तं जहा–पुरत्थिमेणं दाहिणेणं उत्तरेणं। ते णं दारा सोलस जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, अट्ठ जोयणाइं विक्खंभेणं, तावतियं चेव पवेसेणं, सेया वरकनग-थूभियागा जाव वणमालाओ। तेसि णं दाराणं पुरओ पत्तेयं-पत्तेयं मुहमंडवे पन्नत्ते। ते णं मुहमंडवा एगं जोयणसयं आयामेणं, पन्नासं जोयणाइं विक्खंभेणं, साइरेगाइं सोलस जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं अनेगखंभसय-सन्निविट्ठा जाव अच्छरगवनसंघसंविकिण्णा दिव्वतुडियसद्दसंपणाइया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसि णं मुहमंडवाणं तिदिसिं तओ दारा पन्नत्ता, तं जहा–पुरत्थिमेणं दाहिणेणं उत्तरेणं। ते णं दारा सोलस जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं अट्ठ जोयणाइं विक्खंभेणं, तावतियं चेव पवेसेणं, सेया वरकनगथूभियागा जाव वणमालाओ। तेसि णं मुहमंडवाणं भूमिभागा उल्लोया। तेसि णं मुहमंडवाणं उवरिं अट्ठट्ठ मंगलगा झया छत्ताइच्छत्ता। तेसि णं मुहमंडवाणं पुरतो पत्तेयं-पत्तेयं पेच्छाघरमंडवे पन्नत्ते। मुहमंडववत्तव्वया जाव दारा। तेसि णं पेच्छाघरमंडवाणं भूमिभागा उल्लोया। तेसि णं बहुसमरमणिज्जाणं भूमिभागाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं-पत्तेयं वइरामए अक्खाडए पन्नत्ते। तेसि णं वइरामयाणं अक्खाडगाणं बहुमज्झदेसभागे पत्तेयं-पत्तेयं मणिपेढिया पन्नत्ता। ताओ णं मणिपेढियाओ अट्ठ जोयणाइं आयामविक्खंभेणं चत्तारि जोयणाइं बाहल्लेणं, सव्वमणिमईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ। तासि णं मणिपेढियाणं उवरिं पत्तेयं-पत्तेयं सीहासणे पन्नत्ते। सीहासनवण्णओ सपरिवारो। तेसि णं पेच्छाघरमंडवाणं उवरिं अट्ठट्ठ मंगलगा झया छत्तातिछत्ता। तेसि णं पेच्छाघरमंडवाणं पुरओ पत्तेयं पत्तेयं मणिपेढियाओ पन्नत्ताओ। ताओ णं मणिपेढियातो सोलस जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, अट्ठ जोयणाइं बाहल्लेणं, सव्वमणिमईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ। तासि णं मणिपेढियाणं उवरिं पत्तेयं-पत्तेयं चेइयथूभे पन्नत्ते। ते णं चेइयथूभा सोलस जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, साइरेगाइं सोलस जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, सेया संखंक कुंद दगरय अमय महिय फेणपुंजसन्निगासा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसि णं चेइयथूभाणं उवरिं अट्ठट्ठ मंगलगा झया छत्तातिछत्ता जाव सहस्सपत्तहत्थया। तेसि णं चेइयथूभाणं पत्तेयं-पत्तेयं चउद्दिसिं मणिपेढियाओ पन्नत्ताओ। ताओ णं मणि-पेढियाओ अट्ठ जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, चत्तारि जोयणाइं बाहल्लेणं, सव्वमणिमईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ। तासि णं मणिपेढियाणं उवरिं चत्तारि जिनपडिमातो जिनुस्सेहपमाणमेत्ताओ पलियंक-निसन्नाओ थूभाभिमुहीओ सन्निखित्ताओ चिट्ठंति, तं जहा–उसभा वद्धमाणा चंदानना वारिसेना। तेसि णं चेइयथूभाणं पुरओ पत्तेयं-पत्तेयं मणिपेढियाओ पन्नत्ताओ। ताओ णं मणिपेढियाओ सोलस जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, अट्ठ जोयणाइं बाहल्लेणं, सव्वमणिमईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ। तासि णं मणिपेढियाणं उवरिं पत्तेयं-पत्तेयं चेइयरुक्खे पन्नत्ते। ते णं चेइयरुक्खा अट्ठ जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, अद्धजोयणं उव्वेहेणं, दो जोयणाइं खंधो, अद्धजोयणं विक्खंभेणं छ जोयणाइं विडिमा बहुमज्झदेसभाए अट्ठ जोयणाइं आयाम-विक्खंभेणं, साइरेगाइं अट्ठ जोयणाइं सव्वग्गेणं पन्नत्ता। तेसि णं चेइयरुक्खाणं इमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, तं जहा–वइरामयमूलरययसुपइट्ठिय-विडिमा रिट्ठामय विउलकंद वेरुलिय रुइलखंधा सुजायवरजायरूवपढमगविसालसाला नानामणि-मयरयणविविहसाहप्पसाह-वेरुलियपत्त-तवणिज्जपत्त-बिंटा जंबूणय रत्त मउय सुकुमाल पवाल पल्लव वरंकुरधरा विचित्तमणिरयणसुरभि कुसुम फल भर नमियसाला सच्छाया सप्पभा सस्सिरीया सउज्जोया अहियं नयनमननिव्वुइकरा अमयरससमरसफला पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा। तेसि णं चेइयरुक्खाणं उवरिं अट्ठट्ठ मंगलगा झया छत्ताइछत्ता। तेसि णं चेइयरुक्खाणं पुरओ पत्तेयं-पत्तेयं मणिपेढिया पन्नत्ता। ताओ णं मणिपेढियाओ अट्ठ जोयणाइं आयाम-विक्खंभेणं, चत्तारि