Sutra Navigation: Upasakdashang ( उपासक दशांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005120 | ||
Scripture Name( English ): | Upasakdashang | Translated Scripture Name : | उपासक दशांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-२ कामदेव |
Translated Chapter : |
अध्ययन-२ कामदेव |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 20 | Category : | Ang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स अंगस्स उवासगदसाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमट्ठे पन्नत्ते, दोच्चस्स णं भंते! अज्झयणस्स के अट्ठे पन्नत्ते? एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम नयरी। पुण्णभद्दे चेइए। जियसत्तू राया। तत्थ णं चंपाए नयरीए कामदेवे नामं गाहावई परिवसइ–अड्ढे जाव बहुजनस्स अपरिभूए। तस्स णं कामदेवस्स गाहावइस्स छ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ, छ हिरण्णकोडीओ वड्ढिपउत्ताओ, छ हिरण्ण-कोडीओ पवित्थरपउत्ताओ, छ व्वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्था। से णं कामदेवे गाहावई बहूणं जाव आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे, सयस्स वि य णं कुडुंबस्स मेढी जाव सव्वकज्ज-वड्ढावए यावि होत्था। तस्स णं कामदेवस्स गाहावइस्स भद्दा नामं भारिया होत्था–अहीन-पडिपुण्ण-पंचिंदियसरीरा जाव मानुस्सए कामभोए पच्चणुभवमाणी विहरइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव जेणेव चंपा नयरी, जेणेव पुण्णभद्दे चेइए, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। परिसा निग्गया। कूणिए राया जहा, तहा जियसत्तू निग्गच्छइ जाव पज्जुवासइ। तए णं से कामदेवे गाहावई इमीसे कहाए लद्धट्ठे समाणे–एवं खलु समणे भगवं महावीरे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इहेव चंपाए नयरीए बहिया पुण्णभद्दे चेइए अहापडिरूवं ओग्गहं ओगि-ण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तं महप्फलं खलु भो! देवानुप्पिया! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमन-वंदन-नमंसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए? एगस्स वि आरियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए? तं गच्छामि णं देवानुप्पिया! समणं भगवं महावीरं वंदामि णमंसामि सक्कारेमि कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामि– एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता ण्हाए कयबलिकम्मे कय-कोउय-मंगल-पायच्छित्ते सुद्धप्पा-वेसाइं मंगल्लाइं वत्थाइं पवर परिहिए अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे सयाओ गिहाओ पडिनि-क्खमइ, पडिनिक्खमित्ता सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं मनुस्सवग्गुरापरिखित्ते पादविहारचारेणं चंपं नयरिं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणामेव पुण्णभद्दे चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता नच्चासण्णे ना सुस्सूसमाणे नमंसमाणे अभिमुहे विनएणं पंजलिउडे पज्जुवासइ। तए णं समणे भगवं महावीरे कामदेवस्स गाहावइस्स तीसे य महइमहालियाए परिसाए जाव धम्मं परिकहेइ। परिसा पडिगया, राया य गए। तए णं कामदेवे गाहावई समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मं सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठ-चित्तमाणंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए उट्ठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी– सद्दहामि णं भंते! निग्गंथं पावयणं, पत्तियामि णं भंते! निग्गंथं पावयणं, रोएमि णं भंते! निग्गंथं पावयणं, अब्भुट्ठेमि णं भंते! निग्गंथं पावयणं। एवमेयं भंते! तहमेयं भंते! अवितहमेयं भंते! असंदिद्धमेयं भंते! इच्छियमेयं भंते! पडिच्छियमेयं भंते! इच्छिय-पडिच्छियमेयं भंते! से जहेयं तुब्भे वदह। जहा णं