Sutra Navigation: Upasakdashang ( उपासक दशांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005134 | ||
Scripture Name( English ): | Upasakdashang | Translated Scripture Name : | उपासक दशांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-५ चुल्लशतक |
Translated Chapter : |
अध्ययन-५ चुल्लशतक |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 34 | Category : | Ang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स अंगस्स उवासगदसाणं चउत्थस्स अज्झयणस्स अयमट्ठे पन्नत्ते, पंचमस्स णं भंते! अज्झयणस्स के अट्ठे पन्नत्ते? एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं आलभिया नामं नयरी। संखवणे उज्जाणे। जियसत्तू राया। तत्थ णं आलभियाए नयरीए चुल्लसयए नामं गाहावई परिवसइ–अड्ढे जाव बहुजनस्स अपरिभूए। तस्स णं चुल्लसययस्स गाहावइस्स छ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ, छ हिरण्णकोडीओ वड्ढिपउत्ताओ, छ हिरण्णकोडीओ पवित्थरपउत्ताओ, छ व्वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्था। से णं चुल्लसयए गाहावई बहूणं जाव आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे, सयस्स वि य णं कुडुंबस्स मेढी जाव सव्वकज्जवड्ढावए यावि होत्था। तस्स णं चुल्लसययस्स गाहावइस्स बहुला नामं भारिया होत्था–अहीन-पडिपुण्ण-पंचिंदियसरीरा जाव मानुस्सए कामभोए पच्चणुभवमाणी विहरइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव जेणेव आलभिया नयरी जेणेव संखवने उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। परिसा निग्गया। कुणिए राया जहा, तहा जियसत्तू निग्गच्छइ जाव पज्जुवासइ। तए णं से चुल्लसयए गाहावई इमीसे कहाए लद्धट्ठे समाणे–एवं खलु समणे भगवं महावीरे पुव्वाणुपुव्विं चर-माणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इहेव आलभियाए नयरीए बहिया संखवणे उज्जाणे अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तं महप्फलं खलु भो! देवानुप्पिया! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमन-वंदन-नमंसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए? एगस्स वि आरियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए? तं गच्छामि णं देवानुप्पिया! समणं भगवं महावीरं वंदामि णमंसामि सक्कारेमि सम्माणेमि कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामि– एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता ण्हाए कयबलिकम्मे कय-कोउय-मंगल-पायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाइं मंगल्लाइं वत्थाइं पवर परिहिए अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं मनुस्सवग्गुरापरिखित्ते पादविहारचारेणं आलभियं नयरिं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणामेव संखवणे उज्जाणे, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता नच्चासण्णे नाइदूरे सुस्सूसमाणे नमंसमाणे अभिमुहे विनएणं पंजलिउडे पज्जुवासइ। तए णं समणे भगवं महावीरे चुल्लसययस्स गाहावइस्स तीसे य महइमहालियाए परिसाए जाव धम्मं परिकहेइ। परिसा पडिगया, राया य गए। तए णं चुल्लसयए गाहावई समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मं सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठचित्तमाणंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए उट्ठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी– सद्दहामि णं भंते! निग्गंथं पावयणं, पत्तियामि णं भंते! निग्गंथं पावयणं, रोएमि णं भंते! निग्गंथं पावयणं, अब्भुट्ठेमि णं भंते! निग्गंथं पावयणं। एवमेयं भंते! तहमेयं भंते! अवितहमेयं भंते! असंदिद्धमेयं भंते! इच्छियमेयं भंते! पडिच्छियमेयं भंते! इच्छिय-पडिच्छियमेयं भंते! से