जोयणाइं बाहल्लेणं, सव्वमणिमईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ। तासि णं मणिपेढियाणं उवरिं पत्तेयं-पत्तेयं महिंदज्झए पन्नत्ते। ते णं महिंदज्झया सट्ठिं जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, अद्धकोसं उव्वेहेणं, अद्धकोसं विक्खंभेणं वइरामयवट्ट लट्ठ संठिय सुसिलिट्ठ परिघट्ठ मट्ठ सुपतिट्ठिया विसिट्ठा अनेगवरपंचवण्णकुडभीसहस्सपरिमंडीयाभिरामा वाउद्धुयविजय वेजयंती पडागच्छत्तातिच्छत्तकलिया तुंगा गगनतलमनुलिहंतसिहरा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा। तेसि णं महिंदज्झयाणं उवरिं अट्ठट्ठ मंगलगा झया छत्तातिछत्ता। तेसि णं महिंदज्झयाणं पुरतो पत्तेयं-पत्तेयं नंदा पुक्खरिणी पन्नत्ता। ताओ णं पुक्खरिणीओ एगं जोयणसयं आयामेणं, पन्नासं जोयणाइं विक्खंभेणं, दस जोयणाइं उव्वेहेणं, अच्छाओ जाव पगईए उदगरसेणं पन्नत्ताओ पासादीयाओ दरिसणिज्जाओ अभिरूवाओ पडिरूवाओ। पत्तेयं-पत्तेयं पउमवरवेइयापरिक्खित्ताओ, पत्तेयं-पत्तेयं वनसंडपरिक्खित्ताओ। तासि णं नंदाणं पुक्खरिणीणं तिदिसिं तिसोवानपडिरूवगा पन्नत्ता। तिसोवानपडिरूवगाणं वण्णओ तोरणा झया छत्तातिछत्ता। सभाए णं सुहम्माए अडयालीसं मणोगुलियासाहस्सीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–पुरत्थिमेणं सोलससाहस्सीओ, पच्चत्थिमेणं सोलससाहस्सीओ, दाहिणेणं अट्ठसाहस्सीओ, उत्तरेणं अट्ठ-साहस्सीओ। तासु णं मनोगुलियासु बहवे सुवण्णरुप्पामया फलगा पन्नत्ता। तेसु णं सुवण्णरुप्पामएसु फलगेसु बहवे वइरामया नागदंतया पन्नत्ता। तेसु णं वइरामएसु नागदंतएसु किण्हसुत्तबद्धा वग्घारियमल्लदामकलावा चिट्ठंति। सभाए णं सुहम्माए अडयालीसं गोमाणसियासाहस्सीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–पुरत्थिमेणं सोलससाहस्सीओ, पच्चत्थिमेणं सोलससाहस्सीओ, दाहिणेणं अट्ठसाहस्सीओ, उत्तरेणं अट्ठ-साहस्सीओ। तासु णं गोमानसियासु बहवे सुवण्णरुप्पामया फलगा पन्नत्ता। तेसु णं सुवण्ण-रुप्पामएसु फलगेसु बहवे वइरामया नागदंतया पन्नत्ता। तेसु णं वइरामएसु नागदंतएसु बहवे रययामया सिक्कगा पन्नत्ता। तेसु णं रययामएसु सिक्कगेसु बहवे वेरुलियामइओ धूवघडियाओ पन्नत्ताओ। ताओ णं धूवघडियाओ कालागरु पवर कुंदुरुक्क तुरुक्क धूवमघमघेंतगंधुद्धुयाभिरामाओ सुगंधवरगंधियाओ गंधवट्टिभूयाओ ओरालेणं मणुन्नेणं मनहरेणं घाणमननिव्वुतिकरेणं गंधेणं ते पदेसे सव्वओ समंता आपूरेमाणा-आपूरेमाणा सिरीए अतीव-अतीव उवसोभेमाणा-उवसोभेमाणा चिट्ठंति। सभाए णं सुहम्माए अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पन्नत्ते जाव मणीहिं उवसोभिए मणिफासो य उल्लोओ य तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महेगा मणिपेढिया पन्नत्ता–सोलस जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, अट्ठ जोयणाइं बाहल्लेणं, सव्वमणिमई अच्छा जाव पडिरूवा। तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं, एत्थ णं माणवए चेइयखंभे पन्नत्ते–सट्ठिं जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, जोयणं उव्वेहेणं जोयणं विक्खंभेणं, अडयालीसअंसिए अडयालीसइकोडीए अडयालीसइविग्गहिए सेसं जहा महिंदज्झयस्स। मानवगस्स णं चेइयखंभस्स उवरिं बारस जोयणाइं ओगाहेत्ता, हेट्ठावि बारस जोयणाइं वज्जेत्ता, मज्झे छत्तीसाए जोयणेसु, एत्थ णं बहवे सुवण्णरुप्पामया फलगा पन्नत्ता। तेसु णं सुवण्णरुप्पामएसु फलएसु बहवे वइरामया नागदंता पन्नत्ता। तेसु णं वइरामएसु नागदंतेसु बहवे रययामया सिक्कगा पन्नत्ता। तेसु णं रययामएसु सिक्कएसु बहवे वइरामया गोलवट्टसमुग्गया पन्नत्ता। तेसु णं वयरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु बहुयाओ जिन-सकहाओ संनिखित्ताओ चिट्ठंति। ताओ णं सूरियाभस्स देवस्स अन्नेसिं च बहूणं देवाण य देवीण य अच्चणिज्जाओ वंदणिज्जाओ पूयणिज्जाओ माणणिज्जाओ सक्कारणिज्जाओ कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासणिज्जाओ। मानवगस्स चेइयखंभस्स उवरिं अट्ठट्ठ मंगलगा झया छत्ताइच्छत्ता। | ||
