Sutra Navigation: Auppatik ( औपपातिक उपांग सूत्र )

Search Details

Mool File Details

Anuvad File Details

Sr No : 1005619
Scripture Name( English ): Auppatik Translated Scripture Name : औपपातिक उपांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

समवसरण वर्णन

Translated Chapter :

समवसरण वर्णन

Section : Translated Section :
Sutra Number : 19 Category : Upang-01
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] से किं तं बाहिरए? बाहिरए छव्विहे, तं जहा–अनसने ओमोयरिया भिक्खायरिया रसपरिच्चाए कायकिलेसे पडिसंलीनया। से किं तं अनसने? अनसने दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–इत्तरिए य आवकहिए य। से किं तं इत्तरिए? इत्तरिए अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–चउत्थभत्ते, छट्ठभत्ते, अट्ठमभत्ते, दसमभत्ते, बारसभत्ते, चउद्दसभत्ते, सोलसभत्ते, अद्धमासिए भत्ते मासिए भत्ते, दोमासिए भत्ते, तेमासिए भत्ते, चउमासिए भत्ते, पंचमासिए भत्ते, छम्मासिएभत्ते। से तं इत्तरिए। से किं तं आवकहिए? आवकहिए दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–पाओवगमणे य भत्तपच्चक्खाणे य। से किं तं पाओवगमणे? पाओवगमणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–वाघाइमे य निव्वाघाइमे य। नियमा अप्पडिकम्मे। से तं पाओवगमणे। से किं तं भत्तपच्चक्खाणे? भत्तपच्चक्खाणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–वाघाइमे य निव्वाघाइमे य। नियमा सपडिकम्मे। से तं भत्तपच्चक्खाणे। से तं आवकहिए? । से तं अनसने। से किं तं ओमोदरियाओ? ओमोदरियाओ दुविहा पन्नत्ताओ, तं जहा–दव्वोमोदरिया य भावोमोदरिया य। से किं तं दव्वोमोदरिया? दव्वोमोदरिया दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–उवगरणदव्वोमोदरिया य भत्तपाणोदव्वोमोदरिया य। से किं तं उवगरणदव्वोमोदरिया? उवगरणदव्वोमोदरिया तिविहा पन्नत्ता, तं जहा–एगे वत्थे, एगे पाए, चियत्तोवकरणसाइज्जणया। से तं उवगरणदव्वोमोदरिया। से किं तं भत्तपानदव्वोमोदरिया? भत्तपानदव्वोमोदरिया अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–अट्ठ कुक्कुडअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे अप्पाहारे, दुवालस कुक्कुडअंगप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे अवड्ढोमोदरिए, सोलस कुक्कुडअंडगप्पमाण-मेत्ते कवले आहारमा-हारेमाणे दुभागपत्तोमोदरिए, चउवीसं कुक्कुडअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे पत्तोमो-दरिए, एक्कतीसं कुक्कुडअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे किंचूनोमोदरिए, बत्तीसं कुक्कुडअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे पमाणपत्ते, एत्तो एगेण वि घासेणं ऊणयं आहारमाहारेमाणे समणे निग्गंथे नो पकामरसभोइ त्ति वत्तव्वं सिया। से तं भत्तपाणदव्वोमोदरिया। से तं दव्वोमोदरिया। से किं तं भावोमोदरिया? भावोमोदरिया अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–अप्पकोहे, अप्पमाने, अप्पमाए, अप्पलोहे, अप्पसद्दे, अप्पझंझे। से