देवानुप्पियाणं अंतिए बहवे राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुंबिय-इब्भ-सेट्ठि-सेनावइ-सत्थवाहप्पभिइया मुंडा भवित्ता अगाराओ अनगारियं पव्वइया, नो खलु अहं तहा संचाएमि मुंडे भवित्ता अगाराओ अनगारियं पव्वइत्तए। अहं णं देवानुप्पियाणं अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खा-वइयं–दुवालसविहं सावगधम्मं पडिवज्जिस्सामि। अहासुहं देवानुप्पिया! मा पडिबंधं करेहि। तए णं से कामदेवे गाहावई समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए सावयधम्मं पडिवज्जइ। तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नदा कदाइ चंपाए नयरीए पुण्णभद्दाओ चेइयाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जनवयविहारं विहरइ। तए णं से कामदेवे समणोवासए जाए–अभिगयजीवाजीवे जाव समणे निग्गंथे फासु-एसणिज्जेणं असन-पान-खाइम-साइमेणं वत्थ-पडिग्गहं-कंबल-पायपुंछणेणं ओसह-भेसज्जेणं पाडिहारिएणं य पीढ-फलग-सेज्जा संथारएणं पडिलाभेमाणे विहरइ। तए णं सा भद्दा भारिया समणोवासिया जाया–अभिगयजीवाजीवा जाव समणे निग्गंथे फासु-एसणिज्जेणं असन-पान-खाइम-साइमेणं वत्थ-पडिग्गह-कंबल-पायपुंछणेणं ओसह-भेसज्जेणं पाडिहारिएण य पीढ-फलग-सेज्जा-संथारएणं पडिलाभेमाणी विहरइ। तए णं तस्स कामदेवस्स समणोवासगस्स उच्चावएहिं सील-व्वय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेमाणस्स चोद्दस संवच्छराइं वीइक्कंताइं। पन्नरसमस्स संवच्छरस्स अंतरा वट्टमाणस्स अन्नदा कदाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मनोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था– एवं खलु अहं चंपाए नयरीए बहूणं जाव आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे, सयस्स वि य णं कुडुंबस्स मेढी जाव सव्वकज्जवड्ढावए, तं एतेणं वक्खेवेणं अहं नो संचाएमि समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मपन्नत्ति उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए। तए णं से कामदेवे समणोवासए जेट्ठपुत्तं मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परिजणं च आपुच्छइ, आपुच्छित्ता सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता चंपं नयरिं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव पोसहसाला, तेणेव उवा-गच्छइ, उवागच्छित्ता पोसहसालं पमज्जइ, पमज्जित्ता उच्चार-पासवणभूमिं पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता दब्भसंथारयं संथरेइ, संथरेत्ता दब्भसंथारयं दुरुहइ, दुरुहित्ता पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी उम्मुक्कमणिसुवण्णे ववगयमालावण्णगविलेवणे निक्खित्तसत्थमुसले एगे अबीए दब्भसंथारोवगए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मपन्नत्तिं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ। | ||
Sutra Meaning : | हे भगवन् ! यावत् सिद्धि – प्राप्त भगवान महावीर ने सातवे अंग उपासकदशा के प्रथम अध्ययन का यदि यह अर्थ – आशय प्रतिपादित किया तो भगवन् ! उन्होंने दूसरे अध्ययन का क्या अर्थ बतलाया है ? जम्बू ! उस काल – उस समय – चम्पा नगरी थी। पूर्णभद्र नामक चैत्य था। राजा जितशत्रु था। कामदेव गाथापति था। उसकी पत्नी का नाम भद्रा था। गाथापति कामदेव का छः करोड़ स्वर्ण – खजाने में, छह करोड़ स्वर्ण – मुद्राएं व्यापार में, तथा छह करोड़ स्वर्ण – मुद्राएं घर के वैभव में – लगी थीं। उसके छह गोकुल थे। प्रत्येक गोकुल में दस हजार गायें थीं। भगवान महावीर पधारे। समवसरण हुआ। गाथापति आनन्द की तरह कामदेव भी अपने घर से चला – भगवान के पास पहुँचा, श्रावक – धर्म स्वीकार किया। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] jai nam bhamte! Samanenam bhagavaya mahavirenam java sampattenam sattamassa amgassa uvasagadasanam padhamassa ajjhayanassa ayamatthe pannatte, dochchassa nam bhamte! Ajjhayanassa ke atthe pannatte? Evam khalu jambu! Tenam kalenam tenam samaenam champa nama nayari. Punnabhadde cheie. Jiyasattu raya. Tattha nam champae nayarie kamadeve namam gahavai parivasai–addhe java bahujanassa aparibhue. Tassa nam kamadevassa gahavaissa chha hirannakodio nihanapauttao, chha hirannakodio vaddhipauttao, chha hiranna-kodio pavittharapauttao, chha vvaya dasagosahassienam vaenam hottha. Se nam kamadeve gahavai bahunam java apuchchhanijje padipuchchhanijje, sayassa vi ya nam kudumbassa medhi java savvakajja-vaddhavae yavi hottha. Tassa nam kamadevassa gahavaissa bhadda namam bhariya hottha–ahina-padipunna-pamchimdiyasarira java manussae kamabhoe pachchanubhavamani viharai. Tenam kalenam tenam samaenam samane bhagavam mahavire java jeneva champa nayari, jeneva punnabhadde cheie, teneva uvagachchhai, uvagachchhitta ahapadiruvam oggaham oginhitta samjamenam tavasa appanam bhavemane viharai. Parisa niggaya. Kunie raya jaha, taha jiyasattu niggachchhai java pajjuvasai. Tae nam se kamadeve gahavai imise kahae laddhatthe samane–evam khalu samane bhagavam mahavire puvvanupuvvim charamane gamanugamam duijjamane ihamagae iha sampatte iha samosadhe iheva champae nayarie bahiya punnabhadde cheie ahapadiruvam oggaham ogi-nhitta samjamenam tavasa appanam bhavemane viharai. Tam mahapphalam khalu bho! Devanuppiya! Taharuvanam arahamtanam bhagavamtanam namagoyassa vi savanayae, kimamga puna abhigamana-vamdana-namamsana-padipuchchhana-pajjuvasanayae? Egassa vi ariyassa dhammiyassa suvayanassa savanayae, kimamga puna viulassa atthassa gahanayae? Tam gachchhami nam devanuppiya! Samanam bhagavam mahaviram vamdami namamsami sakkaremi kallanam mamgalam devayam cheiyam pajjuvasami– Evam sampehei, sampehetta nhae kayabalikamme kaya-kouya-mamgala-payachchhitte suddhappa-vesaim mamgallaim vatthaim pavara parihie appamahagghabharanalamkiyasarire sayao gihao padini-kkhamai, padinikkhamitta sakoremtamalladamenam chhattenam dharijjamanenam manussavagguraparikhitte padaviharacharenam champam nayarim majjhammajjhenam niggachchhai, niggachchhitta jenameva punnabhadde cheie, jeneva samane bhagavam mahavire teneva uvagachchhai, uvagachchhitta samanam bhagavam mahaviram tikkhutto ayahina-payahinam karei, karetta vamdai namamsai, vamditta namamsitta nachchasanne na sussusamane namamsamane abhimuhe vinaenam pamjaliude pajjuvasai. Tae nam samane bhagavam mahavire kamadevassa gahavaissa tise ya mahaimahaliyae parisae java dhammam parikahei. Parisa padigaya, raya ya gae. Tae nam kamadeve gahavai samanassa bhagavao mahavirassa amtie dhammam sochcha nisamma hatthatuttha-chittamanamdie piimane paramasomanassie harisavasavisappamanahiyae utthae utthei, utthetta samanam bhagavam mahaviram tikkhutto ayahina-payahinam karei, karetta vamdai namamsai, vamditta namamsitta evam vayasi– Saddahami nam bhamte! Niggamtham pavayanam, pattiyami nam bhamte! Niggamtham pavayanam, roemi nam bhamte! Niggamtham pavayanam, abbhutthemi nam bhamte! Niggamtham pavayanam. Evameyam bhamte! Tahameyam bhamte! Avitahameyam bhamte! Asamdiddhameyam bhamte! Ichchhiyameyam bhamte! Padichchhiyameyam bhamte! Ichchhiya-padichchhiyameyam bhamte! Se jaheyam tubbhe vadaha. Jaha nam devanuppiyanam amtie