Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1004064 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१३ |
Translated Chapter : |
शतक-१३ |
Section : | उद्देशक-१ पृथ्वी | Translated Section : | उद्देशक-१ पृथ्वी |
Sutra Number : | 564 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] रायगिहे जाव एवं वयासी–कति णं भंते! पुढवीओ पन्नत्ताओ? गोयमा! सत्त पुढवीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–रयणप्पभा जाव अहेसत्तमा। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए केवतिया निरयावाससयसहस्सा पन्नत्ता? गोयमा! तीसं निरयावाससयसहस्सा पन्नत्ता। ते णं भंते! किं संखेज्जवित्थडा? असंखेज्जवित्थडा? गोयमा! संखेज्जवित्थडा वि, असंखेज्जवित्थडा वि। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु नरएसु १. एगसमएणं केवतिया नेरइया उववज्जंति? २. केवतिया काउलेस्सा उववज्जंति? ३. केवतिया कण्हपक्खिया उववज्जंति? ४. केवतिया सुक्कपक्खिया उववज्जंति? ५. केवतिया सण्णी उववज्जंति? ६. केवतिया असण्णी उववज्जंति? ७. केवतिया भवसिद्धिया उववज्जंति? ८. केव-तिया अभवसिद्धिया उववज्जंति? ९. केवतिया आभिनिबोहियनाणी उववज्जंति? १०. केवतिया सुयनाणी उववज्जंति? ११. केवतिया ओहिनाणी उववज्जंति? १२. केवतिया मइअन्नाणी उववज्जंति? १३. केवतिया सुयअन्नाणी उववज्जंति? १४. केवतिया विब्भंगनाणी उववज्जंति? १५. केवतिया चक्खुदंसणी उववज्जंति? १६. केवतिया अचक्खुदंसणी उववज्जंति? १७. केवतिया ओहिदंसणी उववज्जंति? १८. केवतिया आहारसण्णोवउत्ता उववज्जंति? १९. केवतिया भयसण्णोवउत्ता उववज्जंति? २०. केवतिया मेहुणसण्णोवउत्ता उववज्जंति? २१. केवतिया परिग्गहसण्णोवउत्ता उववज्जंति? २२. केवतिया इत्थिवेदगा उवव-ज्जंति? २३. केवतिया पुरिसवेदगा उववज्जंति? २४. केवतिया नपुंसगवेदगा उववज्जंति? २५-२८. केवतिया कोहकसाई उवव-ज्जंति जाव केवतिया लोभकसाई उववज्जति? २९-३३. केवतिया सोइंदियोवउत्ता उववज्जंति जाव केवतिया फासिंदियोवउत्ता उव वज्जंति? ३४. केवतिया नोइंदियोवउत्ता उववज्जंति? ३५. केवतिया मणजोगी उववज्जंति? ३६. केवतिया वइजोगी उववज्जंति? ३७. केवतिया कायजोगी उववज्जंति? ३८. केवतिया सागारोवउत्ता उववज्जंति? ३९. केवतिया अनागारोवउत्ता उववज्जंति? गोयमा! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु नरएसु जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा नेरइया उववज्जंति। जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा काउलेस्सा उववज्जंति। जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा कण्हपक्खिया उववज्जंति। एवं सुक्कपक्खिया वि, एवं सण्णी, एवं असण्णी, एवं भवसिद्धिया, अभवसिद्धिया, आभिनिबोहियनाणी, सुयनाणी, ओहिनाणी, मइअन्नाणी, सुय-अन्नाणी, विभंगनाणी। चक्खुदंसणी न उववज्जंति। जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा अचक्खुदंसणी उववज्जंति, एवं ओहिदंसणी वि। आहारसण्णोवउत्ता वि जाव परिग्गह-सण्णोवउत्ता वि। इत्थीवेयगा न उववज्जंति, पुरिसवेयगा न उववज्जंति। जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा नपुंसगवेयगा उववज्जंति। एवं कोहकसाई जाव लोभकसाई। सोइंदियो-वउत्ता न उववज्जंति, एवं जाव फासिंदिओवउत्ता न उववज्जंति। जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा नोइंदि-ओवउत्ता उववज्जंति। मणजोगी न उववज्जंति, एवं वइजोगी वि। जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा काय-जोगी उववज्जंति। एवं सागारोवउत्ता वि, एवं अनागारोवउत्ता वि। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु नरएसु एगसमएणं केवतिया नेरइया उव्वट्टंति? केवतिया काउलेस्सा उव्वट्टंति जाव केवतिया अनागारोवउत्ता उव्वट्टंति? गोयमा! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु नरएसु एगसमएणं जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा नेरइया उव्वट्टंति। जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा काउलेस्सा उव्वट्टंति। एवं जाव सण्णी। असण्णी न उव्वट्टंति। जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा भवसिद्धिया उव्वट्टंति। एवं जाव सुयअन्नाणी। विभंगनाणी न उव्वट्टंति, चक्खुदंसणी न उव्वट्टंति। जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा अचक्खुदंसणी उव्वट्टंति। एवं जाव लोभकसाई। सोइंदियोवउत्ता न उव्वट्टंति, एवं जाव फासिंदियोवउत्ता न उव्वट्टंति। जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा नोइंदियोवउत्ता उव्वट्टंति। मणजोगी न उव्वट्टंति, एवं वइजोगी वि। जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा कायजोगी उव्वट्टंति। एवं सागारोवउत्ता, अनागारोवउत्ता। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु नरएसु केवतिया नेरइया पन्नत्ता? केवतिया काउलेस्सा जाव केवतिया अनागारोवउत्ता पन्नत्ता? केवतिया अनंतरोववन्नगा पन्नत्ता? केवतिया परंपरोववन्नगा पन्नत्ता? केवतिया अनंतरोवगाढा पन्नत्ता? केवतिया परंपरोवगाढा पन्नत्ता? केवतिया अनंतराहारा पन्नत्ता? केवतिया परंपराहारा पन्नत्ता? केवतिया अनंतरपज्जत्ता पन्नत्ता? केवतिया परंपरपज्जत्ता पन्नत्ता? केवतिया चरिमा पन्नत्ता? केवतिया अचरिमा पन्नत्ता? गोयमा! