Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1004465
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-२५

Translated Chapter :

शतक-२५

Section : उद्देशक-७ संयत Translated Section : उद्देशक-७ संयत
Sutra Number : 965 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] से किं तं अनसने? अनसने दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–इत्तरिए य, आवकहिए य। से किं तं इत्तरिए? इत्तरिए अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–चउत्थे भत्ते, छट्ठे भत्ते, अट्ठमे भत्ते, दसमे भत्ते, दुवाल-समे भत्ते, चोद्दसमे भत्ते, अद्धमासिए भत्ते, मासिए भत्ते, दोमासिए भत्ते, तेमासिए भत्ते जाव छम्मासिए भत्ते। सेत्तं इत्तरिए। से किं तं आवकहिए? आवकहिए दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–पाओवगमणे य, भत्तपच्चक्खाणे य। से किं तं पाओवगमणे? पाओवगमणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–नीहारिमे य, अणीहारिमे य। नियमं अपडिकम्मे सेत्तं पाओवगमणे। से किं तं भत्तपच्चक्खाणे? भत्तपच्चक्खाणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–नीहारिमे य, अणीहारिमे य। नियमं सपडिकम्मे। सेत्तं भत्तपच्चक्खाणे। सेत्तं आवकहिए। सेत्तं अनसने। से किं तं ओमोदरिया? ओमोदरिया दुविहा पन्नत्ता, तं० दव्वोमोदरिया य, भावोमोदरिया य। से किं तं दव्वोमोदरिया? दव्वोमोदरिया दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–उवगरणदव्वोमोदरिया य, भत्तपाणदव्वोमोदरिया य। से किं तं उवगरणदव्वोमोदरिया? उवगरणदव्वोमोदरिया तिविहा पन्नत्ता, तं जहा–एगे वत्थे, एगे पाए, चियत्तोवगरणसातिज्जणया। सेत्तं उवगरणदव्वोमोदरिया। से किं तं भत्तपाणदव्वोमोदरिया? भत्तपाणदव्वोमोदरिया अट्ठकुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे अप्पाहारे, दुवालस कुक्कुडिअंडगपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे अवड्ढोमोदरिए, सोलस कुक्कुडिअंडगपमाणमेत्ते कवले आहार-माहारेमाणे दुभागप्पत्ते, चउव्वीसं कुक्कुडिअंडगपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे ओमोदरिए, बत्तीसं कुक्कुडिअंडगपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे पमाणमेत्ते, एत्तो एक्केण वि घासेनं ऊणगं आहारमाहारेमाणे समणे निग्गंथे नो पकामरसभोजीति वत्तव्वं सिया। सेत्तं भत्तपाणदव्वोमोदरिया। सेत्तं दव्वोमोदरिया। से किं तं भावोमोदरिया? भावोमोदरिया अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–अप्पकोहे, अप्पमाणे, अप्पमाए, अप्प-लोभे, अप्पसद्दे, अप्पज्झंज्झे, अप्पतुमंतुमे। सेत्तं भावोमोदरिया। सेत्तं ओमोदरिया। से किं तं भिक्खायरिया? भिक्खायरिया अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–दव्वाभिग्गहचरए, खेत्ताभिग्गहचरए, कालाभिग्गहचरए, भावाभिग्गहचरए, उक्खित्तचरए, णिक्खित्तचरए, उक्खित्त-णिक्खित्तचरए, णिक्खित्तउक्खित्तचरए, वट्टिज्जमाणचरए, साहरिज्जमाणचरए, उवणीयचरए, अवणीयचरए, उवणीयअवणीयचरए, अवनीयउवनीयचरए, संसट्ठचरए, असंसट्ठचरए, तज्जाय-संसट्ठचरए, अन्नयचरए, मोणचरए, सुद्धेसणिए, संखादत्तिए। सेत्तं भिक्खायरिया। से किं तं रसपरिच्चाए? रसपरिच्चाए अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–निव्विगितिए, पणीय-रसविवज्जए, आयंबिलए, आयामसित्थभोई, अरसाहारे, विरसाहारे, अंताहारे, पंताहारे, लूहाहारे। सेत्तं रसपरिच्चाए। से किं तं कायकिलेसे? कायकिलेसे अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–ठाणादीए, उक्कुडुयासणिए, पडिमट्ठाई, वीरासणिए, नेसज्जिए, आयावए, अवाउडए, अपंडुयए, अनिट्ठुहए, सव्वगायपरिकम्म -विभूसविप्पमुक्के। सेत्तं कायकिलेसे। से किं तं पडिसंलीणया? पडिसंलीणया चउव्विहा पन्नत्ता, तं जहा–इंदियपडिसंलीणया, कसायपडिसंलीणया, जोगपडिसंलीणया, विवित्तसयनासनसेवणया। से किं तं इंदियपडिसंलीणया? इंदियपडिसंलीणया पंचविहा पन्नत्ता, तं जहा–सोइंदियविसय-प्पयारणिरोहो वा, सोइंदियविसयप्पत्तेसु वा अत्थेसु रागदोसविनिग्गहो। चक्खिंदियविसयप्पयार-णिरोहो वा एवं जाव फासिंदियविसयप्पयारणिरोहो वा, फासिंदियविसयप्पत्तेसु वा अत्थेसु रागदोसविनिग्गहो। सेत्तं इंदियपडिसंलीणया। से