तं भावोमोदरिया। से तं ओमोदरिया। से किं तं भिक्खायरिया? भिक्खायरिया अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–दव्वाभिग्गहचरए खेत्ताभिग्गहचरए कालाभिग्गहचरए भावाभिग्गहचरए उक्खित्तचरए निक्खित्तचरए उक्खित्त-निक्खित्तचरए निक्खित्तउक्खित्तचरए वट्टिज्जमाणचरए साहरिज्जमाणचरए उवनीयचरए अवनीय-चरए उवनीयअवनीयचरए अवनीयउवनीयचरए संसट्ठचरए असंसट्ठचरए तज्जायसंसट्ठचरए अन्नाय-चरए मोनचरए दिट्ठलाभिए अदिट्ठलाभिए पुट्ठलाभिए अपुट्ठलाभिए भिक्खलाभिए अभिक्खलाभिए अन्नगिलायए ओवनिहिए परिमियपिंडवाइए सुद्धेसणिए संखादत्तिए। से तं भिक्खायरिया। से किं तं रसपरिच्चाए? रसपरिच्चाए अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा– निव्विइए, पणीयरस-परिच्चाए, आयंबिलए, आयामसित्थभोई, अरसाहारे विरसाहारे, अंताहारे, पंताहारे, लूहाहारे। से तं रसपरिच्चाए। से किं तं कायकिलेसे? कायकिलेसे अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–ठाणट्ठिइए उक्कुडुयासणिए पडिमट्ठाई वीरासणिए नेसज्जिए आयावए अवाउडए अकंडुयए अणिट्ठुहए सव्वगायपरिकम्म विभूसविप्पमुक्के। से तं कायकिलेसे। से किं तं पडिसंलीनया? पडिसंलीनया चउव्विहा पन्नत्ता, तं जहा– इंदियपडिसंलीनया कसायपडिसंलीनया जोगपडिसंलीनया विवित्तसयनासनसेवणया। से किं तं इंदियपडिसंलीनया? इंदियपडिसंलीनया पंचविहा पन्नत्ता, तं जहा–सोइंदिय-विसयप्पयारनिरोहो वा सोइंदियविसयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा, चक्खिंदियविसयप्पयार निरोहो वा चक्खिंदियविसयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा, घाणिंदियविसयप्पयारनिरोहो वा घाणिंदियविसयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा, जिब्भिंदियविसयप्पयारनिरोहो वा जिब्भिंदिय-विसयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा, फासिंदियविसयप्पयारनिरोहो वा फासिंदियविसयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा। से तं इंदियपडिसंलीनया। से किं तं कसायपडिसंलीनया? कसायपडिसंलीनया चउव्विहा पन्नत्ता, तं जहा–कोहस्सुदय-निरोहो वा उदयपत्तस्स वा कोहस्स विफलीकरणं, मानस्सुदयनिरोहो वा उदयपत्तस्स वा मानस्स विफलीकरणं, मायाउदयनिरोहो वा उदयपत्ताए वा मायाए विफलीकरणं, लोहस्सुदयनिरोहो वा उदयपत्तस्स वा लोहस्स विफलीकरणं। से तं कसायपडिसंलीनया। से किं तं जोगपडिसंलीनया? जोगपडिसंलीनया तिविहा पन्नत्ता, तं जहा–मनजोग-पडिसंलीनया वइजोगपडिसंलीनया कायजोगपडिसंलीनया। से किं तं मनजोगपडिसंलीनया? मनजोगपडिसंलीनया–अकुसलमननिरोहो वा, कुसल-मनउदीरणं वा। से तं मनजोगपडिसंलीनया। से किं तं वइजोगपडिसंलीनया? वइजोगपडिसंलीनया–अकुसलवइनिरोहो वा, कुसल-वइउदीरणं वा। से तं वइजोगपडिसंलीनया। से किं तं कायजोगपडिसंलीनया? कायजोगपडिसंलीनया–जण्णं सुसमाहियपाणिपाए कुम्मो इव गुत्तिंदिए सव्वगायपडिसंलीने चिट्ठइ। से तं कायजोगपडिसंलीनया। से तं जोगपडिसंलीनया। से किं तं विवित्तसयनासनसेवणया? विवित्तसयनासनसेवणया–जण्णं आरामेसु उज्जाणेसु देवकुलेसु सहासु पवासु पणियगिहेसु पणियसालासु इत्थी पसु पंडगसंसत्तविरहियासु वसहीसु फासुएसणिज्जं पीढफलगसेज्जासंथारगं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ। से तं विवित्तसयनासनसेवणया से तं पडिसंलीनया। से तं बाहिरए तवे।
