Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003950 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-९ |
Translated Chapter : |
शतक-९ |
Section : | उद्देशक-३१ अशोच्चा | Translated Section : | उद्देशक-३१ अशोच्चा |
Sutra Number : | 450 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] सोच्चा णं भंते! केवलिस्स वा, केवलिसावगस्स वा, केवलिसावियाए वा, केवलिउवासगस्स वा, केवलिउवासियाए वा, तप्पक्खियस्स वा, तप्पक्खियसावगस्सवा, तप्पक्खियसावियाए वा, तप्पक्खियउवासगस्स वा, तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेज्ज सवणयाए? गोयमा! सोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेज्ज सवणयाए, अत्थेगतिए केवलिपन्नत्तं धम्मं नो लभेज्ज सवणयाए। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–सोच्चा णं जाव नो लभेज्ज सवणयाए? गोयमा! जस्स णं नाणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे कडे भवइ से णं सोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेज्ज सवणयाए, जस्स णं नाणावरणि-ज्जाणं कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ से णं सोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपन्नत्तं धम्मं नो लभेज्ज सवणयाए। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ–सोच्चा णं जाव नो लभेज्ज सवणयाए। एवं जा चेव असोच्चाए वत्तव्वया सा चेव सोच्चाए वि भाणियव्वा, नवरं–अभिलावो सोच्चे त्ति, सेसं तं चेव निरवसेसं जाव जस्स णं मनपज्जवनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे कडे भवइ, जस्स णं केवलनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खए कडे भवइ से णं सोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेज्ज सवणयाए, केवलं बोहिं बुज्झेज्जा जाव केवलनाणं उप्पाडेज्जा। तस्स णं अट्ठमंअट्ठमेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणस्स पगइभद्दयाए, पगइउवसंतयाए, पगइपयणुकोह-मान-माया-लोभयाए, मिउमद्दवसंपन्नयाए, अल्लीणयाए, विणीय-याए, अन्नया कयावि सुभेणं अज्झवसाणेणं, सुभेणं परिणामेणं, लेस्साहिं विसुज्झमाणीहिं-विसुज्झमाणीहिं तयावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमेणं ईहापोहमग्गणगवेसणं करेमाणस्स ओहिनाणे समुप्पज्जइ। से णं तेणं ओहिनाणेणं समुप्पन्नेणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं असंखेज्जाइं अलोए लोयप्पमाणमेत्ताइं खंडाइं जाणइ-पासइ। से णं भंते! कतिसु लेस्सासु होज्जा? गोयमा! छसु लेस्सासु होज्जा, तं जहा–कण्हलेस्साए जाव सुक्कलेस्साए। से णं भंते! कतिसु नाणेसु होज्जा? गोयमा! तिसु वा, चउसु वा होज्जा। तिसु होमाणे आभिनिबोहियनाण-सुयनाण-ओहिनाणेसु होज्जा, चउसु होमाणे आभि-णिबोहियनाण-सुयनाण-ओहिनाण-मनपज्जवनाणेसु होज्जा। से णं भंते! किं सजोगी होज्जा? अजोगी होज्जा? गोयमा! सजोगी होज्जा, नो अजोगी होज्जा। जइ सजोगी होज्जा, किं मणजोगी होज्जा? वइजोगी होज्जा? कायजोगी होज्जा? गोयमा! मणजोगी वा होज्जा, वइजोगी वा होज्जा, कायजोगी वा होज्जा। से णं भंते! किं सागारोवउत्ते होज्जा? अनागारोवउत्ते होज्जा? गोयमा! सागारोवउत्ते वा होज्जा, अनागारोवउत्ते वा होज्जा। से णं भंते! कयरम्मि संघयणे होज्जा? गोयमा! वइरोसभनारायसंघयणे होज्जा। से णं भंते! कयरम्मि संठाणे होज्जा? गोयमा! छण्हं संठाणाणं अन्नयरेसु संठाणे होज्जा। से णं भंते! कयरम्मि उच्चत्ते