किं तं कसायपडिसंलीणया? कसायपडिसंलीणया चउव्विहा पन्नत्ता, तं जहा–कोहोदयनिरोहो वा, उदयप्पत्तस्स वा कोहस्स विफलीकरणं। एवं जाव लोभोदयनिरोहो वा, उदयपत्तस्स वा लोभस्स विफलीकरणं। सेत्तं कसायपडिसंलीणया से किं तं जोगपडिसंलीणया? जोगपडिसंलीणया तिविहा पन्नत्ता, तं जहा–मणजोगपडिसंलीणया, वइजोग-पडिसंलीणया, कायजोगपडिसंलीणया। से किं तं मणजोगपडिसंलीणया? मणजोगपडिसंलीणया अकुसलमणनिरोहो वा, कुसलमणउदीरणं वा, मणस्स वा एगत्तीभावकरणं। सेत्तं मणजोगपडिसंलीणया। से किं तं वइजोगपडिसंलीणया? वइजोगपडिसंलीणया अकुसलवइनिरोहो वा, कुसलवइउदीरणं वा, वईए वा एगत्तीभावकरणं। सेत्तं वइजोगपडिसंलीणया। से किं तं कायजोगपडिसंलीणया? कायजोगपडिसंलीणया जण्णं सुसमाहियपसंत-साहरियपाणि-पाए कुम्मो इव गुत्तिंदिए अल्लीण-पल्लीणे चिट्ठति। सेत्तं कायपडिसंलीणया। सेत्तं जोग-पडिसंलीणया। से किं तं विवित्तसयनासनसेवणया? विवित्तसयनासनसेवणया जण्णं आरामेसु वा उज्जाणेसु वा देवकुलेसु वा सभासु वा पवासु वा इत्थी-पसु-पंडगविवज्जियासु वा वसहीसु फासु-एसणिज्जं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारगं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ। सेत्तं विवित्तसयनासनसेवणया। सेत्तं पडि-संलीणया। सेत्तं बाहिरए तवे। से किं तं अब्भिंतरए तवे? अब्भिंतरए तवे छव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–पायच्छित्तं, विनओ, वेयावच्चं, सज्झाओ, ज्झाणं, विउसग्गो। से किं तं पायच्छित्ते? पायच्छित्ते दसविहे पन्नत्ते, तं जहा–आलोयणारिहे जाव पारंचियारिहे। सेत्तं पायच्छित्ते। से किं तं विनए? विनए सत्तविहे पन्नत्ते, तं जहा–नाणविनए, दंसणविनए, चरित्तविनए, मणविनए, वइविनए, कायविनए, लोगोवयारविनए। से किं तं नाणविनए? नाणविनए पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा– आभिनिबोहियनाणविनए, सुयनाणविनए, ओहिनाणविनए, मनपज्जवनाणविनए, केवलनाणविनए। सेत्तं नाणविनए। से किं तं दंसणविनए? दंसणविनए दुविहे पन्नत्ते, तं जहा– सुस्सूसणाविनए य, अनच्चासादणाविनए य। से किं तं सुस्सूसणाविनए? सुस्सूसणाविनए अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–सक्कारे इ वा सम्माणे इ वा किइकम्मे इ वा अब्भट्ठाणे इ वा अंजलिपग्गहे इ वा आसणाभिग्गहे इ वा आसणाणुप्पदाणे इ वा, एंतस्स पच्चुग्गच्छणया, ठियस्स पज्जुवा-सणया, गच्छंतस्स पडिसंसाहणया। सेत्तं सुस्सूसणाविनए। से किं तं अनच्चासादणाविनए? अनच्चासादणाविनए पणयालीसइविहे पन्नत्ते, तं जहा–अरहंताणं अनच्चासादणया, अरहंतपण्णत्तस्स धम्मस्स अनच्चासादणया, आयरियाणं अनच्चासादणया, उवज्झायाणं अनच्चासादणया, थेराणं अनच्चासादणया, कुलस्स अनच्चासादणया, गणस्स अनच्चासादणया, संघस्स अनच्चासादणया, किरियाए अनच्चासादणया, संभोगस्स अनच्चासादणया, आभिनिबोहियनाणस्स अनच्चासादणया, जाव केवलनाणस्स अनच्चासादणया, एएसिं चेव भत्ति-बहुमाणेणं एएसिं चेव वण्णसंजलणया। सेत्तं अनच्चासादणयाविनए। सेत्तं दंसणविनए। से किं तं चरित्तविनए? चरित्तविनए पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा–सामाइयचरित्तविनए जाव अहक्खायचरित्तविनए। सेत्तं चरित्तविनए। से किं तं मनविनए? मनविनए दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–पसत्थमनविनए य, अप्पसत्थमनविनए य। से किं तं पसत्थमनविनए? पसत्थमनविनए सत्तविहे पन्नत्ते, तं जहा–अपावए, असावज्जे, अकिरिए, निरुवक्केसे, अणण्हवकरे, अच्छविकरे, अभूयाभिसंकणे। सेत्तं पसत्थमणविनए। से किं तं अप्पसत्थमनविनए? अप्पसत्थमनविनए सत्तविहे पन्नत्ते, तं जहा–पावए, सावज्जे, सकिरिए, सउवक्केसे, अण्हयकरे, छविकरे, भूयाभिसंकणे। सेत्तं अप्पसत्थमनविनए। सेत्तं मनविनए। से किं तं वइविनए? वइविनए दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–पसत्थवइविनए य, अप्पसत्थवइविनए य। से किं तं पसत्थवइविनए? पसत्थवइविनए सत्तविहे पन्नत्ते, तं जहा–अपावए, असावज्जे जाव अभूयाभिसंकणे। सेत्तं पसत्थवइविनए। से किं तं अप्पसत्थवइविनए? अप्पसत्थवइविनए सत्तविहे पन्नत्ते, तं जहा–पावए, सावज्जे जाव भूयाभिसंकणे सेत्तं अप्पसत्थवइविनए। सेत्तं वइविनए। से किं तं कायविनए? कायविनए दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–पसत्थकायविनए