Sutra Meaning : | उस प्रधान प्रासाद के ईशान कोण में सौ योजन लम्बी, पचास योजन चौड़ी और बहत्तर योजन ऊंची सुधर्मा नामक सभा है। यह सभा अनेक सैकड़ों खम्भों पर सन्निविष्ट यावत् अप्सराओं से व्याप्त अतीव मनोहर हैं। इस सुधर्मा सभा की तीन दिशाओं में तीन द्वार हैं। पूर्व दिशा में, दक्षिण दिशा में और उत्तर दिशा में। ये द्वार ऊंचाई में सोलह योजन ऊंचे, आठ योजन चौड़े और उतने ही प्रवेश मार्ग वाले हैं। वे द्वार श्वेत वर्ण के हैं। श्रेष्ठ स्वर्ण से निर्मित शिखरों एवं वनमालाओं से अलंकृत हैं, आदि वर्णन पूर्ववत्। उन द्वारों के आगे सामने एक – एक मुखमंडप है। ये मंडप नौ योजन लम्बे, पचास योजन चौड़े और ऊंचाई में कुछ अधिक सोलह योजन ऊंचे हैं। सुधर्मा सभा के समान इनका शेष वर्णन करना। इन मंडपों की तीन दिशाओं में तीन द्वार हैं, यथा – एक पूर्व में, एक दक्षिण में और एक उत्तर में। ये द्वार ऊंचाई में सोलह योजन ऊंचे हैं, आठ योजन चौड़े और उतने ही प्रवेशमार्ग वाले हैं। ये द्वार श्वेत धवलवर्ण और श्रेष्ठ स्वर्ण से बनी शिखरों, वनमालाओं से अलंकृत हैं, पर्यन्त का वर्णन पूर्ववत्। उन मुखमंडपों में से प्रत्येक के आगे प्रेक्षागृहमंडप बने हैं। इन मंडपों के द्वार, भूमिभाग, चाँदनी आदि का वर्णन मुखमंडपों की वक्तव्यता के समान जानना। उन प्रेक्षागृह मंडपों के अतीव रमणीय समचौरस भूमिभाग के मध्यातिमध्य देश में एक – एक वज्ररत्नमय अक्षपाटक – मंच कहा गया है। उन वज्ररत्नमय अक्षपाटकों के भी बीचों – बीच आठ योजन लम्बी – चौड़ी, चार योजन मोटी और विविध प्रकार के मणिरत्नों से निर्मित निर्मल यावत् प्रतिरूप एक – एक मणिपीठिकाएं बनी हुई हैं। उन मणिपीठिकाओं के ऊपर एक – एक सिंहासन रखा है। भद्रासनों आदि आसनों रूपि परिवार सहित उन सिंहासनों का वर्णन करना। उन प्रेक्षागृह मंडपों ऊपर आठ – आठ मंगल, ध्वजाएं, छत्रातिछत्र सुशोभित हो रहे हैं उन प्रेक्षागृह मंडपों के आगे एक – एक मणिपीठिका है। ये मणिपिठीकाएं सोलह – सोलह योजन लम्बी – चौड़ी आठ योजन मोटी है। ये सभी सर्वात्मना मणिरत्नमय, स्फटिक मणि के समान निर्मल और प्रतिरूप हैं। उन प्रत्येक मणिपीठों के ऊपर सोलह – सोलह योजन लम्बे – चौड़े समचौरस और ऊंचाई में कुछ अधिक सोलह योजन ऊंचे, शंख, अंकरत्न, यावत् सर्वात्मना रत्नों से बने हुए स्वच्छ यावत् असाधारण रमणीय स्तूप बने हैं। उन स्तूपों के ऊपर आठ – आठ मंगल, ध्वजाएं छत्रातिछत्र यावत् सहस्रपत्र कमलों के झूमके सुशोभित हो रहे हैं। उन स्तूपों की चारों दिशाओं में एक – एक मणिपीठिका है। ये आठ योजन लम्बी – चौड़ी, चार योजन मोटी और अनेक प्रकारके मणिरत्नों से निर्मित, निर्मल यावत् प्रतिरूप हैं। प्रत्येक मणिपीठिका ऊपर, जिनका मुख स्तूपों के सामने है ऐसी जिनोत्सेध प्रमाण चार जिन – प्रतिमाएं पर्यंकासनसे बिराजमान हैं – ऋषभ, वर्धमान, चन्द्रानन, वारिषेण की उन प्रत्येक स्तूपों के आगे – सामने मणिमयी पीठिकायें बनी हुई हैं। ये मणिपीठिकाएं सोलह योजन लम्बी – चौड़ी, आठ योजन मोटी और सर्वात्मना मणिरत्नों से निर्मित, निर्मल यावत् अतीव मनोहर हैं। उन मणिपीठिकाओं के ऊपर एक – एक चैत्यवृक्ष है। ये सभी चैत्यवृक्ष ऊंचाई में आठ योजन ऊंचे, जमीन के भीतर आधे योजन गहरे हैं। इनका स्कन्ध भाग दो योजन का और आधा योजन चौड़ा है। स्कन्ध से नीकलकर ऊपर की ओर फैली हुई शाखाएं छ योजन ऊंची और लम्बाई – चौड़ाई में आठ योजन है। कुल मिलाकर इनका सर्वपरिमाण कुछ अधिक आठ योजन है। इन वृक्षों के मूल वज्ररत्नों के हैं, विडिमाएं रजत की, कंद रिष्टरत्नों के, मनोरम स्कन्ध वैडूर्यमणि के, मूलभूत प्रथम विशाल शाखाएं शोभनीक श्रेष्ठ स्वर्ण की, विविध शाखा – प्रशाखाएं नाना प्रकार के मणि – रत्नों की, पत्ते वैडूर्यरत्न के, पत्तों के वृन्त स्वर्ण के, अरुणमृदु – सुकोमल – श्रेष्ठ प्रवाल, पल्लव एवं अंकुर जाम्बूनद (स्वर्ण विशेष) के हैं और विचित्र मणिरत्नों एवं सुरभिगंध – युक्त पुष्प – फलों के भार से नमित शाखाओं एवं अमृत के समान मधुररस युक्त फलवाले ये वृक्ष सुंदर मनोरम छाया, प्रभा, कांति, शोभा, उद्योत से संपन्न नयन – मन को शांतिदायक एवं प्रासादिक हैं। उन चैत्यवृक्षों के ऊपर आठ – आठ मंगल, ध्वजाएं और छत्रातिछत्र सुशोभित हो रहे हैं। उन प्रत्येक चैत्यवृक्षों के आगे एक – एक मणिपीठिका है। ये मणिपीठिकाएं आठ योजन लम्बी – चौड़ी, चार योजन मोटी, सर्वात्मना मणिमय निर्मल यावत् प्रतिरूप हैं। उन मणिपीठिकाओं के ऊपर एक – एक माहेन्द्रध्वज फहरा रहा है। ये माहेन्द्रध्वज साठ योजन ऊंचे, आधा कोस जमीन के भीतर ऊंडे, आधा कोस चौड़े, वज्ररत्नों से निर्मित, दीप्तिमान, चीकने, कमनीय, मनोज्ञ वर्तुलाकार शेष ध्वजाओं से विशिष्ट, अन्यान्य हजारों छोटी – बड़ी अनेक प्रकार