Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Sr No : | 1003921 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-८ |
Translated Chapter : |
शतक-८ |
Section : | उद्देशक-८ प्रत्यनीक | Translated Section : | उद्देशक-८ प्रत्यनीक |
Sutra Number : | 421 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति? मज्झंतियमुहुत्तंसि मूले य दूरे य दीसंति? अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति? हंता गोयमा! जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति, मज्झंतियमुहुत्तंसि मूले य दूरे य दीसंति, अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति। जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि, मज्झंतियमुहुत्तंसि य, अत्थमणमुहुत्तंसि य सव्वत्थ समा उच्चत्तेणं? हंता गोयमा! जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमण मुहुत्तंसि, मज्झंतियमुहुत्तंसि य, अत्थमणमुहुत्तंसि य सव्वत्थ समाउच्चत्तेणं। जइ णं भंते! जंबुद्दीवे दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि, मज्झंतियमुहुत्तंसि य, अत्थमणमुहुत्तंसि य सव्वत्थ समा उच्चत्तेणं, से केणं खाइ अट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ– जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति? जाव अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति? गोयमा! लेसापडिघाएणं उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति, लेसाभितावेणं मज्झंतिय-मुहुत्तंसि मूले य दूरे य दीसंति, लेसापडिघाएणं अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ– जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति जाव अत्थमण मुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति। जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं गच्छंति? पडुप्पन्नं खेत्तं गच्छंति? अनागयं खेत्तं गच्छंति? गोयमा! नो तीयं खेत्तं गच्छंति, पडुप्पन्नं खेत्तं गच्छंति, नो अनागयं खेत्तं गच्छंति। जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं ओभासंति? पडुप्पन्नं खेत्तं ओभासंति? अनागयं खेत्तं ओभासंति? गोयमा! नो तीयं खेत्तं ओभासंति, पडुप्पन्नं खेत्तं ओभासंति, नो अनागयं खेत्तं ओभासंति। तं भंते! किं पुट्ठं ओभासंति? अपुट्ठं ओभासंति? गोयमा! पुट्ठं ओभासंति, नो अपुट्ठं ओभासंति जाव नियमा छद्दिसिं। जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं उज्जोवेंति? एवं चेव जाव नियमा छद्दिसिं। एवं तवेंति, एवं भासंति जाव नियमा छद्दिसिं। जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे सूरियाणं किं तीए खेत्ते किरिया कज्जइ? पडुप्पन्ने खेत्ते किरिया कज्जइ? अणागए खेत्ते किरिया कज्जइ? गोयमा! नो तीए खेत्ते किरिया कज्जइ, पडुप्पन्ने खेत्ते किरिया कज्जइ, नो अनागए खेत्ते किरिया कज्जइ। सा भंते! किं पुट्ठा कज्जइ? अपुट्ठा कज्जइ? गोयमा! पुट्ठा कज्जइ, नो अपुट्ठा कज्जइ जाव नियमा छद्दिसिं। जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे सूरिया केवतियं खेत्तं उड्ढं तवंति? केवतियं खेत्तं अहे तवंति? केवतियं खेत्तं तिरियं तवंति? गोयमा! एगं जोयणसयं उड्ढं तवंति, अट्ठारस जोयणसयाइं अहे तवंति, सीयालीसं जोयणसहस्साइं दोन्निय तेवट्ठे जोयणसए एक्कवीसं च सट्ठिभाए जोयणस्स तिरियं तवंति। अंतो णं भंते! माणुसुत्तरपव्वयस्स जे चंदिम-सूरिय-गहगण-नक्खत्त-तारारूवा ते णं भंते! देवा किं उड्ढोववन्नगा? जहा जीवाभिगमे तहेव निरवसेसं जाव– इंदट्ठाणे णं भंते! केवतियं कालं विरहिए उववाएणं? गोयमा! जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं छम्मासा। बहिया णं भंते! माणुसुत्तरपव्वयस्स जे चंदिम-सूरिय-गहगण-नक्खत्त-तारारूवा ते णं भंते! देवा किं उड्ढोववन्नगा? जहा जीवाभिगमे जाव– इंदट्ठाणे णं भंते! केवतियं कालं उववाएणं विरहिए पन्नत्ते? गोयमा! जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं छम्मासा। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! जम्बूद्वीप में क्या दो सूर्य, उदय और अस्त के मुहूर्त्त में दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं, मध्याह्न के मुहूर्त्तमें निकट में होते हुए दूर दिखाई देते हैं? हाँ, गौतम ! जम्बूद्वीपमें दो सूर्य, उदय के समय दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं, इत्यादि। भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, उदय के समय में, मध्याह्न के समय में और अस्त होने के समय में क्या सभी स्थानों पर ऊंचाई में सम हैं ? हाँ, गौतम ! जम्बूद्वीप में रहे हुए दो सूर्य यावत् सर्वत्र ऊंचाई में सम हैं। भगवन् ! यदि जम्बूद्वीप में दो सूर्य उदय के समय, मध्याह्न के समय और अस्त के समय सभी स्थानों पर ऊंचाई में समान हैं तो ऐसा क्यों कहते हैं कि जम्बूद्वीप में दो सूर्य उदय के समय दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं, इत्यादि ? गौतम ! लेश्या के प्रतिघात से सूर्य उदय और अस्त के समय, दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं, मध्याह्न में लेश्या के अभिताप से पास होते हुए भी दूर दिखाई देते हैं और इस कारण हे गौतम ! मैं कहता हूँ कि दो सूर्य उदय के समय दूर होते हुए भी पास में दिखाई देते हैं, इत्यादि। भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, क्या अतीत क्षेत्र की ओर जाते हैं, वर्तमान क्षेत्र की ओर जाते हैं, अथवा अनागत क्षेत्र की ओर जाते हैं ? गौतम ! वे अतीत और अनागत क्षेत्र की ओर नहीं जाते, वर्तमान क्षेत्र की ओर जाते हैं। भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, क्या अतीत क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, वर्तमान क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं या अनागत क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं ? गौतम ! वे अतीत और अनागत क्षेत्र को प्रकाशित नहीं करते, वर्तमान क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं। भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य स्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, अथवा अस्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं ? गौतम ! वे स्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, अस्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित नहीं करते; यावत् नियमतः छहों दिशाओं को प्रकाशित करते हैं। भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य क्या अतीत क्षेत्र को उद्योतित करते हैं ? इत्यादि प्रश्न। गौतम ! इस विषय में पूर्वोक्त प्रकार से जानना चाहिए; यावत् नियमतः छह दिशाओं को उद्योतित करते हैं। इसी प्रकार तपाते हैं; यावत् छह दिशा को नियमतः प्रकाशित करते हैं। भगवन् ! जम्बूद्वीप में सूर्यों की क्रिया क्या अतीत क्षेत्र में की जाती है ? वर्तमान क्षेत्र में ही की जाती है अथवा अनागत क्षेत्र में की जाती है ? गौतम ! अतीत और अनागत क्षेत्र में क्रिया नहीं की जाती, वर्तमान क्षेत्र में क्रिया की जाती है। भगवन् ! वे सूर्य स्पृष्ट क्रिया करते हैं या अस्पृष्ट ? गौतम ! वे स्पृष्ट क्रिया करते हैं, अस्पृष्ट क्रिया नहीं करते; यावत् नियमतः छहों दिशाओं में स्पृष्ट क्रिया करते हैं। भगवन् ! जम्बूद्वीप में सूर्य कितने ऊंचे क्षेत्र को तपाते हैं, कितने नीचे क्षेत्र को तपाते हैं और कितने तीरछे क्षेत्र को तपाते हैं ? गौतम ! वे सौ योजन ऊंचे क्षेत्र को तप्त करते हैं, अठारह सौ योजन नीचे के क्षेत्र को तप्त करते हैं, और सैंतालीस हजार दो सौ तिरसठ योजन तथा एक योजन के साठ भागों में से इक्कीस भाग तीरछे क्षेत्र को तप्त करते हैं भगवन् ! मानुषोत्तरपर्वत के अन्दर जो चन्द्र, सूर्य, ग्रहगण, नक्षत्र और तारारूप देव हैं, वे क्या ऊर्ध्वलोक में उत्पन्न हुए हैं ? गौतम ! जीवाभिगमसूत्र अनुसार कहना। इन्द्रस्थान कितने काल तक उपपात – विरहित कहा गया है ? तक कहना चाहिए। गौतम ! जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः छह मास। ‘हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है।’ | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] jambuddive nam bhamte! Dive suriya uggamanamuhuttamsi dure ya mule ya disamti? Majjhamtiyamuhuttamsi mule ya dure ya disamti? Atthamanamuhuttamsi dure ya mule ya disamti? Hamta goyama! Jambuddive nam dive suriya uggamanamuhuttamsi dure ya mule ya disamti, majjhamtiyamuhuttamsi mule ya dure ya disamti, atthamanamuhuttamsi dure ya mule ya disamti. Jambuddive nam bhamte! Dive suriya uggamanamuhuttamsi, majjhamtiyamuhuttamsi ya, atthamanamuhuttamsi ya savvattha sama uchchattenam? Hamta goyama! Jambuddive nam dive suriya uggamana muhuttamsi, majjhamtiyamuhuttamsi ya, atthamanamuhuttamsi ya savvattha samauchchattenam. Jai nam bhamte! Jambuddive dive suriya uggamanamuhuttamsi, majjhamtiyamuhuttamsi ya, atthamanamuhuttamsi ya savvattha sama uchchattenam, se kenam khai atthenam bhamte! Evam vuchchai– jambuddive nam dive suriya uggamanamuhuttamsi dure ya mule ya disamti? Java atthamanamuhuttamsi dure ya mule ya disamti? Goyama! Lesapadighaenam uggamanamuhuttamsi dure ya mule ya disamti, lesabhitavenam majjhamtiya-muhuttamsi mule ya dure ya disamti, lesapadighaenam atthamanamuhuttamsi dure ya mule ya disamti. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai– Jambuddive nam dive suriya uggamanamuhuttamsi dure ya mule ya disamti java atthamana muhuttamsi dure ya mule ya disamti. Jambuddive nam bhamte! Dive suriya kim tiyam khettam gachchhamti? Paduppannam khettam gachchhamti? Anagayam khettam gachchhamti? Goyama! No tiyam khettam gachchhamti, paduppannam khettam gachchhamti, no anagayam khettam gachchhamti. Jambuddive nam bhamte! Dive suriya kim tiyam khettam obhasamti? Paduppannam khettam obhasamti? Anagayam khettam obhasamti? Goyama! No tiyam khettam obhasamti, paduppannam khettam obhasamti, no anagayam khettam obhasamti. Tam bhamte! Kim puttham obhasamti? Aputtham obhasamti? Goyama! Puttham obhasamti, no aputtham obhasamti java niyama chhaddisim. Jambuddive nam bhamte! Dive suriya kim tiyam khettam ujjovemti? Evam cheva java niyama chhaddisim. Evam tavemti, evam bhasamti java niyama chhaddisim. Jambuddive nam bhamte! Dive suriyanam kim tie khette kiriya kajjai? Paduppanne khette kiriya kajjai? Anagae khette kiriya kajjai? Goyama! No tie khette kiriya kajjai, paduppanne khette kiriya kajjai, no anagae khette kiriya kajjai. Sa bhamte! Kim puttha kajjai? Aputtha kajjai? Goyama! Puttha kajjai, no aputtha kajjai java niyama chhaddisim. Jambuddive nam bhamte! Dive suriya kevatiyam khettam uddham tavamti? Kevatiyam khettam ahe tavamti? Kevatiyam khettam tiriyam tavamti? Goyama! Egam joyanasayam uddham tavamti, attharasa joyanasayaim ahe tavamti, siyalisam joyanasahassaim donniya tevatthe joyanasae ekkavisam cha satthibhae joyanassa tiriyam tavamti. Amto nam bhamte! Manusuttarapavvayassa je chamdima-suriya-gahagana-nakkhatta-tararuva