जहेयं तुब्भे वदह। जहा णं देवानुप्पियाणं अंतिए बहवे राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुंबिय-इब्भ-सेट्ठि-सेनावइ सत्थवाहप्पभिइया मुंडा भवित्ता अगाराओ अनगारियं पव्वइया, नो खलु अहं तहा संचाएमि मुंडे भवित्ता अगाराओ अनगारियं पव्वइत्तए। अहं णं देवानुप्पियाणं अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खा-वइयं–दुवालसविहं सावगधम्मं पडिवज्जिस्सामि। अहासुहं देवानुप्पिया! मा पडिबंधं करेहि। तए णं से चुल्लसयए गाहावई समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए सावयधम्मं पडिवज्जइ। तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नदा कदाइ आलभियाए नयरीए संखवणाओ उज्जाणाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जनवयविहारं विहरइ। तए णं से चुल्लसयए समणोवासए जाए–अभिगयजीवाजीवे जाव समणे निग्गंथे फासु-एसणिज्जेणं असन-पान-खाइम-साइमेणं वत्थ-पडिग्गह-कंबल-पायपुंछणेणं ओसह-भेसज्जेणं पाडिहारिएण य पीढ-फलग-सेज्जा-संथारएणं पडिलाभेमाणे विहरइ। तए णं सा बहुला भारिया समणोवासिया जाया–अभिगयजीवाजीवा जाव समणे निग्गंथे फासु-एसणिज्जेणं असन-पान-खाइम-साइमेणं वत्थ-पडिग्गह-कंबल-पायपुंछणेणं ओसह-भेसज्जेणं पाडिहारिएण य पीढ-फलग-सेज्जा-संथारएणं पडिलाभेमाणी विहरइ। तए णं तस्स चुल्लसययस्स समणोवासगस्स उच्चावएहिं सील-व्वय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेमाणस्स चोद्दस संवच्छराइं वीइक्कंताइं। पन्नरसमस्स संवच्छरस्स अंतरा वट्टमाणस्स अन्नदा कदाइ पुव्वरत्तावरत्तका-लसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मनोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था–एवं खलु अहं आलभियाए नयरीए बहूणं जाव आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे, सयस्स वि य णं कुडुंबस्स मेढी जाव सव्वकज्जवड्ढावए, तं एतेणं वक्खेवेणं अहं नो संचाएमि समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मपन्नत्तिं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए। तए णं से चुल्लसयए समणोवासए जेट्ठपुत्तं मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परिजणं च आपुच्छइ, आपुच्छित्ता सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता आलभियं नयरिं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोसहसालं पमज्जइ, पमज्जित्ता उच्चार-पासवणभूमिं पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता दब्भसंथारयं संथरेइ, संथरेत्ता दब्भसंथारयं दुरुहइ, दुरुहित्ता पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी उम्मुक्कमणिसुवण्णे ववगय-मालावण्णगविलेवणे निक्खित्तसत्थमुसले एगे अबीए दब्भसंथारोवगए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मपन्नत्तिं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ। | ||
Sutra Meaning : | उपोद्घातपूर्वक पाँचवे अध्ययन का आरम्भ। जम्बू ! उस काल – उस समय – आलभिका नगरी थी। शंख – वन उद्यान था। राजा का नाम जितशत्रु था। चुल्लशतक गाथापति था। वह बड़ा समृद्ध एवं प्रभावशाली था। छह करोड़ स्वर्ण – मुद्राएं उसके खजाने में रखी थीं – यावत् उसके छह गोकुल थे। प्रत्येक गोकुल में दस – दस हजार गायें थीं। उसकी पत्नी का नाम बहुला था। भगवान महावीर पधारे। आनन्द की तरह चुल्लशतक ने भी श्रावक – धर्म स्वीकार किया। आगे का घटना – क्रम कामदेव की तरह है। यावत् अंगीकृत धर्म – प्रज्ञप्ति – के अनुरूप उपासना – रत हुआ। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] jai nam bhamte! Samanenam bhagavaya mahavirenam java sampattenam sattamassa amgassa uvasagadasanam chautthassa ajjhayanassa ayamatthe pannatte, pamchamassa nam bhamte! Ajjhayanassa ke atthe pannatte? Evam khalu jambu! Tenam kalenam tenam samaenam alabhiya namam nayari. Samkhavane ujjane. Jiyasattu raya. Tattha nam alabhiyae nayarie chullasayae namam gahavai parivasai–addhe java bahujanassa aparibhue. Tassa nam chullasayayassa gahavaissa chha hirannakodio nihanapauttao, chha hirannakodio vaddhipauttao, chha hirannakodio pavittharapauttao, chha vvaya dasagosahassienam vaenam hottha. Se nam chullasayae gahavai bahunam java apuchchhanijje padipuchchhanijje, sayassa vi ya nam kudumbassa medhi java savvakajjavaddhavae yavi hottha. Tassa nam chullasayayassa gahavaissa bahula namam bhariya hottha–ahina-padipunna-pamchimdiyasarira java manussae kamabhoe pachchanubhavamani viharai. Tenam kalenam tenam samaenam samane bhagavam mahavire java jeneva alabhiya nayari jeneva samkhavane ujjane teneva uvagachchhai, uvagachchhitta ahapadiruvam oggaham oginhitta samjamenam tavasa appanam bhavemane viharai. Parisa niggaya. Kunie raya jaha, taha jiyasattu niggachchhai java pajjuvasai. Tae nam se chullasayae gahavai imise kahae laddhatthe samane–evam khalu samane bhagavam mahavire puvvanupuvvim chara-mane gamanugamam duijjamane ihamagae iha sampatte iha samosadhe iheva alabhiyae nayarie bahiya samkhavane ujjane ahapadiruvam oggaham oginhitta samjamenam tavasa appanam bhavemane viharai. Tam mahapphalam khalu bho! Devanuppiya! Taharuvanam arahamtanam bhagavamtanam namagoyassa vi savanayae, kimamga puna abhigamana-vamdana-namamsana-padipuchchhana-pajjuvasanayae? Egassa vi ariyassa dhammiyassa suvayanassa savanayae, kimamga puna viulassa atthassa gahanayae? Tam gachchhami nam devanuppiya! Samanam bhagavam mahaviram vamdami namamsami sakkaremi sammanemi kallanam mamgalam devayam cheiyam pajjuvasami– Evam sampehei, sampehetta nhae kayabalikamme kaya-kouya-mamgala-payachchhitte suddhappavesaim mamgallaim vatthaim pavara parihie appamahagghabharanalamkiyasarire sayao gihao padinikkhamai, padinikkhamitta sakoremtamalladamenam chhattenam dharijjamanenam manussavagguraparikhitte padaviharacharenam alabhiyam nayarim majjhammajjhenam niggachchhai, niggachchhitta jenameva samkhavane ujjane, jeneva samane bhagavam mahavire teneva uvagachchhai, uvagachchhitta samanam bhagavam mahaviram tikkhutto ayahina-payahinam karei, karetta vamdai namamsai, vamditta namamsitta nachchasanne naidure sussusamane namamsamane abhimuhe vinaenam pamjaliude pajjuvasai. Tae nam samane bhagavam mahavire chullasayayassa gahavaissa tise ya mahaimahaliyae parisae java dhammam parikahei. Parisa padigaya, raya ya gae. Tae nam chullasayae gahavai samanassa bhagavao mahavirassa amtie dhammam sochcha nisamma hatthatutthachittamanamdie piimane paramasomanassie harisavasavisappamanahiyae utthae utthei, utthetta samanam bhagavam mahaviram tikkhutto ayahina-payahinam karei, karetta vamdai namamsai, vamditta namamsitta evam vayasi– saddahami nam bhamte! Niggamtham pavayanam, pattiyami nam bhamte! Niggamtham pavayanam, roemi nam bhamte! Niggamtham pavayanam, abbhutthemi nam bhamte! Niggamtham pavayanam. Evameyam bhamte! Tahameyam bhamte! Avitahameyam bhamte! Asamdiddhameyam bhamte! Ichchhiyameyam bhamte! Padichchhiyameyam bhamte! Ichchhiya-padichchhiyameyam