bahave raisara-talavara-madambiya-kodumbiya-ibbha-setthi-senavai-satthavahappabhiiya mumda bhavitta agarao anagariyam pavvaiya, no khalu aham taha samchaemi mumde bhavitta agarao anagariyam pavvaittae. Aham nam devanuppiyanam amtie pamchanuvvaiyam sattasikkha-vaiyam–duvalasaviham savagadhammam padivajjissami. Ahasuham devanuppiya! Ma padibamdham karehi. Tae nam se kamadeve gahavai samanassa bhagavao mahavirassa amtie savayadhammam padivajjai. Tae nam samane bhagavam mahavire annada kadai champae nayarie punnabhaddao cheiyao padinikkhamai, padinikkhamitta bahiya janavayaviharam viharai. Tae nam se kamadeve samanovasae jae–abhigayajivajive java samane niggamthe phasu-esanijjenam asana-pana-khaima-saimenam vattha-padiggaham-kambala-payapumchhanenam osaha-bhesajjenam padiharienam ya pidha-phalaga-sejja samtharaenam padilabhemane viharai. Tae nam sa bhadda bhariya samanovasiya jaya–abhigayajivajiva java samane niggamthe phasu-esanijjenam asana-pana-khaima-saimenam vattha-padiggaha-kambala-payapumchhanenam osaha-bhesajjenam padihariena ya pidha-phalaga-sejja-samtharaenam padilabhemani viharai. Tae nam tassa kamadevassa samanovasagassa uchchavaehim sila-vvaya-guna-veramana-pachchakkhana-posahovavasehim appanam bhavemanassa choddasa samvachchharaim viikkamtaim. Pannarasamassa samvachchharassa amtara vattamanassa annada kadai puvvarattavarattakalasamayamsi dhammajagariyam jagaramanassa imeyaruve ajjhatthie chimtie patthie manogae samkappe samuppajjittha– Evam khalu aham champae nayarie bahunam java apuchchhanijje padipuchchhanijje, sayassa vi ya nam kudumbassa medhi java savvakajjavaddhavae, tam etenam vakkhevenam aham no samchaemi samanassa bhagavao mahavirassa amtiyam dhammapannatti uvasampajjitta nam viharittae. Tae nam se kamadeve samanovasae jetthaputtam mitta-nai-niyaga-sayana-sambamdhi-parijanam cha apuchchhai, apuchchhitta sayao gihao padinikkhamai, padinikkhamitta champam nayarim majjhammajjhenam niggachchhai, niggachchhitta jeneva posahasala, teneva uva-gachchhai, uvagachchhitta posahasalam pamajjai, pamajjitta uchchara-pasavanabhumim padilehei, padilehetta dabbhasamtharayam samtharei, samtharetta dabbhasamtharayam duruhai, duruhitta posahasalae posahie bambhayari ummukkamanisuvanne vavagayamalavannagavilevane nikkhittasatthamusale ege abie dabbhasamtharovagae samanassa bhagavao mahavirassa amtiyam dhammapannattim uvasampajjitta nam viharai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | He bhagavan ! Yavat siddhi – prapta bhagavana mahavira ne satave amga upasakadasha ke prathama adhyayana ka yadi yaha artha – ashaya pratipadita kiya to bhagavan ! Unhomne dusare adhyayana ka kya artha batalaya hai\? Jambu ! Usa kala – usa samaya – champa nagari thi. Purnabhadra namaka chaitya tha. Raja jitashatru tha. Kamadeva gathapati tha. Usaki patni ka nama bhadra tha. Gathapati kamadeva ka chhah karora svarna – khajane mem, chhaha karora svarna – mudraem vyapara mem, tatha chhaha karora svarna – mudraem ghara ke vaibhava mem – lagi thim. Usake chhaha gokula the. Pratyeka gokula mem dasa hajara gayem thim. Bhagavana mahavira padhare. Samavasarana hua. Gathapati ananda ki taraha kamadeva bhi apane ghara se chala – bhagavana ke pasa pahumcha, shravaka – dharma svikara kiya. |