य, अप्पसत्थ-कायविनए य। से किं तं पसत्थकायविनए? पसत्थकायविनए सत्तविहे पन्नत्ते, तं जहा–आउत्तं गमणं, आउत्तं ठाणं, आउत्तं निसीयणं, आउत्तं तुयट्टणं, आउत्तं उल्लंघणं, आउत्तं पल्लंघणं, आउत्तं सव्विंदिय-जोग-जुंजणया। सेत्तं पसत्थकायविनए। से किं तं अप्पसत्थकायविनए? अप्पसत्थकायविनए सत्तविहे पन्नत्ते, तं जहा–अणाउत्तं गमणं जाव अणाउत्तं सव्विंदियजोगजुंजणया। सेत्तं अप्पसत्थकायविनए। सेत्तं कायविनए। से किं तं लोगोवयारविनए? लोगोवयारविनए सत्तविहे पन्नत्ते, तं जहा–अब्भासवत्तियं, परच्छंदा-णुवत्तियं, कज्जहेउं, कयपडिकइया, अत्तगवेसणया, देसकालण्णया, सव्वत्थेसु अप्पडिलोमया। सेत्तं लोगोवयारविनए। सेत्तं विनए।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! अनशन कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का – इत्वरिक और यावत्कथिक। भगवन्‌ ! इत्वरिक अनशन कितने प्रकार का कहा है ? अनेक प्रकार का यथा – चतुर्थभक्त, षष्ठभक्त, अष्टम – भक्त, दशम – भक्त, द्वादशभक्त, चतुर्दशभक्त, अर्द्धमासिक, मासिकभक्त, द्विमासिकभक्त, त्रिमासिकभक्त यावत्‌ षाण्मासिक – भक्त। यह इत्वरिक अनशन है। भगवन्‌ ! यावत्कथिक अनशन कितने प्रकार का कहा गया है ? गौतम ! दो प्रकार का – पादोपगमन और भक्तप्रत्याख्यान। भगवन्‌ ! पादोपगमन कितने प्रकार का कहा गया है ? गौतम ! दो प्रकार का – निर्हारिम और अनिर्हारिम। ये दोनों नियम से अप्रतिकर्म होते हैं। भगवन्‌ ! भक्तप्रत्याख्यान अनशन क्या है ? दो प्रकार का – निर्हारिम और अनिर्हारिम। यह नियम से सप्रतिकर्म होता है। भगवन्‌ ! अवमोदरिका तप कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का – द्रव्य – अवमोदरिका और भाव – अवमोदरिका। भगवन्‌ ! द्रव्य – अवमोदरिका कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का – उपकरणद्रव्य – अवमोद – रिका और भक्तपानद्रव्य – अवमोदरिका। भगवन्‌ ! उपकरणद्रव्य – अवमोदरिका कितने प्रकार का कहा है ? गौतम ! तीन प्रकार का – एक वस्त्र, एक पात्र और त्यक्तोपकरण – स्वदनता। भगवन्‌ ! भक्तपानद्रव्य – अवमोदरिका कितने प्रकार का है ? गौतम ! अण्डे के प्रमाण के आठ कवल आहार करना अल्पाहार – अवमोदरिका, इत्यादि सातवें शतक के प्रथम उद्देशक के अनुसार यावत्‌ वह प्रकाम – रसभोजी नहीं होता, यहाँ तक जानना। भगवन्‌ ! भाव – अवमोदरिका कितने प्रकार का है ? अनेक प्रकार का – अल्पक्रोध यावत्‌ अल्पलोभ, अल्पशब्द, अल्पझंझा और अल्प तुमन्तुमा। भगवन्‌ ! भिक्षाचर्या कितने प्रकार की है ? गौतम ! अनेक प्रकार की – द्रव्याभिग्रहचरक, क्षेत्राभिग्रहचरक, इत्यादि औपपातिकसूत्रानुसार शुद्धैषणिक, संख्यादत्तिक तक कहना। भगवन्‌ ! रस – परित्याग के कितने प्रकार हैं ? गौतम ! अनेक प्रकार का – निर्वकृतिक, प्रणीतरस – विवर्जक, इत्यादि औपपातिकसूत्र अनुसार यावत्‌ रूक्षाहार – पर्यन्त कहना चाहिए। भगवन्‌ ! कायक्लेश तप कितने प्रकार का है? गौतम ! अनेक प्रकार का – स्थानातिग, उत्कुटुकासनिक इत्यादि औपपातिकसूत्र अनुसार यावत्‌ सार्वगात्रप्रति – कर्मविप्रमुक्त तक। (भगवन्‌ !) प्रतिसंलीनता कितने प्रकार की कही है ? गौतम ! चार प्रकार की – इन्द्रियप्रतिसंलीनता, कषाय प्रतिसंलीनता, योगप्रतिसंलीनता और विविक्तशय्यासनप्रतिसंलीनता। भगवन्‌ ! इन्द्रियप्रतिसंलीनता कितने प्रकार की है ? गौतम ! पाँच प्रकार की – श्रोत्रेन्द्रियविषय – प्रचारनिरोध अथवा श्रोत्रेन्द्रियविषयप्राप्त अर्थों में रागद्वेषवि – निग्रह, यावत्‌ स्पर्शनेन्द्रियविषयप्रचारनिरोध अथवा स्पर्शनेन्द्रियविषयप्राप्त अर्थों में रागद्वेषविनिग्रह। भगवन्‌ ! कषायप्रतिसंलीनता कितने प्रकार की है ? गौतम ! चार प्रकार की – क्रोधोदयनिरोध अथवा उदयप्राप्त क्रोध का विफलीकरण, यावत्‌ लोभोदयनिरोध अथवा उदयप्राप्त लोभ का विफलीकरण। भगवन्‌ ! योगप्रतिसंलीनता कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीन प्रकार की – मनोयोगप्रतिसंलीनता, वचन – योगप्रतिसंलीनता और काययोगप्रतिसंलीनता। मनोयोगप्रतिसंलीनता किस प्रकार की है ? अकुशल मन का विरोध, कुशल मन की उदीरणा और मन को एकाग्र करना। वचनयोगप्रतिसंलीनता किस प्रकार की है ? अकुशल वचन का