की मनोरम रंग – बिरंगी पताकाओं से परिमंडित, वायुवेग से फहराती हुई विजय – वैजयन्ती पताका, छत्रातिछत्र से युक्त आकाशमंडल को स्पर्श करने वाले ऐसे ऊंचे उपरिभागों से अलंकृत, मन को प्रसन्न करने वाले हैं। इन माहेन्द्र – ध्वजों के ऊपर आठ – आठ मंगल, ध्वजाएं और छत्रातिछत्र सुशोभित हो रहे हैं। उन माहेन्द्रध्वजों के आगे एक – एक नन्दा नामक पुष्करिणी बनी हुई है। सौ योजन लम्बी, पचास योजन चौड़ी, दस योजन ऊंडी है और स्वच्छनिर्मल है आदि वर्णन पूर्ववत्। इनमें से कितनेक का पानी स्वाभाविक पानी जैसा मधुर रस वाला है। ये प्रत्येक नन्दा पुष्करिणियाँ एक – एक पद्मवर – वेदिका और वनखण्डों से घिरी हुई है। इन नन्दा पुष्करिणियों की तीन दिशाओं में अतीव मनोहर त्रिसोपान – पंक्तियाँ हैं। इन के ऊपर तोरण, ध्वजाएं, छत्राति – छत्र सुशोभित हैं आदि वर्णन पूर्ववत्। सुधर्मासभा में अड़तालीस हजार मनोगुलिकाएं हैं, वे इस प्रकार हैं – पूर्व – पश्चिम में सोलह – सोलह हजार और दक्षिण – उत्तर में आठ – आठ हजार। उन मनोगुलिकाओं के ऊपर अनेक स्वर्ण एवं रजतमय फलक और उन स्वर्ण रजतमय पाटियों पर अनेक वज्ररत्नमय नागदंत लगे हैं। उन वज्रमय नागदंतों पर काले सूत से बनी हुई गोल लम्बी – लम्बी मालाएं लटक रही हैं। सुधर्मा सभा में अड़तालीस हजार गोमानसिकाएं रखी हुई हैं। नागनन्दों पर्यन्त इनका वर्णन मनोगुलिकाओं के समान समझना। उन नागदंतों के ऊपर बहुत से रजतमय शींके लटके हैं। उन रजतमय शींकों में बहुत – से वैडूर्य रत्नों से बनी हुई धूपघटिकाएं रखी हैं। वे धूपघटिकाएं काले अगर, श्रेष्ठ कुन्दुरुष्क आदि की सुगंध से मन को मोहित कर रही हैं। उस सुधर्मा सभा के भीतर अत्यन्त रमणीय सम भूभाग है। वह भूमिभाग यावत् मणियों से उपशोभित हे आदि मणियों के स्पर्श एवं चंदवा पर्यन्त का सब वर्णन पूर्ववत्। उन अति सम रमणीय भूमिभाग के अति मध्यदेश में एक विशाल मणिपीठिका बनी हुई है। जो आयाम – विष्कम्भ की अपेक्षा सोलह योजन लम्बी – चौड़ी और आठ योजन मोटी तथा सर्वात्मना रत्नों से बनी हुई यावत् प्रतिरूप हैं। उन मणिपीठिका के ऊपर एक माणवक नामक चैत्यस्तम्भ है। वह ऊंचाई में साठ योजन ऊंचा, एक योजन जमीन के अंदर गहरा, एक योजन चौड़ा और अड़तालीस कोनों, अड़तालीस धारों और अड़तालीस आयामोंवाला है। शेष वर्णन माहेन्द्रध्वज जैसा जानना। उस माणवक चैत्यस्तम्भ के ऊपरी भाग में बारह योजन और नीचे बारह योजन छोड़कर मध्य के शेष छत्तीस योजन प्रमाण भाग में अनेक स्वर्ण और रजतमय फलक लगे हुए हैं। उन स्वर्ण – रजतमय फलकों पर अनेक वज्रमय नागदंत हैं। उन वज्रमय नागदंतों पर बहुत से रजतमय सींके लटक रहे हैं। उन रजतमय सींकों में वज्रमय गोल गोल समुद्गक रखे हैं। उन गोल – गोल वज्ररत्नमय समुद् – गकोंमें बहुत – सी जिन – अस्थियाँ सुरक्षित रखी हुई हैं। वे अस्थियाँ सूर्याभदेव एवं अन्य देव – देवियों के लिए अर्चनीय यावत् पर्युपासनीय हैं। उस माणवक चैत्य के ऊपर आठ आठ मंगल, ध्वजाएं और छत्रातिछत्र सुशोभित हो रहे हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tassa nam mulapasayavademsayassa uttarapuratthimenam, ettha nam sabha suhamma pannatta–egam joyanasayam ayamenam, pannasam joyanaim vikkhambhenam, bavattarim joyanaim uddham uchchattenam, anegakhambhasayasannivittha java achchharaganasamghasamvikinna divvatudiyasaddasampanaiya achchha java padiruva. Sabhae nam suhammae tidisim tao dara pannatta, tam jaha–puratthimenam dahinenam uttarenam. Te nam dara solasa joyanaim uddham uchchattenam, attha joyanaim vikkhambhenam, tavatiyam cheva pavesenam, seya varakanaga-thubhiyaga java vanamalao. Tesi nam daranam purao patteyam-patteyam muhamamdave pannatte. Te nam muhamamdava egam joyanasayam ayamenam, pannasam joyanaim vikkhambhenam, sairegaim solasa joyanaim uddham uchchattenam anegakhambhasaya-sannivittha java achchharagavanasamghasamvikinna divvatudiyasaddasampanaiya achchha java padiruva. Tesi nam muhamamdavanam tidisim tao dara pannatta, tam jaha–puratthimenam dahinenam uttarenam. Te nam dara solasa joyanaim uddham uchchattenam attha joyanaim vikkhambhenam, tavatiyam cheva pavesenam, seya varakanagathubhiyaga