Sutra Meaning : बाह्य तप क्या है ? बाह्य तप छह प्रकार के हैं – अनशन, अवमोदरिका, भिक्षाचर्या, रस – परित्याग, काय – क्लेश और प्रतिसंलीनता। अनशन क्या है ? अनशन दो प्रकार का है – १. इत्वरिक एवं २. यावत्कथिक। इत्वरिक क्या है ? इत्वरिक अनेक प्रकार का बतलाया गया है, जैसे – चतुर्थ भक्त, षष्ठ भक्त, अष्टम भक्त, दशम भक्त – चार दिन के उपवास, द्वादश भक्त – पाँच दिन के उपवास, चतुर्दश भक्त – छह दिन के उपवास, षोडश भक्त, अर्द्धमासिक भक्त, मासिक भक्त, द्वैमासिक भक्त, त्रैमासिक भक्त, चातुर्मासिक भक्त, पाञ्चमासिक भक्त, षाण्मासिक भक्त। यह इत्वरिक तप का विस्तार है। यावत्कथिक क्या है ? यावत्कथिक के दो प्रकार हैं – पादपोपगमन और भक्तपानप्रत्याख्यान। पादपोप – गमन क्या है ? पादपोपगमन के दो भेद हैं – १. व्याघातिम और २. निर्व्याघातिम। इस में प्रतिकर्म, हलन – चलन आदि क्रिया – प्रकिया का त्याग रहता है। इस प्रकार पादोपगमन यावत्कथिक अनशन होता है। भक्तप्रत्याख्यान क्या है ? भक्तप्रत्याख्यान के दो भेद बतलाए गए हैं – १. व्याघातिम, २. निर्व्याघातिम। भक्तप्रत्याख्यान अनशन में प्रतिकर्म नियमतः होता है। यह भक्त प्रत्याख्यान अनशन का विवेचन है। अवमोदरिका क्या है ? अवमोदरिका के दो भेद बतलाए गए हैं – द्रव्य – अवमोदरिका और भाव अवमोदरिका – द्रव्य – अवमोदरिका क्या है ? दो भेद बतलाए हैं – १. उपकरण – द्रव्य – अवमोदरिका, २. भक्तपान – अवमोदरिका – उपकरण – द्रव्य – अवमोदरिका क्या है ? तीन भेद बतलाए हैं – १. एक पात्र रखना, २. एक वस्त्र रखना, ३. एक मनोनुकूल निर्दोष उपकरण रखना। यह उपकरण – द्रव्य – अवमोदरिका। भक्तपान – द्रव्य – अवमोदरिका क्या है ? अनेक भेद बतलाये हैं, मुर्गी के अंड़े के परिमाण के केवल आठ ग्रास भोजन करना अल्पाहार – अवमोदरिका है। मुर्गी के अंड़े के परिमाण से १२ ग्रास भोजन करना अपार्ध अवमोदरिका है। मुर्गी के अंड़े के परिमाण के सोलह ग्रास भोजन करना अर्थ अवमोदरिका है। मुर्गी के अंड़े के परिमाण के चौबीस ग्रास भोजन करना – चौथाई अव – मोदरिका है। मुर्गी के अंड़े के परिमाण के इकत्तीस ग्रास भोजन करना किञ्चत्‌ न्यून – अवमोदरिका है। मुर्गी के अंड़े के परिमाण के बत्तीस ग्रास भोजन करने वाला प्रमाणप्राप्त है। भाव – अवमोदरिका क्या है ? अनेक प्रकार की है, जैसे – क्रोध, मान, माया और लोभ का त्याग, अल्पशब्द, अल्पझंझ – यह भावमोदरिका है। भिक्षाचर्या क्या है ? अनेक प्रकार की है – १. द्रव्याभिग्रहचर्या, २. क्षेत्राभिग्रहचर्या, ३. कालाभिग्रहचर्या, ४. भावाभिग्रहचर्या, ५. उत्क्षिप्तचर्या, ६. निक्षिप्तचर्या, ७. उक्षिप्त – निक्षिप्त – चर्या, ८. निक्षिप्त – उक्षिप्त – चर्या, ९. वर्तिष्यमाणचर्या, १०. संह्रियमाणचर्या, ११. उपनीतचर्या, १२. अपनीतचर्या, १३. उपनीतापनीतचर्या, १४. अज्ञातचर्या, १९. मौनचर्या, २०. दृष्ट – लाभ, २१. अदृष्ट – लाभ, २२. पृष्ट – लाभ, २३. अपृष्टलाभ, २४. भिक्षालाभ, २५. अभक्षालाभ, २६. अन्नग्लायक, २७. उपनिहित, २८. परिमितपिण्डपातिक, २९. शुद्धैषणिक, ३०. संख्या – दत्तिक – यह भिक्षाचर्या का विस्तार है। रसपरित्याग क्या है ? अनेक प्रकार का है, जैसे – १. निर्विकृतिक, २. प्रणीत रसपरित्याग, ३. आयंबिल, ४. आयामसिक्थभोजी, ५. अरसाहार, ६. विरसाहार, ७. अन्ताहार, ८. प्रान्ताहार, ९. रूक्षाहार – यह रस – परित्याग का विश्लेषण है। काय – क्लेश क्या है ? अनेक प्रकार का है, जैसे – १. स्थानस्थितिक, २. उत्कुटुकासनिक, ३. प्रतिमास्थायी, ४. वीरासनिक, ५. नैषद्यिक, ६. आतापक, ७. अप्रावृतक, ८. अकण्डूयक, ९. अनिष्ठीवक, १०. सर्वगात्र – परिकर्म विभूषा – विप्रमुक्त – यह कायक्लेश का विस्तार है। भगवान महावीर के श्रमण उक्त रूप में कायक्लेश तप का अनुष्ठान करते थे। प्रतिसंलीनता क्या है ? चार प्रकार की है – १. इन्द्रिय – प्रतिसंलीनता, २. कषायप्रतिसंलीनता, ३. योग प्रति – संलीनता, ४. विविक्त – शयनासन – सेवनता – इन्द्रिय प्रतिसंलीनता क्या है ? पाँच प्रकार की है – १. श्रोत्रेन्द्रिय – विषय – प्रचार – निरोध, २. चक्षुरिन्द्रिय – विषय – प्रचार – निरोध, ३. घ्राणेन्द्रिय – विषय – प्रचार – निरोध, ४. जिह्वेन्द्रिय – विषय – प्रचार – निरोध, ५. स्पर्शेन्द्रिय – विषय – प्रचार – निरोध। यह इन्द्रिय – प्रतिसंलीनता का विवेचन है। कषाय – प्रतिसंलीनता क्या है ? चार प्रकार की है – १. क्रोध के उदय का निरोध, २. मान के उदय का निरोध, ३. माया के उदय का निरोध, ४. लोभ के उदय का निरोध – यह कषाय – प्रतिसंलीनता का विवेचन है। योग – प्रतिसंलीनता क्या है ? तीन प्रकार की है – १. मनोयोग – प्रतिसंलीनता, २. वाग्योग – प्रतिसंलीनता तथा ३. काययोग – प्रतिसंलीनता। मनोयोग – प्रतिसंलीनता क्या है ? अकुशल – मन का निरोध, अथवा कुशल मन का प्रवर्तन करना, वाग्योग – प्रतिसंलीनता क्या है ? अकुशल वचन का निरोध और कुशल वचन का अभ्यास करना वाग्योग – प्रतिसंलीनता है। काययोग – प्रतिसंलीनता क्या है ? हाथ, पैर आदि सुसमाहित कर, कछूए के सदृश अपनी इन्द्रियों को गुप्त कर, सारे शरीर को संवृत कर – सुस्थिर होना काययोग – प्रतिसंलीनता है। यह योग – प्रतिसंलीनता का विवेचन है। विविक्त – शय्यासन – सेवनता क्या है ? आराम, पुष्पवाटिका, उद्यान, देवकुल, छतरियाँ, सभा, प्रपा, पणित – गृह – गोदाम, पणितशाला, ऐसे स्थानों में, जो स्त्री, पशु तथा नपुंसक के संसर्ग से रहित हो, प्रासुक, अचित्त, एषणीय, निर्दोष पीठ, फलक, शय्या, आस्तरण प्राप्त कर विहरण करना विविक्त – शय्यासन – सेवनता है। यह प्रति – संलीनता का विवेचन है, जिसके साथ बाह्य तप का वर्णन सम्पन्न होता है। श्रमण भगवान महावीर के अन्तेवासी अनगार उपर्युक्त विविध प्रकार के बाह्य तप के अनुष्ठाता थे।