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु नरएसु संखेज्जा नेरइया पन्नत्ता, संखेज्जा काउलेस्सा पन्नत्ता, एवं जाव संखेज्जा सण्णी पन्नत्ता। असण्णी सिय अत्थि, सिय नत्थि। जइ अत्थि जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा पन्नत्ता। संखेज्जा भवसिद्धिया पन्नत्ता। एवं जाव संखेज्जा परिग्गहसण्णोवउत्ता पन्नत्ता। इत्थि वेदगा नत्थि, पुरिसवेदगा नत्थि, संखेज्जा नपुंसगवेदगा पन्नत्ता। एवं कोहकसाई वि, माणकसाई जहा असण्णी, एवं जाव लोभकसाई। संखेज्जा सोइंदियोवउत्ता पन्नत्ता, एवं जाव फासिंदियोवउत्ता। नोइंदियोवउत्ता जहा असण्णी। संखेज्जा मणजोगी पन्नत्ता। एवं जाव अनागारोवउत्ता। अनंतरोवन्नगा सिय अत्थि, सिय नत्थि। जइ अत्थि जहा असण्णी। संखेज्जा परंपरोववन्नगा पन्नत्ता। एवं जहा अनंतरोववन्नगा तहा अनंतरोवगाढगा, अनंतराहारगा, अनंतरपज्जत्तगा। परंपरोवगाढगा जाव अचरिमा जहा परंपरोववन्नगा। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु असंखेज्जवित्थडेसु नरएसु एगसमएणं केवतिया नेरइया उववज्जंति जाव केवतिया अनागारोवउत्ता उववज्जंति? गोयमा! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु असंखेज्जवित्थडेसु नरएसु एगसमएणं जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं असंखेज्जा नेरइया उववज्जंति। एवं जहेव संखेज्जवित्थडेसु तिन्नि गमगा तहा असंखेज्जवित्थडेसु वि तिन्नि गमगा भाणियव्वा, नवरं–असंखेज्जा भाणियव्वा, सेसं तं चेव जाव असंखेज्जा अचरिमा पन्नत्ता, नवरं–संखेज्जवित्थडेसु असंखेज्जवित्थडेसु वि ओहिनाणी ओहिदंसणी य संखेज्जा उव्वट्टावेयव्वा, सेसं तं चेव। सक्करप्पभाए णं भंते! पुढवीए केवतिया निरयावाससयसहस्सा पन्नत्ता? गोयमा! पणुवीसं निरयावाससयसहस्सा पन्नत्ता। ते णं भंते! किं संखेज्जवित्थडा? असंखेज्जवित्थडा? एवं जहा रयणप्पभाए तहा सक्करप्पभाए वि, नवरं–असण्णी तिसु वि गमएसु न भण्णति, सेसं तं चेव। वालुयप्पभाए णं–पुच्छा। गोयमा! पन्नरस निरयावाससयसहस्सा पन्नत्ता, सेसं जहा सक्करप्पभाए, नाणत्तं लेसासु, लेसाओ जहा पढमसए। पंकप्पभाए णं–पुच्छा। गोयमा! दस निरयावाससयसहस्सा पन्नत्ता, एवं जहा सक्करप्पभाए, नवरं–ओहिनाणी ओहिदंसणी न य उव्वट्टंति, सेसं तं चेव। धूमप्पभाए णं–पुच्छा। गोयमा! तिन्नि निरयावाससयसहस्सा, एवं जहा पंकप्पभाए। तमाए णं भंते! पुढवीए केवतिया निरयावाससयसहस्सा पन्नत्ता? गोयमा! एगे पंचूणे निरयावाससयसहस्से पन्नत्ते। सेसं जहा पंकप्पभाए। अहेसत्तमाए णं भंते! पुढवीए कति अनुत्तरा महतिमहालया महानिरया पन्नत्ता? गोयमा! पंच अनुत्तरा महतिमहालया महानिरया पन्नत्ता, तं जहा–काले, महाकाले, रोरुए, महारोरुए, अपइट्ठाणे। ते णं भंते! किं संखेज्जवित्थडा? असंखेज्जवित्थडा? गोयमा! संखेज्जवित्थडे य असंखेज्जवित्थडा य। अहेसत्तमाए णं भंते! पुढवीए पंचसु अणुत्तरेसु महतिमहालएसु महानिरएसु संखेज्जवित्थडे नरए एगसमएणं केव-तिया नेरइया उववज्जंति? एवं जहा पंकप्पभाए, नवरं–तिसु नाणेसु न उववज्जंति, न उव्वट्टंति, पन्नत्तएसु तहेव अत्थि। एवं असंखेज्जवित्थडेसु वि, नवरं–असंखेज्जा भाणियव्वा। | ||
Sutra Meaning : | राजगृह नगर में यावत् पूछा – भगवन् ! (नरक – ) पृथ्वीयाँ कितनी हैं ? गौतम ! सात, यथा – रत्नप्रभा यावत् अधःसप्तम पृथ्वी। भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी में कितने लाख नारकावास हैं ? गौतम ! तीस लाख। भगवन् ! वे नारकावास संख्येय (योजन) विस्तृत हैं या असंख्येय (योजन) विस्तृत हैं ? गौतम ! वे संख्येय (योजन) विस्तृत भी हैं और असंख्येय (योजन) विस्तृत भी हैं। भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी के तीस लाख नारकावासों में से संख्येयविस्तृत नरकों में एक समय में कितने नैरयिक जीव उत्पन्न होते हैं ? कितने कापोतलेश्या वाले नैरयिक जीव उत्पन्न होते हैं ? कितने कृष्णपाक्षिक जीव उत्पन्न होते हैं ? कितने शुक्लपाक्षिक जीव उत्पन्न होते हैं ? कितने संज्ञी जीव उत्पन्न होते हैं ? कितने असंज्ञी जीव उत्पन्न होते हैं ? कितने भवसिद्धिक जीव उत्पन्न होते हैं ? कितने अभवसिद्धिक जीव उत्पन्न होते हैं ? कितने आभिनिबोधिकज्ञानी उत्पन्न होते हैं ? कितने श्रुतज्ञानी उत्पन्न होते हैं ? कितने अवधिज्ञानी उत्पन्न होते हैं ? कितने मति – अज्ञानी उत्पन्न होते हैं ? कितने श्रुत – अज्ञानी उत्पन्न होते हैं ? कितने विभंगज्ञानी उत्पन्न होते हैं ? कितने चक्षुदर्शनी उत्पन्न होते हैं ? कितने अचक्षुदर्शनी उत्पन्न होते हैं ? कितने अवधिदर्शनी उत्पन्न होते हैं ? कितने आहार – संज्ञा के उपयोग वाले जीव उत्पन्न होते हैं ? कितने भय – संज्ञा के उपयोग वाले जीव उत्पन्न होते हैं ? कितने मैथुन – संज्ञा के उपयोग वाले जीव उत्पन्न होते हैं ? कितने परिग्रह – संज्ञा के उपयोग वाले जीव उत्पन्न होते हैं ? कितने स्त्रीवेदक जीव उत्पन्न होते हैं ? कितने पुरुषवेदक जीव उत्पन्न होते हैं ? कितने नपुंसकवेदक जीव