java vanamalao. Tesi nam muhamamdavanam bhumibhaga ulloya. Tesi nam muhamamdavanam uvarim atthattha mamgalaga jhaya chhattaichchhatta. Tesi nam muhamamdavanam purato patteyam-patteyam pechchhagharamamdave pannatte. Muhamamdavavattavvaya java dara. Tesi nam pechchhagharamamdavanam bhumibhaga ulloya. Tesi nam bahusamaramanijjanam bhumibhaganam bahumajjhadesabhae patteyam-patteyam vairamae akkhadae pannatte. Tesi nam vairamayanam akkhadaganam bahumajjhadesabhage patteyam-patteyam manipedhiya pannatta. Tao nam manipedhiyao attha joyanaim ayamavikkhambhenam chattari joyanaim bahallenam, savvamanimaio achchhao java padiruvao. Tasi nam manipedhiyanam uvarim patteyam-patteyam sihasane pannatte. Sihasanavannao saparivaro. Tesi nam pechchhagharamamdavanam uvarim atthattha mamgalaga jhaya chhattatichhatta. Tesi nam pechchhagharamamdavanam purao patteyam patteyam manipedhiyao pannattao. Tao nam manipedhiyato solasa joyanaim ayamavikkhambhenam, attha joyanaim bahallenam, savvamanimaio achchhao java padiruvao. Tasi nam manipedhiyanam uvarim patteyam-patteyam cheiyathubhe pannatte. Te nam cheiyathubha solasa joyanaim ayamavikkhambhenam, sairegaim solasa joyanaim uddham uchchattenam, seya samkhamka kumda dagaraya amaya mahiya phenapumjasannigasa savvarayanamaya achchha java padiruva. Tesi nam cheiyathubhanam uvarim atthattha mamgalaga jhaya chhattatichhatta java sahassapattahatthaya. Tesi nam cheiyathubhanam patteyam-patteyam chauddisim manipedhiyao pannattao. Tao nam mani-pedhiyao attha joyanaim ayamavikkhambhenam, chattari joyanaim bahallenam, savvamanimaio achchhao java padiruvao. Tasi nam manipedhiyanam uvarim chattari jinapadimato jinussehapamanamettao paliyamka-nisannao thubhabhimuhio sannikhittao chitthamti, tam jaha–usabha vaddhamana chamdanana varisena. Tesi nam cheiyathubhanam purao patteyam-patteyam manipedhiyao pannattao. Tao nam manipedhiyao solasa joyanaim ayamavikkhambhenam, attha joyanaim bahallenam, savvamanimaio achchhao java padiruvao. Tasi nam manipedhiyanam uvarim patteyam-patteyam cheiyarukkhe pannatte. Te nam cheiyarukkha attha joyanaim uddham uchchattenam, addhajoyanam uvvehenam, do joyanaim khamdho, addhajoyanam vikkhambhenam chha joyanaim vidima bahumajjhadesabhae attha joyanaim ayama-vikkhambhenam, sairegaim attha joyanaim savvaggenam pannatta. Tesi nam cheiyarukkhanam imeyaruve vannavase pannatte, tam jaha–vairamayamularayayasupaitthiya-vidima ritthamaya viulakamda veruliya ruilakhamdha sujayavarajayaruvapadhamagavisalasala nanamani-mayarayanavivihasahappasaha-veruliyapatta-tavanijjapatta-bimta jambunaya ratta mauya sukumala pavala pallava varamkuradhara vichittamanirayanasurabhi kusuma phala bhara namiyasala sachchhaya sappabha sassiriya saujjoya ahiyam nayanamananivvuikara amayarasasamarasaphala pasadiya darisanijja abhiruva padiruva. Tesi nam cheiyarukkhanam uvarim atthattha mamgalaga jhaya chhattaichhatta. Tesi nam cheiyarukkhanam purao patteyam-patteyam manipedhiya pannatta. Tao nam manipedhiyao attha joyanaim ayama-vikkhambhenam, chattari joyanaim bahallenam, savvamanimaio achchhao java padiruvao. Tasi nam manipedhiyanam uvarim patteyam-patteyam mahimdajjhae pannatte. Te nam mahimdajjhaya satthim joyanaim uddham uchchattenam, addhakosam uvvehenam, addhakosam vikkhambhenam vairamayavatta lattha samthiya susilittha parighattha mattha supatitthiya visittha anegavarapamchavannakudabhisahassaparimamdiyabhirama vauddhuyavijaya vejayamti padagachchhattatichchhattakaliya tumga gaganatalamanulihamtasihara pasadiya darisanijja abhiruva padiruva. Tesi nam mahimdajjhayanam uvarim atthattha mamgalaga jhaya chhattatichhatta. Tesi nam mahimdajjhayanam