bhamte! Se jaheyam tubbhe vadaha. Jaha nam devanuppiyanam amtie bahave raisara-talavara-madambiya-kodumbiya-ibbha-setthi-senavai satthavahappabhiiya mumda bhavitta agarao anagariyam pavvaiya, no khalu aham taha samchaemi mumde bhavitta agarao anagariyam pavvaittae. Aham nam devanuppiyanam amtie pamchanuvvaiyam sattasikkha-vaiyam–duvalasaviham savagadhammam padivajjissami. Ahasuham devanuppiya! Ma padibamdham karehi. Tae nam se chullasayae gahavai samanassa bhagavao mahavirassa amtie savayadhammam padivajjai. Tae nam samane bhagavam mahavire annada kadai alabhiyae nayarie samkhavanao ujjanao padinikkhamai, padinikkhamitta bahiya janavayaviharam viharai. Tae nam se chullasayae samanovasae jae–abhigayajivajive java samane niggamthe phasu-esanijjenam asana-pana-khaima-saimenam vattha-padiggaha-kambala-payapumchhanenam osaha-bhesajjenam padihariena ya pidha-phalaga-sejja-samtharaenam padilabhemane viharai. Tae nam sa bahula bhariya samanovasiya jaya–abhigayajivajiva java samane niggamthe phasu-esanijjenam asana-pana-khaima-saimenam vattha-padiggaha-kambala-payapumchhanenam osaha-bhesajjenam padihariena ya pidha-phalaga-sejja-samtharaenam padilabhemani viharai. Tae nam tassa chullasayayassa samanovasagassa uchchavaehim sila-vvaya-guna-veramana-pachchakkhana-posahovavasehim appanam bhavemanassa choddasa samvachchharaim viikkamtaim. Pannarasamassa samvachchharassa amtara vattamanassa annada kadai puvvarattavarattaka-lasamayamsi dhammajagariyam jagaramanassa imeyaruve ajjhatthie chimtie patthie manogae samkappe samuppajjittha–evam khalu aham alabhiyae nayarie bahunam java apuchchhanijje padipuchchhanijje, sayassa vi ya nam kudumbassa medhi java savvakajjavaddhavae, tam etenam vakkhevenam aham no samchaemi samanassa bhagavao mahavirassa amtiyam dhammapannattim uvasampajjitta nam viharittae. Tae nam se chullasayae samanovasae jetthaputtam mitta-nai-niyaga-sayana-sambamdhi-parijanam cha apuchchhai, apuchchhitta sayao gihao padinikkhamai, padinikkhamitta alabhiyam nayarim majjhammajjhenam niggachchhai, niggachchhitta jeneva posahasala teneva uvagachchhai, uvagachchhitta posahasalam pamajjai, pamajjitta uchchara-pasavanabhumim padilehei, padilehetta dabbhasamtharayam samtharei, samtharetta dabbhasamtharayam duruhai, duruhitta posahasalae posahie bambhayari ummukkamanisuvanne vavagaya-malavannagavilevane nikkhittasatthamusale ege abie dabbhasamtharovagae samanassa bhagavao mahavirassa amtiyam dhammapannattim uvasampajjitta nam viharai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Upodghatapurvaka pamchave adhyayana ka arambha. Jambu ! Usa kala – usa samaya – alabhika nagari thi. Shamkha – vana udyana tha. Raja ka nama jitashatru tha. Chullashataka gathapati tha. Vaha bara samriddha evam prabhavashali tha. Chhaha karora svarna – mudraem usake khajane mem rakhi thim – yavat usake chhaha gokula the. Pratyeka gokula mem dasa – dasa hajara gayem thim. Usaki patni ka nama bahula tha. Bhagavana mahavira padhare. Ananda ki taraha chullashataka ne bhi shravaka – dharma svikara kiya. Age ka ghatana – krama kamadeva ki taraha hai. Yavat amgikrita dharma – prajnyapti – ke anurupa upasana – rata hua. |