निरोध, कुशल वचन की उदीरणा और वचन की एकाग्रता करना। कायप्रतिसंलीनता किसे कहते हैं ? सम्यक्‌ प्रकार से समाधिपूर्वक प्रशान्तभाव से हाथ – पैरों को संकुचित करना, कछुए के समान इन्द्रियों का गोपन करके स्थिर होना। विविक्तशय्यासनसेवनता किसे कहते हैं ? आराम अथवा उद्यानों आदि में, सोमिल – उद्देशक अनुसार, यावत्‌ निर्दोष शय्यासंस्तारक आदि उपकरण लेकर रहना। (भगवन्‌ !) वह आभ्यन्तर तप कितने प्रकार का है ? (गौतम !) छह प्रकार का – प्रायश्चित्त, विनय, वैयावृत्य, स्वाध्याय, ध्यान और व्युत्सर्ग। (भगवन्‌ !) प्रायश्चित्त कितने प्रकार का है ? (गौतम !) दस प्रकार का – आलोचनार्ह यावत्‌ पारांचिकार्ह। (भगवन्‌ !) विनय कितने प्रकार का है ? (गौतम !) सात प्रकार का – ज्ञानविनय, दर्शनविनय, चारित्रविनय, मनविनय, वचनविनय, कायविनय और लोकोपचार विनय। भगवन्‌ ! ज्ञानविनय कितने प्रकार का है ? (गौतम !) पाँच प्रकार का – आभिनिबोधिकज्ञानविनय यावत्‌ केवलज्ञानविनय। यह है ज्ञानविनय। (भगवन्‌ !) दर्शनविनय कितने प्रकार का है ? (गौतम !) दो प्रकार का – शुश्रूषाविनय और अनाशातना – विनय। (भगवन !) शुश्रूषाविनय कितने प्रकार का है ? (गौतम !) अनेक प्रकार का – सत्कार, सम्मान इत्यादि सब वर्णन चौदहवें शतक के तीसरे उद्देशक अनुसार यावत्‌ प्रतिसंसाधनता तक जानना चाहिए। (भगवन्‌ !) अनाशात – नाविनय कितने प्रकार का है ? (गौतम !) पैंतालीस प्रकार का – अरिहन्ति की अनाशातना, अरिहन्तप्रज्ञप्त धर्म की, आचार्यों की, उपाध्यायों की, स्थविरों की, कुल की, गण की, संघ की, क्रिया की, साम्भोगिक (साधर्मिक साधु – साध्वीगण) की, और आभिनिबोधिकज्ञान से लेकर केवलज्ञान तक की अनाशातना इन पन्द्रह की भक्ति करना, इस प्रकार कुल ४५ भेद अनाशातनाविनय के हैं। (भगवन्‌ !) चारित्रविनय कितने प्रकार का है ? (गौतम !) पाँच प्रकार का – सामयिकचारित्रविनय यावत्‌ यथाख्यातचारित्रविनय। वह मनोविनय कितने प्रकार का है ? दो प्रकार का – प्रशस्तमनोविनय और अप्रशस्तमनोविनय। वह प्रशस्त मनोविनय कितने प्रकार का है ? सात प्रकार का – अपापक, असावद्य, अक्रिय, निरुपक्लेश – अनाश्रवकर, अच्छविकर और अभूताभिशंकित। अप्रशस्तमनोविनय कितने प्रकार का है ? (गौतम !) सात प्रकार का – पापक, सावद्य, सक्रिय, सोपक्लेश, आश्रवकारी, छविकारी और भूताभिशंकित। (भगवन्‌ !) वचनविनय कितने प्रकार का है ? (गौतम !) दो प्रकार का – प्रशस्तवचनविनय और अप्रशस्तवचनविनय। वह प्रशस्तवचनविनय कितने प्रकार का है ? (गौतम !) सात प्रकार का – अपापक, असावद्य यावत्‌ अभूताभिशंकित। (भगवन्‌ !) अप्रशस्तवचनविनय कितने प्रकार का है ? (गौतम !) सात प्रकार का – पापक, सावद्य यावत्‌ भूताभिशंकित। कायविनय कितने प्रकार का है ? दो प्रकार का – प्रशस्तकायविनय और अप्रशस्तकायविनय। प्रशस्त कायविनय कितने प्रकार का है ? सात प्रकार का कहा – आयुक्त गमन, आयुक्त स्थान, आयुक्त निषीदन, आयुक्त उल्लंघन, आयुक्त प्रलंघन और आयुक्त सर्वेन्द्रिययोगयुंजनता। अप्रशस्त कायविनय कितने प्रकार का है ? सात प्रकार का – अनायुक्त गमन यावत्‌ अनायुक्त सर्वेन्द्रिययोगयुंजनता। (भगवन्‌ !) लोकोपचारविनय के कितने प्रकार हैं ? (गौतम !) सात प्रकार का – अभ्यासवृत्तिता, परच्छन्दा – नुवर्तिता, कार्य – हेतु, कृत – प्रतिक्रिया, आर्त्तगवेषणता, देश – कालज्ञता और सर्वार्थ – अप्रतिलोमता।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] se kim tam anasane? Anasane duvihe pannatte, tam jaha–ittarie ya, avakahie ya. Se kim tam ittarie? Ittarie anegavihe pannatte, tam jaha–chautthe bhatte, chhatthe bhatte, atthame bhatte, dasame bhatte, duvala-same bhatte, choddasame bhatte, addhamasie bhatte, masie bhatte, domasie bhatte, temasie bhatte java chhammasie bhatte. Settam ittarie. Se kim tam avakahie? Avakahie duvihe pannatte, tam jaha–paovagamane ya, bhattapachchakkhane ya. Se kim tam paovagamane? Paovagamane duvihe pannatte, tam jaha–niharime ya, aniharime ya. Niyamam apadikamme settam paovagamane. Se kim tam bhattapachchakkhane? Bhattapachchakkhane duvihe pannatte, tam