उत्पन्न होते हैं ? कितने क्रोधकषायी जीव उत्पन्न होते हैं ? यावत् कितने लोभकषायी उत्पन्न होते हैं ? कितने श्रोत्रेन्द्रिय के उपयोग वाले उत्पन्न होते हैं ? यावत् कितने स्पर्शेन्द्रिय के उपयोग वाले जीव उत्पन्न होते हैं ? कितने नो – इन्द्रिय (मन) के उपयोग वाले जीव उत्पन्न होते हैं ? कितने मनोयोगी जीव उत्पन्न होते हैं ? कितने वचनयोगी जीव उत्पन्न होते हैं ? कितने काययोगी उत्पन्न होते हैं? कितने साकारोपयोगीवाले जीव उत्पन्न होते हैं ? और कितने अनाकारोपयोगवाले जीव उत्पन्न होते हैं? गौतम ! इस रत्नप्रभापृथ्वी के तीस लाख नारकावासों में से संख्येयविस्तृत नरकों में एक समय में जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट संख्यात नैरयिक उत्पन्न होते हैं। जघन्य एक, दो या तीन, और उत्कृष्ट संख्यात कापोतलेश्यी जीव उत्पन्न होते हैं। जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट संख्यात कृष्णपाक्षिक उत्पन्न होते हैं। इसी प्रकार शुक्लपाक्षिक, संज्ञी, असंज्ञी, भवसिद्धिक, अभवसिद्धिक, आभिनिबोधिक ज्ञानी, श्रुत – ज्ञानी, मति – अज्ञानी, श्रुत – अज्ञानी, विभंग – ज्ञानी जीवों के विषय में भी जानना। चक्षुदर्शनी जीव उत्पन्न नहीं होते। अचक्षुदर्शनी जीव जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट संख्यात उत्पन्न होते हैं। इसी प्रकार अवधिदर्शनी, आहारसंज्ञोपयुक्त, यावत् परिग्रहसंज्ञोपयुक्त भी जानना। स्त्रीवेदी जीव उत्पन्न नहीं होते, न पुरुषवेदी जीव उत्पन्न होते हैं। नपुंसकवेदी जीव जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट संख्यात उत्पन्न होते हैं। इसी प्रकार क्रोधकषायी यावत् लोभकषायी जीवों को जानना। श्रोत्रेन्द्रियोपयुक्त यावत् स्पर्शेन्द्रियोपयुक्त जीव वहाँ उत्पन्न नहीं होते। नो – इन्द्रियोपयुक्त जीव जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट संख्यात उत्पन्न होते हैं। मनोयोगी और वचनयोगी जीव वहाँ उत्पन्न नहीं होते, काययोगी जीव जघन्य एक, दो, तीन और उत्कृष्ट संख्यात उत्पन्न होते हैं। इसी प्रकार साकारोपयोग वाले एवं अनाकारो – पयोग वाले जीवों के विषय में भी समझना। भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी के तीस लाख नारकावासों में से संख्यात योजन विस्तार वाले नरकों में से एक समय में कितने नैरयिक उद्वर्त्तते हैं ? कितने कापोतलेश्यी नैरयिक उद्वर्त्तते हैं ? यावत् कितने अनाकारोपयुक्त नैरयिक उद्वर्त्तते हैं ? गौतम ! एक समय में जघन्य एक, दो अथवा तीन और उत्कृष्ट संख्यात नैरयिक उद्वर्त्तते हैं। कापोतलेश्यी नैरयिक जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट संख्यात उद्वर्त्तते हैं। इसी प्रकार यावत् संज्ञी जीव तक नैरयिक – उद्वर्त्तना कहना। असंज्ञी जीव नहीं उद्वर्त्तते। भवसिद्धिक नैरयिक जीव जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट संख्यात उद्वर्त्तते हैं। इसी प्रकार यावत् श्रुत – अज्ञानी तक उद्वर्त्तना कहनी चाहिए। विभंगज्ञानी नहीं उद्वर्त्तते। चक्षुदर्शनी भी नहीं उद्वर्त्तते। अचक्षुदर्शनी जीव जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट संख्यात उद्वर्त्तते हैं। इसी प्रकार यावत् लोभकषायी नैरयिक जीवों तक की उद्वर्त्तना कहना। श्रोत्रेन्द्रिय यावत् स्पर्शेन्द्रिय के उपयोग वाले भी नहीं उद्वर्त्तते। नोइन्द्रियोपयोगयुक्त नैरयिक जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट संख्यात उद्वर्त्तते हैं। मनोयोगी और वचनयोगी भी नहीं उद्वर्त्तते। काययोगी जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट संख्यात उद्वर्त्तते हैं। इसी प्रकार साकारोपयोग वाले और अनाकारोपयोग वाले नैरयिक जीवों की उद्वर्त्तना कहना। भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी के तीस लाख नारकावासों में से संख्यात योजन विस्तार वाले नरकों में कितने नारक कहे गए हैं ? कितने कापोतलेश्यी यावत् कितने अनाकारोपयोग वाले नैरयिक हैं ? कितने अनन्तरोपपन्नक कहे गए हैं ? कितने परम्परोपपन्नक कहे गए हैं ? कितने अनन्तरावगाढ कहे गए हैं ? कितने परम्परावगाढ कहे गए हैं ? कितने अनन्तराहारक कहे गए हैं ? कितने परम्पराहारक कहे गए हैं ? कितने अनन्तपर्याप्तक कहे गए हैं ? कितने परम्परपर्याप्तक कहे गए हैं ? कितने चरम कहे गए हैं ? और कितने अचरम कहे गए हैं ? गौतम ! संख्यात नैरयिक हैं। संख्यात कापोतलेश्यी जीव हैं। इसी प्रकार यावत् संख्यात संज्ञी जीव हैं। असंज्ञी जीव कदाचित् होते हैं और कदाचित् नहीं होते। यदि होते हैं तो जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट संख्यात होते हैं। भवसिद्धिक जीव संख्यात हैं। इसी प्रकार यावत् परिग्रहसंज्ञा के उपयोग वाले नैरयिक संख्यात हैं। (वहाँ) स्त्रीवेदक नहीं होते, पुरुषवेदक भी नहीं होते। (वहाँ) नपुंसकवेदी संख्यात कहे गए हैं। इसी प्रकार क्रोधकषायी भी संख्यात होते हैं। मानकषायी नैरयिक असंज्ञी नैरयिकों के समान। इसी प्रकार यावत् लोभकषायी नैरयिकों के विषय में भी कहना। श्रोत्रेन्द्रिय