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] se kim tam bahirae? Bahirae chhavvihe, tam jaha–anasane omoyariya bhikkhayariya rasaparichchae kayakilese padisamlinaya. Se kim tam anasane? Anasane duvihe pannatte, tam jaha–ittarie ya avakahie ya. Se kim tam ittarie? Ittarie anegavihe pannatte, tam jaha–chautthabhatte, chhatthabhatte, atthamabhatte, dasamabhatte, barasabhatte, chauddasabhatte, solasabhatte, addhamasie bhatte masie bhatte, domasie bhatte, temasie bhatte, chaumasie bhatte, pamchamasie bhatte, chhammasiebhatte. Se tam ittarie. Se kim tam avakahie? Avakahie duvihe pannatte, tam jaha–paovagamane ya bhattapachchakkhane ya. Se kim tam paovagamane? Paovagamane duvihe pannatte, tam jaha–vaghaime ya nivvaghaime ya. Niyama appadikamme. Se tam paovagamane. Se kim tam bhattapachchakkhane? Bhattapachchakkhane duvihe pannatte, tam jaha–vaghaime ya nivvaghaime ya. Niyama sapadikamme. Se tam bhattapachchakkhane. Se tam avakahie?. Se tam anasane. Se kim tam omodariyao? Omodariyao duviha pannattao, tam jaha–davvomodariya ya bhavomodariya ya. Se kim tam davvomodariya? Davvomodariya duviha pannatta, tam jaha–uvagaranadavvomodariya ya bhattapanodavvomodariya ya. Se kim tam uvagaranadavvomodariya? Uvagaranadavvomodariya tiviha pannatta, tam jaha–ege vatthe, ege pae, chiyattovakaranasaijjanaya. Se tam uvagaranadavvomodariya. Se kim tam bhattapanadavvomodariya? Bhattapanadavvomodariya anegaviha pannatta, tam jaha–attha kukkudaamdagappamanamette kavale aharamaharemane appahare, duvalasa kukkudaamgappamanamette kavale aharamaharemane avaddhomodarie, solasa kukkudaamdagappamana-mette kavale aharama-haremane dubhagapattomodarie, chauvisam kukkudaamdagappamanamette kavale aharamaharemane pattomo-darie, ekkatisam kukkudaamdagappamanamette kavale aharamaharemane kimchunomodarie, battisam kukkudaamdagappamanamette kavale aharamaharemane pamanapatte, etto egena vi ghasenam unayam aharamaharemane samane niggamthe no pakamarasabhoi tti vattavvam siya. Se tam bhattapanadavvomodariya. Se tam davvomodariya. Se kim tam bhavomodariya? Bhavomodariya anegaviha pannatta, tam jaha–appakohe, appamane, appamae, appalohe, appasadde, appajhamjhe. Se tam bhavomodariya. Se tam omodariya. Se kim tam bhikkhayariya? Bhikkhayariya anegaviha pannatta, tam jaha–davvabhiggahacharae khettabhiggahacharae kalabhiggahacharae bhavabhiggahacharae ukkhittacharae nikkhittacharae ukkhitta-nikkhittacharae nikkhittaukkhittacharae vattijjamanacharae saharijjamanacharae uvaniyacharae avaniya-charae uvaniyaavaniyacharae avaniyauvaniyacharae samsatthacharae asamsatthacharae tajjayasamsatthacharae annaya-charae monacharae ditthalabhie