jaha–niharime ya, aniharime ya. Niyamam sapadikamme. Settam bhattapachchakkhane. Settam avakahie. Settam anasane. Se kim tam omodariya? Omodariya duviha pannatta, tam0 davvomodariya ya, bhavomodariya ya. Se kim tam davvomodariya? Davvomodariya duviha pannatta, tam jaha–uvagaranadavvomodariya ya, bhattapanadavvomodariya ya. Se kim tam uvagaranadavvomodariya? Uvagaranadavvomodariya tiviha pannatta, tam jaha–ege vatthe, ege pae, chiyattovagaranasatijjanaya. Settam uvagaranadavvomodariya. Se kim tam bhattapanadavvomodariya? Bhattapanadavvomodariya atthakukkudiamdagappamanamette kavale aharamaharemane appahare, duvalasa kukkudiamdagapamanamette kavale aharamaharemane avaddhomodarie, solasa kukkudiamdagapamanamette kavale ahara-maharemane dubhagappatte, chauvvisam kukkudiamdagapamanamette kavale aharamaharemane omodarie, battisam kukkudiamdagapamanamette kavale aharamaharemane pamanamette, etto ekkena vi ghasenam unagam aharamaharemane samane niggamthe no pakamarasabhojiti vattavvam siya. Settam bhattapanadavvomodariya. Settam davvomodariya. Se kim tam bhavomodariya? Bhavomodariya anegaviha pannatta, tam jaha–appakohe, appamane, appamae, appa-lobhe, appasadde, appajjhamjjhe, appatumamtume. Settam bhavomodariya. Settam omodariya. Se kim tam bhikkhayariya? Bhikkhayariya anegaviha pannatta, tam jaha–davvabhiggahacharae, khettabhiggahacharae, kalabhiggahacharae, bhavabhiggahacharae, ukkhittacharae, nikkhittacharae, ukkhitta-nikkhittacharae, nikkhittaukkhittacharae, vattijjamanacharae, saharijjamanacharae, uvaniyacharae, avaniyacharae, uvaniyaavaniyacharae, avaniyauvaniyacharae, samsatthacharae, asamsatthacharae, tajjaya-samsatthacharae, annayacharae, monacharae, suddhesanie, samkhadattie. Settam bhikkhayariya. Se kim tam rasaparichchae? Rasaparichchae anegavihe pannatte, tam jaha–nivvigitie, paniya-rasavivajjae, ayambilae, ayamasitthabhoi, arasahare, virasahare, amtahare, pamtahare, luhahare. Settam rasaparichchae. Se kim tam kayakilese? Kayakilese anegavihe pannatte, tam jaha–thanadie, ukkuduyasanie, padimatthai, virasanie, nesajjie, ayavae, avaudae, apamduyae, anitthuhae, savvagayaparikamma -vibhusavippamukke. Settam kayakilese. Se kim tam padisamlinaya? Padisamlinaya chauvviha pannatta, tam jaha–imdiyapadisamlinaya, kasayapadisamlinaya, jogapadisamlinaya, vivittasayanasanasevanaya. Se kim tam imdiyapadisamlinaya? Imdiyapadisamlinaya pamchaviha pannatta, tam jaha–soimdiyavisaya-ppayaraniroho va, soimdiyavisayappattesu va atthesu ragadosaviniggaho. Chakkhimdiyavisayappayara-niroho va evam java phasimdiyavisayappayaraniroho va, phasimdiyavisayappattesu va atthesu ragadosaviniggaho. Settam imdiyapadisamlinaya. Se kim tam kasayapadisamlinaya? Kasayapadisamlinaya chauvviha pannatta, tam jaha–kohodayaniroho va, udayappattassa va kohassa viphalikaranam. Evam java lobhodayaniroho va, udayapattassa va lobhassa viphalikaranam. Settam kasayapadisamlinaya Se kim tam jogapadisamlinaya? Jogapadisamlinaya tiviha pannatta, tam jaha–manajogapadisamlinaya, vaijoga-padisamlinaya, kayajogapadisamlinaya. Se kim tam manajogapadisamlinaya? Manajogapadisamlinaya akusalamananiroho va, kusalamanaudiranam va, manassa va egattibhavakaranam. Settam manajogapadisamlinaya. Se kim tam vaijogapadisamlinaya? Vaijogapadisamlinaya akusalavainiroho va, kusalavaiudiranam va, vaie va egattibhavakaranam. Settam vaijogapadisamlinaya. Se kim tam kayajogapadisamlinaya? Kayajogapadisamlinaya jannam susamahiyapasamta-sahariyapani-pae kummo iva guttimdie allina-palline chitthati. Settam