यावत् स्पर्शेन्द्रियोपयोगयुक्त नैरयिक संख्यात हैं। नो – इन्द्रियोपयोगयुक्त नारक, असंज्ञी नारक जीवों के समान हैं। मनोयोगी यावत् अनाकारोपयोग वाले नैरयिक संख्यात कहे गए हैं। अनन्तरोपपन्नक नैरयिक कदाचित् होते हैं, कदाचित् नहीं होते; यदि होते हैं तो असंज्ञी जीवों के समान होते हैं। परम्परोपपन्नक नैरयिक संख्यात होते हैं। अनन्तरोपपन्नक के समान अनन्तरावगाढ, अनन्तराहारक और अनन्तरपर्याप्तक के विषय में कहना। परम्परो – पपन्नक के समान परम्परावगाढ, परम्पराहारक, परम्परपर्याप्तक, चरम और अचरम (का कथन करना)। भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी के तीस लाख नारकावासों में से असंख्यात योजन विस्तार वाले नरकों में एक समय में कितने नैरयिक उत्पन्न होते हैं; यावत् कितने अनाकारोपयोग वाले नैरयिक उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! एक समय में जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट असंख्यात नैरयिक उत्पन्न होते हैं। संख्यात योजन के समान असंख्यात योजन वाले नरकों के विषय में भी तीन आलापक कहने चाहिए। इनमें विशेषता यह है कि ‘संख्यात’ के बदले ‘असंख्यात’ कहना चाहिए। शेष सब यावत् ‘असंख्यात अचरम कहे गए हैं’, यहाँ तक पूर्ववत् कहना चाहिए। इनमें लेश्याओं में नानात्व है। लेश्यासम्बन्धी कथन प्रथम शतक के अनुसार तथा विशेष इतना ही है कि संख्यात योजन और असंख्यात योजन विस्तार वाले नारकावासों में से अवधिज्ञानी और अवधिदर्शनी संख्यात ही उद्वर्त्तन करते हैं, ऐसा कहना। शेष पूर्ववत्। भगवन् ! शर्कराप्रभापृथ्वी में कितने नारकावास हैं ? गौतम ! पच्चीस लाख। भगवन् ! वे नारकावास क्या संख्यात योजन विस्तार वाले हैं, अथवा असंख्यात योजन विस्तार वाले ? गौतम ! रत्नप्रभापृथ्वी के अनुसार शर्करा प्रभा के विषयमें कहना। विशेष यह है कि उत्पाद, उद्वर्त्तना और सत्ता, इन तीनों ही आलापकोंमें ‘असंज्ञी’ नहीं कहना। शेष सभी पूर्ववत्। भगवन् ! बालुकाप्रभापृथ्वी में कितने नारकावास हैं ? गौतम ! पन्द्रह लाख। शेष सब कथन शर्कराप्रभा के समान करना। यहाँ लेश्याओं के विषय में विशेषता है। लेश्या का कथन प्रथम शतक के समान कहना भगवन् ! पंकप्रभापृथ्वी में कितने नारकावास कहे गए हैं ? गौतम ! दस लाख। शर्कराप्रभा के समान यहाँ भी कहना। विशेषता यह है कि (इस पृथ्वी से) अवधिज्ञानी और अवधिदर्शनी उद्वर्त्तन नहीं करते। शेष पूर्ववत्। भगवन् ! धूमप्रभापृथ्वी में कितने नारकावास हैं ? गौतम ! तीन लाख। पंकप्रभापृथ्वी के समान यहाँ भी कहना। भगवन् ! तमःप्रभापृथ्वी में कितने नारकावास हैं ? गौतम ! पाँच कम एक लाख। शेष पंकप्रभा के समान जानना। भगवन् ! अधःसप्तमपृथ्वी में अनुत्तर और बहुत बड़े कितने महानारकावास हैं ? गौतम ! पाँच अनुत्तर और बहुत बड़े नारकावास हैं, यथा काल – यावत् अप्रतिष्ठान्। भगवन् ! वे नारकावास क्या संख्यात योजन विस्तार वाले हैं, या असंख्यात योजन विस्तार वाले ? गौतम ! एक (मध्य का अप्रतिष्ठान) नारकावास संख्यात योजन विस्तार वाला है, और शेष (चार नारकावास) असंख्यात – योजन विस्तार वाले हैं। भगवन् ! अधःसप्तमपृथ्वी के पाँच अनुत्तर और बहुत बड़े यावत् महानरकों में से संख्यात योजन विस्तार वाले अप्रतिष्ठान नारकावास में एक समय में कितने नैरयिक उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! पंकप्रभा के समान कहना। विशेष यह है कि यहाँ तीन ज्ञान वाले न तो उत्पन्न होते हैं, न ही उद्वर्त्तन करते हैं। परन्तु इन पाँचों नारकावासों में रत्नप्रभापृथ्वी आदि के समान तीनों ज्ञान वाले पाये जाते हैं। संख्यात योजन विस्तार वाले असंख्यात योजन विस्तार वाले नारकावासों के विषय में भी कहना। विशेष यह है कि यहाँ ‘संख्यात’ के स्थान पर ‘असंख्यात’ पाठ कहना। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] rayagihe java evam vayasi–kati nam bhamte! Pudhavio pannattao? Goyama! Satta pudhavio pannattao, tam jaha–rayanappabha java ahesattama. Imise nam bhamte! Rayanappabhae pudhavie kevatiya nirayavasasayasahassa pannatta? Goyama! Tisam nirayavasasayasahassa pannatta. Te nam bhamte! Kim samkhejjavitthada? Asamkhejjavitthada? Goyama! Samkhejjavitthada vi, asamkhejjavitthada vi. Imise nam bhamte! Rayanappabhae pudhavie tisae nirayavasasayasahassesu samkhejjavitthadesu naraesu 1. Egasamaenam kevatiya neraiya uvavajjamti? 2. Kevatiya kaulessa uvavajjamti? 3. Kevatiya kanhapakkhiya uvavajjamti? 4. Kevatiya sukkapakkhiya uvavajjamti? 5. Kevatiya sanni uvavajjamti? 6. Kevatiya asanni uvavajjamti? 7. Kevatiya bhavasiddhiya uvavajjamti? 8. Keva-tiya abhavasiddhiya uvavajjamti? 9. Kevatiya abhinibohiyanani uvavajjamti? 10. Kevatiya suyanani uvavajjamti? 11. Kevatiya ohinani uvavajjamti? 12. Kevatiya maiannani uvavajjamti? 13. Kevatiya suyaannani uvavajjamti? 14. Kevatiya vibbhamganani uvavajjamti? 15. Kevatiya chakkhudamsani uvavajjamti? 