aditthalabhie putthalabhie aputthalabhie bhikkhalabhie abhikkhalabhie annagilayae ovanihie parimiyapimdavaie suddhesanie samkhadattie. Se tam bhikkhayariya. Se kim tam rasaparichchae? Rasaparichchae anegavihe pannatte, tam jaha– nivviie, paniyarasa-parichchae, ayambilae, ayamasitthabhoi, arasahare virasahare, amtahare, pamtahare, luhahare. Se tam rasaparichchae. Se kim tam kayakilese? Kayakilese anegavihe pannatte, tam jaha–thanatthiie ukkuduyasanie padimatthai virasanie nesajjie ayavae avaudae akamduyae anitthuhae savvagayaparikamma vibhusavippamukke. Se tam kayakilese. Se kim tam padisamlinaya? Padisamlinaya chauvviha pannatta, tam jaha– imdiyapadisamlinaya kasayapadisamlinaya jogapadisamlinaya vivittasayanasanasevanaya. Se kim tam imdiyapadisamlinaya? Imdiyapadisamlinaya pamchaviha pannatta, tam jaha–soimdiya-visayappayaraniroho va soimdiyavisayapattesu atthesu ragadosaniggaho va, chakkhimdiyavisayappayara niroho va chakkhimdiyavisayapattesu atthesu ragadosaniggaho va, ghanimdiyavisayappayaraniroho va ghanimdiyavisayapattesu atthesu ragadosaniggaho va, jibbhimdiyavisayappayaraniroho va jibbhimdiya-visayapattesu atthesu ragadosaniggaho va, phasimdiyavisayappayaraniroho va phasimdiyavisayapattesu atthesu ragadosaniggaho va. Se tam imdiyapadisamlinaya. Se kim tam kasayapadisamlinaya? Kasayapadisamlinaya chauvviha pannatta, tam jaha–kohassudaya-niroho va udayapattassa va kohassa viphalikaranam, manassudayaniroho va udayapattassa va manassa viphalikaranam, mayaudayaniroho va udayapattae va mayae viphalikaranam, lohassudayaniroho va udayapattassa va lohassa viphalikaranam. Se tam kasayapadisamlinaya. Se kim tam jogapadisamlinaya? Jogapadisamlinaya tiviha pannatta, tam jaha–manajoga-padisamlinaya vaijogapadisamlinaya kayajogapadisamlinaya. Se kim tam manajogapadisamlinaya? Manajogapadisamlinaya–akusalamananiroho va, kusala-manaudiranam va. Se tam manajogapadisamlinaya. Se kim tam vaijogapadisamlinaya? Vaijogapadisamlinaya–akusalavainiroho va, kusala-vaiudiranam va. Se tam vaijogapadisamlinaya. Se kim tam kayajogapadisamlinaya? Kayajogapadisamlinaya–jannam susamahiyapanipae kummo iva guttimdie savvagayapadisamline chitthai. Se tam kayajogapadisamlinaya. Se tam jogapadisamlinaya. Se kim tam vivittasayanasanasevanaya? Vivittasayanasanasevanaya–jannam aramesu ujjanesu devakulesu sahasu pavasu paniyagihesu paniyasalasu itthi pasu pamdagasamsattavirahiyasu vasahisu phasuesanijjam pidhaphalagasejjasamtharagam uvasampajjittanam viharai. Se tam vivittasayanasanasevanaya se tam padisamlinaya. Se tam bahirae tave.