kayapadisamlinaya. Settam joga-padisamlinaya. Se kim tam vivittasayanasanasevanaya? Vivittasayanasanasevanaya jannam aramesu va ujjanesu va devakulesu va sabhasu va pavasu va itthi-pasu-pamdagavivajjiyasu va vasahisu phasu-esanijjam pidha-phalaga-sejja-samtharagam uvasampajjittanam viharai. Settam vivittasayanasanasevanaya. Settam padi-samlinaya. Settam bahirae tave. Se kim tam abbhimtarae tave? Abbhimtarae tave chhavvihe pannatte, tam jaha–payachchhittam, vinao, veyavachcham, sajjhao, jjhanam, viusaggo. Se kim tam payachchhitte? Payachchhitte dasavihe pannatte, tam jaha–aloyanarihe java paramchiyarihe. Settam payachchhitte. Se kim tam vinae? Vinae sattavihe pannatte, tam jaha–nanavinae, damsanavinae, charittavinae, manavinae, vaivinae, kayavinae, logovayaravinae. Se kim tam nanavinae? Nanavinae pamchavihe pannatte, tam jaha– abhinibohiyananavinae, suyananavinae, ohinanavinae, manapajjavananavinae, kevalananavinae. Settam nanavinae. Se kim tam damsanavinae? Damsanavinae duvihe pannatte, tam jaha– sussusanavinae ya, anachchasadanavinae ya. Se kim tam sussusanavinae? Sussusanavinae anegavihe pannatte, tam jaha–sakkare i va sammane i va kiikamme i va abbhatthane i va amjalipaggahe i va asanabhiggahe i va asananuppadane i va, emtassa pachchuggachchhanaya, thiyassa pajjuva-sanaya, gachchhamtassa padisamsahanaya. Settam sussusanavinae. Se kim tam anachchasadanavinae? Anachchasadanavinae panayalisaivihe pannatte, tam jaha–arahamtanam anachchasadanaya, arahamtapannattassa dhammassa anachchasadanaya, ayariyanam anachchasadanaya, uvajjhayanam anachchasadanaya, theranam anachchasadanaya, kulassa anachchasadanaya, ganassa anachchasadanaya, samghassa anachchasadanaya, kiriyae anachchasadanaya, sambhogassa anachchasadanaya, abhinibohiyananassa anachchasadanaya, java kevalananassa anachchasadanaya, eesim cheva bhatti-bahumanenam eesim cheva vannasamjalanaya. Settam anachchasadanayavinae. Settam damsanavinae. Se kim tam charittavinae? Charittavinae pamchavihe pannatte, tam jaha–samaiyacharittavinae java ahakkhayacharittavinae. Settam charittavinae. Se kim tam manavinae? Manavinae duvihe pannatte, tam jaha–pasatthamanavinae ya, appasatthamanavinae ya. Se kim tam pasatthamanavinae? Pasatthamanavinae sattavihe pannatte, tam jaha–apavae, asavajje, akirie, niruvakkese, ananhavakare, achchhavikare, abhuyabhisamkane. Settam pasatthamanavinae. Se kim tam appasatthamanavinae? Appasatthamanavinae sattavihe pannatte, tam jaha–pavae, savajje, sakirie, sauvakkese, anhayakare, chhavikare, bhuyabhisamkane. Settam appasatthamanavinae. Settam manavinae. Se kim tam vaivinae? Vaivinae duvihe pannatte, tam jaha–pasatthavaivinae ya, appasatthavaivinae ya. Se kim tam pasatthavaivinae? Pasatthavaivinae sattavihe pannatte, tam jaha–apavae, asavajje java abhuyabhisamkane. Settam pasatthavaivinae. Se kim tam appasatthavaivinae? Appasatthavaivinae sattavihe pannatte, tam jaha–pavae, savajje java bhuyabhisamkane settam appasatthavaivinae. Settam vaivinae. Se kim tam kayavinae? Kayavinae duvihe pannatte, tam jaha–pasatthakayavinae ya, appasattha-kayavinae ya. Se kim tam pasatthakayavinae? Pasatthakayavinae sattavihe pannatte, tam jaha–auttam gamanam, auttam thanam, auttam nisiyanam, auttam tuyattanam, auttam ullamghanam, auttam pallamghanam, auttam savvimdiya-joga-jumjanaya. Settam pasatthakayavinae. Se kim tam appasatthakayavinae? Appasatthakayavinae sattavihe pannatte, tam jaha–anauttam gamanam java anauttam savvimdiyajogajumjanaya. Settam appasatthakayavinae. Settam kayavinae. Se kim tam logovayaravinae? Logovayaravinae sattavihe pannatte, tam jaha–abbhasavattiyam, parachchhamda-nuvattiyam, kajjaheum, kayapadikaiya, attagavesanaya, desakalannaya, savvatthesu appadilomaya. Settam logovayaravinae. Settam vinae.