16. Kevatiya achakkhudamsani uvavajjamti? 17. Kevatiya ohidamsani uvavajjamti? 18. Kevatiya aharasannovautta uvavajjamti? 19. Kevatiya bhayasannovautta uvavajjamti? 20. Kevatiya mehunasannovautta uvavajjamti? 21. Kevatiya pariggahasannovautta uvavajjamti? 22. Kevatiya itthivedaga uvava-jjamti? 23. Kevatiya purisavedaga uvavajjamti? 24. Kevatiya napumsagavedaga uvavajjamti? 25-28. Kevatiya kohakasai uvava-jjamti java kevatiya lobhakasai uvavajjati? 29-33. Kevatiya soimdiyovautta uvavajjamti java kevatiya phasimdiyovautta uva vajjamti? 34. Kevatiya noimdiyovautta uvavajjamti? 35. Kevatiya manajogi uvavajjamti? 36. Kevatiya vaijogi uvavajjamti? 37. Kevatiya kayajogi uvavajjamti? 38. Kevatiya sagarovautta uvavajjamti? 39. Kevatiya anagarovautta uvavajjamti? Goyama! Imise rayanappabhae pudhavie tisae nirayavasasayasahassesu samkhejjavitthadesu naraesu jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam samkhejja neraiya uvavajjamti. Jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam samkhejja kaulessa uvavajjamti. Jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam samkhejja kanhapakkhiya uvavajjamti. Evam sukkapakkhiya vi, evam sanni, evam asanni, evam bhavasiddhiya, abhavasiddhiya, abhinibohiyanani, suyanani, ohinani, maiannani, suya-annani, vibhamganani. Chakkhudamsani na uvavajjamti. Jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam samkhejja achakkhudamsani uvavajjamti, evam ohidamsani vi. Aharasannovautta vi java pariggaha-sannovautta vi. Itthiveyaga na uvavajjamti, purisaveyaga na uvavajjamti. Jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam samkhejja napumsagaveyaga uvavajjamti. Evam kohakasai java lobhakasai. Soimdiyo-vautta na uvavajjamti, evam java phasimdiovautta na uvavajjamti. Jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam samkhejja noimdi-ovautta uvavajjamti. Manajogi na uvavajjamti, evam vaijogi vi. Jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam samkhejja kaya-jogi uvavajjamti. Evam sagarovautta vi, evam anagarovautta vi. Imise nam bhamte! Rayanappabhae pudhavie tisae nirayavasasayasahassesu samkhejjavitthadesu naraesu egasamaenam kevatiya neraiya uvvattamti? Kevatiya kaulessa uvvattamti java kevatiya anagarovautta uvvattamti? Goyama! Imise rayanappabhae pudhavie tisae nirayavasasayasahassesu samkhejjavitthadesu naraesu egasamaenam jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam samkhejja neraiya uvvattamti. Jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam samkhejja kaulessa uvvattamti. Evam java sanni. Asanni na uvvattamti. Jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam samkhejja bhavasiddhiya uvvattamti. Evam java suyaannani. Vibhamganani na uvvattamti, chakkhudamsani na uvvattamti. Jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam samkhejja achakkhudamsani uvvattamti. Evam java lobhakasai. Soimdiyovautta na uvvattamti, evam java phasimdiyovautta na uvvattamti. Jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam samkhejja noimdiyovautta uvvattamti. Manajogi na uvvattamti, evam vaijogi vi. Jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam samkhejja kayajogi uvvattamti. Evam sagarovautta, anagarovautta. Imise nam bhamte! Rayanappabhae pudhavie tisae nirayavasasayasahassesu samkhejjavitthadesu naraesu kevatiya neraiya pannatta? Kevatiya kaulessa java kevatiya anagarovautta pannatta? Kevatiya anamtarovavannaga pannatta? Kevatiya paramparovavannaga pannatta? Kevatiya anamtarovagadha pannatta? Kevatiya paramparovagadha pannatta? Kevatiya anamtarahara pannatta? Kevatiya paramparahara pannatta? Kevatiya anamtarapajjatta pannatta? Kevatiya paramparapajjatta pannatta? Kevatiya charima pannatta? Kevatiya acharima pannatta? Goyama! Imise rayanappabhae pudhavie tisae nirayavasasayasahassesu samkhejjavitthadesu naraesu samkhejja neraiya pannatta, samkhejja kaulessa pannatta, evam java samkhejja sanni pannatta. Asanni siya atthi, siya natthi. Jai atthi jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam samkhejja pannatta. Samkhejja bhavasiddhiya pannatta. Evam java samkhejja pariggahasannovautta pannatta. Itthi vedaga natthi, purisavedaga natthi, samkhejja napumsagavedaga pannatta. Evam kohakasai vi, manakasai jaha asanni, evam java lobhakasai. Samkhejja soimdiyovautta