purato patteyam-patteyam namda pukkharini pannatta. Tao nam pukkharinio egam joyanasayam ayamenam, pannasam joyanaim vikkhambhenam, dasa joyanaim uvvehenam, achchhao java pagaie udagarasenam pannattao pasadiyao darisanijjao abhiruvao padiruvao. Patteyam-patteyam paumavaraveiyaparikkhittao, patteyam-patteyam vanasamdaparikkhittao. Tasi nam namdanam pukkharininam tidisim tisovanapadiruvaga pannatta. Tisovanapadiruvaganam vannao torana jhaya chhattatichhatta. Sabhae nam suhammae adayalisam manoguliyasahassio pannattao, tam jaha–puratthimenam solasasahassio, pachchatthimenam solasasahassio, dahinenam atthasahassio, uttarenam attha-sahassio. Tasu nam manoguliyasu bahave suvannaruppamaya phalaga pannatta. Tesu nam suvannaruppamaesu phalagesu bahave vairamaya nagadamtaya pannatta. Tesu nam vairamaesu nagadamtaesu kinhasuttabaddha vagghariyamalladamakalava chitthamti. Sabhae nam suhammae adayalisam gomanasiyasahassio pannattao, tam jaha–puratthimenam solasasahassio, pachchatthimenam solasasahassio, dahinenam atthasahassio, uttarenam attha-sahassio. Tasu nam gomanasiyasu bahave suvannaruppamaya phalaga pannatta. Tesu nam suvanna-ruppamaesu phalagesu bahave vairamaya nagadamtaya pannatta. Tesu nam vairamaesu nagadamtaesu bahave rayayamaya sikkaga pannatta. Tesu nam rayayamaesu sikkagesu bahave veruliyamaio dhuvaghadiyao pannattao. Tao nam dhuvaghadiyao kalagaru pavara kumdurukka turukka dhuvamaghamaghemtagamdhuddhuyabhiramao sugamdhavaragamdhiyao gamdhavattibhuyao oralenam manunnenam manaharenam ghanamananivvutikarenam gamdhenam te padese savvao samamta apuremana-apuremana sirie ativa-ativa uvasobhemana-uvasobhemana chitthamti. Sabhae nam suhammae amto bahusamaramanijje bhumibhage pannatte java manihim uvasobhie maniphaso ya ulloo ya Tassa nam bahusamaramanijjassa bhumibhagassa bahumajjhadesabhae, ettha nam mahega manipedhiya pannatta–solasa joyanaim ayamavikkhambhenam, attha joyanaim bahallenam, savvamanimai achchha java padiruva. Tise nam manipedhiyae uvarim, ettha nam manavae cheiyakhambhe pannatte–satthim joyanaim uddham uchchattenam, joyanam uvvehenam joyanam vikkhambhenam, adayalisaamsie adayalisaikodie adayalisaiviggahie sesam jaha mahimdajjhayassa. Manavagassa nam cheiyakhambhassa uvarim barasa joyanaim ogahetta, hetthavi barasa joyanaim vajjetta, majjhe chhattisae joyanesu, ettha nam bahave suvannaruppamaya phalaga pannatta. Tesu nam suvannaruppamaesu phalaesu bahave vairamaya nagadamta pannatta. Tesu nam vairamaesu nagadamtesu bahave rayayamaya sikkaga pannatta. Tesu nam rayayamaesu sikkaesu bahave vairamaya golavattasamuggaya pannatta. Tesu nam vayaramaesu golavattasamuggaesu bahuyao jina-sakahao samnikhittao chitthamti. Tao nam suriyabhassa devassa annesim cha bahunam devana ya devina ya achchanijjao vamdanijjao puyanijjao mananijjao sakkaranijjao kallanam mamgalam devayam cheiyam pajjuvasanijjao. Manavagassa cheiyakhambhassa uvarim atthattha mamgalaga jhaya chhattaichchhatta. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Usa pradhana prasada ke ishana kona mem sau yojana lambi, pachasa yojana chauri aura bahattara yojana umchi sudharma namaka sabha hai. Yaha sabha aneka saikarom khambhom para sannivishta yavat apsaraom se vyapta ativa manohara haim. Isa sudharma sabha ki tina dishaom mem tina dvara haim. Purva disha mem, dakshina disha mem aura uttara disha mem. Ye dvara umchai mem solaha yojana umche, atha yojana chaure aura utane hi pravesha marga vale haim. Ve dvara shveta varna ke haim. Shreshtha svarna se nirmita shikharom evam vanamalaom se alamkrita haim, adi varnana purvavat. Una dvarom ke age samane eka – eka mukhamamdapa