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Anashana kitane prakara ka hai\? Gautama ! Do prakara ka – itvarika aura yavatkathika. Bhagavan ! Itvarika anashana kitane prakara ka kaha hai\? Aneka prakara ka yatha – chaturthabhakta, shashthabhakta, ashtama – bhakta, dashama – bhakta, dvadashabhakta, chaturdashabhakta, arddhamasika, masikabhakta, dvimasikabhakta, trimasikabhakta yavat shanmasika – bhakta. Yaha itvarika anashana hai. Bhagavan ! Yavatkathika anashana kitane prakara ka kaha gaya hai\? Gautama ! Do prakara ka – padopagamana aura bhaktapratyakhyana. Bhagavan ! Padopagamana kitane prakara ka kaha gaya hai\? Gautama ! Do prakara ka – nirharima aura anirharima. Ye donom niyama se apratikarma hote haim. Bhagavan ! Bhaktapratyakhyana anashana kya hai\? Do prakara ka – nirharima aura anirharima. Yaha niyama se sapratikarma hota hai. Bhagavan ! Avamodarika tapa kitane prakara ka hai\? Gautama ! Do prakara ka – dravya – avamodarika aura bhava – avamodarika. Bhagavan ! Dravya – avamodarika kitane prakara ka hai\? Gautama ! Do prakara ka – upakaranadravya – avamoda – rika aura bhaktapanadravya – avamodarika. Bhagavan ! Upakaranadravya – avamodarika kitane prakara ka kaha hai\? Gautama ! Tina prakara ka – eka vastra, eka patra aura tyaktopakarana – svadanata. Bhagavan ! Bhaktapanadravya – avamodarika kitane prakara ka hai\? Gautama ! Ande ke pramana ke atha kavala ahara karana alpahara – avamodarika, ityadi satavem shataka ke prathama uddeshaka ke anusara yavat vaha prakama – rasabhoji nahim hota, yaham taka janana. Bhagavan ! Bhava – avamodarika kitane prakara ka hai\? Aneka prakara ka – alpakrodha yavat alpalobha, alpashabda, alpajhamjha aura alpa tumantuma. Bhagavan ! Bhikshacharya kitane prakara ki hai\? Gautama ! Aneka prakara ki – dravyabhigrahacharaka, kshetrabhigrahacharaka, ityadi aupapatikasutranusara shuddhaishanika, samkhyadattika taka kahana. Bhagavan ! Rasa – parityaga ke kitane prakara haim\? Gautama ! Aneka prakara ka – nirvakritika, pranitarasa – vivarjaka, ityadi aupapatikasutra anusara yavat rukshahara – paryanta kahana chahie. Bhagavan ! Kayaklesha tapa kitane prakara ka hai? Gautama ! Aneka prakara ka – sthanatiga, utkutukasanika ityadi aupapatikasutra anusara yavat sarvagatraprati – karmavipramukta taka. (bhagavan !) pratisamlinata kitane prakara ki kahi hai\? Gautama ! Chara prakara ki – indriyapratisamlinata, kashaya pratisamlinata, yogapratisamlinata aura viviktashayyasanapratisamlinata. Bhagavan ! Indriyapratisamlinata kitane prakara ki hai\? Gautama ! Pamcha prakara ki – shrotrendriyavishaya – pracharanirodha athava shrotrendriyavishayaprapta arthom mem ragadveshavi – nigraha, yavat sparshanendriyavishayapracharanirodha athava sparshanendriyavishayaprapta arthom mem ragadveshavinigraha. Bhagavan ! Kashayapratisamlinata kitane prakara ki hai\? Gautama ! Chara prakara ki – krodhodayanirodha athava udayaprapta krodha ka viphalikarana, yavat lobhodayanirodha athava udayaprapta lobha ka viphalikarana. Bhagavan ! Yogapratisamlinata kitane prakara ki hai\? Gautama ! Tina prakara ki – manoyogapratisamlinata, vachana – yogapratisamlinata aura kayayogapratisamlinata. Manoyogapratisamlinata kisa prakara ki hai\? Akushala mana ka virodha, kushala mana ki