pannatta, evam java phasimdiyovautta. Noimdiyovautta jaha asanni. Samkhejja manajogi pannatta. Evam java anagarovautta. Anamtarovannaga siya atthi, siya natthi. Jai atthi jaha asanni. Samkhejja paramparovavannaga pannatta. Evam jaha anamtarovavannaga taha anamtarovagadhaga, anamtaraharaga, anamtarapajjattaga. Paramparovagadhaga java acharima jaha paramparovavannaga. Imise nam bhamte! Rayanappabhae pudhavie tisae nirayavasasayasahassesu asamkhejjavitthadesu naraesu egasamaenam kevatiya neraiya uvavajjamti java kevatiya anagarovautta uvavajjamti? Goyama! Imise rayanappabhae pudhavie tisae nirayavasasayasahassesu asamkhejjavitthadesu naraesu egasamaenam jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam asamkhejja neraiya uvavajjamti. Evam jaheva samkhejjavitthadesu tinni gamaga taha asamkhejjavitthadesu vi tinni gamaga bhaniyavva, navaram–asamkhejja bhaniyavva, sesam tam cheva java asamkhejja acharima pannatta, navaram–samkhejjavitthadesu asamkhejjavitthadesu vi ohinani ohidamsani ya samkhejja uvvattaveyavva, sesam tam cheva. Sakkarappabhae nam bhamte! Pudhavie kevatiya nirayavasasayasahassa pannatta? Goyama! Panuvisam nirayavasasayasahassa pannatta. Te nam bhamte! Kim samkhejjavitthada? Asamkhejjavitthada? Evam jaha rayanappabhae taha sakkarappabhae vi, navaram–asanni tisu vi gamaesu na bhannati, sesam tam cheva. Valuyappabhae nam–puchchha. Goyama! Pannarasa nirayavasasayasahassa pannatta, sesam jaha sakkarappabhae, nanattam lesasu, lesao jaha padhamasae. Pamkappabhae nam–puchchha. Goyama! Dasa nirayavasasayasahassa pannatta, evam jaha sakkarappabhae, navaram–ohinani ohidamsani na ya uvvattamti, sesam tam cheva. Dhumappabhae nam–puchchha. Goyama! Tinni nirayavasasayasahassa, evam jaha pamkappabhae. Tamae nam bhamte! Pudhavie kevatiya nirayavasasayasahassa pannatta? Goyama! Ege pamchune nirayavasasayasahasse pannatte. Sesam jaha pamkappabhae. Ahesattamae nam bhamte! Pudhavie kati anuttara mahatimahalaya mahaniraya pannatta? Goyama! Pamcha anuttara mahatimahalaya mahaniraya pannatta, tam jaha–kale, mahakale, rorue, maharorue, apaitthane. Te nam bhamte! Kim samkhejjavitthada? Asamkhejjavitthada? Goyama! Samkhejjavitthade ya asamkhejjavitthada ya. Ahesattamae nam bhamte! Pudhavie pamchasu anuttaresu mahatimahalaesu mahaniraesu samkhejjavitthade narae egasamaenam keva-tiya neraiya uvavajjamti? Evam jaha pamkappabhae, navaram–tisu nanesu na uvavajjamti, na uvvattamti, pannattaesu taheva atthi. Evam asamkhejjavitthadesu vi, navaram–asamkhejja bhaniyavva. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Rajagriha nagara mem yavat puchha – bhagavan ! (naraka – ) prithviyam kitani haim\? Gautama ! Sata, yatha – ratnaprabha yavat adhahsaptama prithvi. Bhagavan ! Isa ratnaprabhaprithvi mem kitane lakha narakavasa haim\? Gautama ! Tisa lakha. Bhagavan ! Ve narakavasa samkhyeya (yojana) vistrita haim ya asamkhyeya (yojana) vistrita haim\? Gautama ! Ve samkhyeya (yojana) vistrita bhi haim aura asamkhyeya (yojana) vistrita bhi haim. Bhagavan ! Isa ratnaprabhaprithvi ke tisa lakha narakavasom mem se samkhyeyavistrita narakom mem eka samaya mem kitane nairayika jiva utpanna hote haim\? Kitane kapotaleshya vale nairayika jiva utpanna hote haim\? Kitane krishnapakshika jiva utpanna hote haim\? Kitane shuklapakshika jiva utpanna hote haim\? Kitane samjnyi jiva utpanna hote haim\? Kitane asamjnyi jiva utpanna hote haim\? Kitane bhavasiddhika jiva utpanna hote haim\? Kitane abhavasiddhika jiva utpanna hote haim\? Kitane abhinibodhikajnyani utpanna hote haim\? Kitane shrutajnyani utpanna hote haim\? Kitane avadhijnyani utpanna hote haim\? Kitane mati – ajnyani utpanna hote haim\? Kitane shruta – ajnyani utpanna hote haim\? Kitane vibhamgajnyani utpanna hote haim\? Kitane chakshudarshani utpanna hote haim\? Kitane achakshudarshani utpanna hote haim\? Kitane avadhidarshani utpanna hote haim\? Kitane ahara – samjnya ke upayoga vale jiva utpanna hote haim\? Kitane bhaya – samjnya ke upayoga vale jiva utpanna hote haim\? Kitane maithuna – samjnya ke upayoga vale jiva utpanna hote haim\? Kitane parigraha – samjnya ke upayoga vale jiva utpanna hote haim\? Kitane strivedaka jiva utpanna hote haim\? Kitane purushavedaka jiva utpanna hote haim\? Kitane napumsakavedaka jiva