होज्जा? गोयमा! जहन्नेणं सत्तरयणीए, उक्कोसेणं पंचधनुसतिए होज्जा। से णं भंते! कयरम्मि आउए होज्जा? गोयमा! जहन्नेणं सातिरेगट्ठवासाउए, उक्कोसेणं पुव्वकोडिआउए होज्जा। से णं भंते! किं सवेदए होज्जा? अवेदए होज्जा? गोयमा! सवेदए वा होज्जा, अवेदए वा होज्जा। जइ अवेदए होज्जा किं उवसंतवेदए होज्जा? खीणवेदए होज्जा? गोयमा! नो उवसंतवेदए होज्जा, खीणवेदए होज्जा। जइ सवेदए होज्जा किं इत्थीवेदए होज्जा? पुरिसवेदए होज्जा? पुरिसनपुंसगवेदए होज्जा? गोयमा! इत्थीवेदए वा होज्जा, पुरिसवेदए वा होज्जा, पुरिस-नपुंसगवेदए वा होज्जा। से णं भंते! किं सकसाई होज्जा? अकसाई होज्जा? गोयमा! सकसाई वा होज्जा, अकसाई वा होज्जा। जइ अकसाई होज्जा किं उवसंतकसाई होज्जा? खीणकसाई होज्जा? गोयमा! नो उवसंतकसाई होज्जा, खीणकसाई होज्जा। जइ सकसाई होज्जा से णं भंते! कतिसु कसाएसु होज्जा? गोयमा! चउसु वा तिसु वा दोसु वा एक्कम्मि वा होज्जा। चउसु होमाणे चउसु–संजलणकोह-मान-माया-लोभेसु होज्जा, तिसु होमाणे तिसु–संजलण-मान-माया-लोभेसु होज्जा, दोसु होमाणे दोसु–संजलणमाया-लोभेसु होज्जा, एगम्मि होमाणे एगम्मि–संजलणलोभे होज्जा। तस्स णं भंते! केवतिया अज्झवसाणा पन्नत्ता? गोयमा! असंखेज्जा अज्झवसाणा पन्नत्ता। ते णं भंते! किं पसत्था? अप्पसत्था? गोयमा! पसत्था, नो अप्पसत्था। से णं भंते! तेहिं पसत्थेहिं अज्झवसाणेहिं वड्ढमाणेहिं अनंतेहिं नेरइयभवग्गहणेहिंतो अप्पाणं विसंजोएइ, अनंतेहिं तिरिक्खजोणियभवग्गहणेहिंतो अप्पाणं विसंजोएइ, अनंतेहिं मनुस्सभवग्ग-हणेहिंतो अप्पाणं विसंजोएइ, अनंतेहिं देवभवग्गहणेहिंतो अप्पाणं विसंजोएइ। जाओ वि य से इमाओ नेरइय-तिरिक्खजोणिय-मनुस्स-देवगतिनामाओ चत्तारि उत्तरपगडीओ, तासिं च णं ओवग्गहिए अनंतानुबंधी कोह-मान-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता अपच्चक्खाणकसाए कोह-मान-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता पच्चक्खाणावरणे कोह-मान-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता संजलणे कोह-मान-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता पंचविहं नाणावरणिज्जं, नवविहं दरिसणावरणिज्जं, पंचविहं अंतराइयं तालमत्थाकडं च णं मोहणिज्जं कट्टु कम्मरयविकिरणकरं अपुव्वकरणं अनुपविट्ठस्स अनंते अणुत्तरे निव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरनाण-दंसणे समुप्पज्जइ। से णं भंते! केवलिपन्नत्तं धम्मं आघवेज्ज वा? पन्नवेज्ज वा? परूवेज्ज वा? हंता आघवेज्ज वा, पन्नवेज्ज वा, परूवेज्ज वा। से णं भंते! पव्वावेज्ज वा? मुंडावेज्ज वा? हंता पव्वावेज्ज वा, मुंडावेज्ज वा। से णं भंते! सिज्झति बुज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेइ? हंता सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति। तस्स णं भंते! सिस्सा वि सिज्झंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति? हंता सिज्झंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति। तस्स णं भंते! पसिस्सा वि सिज्झंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति? हंता सिज्झंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति। से णं भंते! किं उड्ढं होज्जा? जहेव असोच्चाए जाव अड्ढाइज्जदीवसमुद्दतदेक्कदेसभाए होज्जा। ते णं भंते! एगसमए णं केवतिया होज्जा? गोयमा! जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं अट्ठसयं। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ–सोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलनाणं उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलनाणं नो उप्पाडेज्जा। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! केवली यावत् केवलि – पाक्षिक की उपासिका से श्रवण कर क्या कोई जीव केवलिप्ररूपित धर्म – बोध प्राप्त करता है ? गौतम ! कोई जीव प्राप्त करता है और कोई जीव प्राप्त नहीं करता। इस विषय में असोच्चा के समान ‘सोच्चा’ की वक्तव्यता कहना। विशेष यह कि सर्वत्र ‘सोच्चा’ ऐसा पाठ कहना। शेष पूर्ववत् यावत् जिसने मनःपर्यवज्ञानावरणीय कर्मों का क्षयोपशम किया है तथा जिसने केवलज्ञानावरणीय कर्मों का क्षय किया है, वह यावत् धर्मवचन सुनकर केवलिप्ररूपित धर्म – बोध प्राप्त करता है, शुद्ध बोधि का अनुभव करता है, यावत् केवलज्ञान प्राप्त करता है। निरन्तर तेले – तेले तपःकर्म से अपनी आत्मा को भावित करते हुए प्रकृतिभद्रता आदि गुणों से यावत् ईहा, अपोह, मार्गण एवं ग्वेषण करते हुए अवधिज्ञान समुत्पन्न होता है। वह उस उत्पन्न अवधिज्ञान के प्रभाव से जघन्य अंगुल के असंख्याततवें भाग और उत्कृष्ट अलोक में भी लोकप्रमाण असंख्य खण्डों को जानता और देखता है। भगवन् ! वह (अवधिज्ञानी जीव)कितनी लेश्याओं में होता है ? गौतम ! वह छहों लेश्याओं में होता हे यथा – कृष्णलेश्या यावत् शुक्ललेश्या। भंते ! वह कितने ज्ञानों भें होता है गौतम ! तीन या चार ज्ञानों में। यदि तीन ज्ञानों में होता है, तो आभिनिबोधिकज्ञान, श्रुतज्ञान और अवधिज्ञान में होता हे। यद चार ज्ञान में होता है तो आभिनिबीधकज्ञान, यावत् मनःपर्यवज्ञान में होता है। भगवन् ! वह सयोगी होता है अथवा अयोगी ? गौतम जैसे ‘असोच्चा’ के योग, उपयोग, संहनन, संस्थान, ऊंचाइ और आयुष्य के विषय में कहा, उसी प्रकार यहाँ भी योगादि के विषय में कहना। भगवन् ! वह अवधिज्ञानी सवेदी होता है अथवा अवेदी ? गौतम ! वह सवेदी भी होता है अवेदी भी होता है। भगवन् ! यदि वह अवेदी होता है तो क्या उपशान्तवेदी होता है अथवा क्षीणवेदी होता है ? गौतम ! वह उपशान्तवेदी नहीं होता, क्षीणवेदी होता है। भगवन् ! यदि वह सवेदी होता है तो क्या स्त्रीवेदी होता है इत्यादि पृच्छा गौतम ! वह स्त्रीवेदी भी होता है, पुरुषवेदी भी होता है अथवा पुरुष – नपुंसकवेदी होता है। भगवन् ! वह अवधिज्ञानी सकषायी होता है अथवा अकषायी ? गौतम ! वह सकषायी भी होता है , अकषायी भी होता है। भगवन् ! यदि वह अकषायी होता है तो क्या उपशान्तकषायी होता है या क्षीणकषायी ? गौतम ! वह उपशान्तकषायी होता हे या क्षीणकषायी ? गौतम ! वह उपशान्तकषायी नहीं होता, किन्तु क्षीणकषायी होता है। भगवन् ! यदि वह सकषायी होता है। यदि वह चार कषायों में होता है, तो संज्वलन क्रोध, मान, माया और लोभ में होता है। यदि तीन कषायों में होता है तो संज्वलन मान, माया और लोभ में, यदि दो कषायों में होता है तो संज्वलन माया और लोभ में और यदि एक कषाय में होता है तो एक संज्वलन लोभ में होता है। भंते ! उस अवधिज्ञानी के कितने अध्यवसाय बताए गए हैं ? गौतम ! उसके असंख्यात अध्यवसाय होते हैं। असोच्चा कवली कि तरह ‘सोच्चा कवली’ के लिए उसे केवलज्ञान – केवलदर्शन उत्पन्न होता है, तक कहना चाहिए। भंते ! वह ‘सोच्चा केवली’ केवलि – प्ररूपित धर्म कहते है, बतलाते है या प्ररूपित करते हैं ? हाँ, गौतम ! करते हैं। भगवन् ! वे सोच्चा केवली किसी को प्रव्रजित करते हैं या मुण्डित करते हैं ? हाँ, गौतम ! करते हैं। भगवन् ! उन सोच्चा केवली के शिष्य किसी को प्रव्रजित करते हैं या मुण्डित करते हैं ? हाँ गौतम ! उनके शिष्य भी करते हैं। भगवन् ! क्या उन सोच्चा केवली के प्रशिष्य भी किसी को प्रव्रजित और मुण्डित करते हैं ? हाँ गौतम ! वे भी करते हैं। भगवन् ! वे सोच्चा केवली सिद्ध होते है, बुद्ध होते हैं, यावत् सर्वदुःखों का अन्त करते हैं ? हाँ गौतम ! वे सिद्ध होते हैं, यावत् सर्वदुःखों का अन्त करते हैं। भंते ! क्या उन सोच्चा केवली के शिष्य भी, यावत् सर्वदुःखों का अन्त करते हैं ? हाँ, गौतम ! करते हैं। भगवन् ! क्या उनके प्रशिष्य भी, यावत् सर्वदुःखों का अन्त करते हैं ? हाँ, करते हैं। भंते ! वे सोच्चा केवली ऊर्ध्वलोक में होते हैं, इत्यादि प्रश्न। हे गौतम ! असोच्चाकेवली के समान यहाँ भी अढाई द्वीप – समुद्र के एक भाग में होते हैं, तक कहना। भगवन् ! वे सोच्चा कवली एक सयम में कितने होते हैं ? गौतम ! वे एक समय में जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट एक सौ आठ होते हैं ? इसलिए हे गौतम ! ऐसा कहा गया है कि केवली – पाक्षिक की उपासिका से यावत् कोई जीव केवलज्ञान – केवलदर्शन प्राप्त करता है और कोई नहीं करता। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] sochcha nam bhamte! Kevalissa va, kevalisavagassa va, kevalisaviyae va, kevaliuvasagassa va, kevaliuvasiyae va, tappakkhiyassa va, tappakkhiyasavagassava, tappakkhiyasaviyae va, tappakkhiyauvasagassa va, tappakkhiyauvasiyae va kevalipannattam dhammam labhejja savanayae? Goyama! Sochcha nam kevalissa va java tappakkhiyauvasiyae va atthegatie kevalipannattam dhammam labhejja savanayae, atthegatie kevalipannattam dhammam no labhejja savanayae. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–sochcha nam java no labhejja savanayae? Goyama! Jassa nam nanavaranijjanam kammanam khaovasame kade bhavai se nam sochcha kevalissa va java tappakkhiyauvasiyae va kevalipannattam dhammam labhejja savanayae, jassa nam nanavarani-jjanam kammanam khaovasame no kade bhavai se nam sochcha kevalissa va java tappakkhiyauvasiyae va kevalipannattam dhammam no labhejja savanayae. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai–sochcha nam java no labhejja savanayae. Evam ja cheva asochchae vattavvaya sa cheva sochchae vi bhaniyavva, navaram–abhilavo sochche tti, sesam tam cheva niravasesam java jassa nam manapajjavananavaranijjanam kammanam khaovasame kade bhavai, jassa nam kevalananavaranijjanam kammanam khae kade bhavai se nam sochcha kevalissa va java tappakkhiyauvasiyae va kevalipannattam dhammam labhejja savanayae, kevalam bohim bujjhejja java kevalananam uppadejja. Tassa nam atthamamatthamenam anikkhittenam tavokammenam appanam bhavemanassa pagaibhaddayae, pagaiuvasamtayae, pagaipayanukoha-mana-maya-lobhayae, miumaddavasampannayae, allinayae, viniya-yae, annaya kayavi subhenam ajjhavasanenam, subhenam parinamenam, lessahim visujjhamanihim-visujjhamanihim tayavaranijjanam kammanam khaovasamenam ihapohamagganagavesanam karemanassa ohinane samuppajjai. Se nam tenam ohinanenam