udirana aura mana ko ekagra karana. Vachanayogapratisamlinata kisa prakara ki hai\? Akushala vachana ka nirodha, kushala vachana ki udirana aura vachana ki ekagrata karana. Kayapratisamlinata kise kahate haim\? Samyak prakara se samadhipurvaka prashantabhava se hatha – pairom ko samkuchita karana, kachhue ke samana indriyom ka gopana karake sthira hona. Viviktashayyasanasevanata kise kahate haim\? Arama athava udyanom adi mem, somila – uddeshaka anusara, yavat nirdosha shayyasamstaraka adi upakarana lekara rahana. (bhagavan !) vaha abhyantara tapa kitane prakara ka hai\? (gautama !) chhaha prakara ka – prayashchitta, vinaya, vaiyavritya, svadhyaya, dhyana aura vyutsarga. (bhagavan !) prayashchitta kitane prakara ka hai\? (gautama !) dasa prakara ka – alochanarha yavat paramchikarha. (bhagavan !) vinaya kitane prakara ka hai\? (gautama !) sata prakara ka – jnyanavinaya, darshanavinaya, charitravinaya, manavinaya, vachanavinaya, kayavinaya aura lokopachara vinaya. Bhagavan ! Jnyanavinaya kitane prakara ka hai\? (gautama !) pamcha prakara ka – abhinibodhikajnyanavinaya yavat kevalajnyanavinaya. Yaha hai jnyanavinaya. (bhagavan !) darshanavinaya kitane prakara ka hai\? (gautama !) do prakara ka – shushrushavinaya aura anashatana – vinaya. (bhagavana !) shushrushavinaya kitane prakara ka hai\? (gautama !) aneka prakara ka – satkara, sammana ityadi saba varnana chaudahavem shataka ke tisare uddeshaka anusara yavat pratisamsadhanata taka janana chahie. (bhagavan !) anashata – navinaya kitane prakara ka hai\? (gautama !) paimtalisa prakara ka – arihanti ki anashatana, arihantaprajnyapta dharma ki, acharyom ki, upadhyayom ki, sthavirom ki, kula ki, gana ki, samgha ki, kriya ki, sambhogika (sadharmika sadhu – sadhvigana) ki, aura abhinibodhikajnyana se lekara kevalajnyana taka ki anashatana ina pandraha ki bhakti karana, isa prakara kula 45 bheda anashatanavinaya ke haim. (bhagavan !) charitravinaya kitane prakara ka hai\? (gautama !) pamcha prakara ka – samayikacharitravinaya yavat yathakhyatacharitravinaya. Vaha manovinaya kitane prakara ka hai\? Do prakara ka – prashastamanovinaya aura aprashastamanovinaya. Vaha prashasta manovinaya kitane prakara ka hai\? Sata prakara ka – apapaka, asavadya, akriya, nirupaklesha – anashravakara, achchhavikara aura abhutabhishamkita. Aprashastamanovinaya kitane prakara ka hai\? (gautama !) sata prakara ka – papaka, savadya, sakriya, sopaklesha, ashravakari, chhavikari aura bhutabhishamkita. (bhagavan !) vachanavinaya kitane prakara ka hai\? (gautama !) do prakara ka – prashastavachanavinaya aura aprashastavachanavinaya. Vaha prashastavachanavinaya kitane prakara ka hai\? (gautama !) sata prakara ka – apapaka, asavadya yavat abhutabhishamkita. (bhagavan !) aprashastavachanavinaya kitane prakara ka hai\? (gautama !) sata prakara ka – papaka, savadya yavat bhutabhishamkita. Kayavinaya kitane prakara ka hai\? Do prakara ka – prashastakayavinaya aura aprashastakayavinaya. Prashasta kayavinaya kitane prakara ka hai\? Sata prakara ka kaha – ayukta gamana, ayukta sthana, ayukta nishidana, ayukta ullamghana, ayukta pralamghana aura ayukta sarvendriyayogayumjanata. Aprashasta kayavinaya kitane prakara ka hai\? Sata prakara ka – anayukta gamana yavat anayukta sarvendriyayogayumjanata. (bhagavan !) lokopacharavinaya ke kitane prakara haim\? (gautama !) sata prakara ka – abhyasavrittita, parachchhanda – nuvartita, karya – hetu, krita – pratikriya, arttagaveshanata, desha – kalajnyata aura sarvartha – apratilomata.