utpanna hote haim\? Kitane krodhakashayi jiva utpanna hote haim\? Yavat kitane lobhakashayi utpanna hote haim\? Kitane shrotrendriya ke upayoga vale utpanna hote haim\? Yavat kitane sparshendriya ke upayoga vale jiva utpanna hote haim\? Kitane no – indriya (mana) ke upayoga vale jiva utpanna hote haim\? Kitane manoyogi jiva utpanna hote haim\? Kitane vachanayogi jiva utpanna hote haim\? Kitane kayayogi utpanna hote haim? Kitane sakaropayogivale jiva utpanna hote haim\? Aura kitane anakaropayogavale jiva utpanna hote haim? Gautama ! Isa ratnaprabhaprithvi ke tisa lakha narakavasom mem se samkhyeyavistrita narakom mem eka samaya mem jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta samkhyata nairayika utpanna hote haim. Jaghanya eka, do ya tina, aura utkrishta samkhyata kapotaleshyi jiva utpanna hote haim. Jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta samkhyata krishnapakshika utpanna hote haim. Isi prakara shuklapakshika, samjnyi, asamjnyi, bhavasiddhika, abhavasiddhika, abhinibodhika jnyani, shruta – jnyani, mati – ajnyani, shruta – ajnyani, vibhamga – jnyani jivom ke vishaya mem bhi janana. Chakshudarshani jiva utpanna nahim hote. Achakshudarshani jiva jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta samkhyata utpanna hote haim. Isi prakara avadhidarshani, aharasamjnyopayukta, yavat parigrahasamjnyopayukta bhi janana. Strivedi jiva utpanna nahim hote, na purushavedi jiva utpanna hote haim. Napumsakavedi jiva jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta samkhyata utpanna hote haim. Isi prakara krodhakashayi yavat lobhakashayi jivom ko janana. Shrotrendriyopayukta yavat sparshendriyopayukta jiva vaham utpanna nahim hote. No – indriyopayukta jiva jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta samkhyata utpanna hote haim. Manoyogi aura vachanayogi jiva vaham utpanna nahim hote, kayayogi jiva jaghanya eka, do, tina aura utkrishta samkhyata utpanna hote haim. Isi prakara sakaropayoga vale evam anakaro – payoga vale jivom ke vishaya mem bhi samajhana. Bhagavan ! Isa ratnaprabhaprithvi ke tisa lakha narakavasom mem se samkhyata yojana vistara vale narakom mem se eka samaya mem kitane nairayika udvarttate haim\? Kitane kapotaleshyi nairayika udvarttate haim\? Yavat kitane anakaropayukta nairayika udvarttate haim\? Gautama ! Eka samaya mem jaghanya eka, do athava tina aura utkrishta samkhyata nairayika udvarttate haim. Kapotaleshyi nairayika jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta samkhyata udvarttate haim. Isi prakara yavat samjnyi jiva taka nairayika – udvarttana kahana. Asamjnyi jiva nahim udvarttate. Bhavasiddhika nairayika jiva jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta samkhyata udvarttate haim. Isi prakara yavat shruta – ajnyani taka udvarttana kahani chahie. Vibhamgajnyani nahim udvarttate. Chakshudarshani bhi nahim udvarttate. Achakshudarshani jiva jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta samkhyata udvarttate haim. Isi prakara yavat lobhakashayi nairayika jivom taka ki udvarttana kahana. Shrotrendriya yavat sparshendriya ke upayoga vale bhi nahim udvarttate. Noindriyopayogayukta nairayika jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta samkhyata udvarttate haim. Manoyogi aura vachanayogi bhi nahim udvarttate. Kayayogi jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta samkhyata udvarttate haim. Isi prakara sakaropayoga vale aura anakaropayoga vale nairayika jivom ki udvarttana kahana. Bhagavan ! Isa ratnaprabhaprithvi ke tisa lakha narakavasom mem se samkhyata yojana vistara vale narakom mem kitane naraka kahe gae haim\? Kitane kapotaleshyi yavat kitane anakaropayoga vale nairayika haim\? Kitane anantaropapannaka kahe gae haim\? Kitane paramparopapannaka kahe gae haim\? Kitane anantaravagadha kahe gae haim\? Kitane paramparavagadha kahe gae haim\? Kitane anantaraharaka kahe gae haim\? Kitane paramparaharaka kahe gae haim\? Kitane anantaparyaptaka kahe gae haim\? Kitane paramparaparyaptaka kahe gae haim\? Kitane charama kahe gae haim\? Aura kitane acharama kahe gae haim\? Gautama ! Samkhyata nairayika haim. Samkhyata kapotaleshyi jiva haim. Isi prakara yavat samkhyata samjnyi jiva haim. Asamjnyi jiva kadachit hote haim aura kadachit nahim