samuppannenam jahannenam amgulassa asamkhejjatibhagam, ukkosenam asamkhejjaim aloe loyappamanamettaim khamdaim janai-pasai. Se nam bhamte! Katisu lessasu hojja? Goyama! Chhasu lessasu hojja, tam jaha–kanhalessae java sukkalessae. Se nam bhamte! Katisu nanesu hojja? Goyama! Tisu va, chausu va hojja. Tisu homane abhinibohiyanana-suyanana-ohinanesu hojja, chausu homane abhi-nibohiyanana-suyanana-ohinana-manapajjavananesu hojja. Se nam bhamte! Kim sajogi hojja? Ajogi hojja? Goyama! Sajogi hojja, no ajogi hojja. Jai sajogi hojja, kim manajogi hojja? Vaijogi hojja? Kayajogi hojja? Goyama! Manajogi va hojja, vaijogi va hojja, kayajogi va hojja. Se nam bhamte! Kim sagarovautte hojja? Anagarovautte hojja? Goyama! Sagarovautte va hojja, anagarovautte va hojja. Se nam bhamte! Kayarammi samghayane hojja? Goyama! Vairosabhanarayasamghayane hojja. Se nam bhamte! Kayarammi samthane hojja? Goyama! Chhanham samthananam annayaresu samthane hojja. Se nam bhamte! Kayarammi uchchatte hojja? Goyama! Jahannenam sattarayanie, ukkosenam pamchadhanusatie hojja. Se nam bhamte! Kayarammi aue hojja? Goyama! Jahannenam satiregatthavasaue, ukkosenam puvvakodiaue hojja. Se nam bhamte! Kim savedae hojja? Avedae hojja? Goyama! Savedae va hojja, avedae va hojja. Jai avedae hojja kim uvasamtavedae hojja? Khinavedae hojja? Goyama! No uvasamtavedae hojja, khinavedae hojja. Jai savedae hojja kim itthivedae hojja? Purisavedae hojja? Purisanapumsagavedae hojja? Goyama! Itthivedae va hojja, purisavedae va hojja, purisa-napumsagavedae va hojja. Se nam bhamte! Kim sakasai hojja? Akasai hojja? Goyama! Sakasai va hojja, akasai va hojja. Jai akasai hojja kim uvasamtakasai hojja? Khinakasai hojja? Goyama! No uvasamtakasai hojja, khinakasai hojja. Jai sakasai hojja se nam bhamte! Katisu kasaesu hojja? Goyama! Chausu va tisu va dosu va ekkammi va hojja. Chausu homane chausu–samjalanakoha-mana-maya-lobhesu hojja, tisu homane tisu–samjalana-mana-maya-lobhesu hojja, dosu homane dosu–samjalanamaya-lobhesu hojja, egammi homane egammi–samjalanalobhe hojja. Tassa nam bhamte! Kevatiya ajjhavasana pannatta? Goyama! Asamkhejja ajjhavasana pannatta. Te nam bhamte! Kim pasattha? Appasattha? Goyama! Pasattha, no appasattha. Se nam bhamte! Tehim pasatthehim ajjhavasanehim vaddhamanehim anamtehim neraiyabhavaggahanehimto appanam visamjoei, anamtehim tirikkhajoniyabhavaggahanehimto appanam visamjoei, anamtehim manussabhavagga-hanehimto appanam visamjoei, anamtehim devabhavaggahanehimto appanam visamjoei. Jao vi ya se imao neraiya-tirikkhajoniya-manussa-devagatinamao chattari uttarapagadio, tasim cha nam ovaggahie anamtanubamdhi koha-mana-maya-lobhe khavei, khavetta apachchakkhanakasae koha-mana-maya-lobhe khavei, khavetta pachchakkhanavarane koha-mana-maya-lobhe khavei, khavetta samjalane koha-mana-maya-lobhe khavei, khavetta pamchaviham nanavaranijjam, navaviham darisanavaranijjam, pamchaviham