hai. Ye mamdapa nau yojana lambe, pachasa yojana chaure aura umchai mem kuchha adhika solaha yojana umche haim. Sudharma sabha ke samana inaka shesha varnana karana. Ina mamdapom ki tina dishaom mem tina dvara haim, yatha – eka purva mem, eka dakshina mem aura eka uttara mem. Ye dvara umchai mem solaha yojana umche haim, atha yojana chaure aura utane hi praveshamarga vale haim. Ye dvara shveta dhavalavarna aura shreshtha svarna se bani shikharom, vanamalaom se alamkrita haim, paryanta ka varnana purvavat. Una mukhamamdapom mem se pratyeka ke age prekshagrihamamdapa bane haim. Ina mamdapom ke dvara, bhumibhaga, chamdani adi ka varnana mukhamamdapom ki vaktavyata ke samana janana. Una prekshagriha mamdapom ke ativa ramaniya samachaurasa bhumibhaga ke madhyatimadhya desha mem eka – eka vajraratnamaya akshapataka – mamcha kaha gaya hai. Una vajraratnamaya akshapatakom ke bhi bichom – bicha atha yojana lambi – chauri, chara yojana moti aura vividha prakara ke maniratnom se nirmita nirmala yavat pratirupa eka – eka manipithikaem bani hui haim. Una manipithikaom ke upara eka – eka simhasana rakha hai. Bhadrasanom adi asanom rupi parivara sahita una simhasanom ka varnana karana. Una prekshagriha mamdapom upara atha – atha mamgala, dhvajaem, chhatratichhatra sushobhita ho rahe haim Una prekshagriha mamdapom ke age eka – eka manipithika hai. Ye manipithikaem solaha – solaha yojana lambi – chauri atha yojana moti hai. Ye sabhi sarvatmana maniratnamaya, sphatika mani ke samana nirmala aura pratirupa haim. Una pratyeka manipithom ke upara solaha – solaha yojana lambe – chaure samachaurasa aura umchai mem kuchha adhika solaha yojana umche, shamkha, amkaratna, yavat sarvatmana ratnom se bane hue svachchha yavat asadharana ramaniya stupa bane haim. Una stupom ke upara atha – atha mamgala, dhvajaem chhatratichhatra yavat sahasrapatra kamalom ke jhumake sushobhita ho rahe haim. Una stupom ki charom dishaom mem eka – eka manipithika hai. Ye atha yojana lambi – chauri, chara yojana moti aura aneka prakarake maniratnom se nirmita, nirmala yavat pratirupa haim. Pratyeka manipithika upara, jinaka mukha stupom ke samane hai aisi jinotsedha pramana chara jina – pratimaem paryamkasanase birajamana haim – rishabha, vardhamana, chandranana, varishena ki Una pratyeka stupom ke age – samane manimayi pithikayem bani hui haim. Ye manipithikaem solaha yojana lambi – chauri, atha yojana moti aura sarvatmana maniratnom se nirmita, nirmala yavat ativa manohara haim. Una manipithikaom ke upara eka – eka chaityavriksha hai. Ye sabhi chaityavriksha umchai mem atha yojana umche, jamina ke bhitara adhe yojana gahare haim. Inaka skandha bhaga do yojana ka aura adha yojana chaura hai. Skandha se nikalakara upara ki ora phaili hui shakhaem chha yojana umchi aura lambai – chaurai mem atha yojana hai. Kula milakara inaka sarvaparimana kuchha adhika atha yojana hai. Ina vrikshom ke mula vajraratnom ke haim, vidimaem rajata ki, kamda rishtaratnom ke, manorama skandha vaiduryamani ke, mulabhuta prathama vishala shakhaem shobhanika shreshtha svarna ki, vividha shakha – prashakhaem nana prakara ke mani – ratnom ki, patte vaiduryaratna ke, pattom ke vrinta svarna ke, arunamridu – sukomala – shreshtha pravala, pallava evam amkura jambunada (svarna vishesha) ke haim aura vichitra maniratnom evam surabhigamdha – yukta pushpa – phalom ke bhara se namita shakhaom evam amrita ke samana madhurarasa yukta phalavale ye vriksha sumdara manorama chhaya, prabha, kamti, shobha, udyota se sampanna nayana – mana ko shamtidayaka evam prasadika haim. Una chaityavrikshom ke upara atha – atha mamgala, dhvajaem aura