Sutra Meaning Transliteration : Bahya tapa kya hai\? Bahya tapa chhaha prakara ke haim – anashana, avamodarika, bhikshacharya, rasa – parityaga, kaya – klesha aura pratisamlinata. Anashana kya hai\? Anashana do prakara ka hai – 1. Itvarika evam 2. Yavatkathika. Itvarika kya hai\? Itvarika aneka prakara ka batalaya gaya hai, jaise – chaturtha bhakta, shashtha bhakta, ashtama bhakta, dashama bhakta – chara dina ke upavasa, dvadasha bhakta – pamcha dina ke upavasa, chaturdasha bhakta – chhaha dina ke upavasa, shodasha bhakta, arddhamasika bhakta, masika bhakta, dvaimasika bhakta, traimasika bhakta, chaturmasika bhakta, panchamasika bhakta, shanmasika bhakta. Yaha itvarika tapa ka vistara hai. Yavatkathika kya hai\? Yavatkathika ke do prakara haim – padapopagamana aura bhaktapanapratyakhyana. Padapopa – gamana kya hai\? Padapopagamana ke do bheda haim – 1. Vyaghatima aura 2. Nirvyaghatima. Isa mem pratikarma, halana – chalana adi kriya – prakiya ka tyaga rahata hai. Isa prakara padopagamana yavatkathika anashana hota hai. Bhaktapratyakhyana kya hai\? Bhaktapratyakhyana ke do bheda batalae gae haim – 1. Vyaghatima, 2. Nirvyaghatima. Bhaktapratyakhyana anashana mem pratikarma niyamatah hota hai. Yaha bhakta pratyakhyana anashana ka vivechana hai. Avamodarika kya hai\? Avamodarika ke do bheda batalae gae haim – dravya – avamodarika aura bhava avamodarika – dravya – avamodarika kya hai\? Do bheda batalae haim – 1. Upakarana – dravya – avamodarika, 2. Bhaktapana – avamodarika – upakarana – dravya – avamodarika kya hai\? Tina bheda batalae haim – 1. Eka patra rakhana, 2. Eka vastra rakhana, 3. Eka manonukula nirdosha upakarana rakhana. Yaha upakarana – dravya – avamodarika. Bhaktapana – dravya – avamodarika kya hai\? Aneka bheda batalaye haim, murgi ke amre ke parimana ke kevala atha grasa bhojana karana alpahara – avamodarika hai. Murgi ke amre ke parimana se 12 grasa bhojana karana apardha avamodarika hai. Murgi ke amre ke parimana ke solaha grasa bhojana karana artha avamodarika hai. Murgi ke amre ke parimana ke chaubisa grasa bhojana karana – chauthai ava – modarika hai. Murgi ke amre ke parimana ke ikattisa grasa bhojana karana kinchat nyuna – avamodarika hai. Murgi ke amre ke parimana ke battisa grasa bhojana karane vala pramanaprapta hai. Bhava – avamodarika kya hai\? Aneka prakara ki hai, jaise – krodha, mana, maya aura lobha ka tyaga, alpashabda, alpajhamjha – yaha bhavamodarika hai. Bhikshacharya kya hai\? Aneka prakara ki hai – 1. Dravyabhigrahacharya, 2. Kshetrabhigrahacharya, 3. Kalabhigrahacharya, 4. Bhavabhigrahacharya, 5. Utkshiptacharya, 6. Nikshiptacharya, 7. Ukshipta – nikshipta – charya, 8. Nikshipta – ukshipta – charya, 9. Vartishyamanacharya, 10. Samhriyamanacharya, 11. Upanitacharya, 12. Apanitacharya, 13. Upanitapanitacharya, 14. Ajnyatacharya, 