hote. Yadi hote haim to jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta samkhyata hote haim. Bhavasiddhika jiva samkhyata haim. Isi prakara yavat parigrahasamjnya ke upayoga vale nairayika samkhyata haim. (vaham) strivedaka nahim hote, purushavedaka bhi nahim hote. (vaham) napumsakavedi samkhyata kahe gae haim. Isi prakara krodhakashayi bhi samkhyata hote haim. Manakashayi nairayika asamjnyi nairayikom ke samana. Isi prakara yavat lobhakashayi nairayikom ke vishaya mem bhi kahana. Shrotrendriya yavat sparshendriyopayogayukta nairayika samkhyata haim. No – indriyopayogayukta naraka, asamjnyi naraka jivom ke samana haim. Manoyogi yavat anakaropayoga vale nairayika samkhyata kahe gae haim. Anantaropapannaka nairayika kadachit hote haim, kadachit nahim hote; yadi hote haim to asamjnyi jivom ke samana hote haim. Paramparopapannaka nairayika samkhyata hote haim. Anantaropapannaka ke samana anantaravagadha, anantaraharaka aura anantaraparyaptaka ke vishaya mem kahana. Paramparo – papannaka ke samana paramparavagadha, paramparaharaka, paramparaparyaptaka, charama aura acharama (ka kathana karana). Bhagavan ! Isa ratnaprabhaprithvi ke tisa lakha narakavasom mem se asamkhyata yojana vistara vale narakom mem eka samaya mem kitane nairayika utpanna hote haim; yavat kitane anakaropayoga vale nairayika utpanna hote haim\? Gautama ! Eka samaya mem jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta asamkhyata nairayika utpanna hote haim. Samkhyata yojana ke samana asamkhyata yojana vale narakom ke vishaya mem bhi tina alapaka kahane chahie. Inamem visheshata yaha hai ki ‘samkhyata’ ke badale ‘asamkhyata’ kahana chahie. Shesha saba yavat ‘asamkhyata acharama kahe gae haim’, yaham taka purvavat kahana chahie. Inamem leshyaom mem nanatva hai. Leshyasambandhi kathana prathama shataka ke anusara tatha vishesha itana hi hai ki samkhyata yojana aura asamkhyata yojana vistara vale narakavasom mem se avadhijnyani aura avadhidarshani samkhyata hi udvarttana karate haim, aisa kahana. Shesha purvavat. Bhagavan ! Sharkaraprabhaprithvi mem kitane narakavasa haim\? Gautama ! Pachchisa lakha. Bhagavan ! Ve narakavasa kya samkhyata yojana vistara vale haim, athava asamkhyata yojana vistara vale\? Gautama ! Ratnaprabhaprithvi ke anusara sharkara prabha ke vishayamem kahana. Vishesha yaha hai ki utpada, udvarttana aura satta, ina tinom hi alapakommem ‘asamjnyi’ nahim kahana. Shesha sabhi purvavat. Bhagavan ! Balukaprabhaprithvi mem kitane narakavasa haim\? Gautama ! Pandraha lakha. Shesha saba kathana sharkaraprabha ke samana karana. Yaham leshyaom ke vishaya mem visheshata hai. Leshya ka kathana prathama shataka ke samana kahana Bhagavan ! Pamkaprabhaprithvi mem kitane narakavasa kahe gae haim\? Gautama ! Dasa lakha. Sharkaraprabha ke samana yaham bhi kahana. Visheshata yaha hai ki (isa prithvi se) avadhijnyani aura avadhidarshani udvarttana nahim karate. Shesha purvavat. Bhagavan ! Dhumaprabhaprithvi mem kitane narakavasa haim\? Gautama ! Tina lakha. Pamkaprabhaprithvi ke samana yaham bhi kahana. Bhagavan ! Tamahprabhaprithvi mem kitane narakavasa haim\? Gautama ! Pamcha kama eka lakha. Shesha pamkaprabha ke samana janana. Bhagavan ! Adhahsaptamaprithvi mem anuttara aura bahuta bare kitane mahanarakavasa haim\? Gautama ! Pamcha anuttara aura bahuta bare narakavasa haim, yatha kala – yavat apratishthan. Bhagavan ! Ve narakavasa kya samkhyata yojana vistara vale haim, ya asamkhyata yojana vistara vale\? Gautama ! Eka (madhya ka apratishthana) narakavasa samkhyata yojana vistara vala hai, aura shesha (chara narakavasa) asamkhyata – yojana vistara vale haim. Bhagavan ! Adhahsaptamaprithvi ke pamcha anuttara aura bahuta bare yavat mahanarakom mem se samkhyata yojana vistara vale apratishthana narakavasa mem eka samaya mem kitane nairayika utpanna hote haim\? Gautama ! Pamkaprabha ke samana kahana. Vishesha yaha hai ki yaham tina jnyana vale na to utpanna hote haim, na hi udvarttana karate haim. Parantu ina pamchom narakavasom mem ratnaprabhaprithvi adi ke samana tinom jnyana vale paye jate haim. Samkhyata yojana vistara vale asamkhyata yojana vistara vale narakavasom ke vishaya mem bhi kahana. Vishesha yaha hai ki yaham ‘samkhyata’ ke sthana para ‘asamkhyata’ patha kahana. |