chhatratichhatra sushobhita ho rahe haim. Una pratyeka chaityavrikshom ke age eka – eka manipithika hai. Ye manipithikaem atha yojana lambi – chauri, chara yojana moti, sarvatmana manimaya nirmala yavat pratirupa haim. Una manipithikaom ke upara eka – eka mahendradhvaja phahara raha hai. Ye mahendradhvaja satha yojana umche, adha kosa jamina ke bhitara umde, adha kosa chaure, vajraratnom se nirmita, diptimana, chikane, kamaniya, manojnya vartulakara shesha dhvajaom se vishishta, anyanya hajarom chhoti – bari aneka prakara ki manorama ramga – biramgi patakaom se parimamdita, vayuvega se phaharati hui vijaya – vaijayanti pataka, chhatratichhatra se yukta akashamamdala ko sparsha karane vale aise umche uparibhagom se alamkrita, mana ko prasanna karane vale haim. Ina mahendra – dhvajom ke upara atha – atha mamgala, dhvajaem aura chhatratichhatra sushobhita ho rahe haim. Una mahendradhvajom ke age eka – eka nanda namaka pushkarini bani hui hai. Sau yojana lambi, pachasa yojana chauri, dasa yojana umdi hai aura svachchhanirmala hai adi varnana purvavat. Inamem se kitaneka ka pani svabhavika pani jaisa madhura rasa vala hai. Ye pratyeka nanda pushkariniyam eka – eka padmavara – vedika aura vanakhandom se ghiri hui hai. Ina nanda pushkariniyom ki tina dishaom mem ativa manohara trisopana – pamktiyam haim. Ina ke upara torana, dhvajaem, chhatrati – chhatra sushobhita haim adi varnana purvavat. Sudharmasabha mem aratalisa hajara manogulikaem haim, ve isa prakara haim – purva – pashchima mem solaha – solaha hajara aura dakshina – uttara mem atha – atha hajara. Una manogulikaom ke upara aneka svarna evam rajatamaya phalaka aura una svarna rajatamaya patiyom para aneka vajraratnamaya nagadamta lage haim. Una vajramaya nagadamtom para kale suta se bani hui gola lambi – lambi malaem lataka rahi haim. Sudharma sabha mem aratalisa hajara gomanasikaem rakhi hui haim. Naganandom paryanta inaka varnana manogulikaom ke samana samajhana. Una nagadamtom ke upara bahuta se rajatamaya shimke latake haim. Una rajatamaya shimkom mem bahuta – se vaidurya ratnom se bani hui dhupaghatikaem rakhi haim. Ve dhupaghatikaem kale agara, shreshtha kundurushka adi ki sugamdha se mana ko mohita kara rahi haim. Usa sudharma sabha ke bhitara atyanta ramaniya sama bhubhaga hai. Vaha bhumibhaga yavat maniyom se upashobhita he adi maniyom ke sparsha evam chamdava paryanta ka saba varnana purvavat. Una ati sama ramaniya bhumibhaga ke ati madhyadesha mem eka vishala manipithika bani hui hai. Jo ayama – vishkambha ki apeksha solaha yojana lambi – chauri aura atha yojana moti tatha sarvatmana ratnom se bani hui yavat pratirupa haim. Una manipithika ke upara eka manavaka namaka chaityastambha hai. Vaha umchai mem satha yojana umcha, eka yojana jamina ke amdara gahara, eka yojana chaura aura aratalisa konom, aratalisa dharom aura aratalisa ayamomvala hai. Shesha varnana mahendradhvaja jaisa janana. Usa manavaka chaityastambha ke upari bhaga mem baraha yojana aura niche baraha yojana chhorakara madhya ke shesha chhattisa yojana pramana bhaga mem aneka svarna aura rajatamaya phalaka lage hue haim. Una svarna – rajatamaya phalakom para aneka vajramaya nagadamta haim. Una vajramaya nagadamtom para bahuta se rajatamaya simke lataka rahe haim. Una rajatamaya simkom mem vajramaya gola gola samudgaka rakhe haim. Una gola – gola vajraratnamaya samud – gakommem bahuta – si jina – asthiyam surakshita rakhi hui haim. Ve asthiyam suryabhadeva evam anya deva – deviyom ke lie archaniya yavat paryupasaniya haim. Usa manavaka chaitya ke upara atha atha mamgala, dhvajaem aura chhatratichhatra sushobhita ho rahe haim. |