19. Maunacharya, 20. Drishta – labha, 21. Adrishta – labha, 22. Prishta – labha, 23. Aprishtalabha, 24. Bhikshalabha, 25. Abhakshalabha, 26. Annaglayaka, 27. Upanihita, 28. Parimitapindapatika, 29. Shuddhaishanika, 30. Samkhya – dattika – yaha bhikshacharya ka vistara hai. Rasaparityaga kya hai\? Aneka prakara ka hai, jaise – 1. Nirvikritika, 2. Pranita rasaparityaga, 3. Ayambila, 4. Ayamasikthabhoji, 5. Arasahara, 6. Virasahara, 7. Antahara, 8. Prantahara, 9. Rukshahara – yaha rasa – parityaga ka vishleshana hai. Kaya – klesha kya hai\? Aneka prakara ka hai, jaise – 1. Sthanasthitika, 2. Utkutukasanika, 3. Pratimasthayi, 4. Virasanika, 5. Naishadyika, 6. Atapaka, 7. Apravritaka, 8. Akanduyaka, 9. Anishthivaka, 10. Sarvagatra – parikarma vibhusha – vipramukta – yaha kayaklesha ka vistara hai. Bhagavana mahavira ke shramana ukta rupa mem kayaklesha tapa ka anushthana karate the. Pratisamlinata kya hai\? Chara prakara ki hai – 1. Indriya – pratisamlinata, 2. Kashayapratisamlinata, 3. Yoga prati – samlinata, 4. Vivikta – shayanasana – sevanata – Indriya pratisamlinata kya hai\? Pamcha prakara ki hai – 1. Shrotrendriya – vishaya – prachara – nirodha, 2. Chakshurindriya – vishaya – prachara – nirodha, 3. Ghranendriya – vishaya – prachara – nirodha, 4. Jihvendriya – vishaya – prachara – nirodha, 5. Sparshendriya – vishaya – prachara – nirodha. Yaha indriya – pratisamlinata ka vivechana hai. Kashaya – pratisamlinata kya hai\? Chara prakara ki hai – 1. Krodha ke udaya ka nirodha, 2. Mana ke udaya ka nirodha, 3. Maya ke udaya ka nirodha, 4. Lobha ke udaya ka nirodha – yaha kashaya – pratisamlinata ka vivechana hai. Yoga – pratisamlinata kya hai\? Tina prakara ki hai – 1. Manoyoga – pratisamlinata, 2. Vagyoga – pratisamlinata tatha 3. Kayayoga – pratisamlinata. Manoyoga – pratisamlinata kya hai\? Akushala – mana ka nirodha, athava kushala mana ka pravartana karana, vagyoga – pratisamlinata kya hai\? Akushala vachana ka nirodha aura kushala vachana ka abhyasa karana vagyoga – pratisamlinata hai. Kayayoga – pratisamlinata kya hai\? Hatha, paira adi susamahita kara, kachhue ke sadrisha apani indriyom ko gupta kara, sare sharira ko samvrita kara – susthira hona kayayoga – pratisamlinata hai. Yaha yoga – pratisamlinata ka vivechana hai. Vivikta – shayyasana – sevanata kya hai\? Arama, pushpavatika, udyana, devakula, chhatariyam, sabha, prapa, panita – griha – godama, panitashala, aise sthanom mem, jo stri, pashu tatha napumsaka ke samsarga se rahita ho, prasuka, achitta, eshaniya, nirdosha pitha, phalaka, shayya, astarana prapta kara viharana karana vivikta – shayyasana – sevanata hai. Yaha prati – samlinata ka vivechana hai, jisake satha bahya tapa ka varnana sampanna hota hai. Shramana bhagavana mahavira ke antevasi anagara uparyukta vividha prakara ke bahya tapa ke anushthata the.