amtaraiyam talamatthakadam cha nam mohanijjam kattu kammarayavikiranakaram apuvvakaranam anupavitthassa anamte anuttare nivvaghae niravarane kasine padipunne kevalavaranana-damsane samuppajjai. Se nam bhamte! Kevalipannattam dhammam aghavejja va? Pannavejja va? Paruvejja va? Hamta aghavejja va, pannavejja va, paruvejja va. Se nam bhamte! Pavvavejja va? Mumdavejja va? Hamta pavvavejja va, mumdavejja va. Se nam bhamte! Sijjhati bujjhati java savvadukkhanam amtam karei? Hamta sijjhati java savvadukkhanam amtam kareti. Tassa nam bhamte! Sissa vi sijjhamti java savvadukkhanam amtam karemti? Hamta sijjhamti java savvadukkhanam amtam karemti. Tassa nam bhamte! Pasissa vi sijjhamti java savvadukkhanam amtam karemti? Hamta sijjhamti java savvadukkhanam amtam karemti. Se nam bhamte! Kim uddham hojja? Jaheva asochchae java addhaijjadivasamuddatadekkadesabhae hojja. Te nam bhamte! Egasamae nam kevatiya hojja? Goyama! Jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam atthasayam. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai–sochcha nam kevalissa va java tappakkhiyauvasiyae va atthegatie kevalananam uppadejja, atthegatie kevalananam no uppadejja. Sevam bhamte! Sevam bhamte! Tti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Kevali yavat kevali – pakshika ki upasika se shravana kara kya koi jiva kevaliprarupita dharma – bodha prapta karata hai\? Gautama ! Koi jiva prapta karata hai aura koi jiva prapta nahim karata. Isa vishaya mem asochcha ke samana ‘sochcha’ ki vaktavyata kahana. Vishesha yaha ki sarvatra ‘sochcha’ aisa patha kahana. Shesha purvavat yavat jisane manahparyavajnyanavaraniya karmom ka kshayopashama kiya hai tatha jisane kevalajnyanavaraniya karmom ka kshaya kiya hai, vaha yavat dharmavachana sunakara kevaliprarupita dharma – bodha prapta karata hai, shuddha bodhi ka anubhava karata hai, yavat kevalajnyana prapta karata hai. Nirantara tele – tele tapahkarma se apani atma ko bhavita karate hue prakritibhadrata adi gunom se yavat iha, apoha, margana evam gveshana karate hue avadhijnyana samutpanna hota hai. Vaha usa utpanna avadhijnyana ke prabhava se jaghanya amgula ke asamkhyatatavem bhaga aura utkrishta aloka mem bhi lokapramana asamkhya khandom ko janata aura dekhata hai. Bhagavan ! Vaha (avadhijnyani jiva)kitani leshyaom mem hota hai\? Gautama ! Vaha chhahom leshyaom mem hota he yatha – krishnaleshya yavat shuklaleshya. Bhamte ! Vaha kitane jnyanom bhem hota hai gautama ! Tina ya chara jnyanom mem. Yadi tina jnyanom mem hota hai, to abhinibodhikajnyana, shrutajnyana aura avadhijnyana mem hota he. Yada chara jnyana mem hota hai to abhinibidhakajnyana, yavat manahparyavajnyana mem hota hai. Bhagavan ! Vaha sayogi hota hai athava ayogi\? Gautama jaise ‘asochcha’ ke yoga, upayoga, samhanana, samsthana, umchai aura ayushya ke vishaya mem kaha, usi prakara yaham bhi yogadi ke vishaya mem kahana. Bhagavan ! Vaha avadhijnyani savedi hota hai athava avedi\? Gautama ! Vaha savedi bhi hota hai avedi bhi hota hai. Bhagavan ! Yadi vaha avedi hota hai to kya upashantavedi hota hai athava kshinavedi hota hai\? Gautama ! Vaha upashantavedi nahim hota, kshinavedi hota hai. Bhagavan ! Yadi vaha savedi hota hai to kya strivedi hota hai ityadi prichchha gautama ! Vaha strivedi bhi hota hai, purushavedi bhi hota hai athava purusha – napumsakavedi hota hai. Bhagavan ! Vaha avadhijnyani sakashayi hota hai athava akashayi\? Gautama ! Vaha sakashayi bhi hota hai, akashayi bhi hota hai. Bhagavan ! Yadi vaha akashayi hota hai to kya upashantakashayi hota hai ya kshinakashayi\? Gautama ! Vaha upashantakashayi hota he ya kshinakashayi\? Gautama ! Vaha upashantakashayi nahim hota, kintu kshinakashayi hota hai. Bhagavan ! Yadi vaha sakashayi hota hai. Yadi vaha chara kashayom mem hota hai, to samjvalana krodha, mana, maya aura lobha mem hota hai. Yadi tina kashayom mem hota hai to samjvalana mana, maya aura lobha mem, yadi do kashayom mem hota hai to samjvalana maya aura lobha mem aura yadi eka kashaya mem hota hai to eka samjvalana lobha mem hota hai. Bhamte ! Usa avadhijnyani ke kitane adhyavasaya batae gae haim\? Gautama ! Usake asamkhyata adhyavasaya hote haim. Asochcha kavali ki taraha ‘sochcha kavali’ ke lie use kevalajnyana – kevaladarshana utpanna hota hai, taka kahana chahie. Bhamte ! Vaha ‘sochcha kevali’ kevali – prarupita dharma kahate hai, batalate hai ya prarupita karate haim\? Ham, gautama ! Karate haim. Bhagavan ! Ve sochcha kevali kisi ko pravrajita karate haim ya mundita karate haim\? Ham, gautama ! Karate haim. Bhagavan ! Una sochcha kevali ke shishya kisi ko pravrajita karate haim ya mundita karate haim\? Ham gautama ! Unake shishya bhi karate haim. Bhagavan ! Kya una sochcha kevali ke prashishya bhi kisi ko pravrajita aura mundita karate haim\? Ham gautama ! Ve bhi karate haim. Bhagavan ! Ve sochcha kevali siddha hote hai, buddha hote haim, yavat sarvaduhkhom ka anta karate haim\? Ham gautama ! Ve siddha hote haim, yavat sarvaduhkhom ka anta karate haim. Bhamte ! Kya una sochcha kevali ke shishya bhi, yavat sarvaduhkhom ka anta karate haim\? Ham, gautama ! Karate haim. Bhagavan ! Kya unake prashishya bhi, yavat sarvaduhkhom ka anta karate haim\? Ham, karate haim. Bhamte ! Ve sochcha kevali urdhvaloka mem hote haim, ityadi prashna. He gautama ! Asochchakevali ke samana yaham bhi adhai dvipa – samudra ke eka bhaga mem hote haim, taka kahana. Bhagavan ! Ve sochcha kavali eka sayama mem kitane hote haim\? Gautama ! Ve eka samaya mem jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta eka sau atha hote haim\? Isalie he gautama ! Aisa kaha gaya hai ki kevali – pakshika ki upasika se yavat koi jiva kevalajnyana – kevaladarshana prapta karata hai aura koi nahim karata. He bhagavan ! Yaha isi prakara hai. |