te nam bhamte! Deva kim uddhovavannaga? Jaha jivabhigame taheva niravasesam java– Imdatthane nam bhamte! Kevatiyam kalam virahie uvavaenam? Goyama! Jahannenam ekkam samayam, ukkosenam chhammasa. Bahiya nam bhamte! Manusuttarapavvayassa je chamdima-suriya-gahagana-nakkhatta-tararuva te nam bhamte! Deva kim uddhovavannaga? Jaha jivabhigame java– Imdatthane nam bhamte! Kevatiyam kalam uvavaenam virahie pannatte? Goyama! Jahannenam ekkam samayam, ukkosenam chhammasa. Sevam bhamte! Sevam bhamte! Tti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Jambudvipa mem kya do surya, udaya aura asta ke muhurtta mem dura hote hue bhi nikata dikhai dete haim, madhyahna ke muhurttamem nikata mem hote hue dura dikhai dete haim? Ham, gautama ! Jambudvipamem do surya, udaya ke samaya dura hote hue bhi nikata dikhai dete haim, ityadi. Bhagavan ! Jambudvipa mem do surya, udaya ke samaya mem, madhyahna ke samaya mem aura asta hone ke samaya mem kya sabhi sthanom para umchai mem sama haim\? Ham, gautama ! Jambudvipa mem rahe hue do surya yavat sarvatra umchai mem sama haim. Bhagavan ! Yadi jambudvipa mem do surya udaya ke samaya, madhyahna ke samaya aura asta ke samaya sabhi sthanom para umchai mem samana haim to aisa kyom kahate haim ki jambudvipa mem do surya udaya ke samaya dura hote hue bhi nikata dikhai dete haim, ityadi\? Gautama ! Leshya ke pratighata se surya udaya aura asta ke samaya, dura hote hue bhi nikata dikhai dete haim, madhyahna mem leshya ke abhitapa se pasa hote hue bhi dura dikhai dete haim aura isa karana he gautama ! Maim kahata hum ki do surya udaya ke samaya dura hote hue bhi pasa mem dikhai dete haim, ityadi. Bhagavan ! Jambudvipa mem do surya, kya atita kshetra ki ora jate haim, vartamana kshetra ki ora jate haim, athava anagata kshetra ki ora jate haim\? Gautama ! Ve atita aura anagata kshetra ki ora nahim jate, vartamana kshetra ki ora jate haim. Bhagavan ! Jambudvipa mem do surya, kya atita kshetra ko prakashita karate haim, vartamana kshetra ko prakashita karate haim ya anagata kshetra ko prakashita karate haim\? Gautama ! Ve atita aura anagata kshetra ko prakashita nahim karate, vartamana kshetra ko prakashita karate haim. Bhagavan ! Jambudvipa mem do surya sprishta kshetra ko prakashita karate haim, athava asprishta kshetra ko prakashita karate haim\? Gautama ! Ve sprishta kshetra ko prakashita karate haim, asprishta kshetra ko prakashita nahim karate; yavat niyamatah chhahom dishaom ko prakashita karate haim. Bhagavan ! Jambudvipa mem do surya kya atita kshetra ko udyotita karate haim\? Ityadi prashna. Gautama ! Isa vishaya mem purvokta prakara se janana chahie; yavat niyamatah chhaha dishaom ko udyotita karate haim. Isi prakara tapate haim; yavat chhaha disha ko niyamatah prakashita karate haim. Bhagavan ! Jambudvipa mem suryom ki kriya kya atita kshetra mem ki jati hai\? Vartamana kshetra mem hi ki jati hai athava anagata kshetra mem ki jati hai\? Gautama ! Atita aura anagata kshetra mem kriya nahim ki jati, vartamana kshetra mem kriya ki jati hai. Bhagavan ! Ve surya sprishta kriya karate haim ya asprishta\? Gautama ! Ve sprishta kriya karate haim, asprishta kriya nahim karate; yavat niyamatah chhahom dishaom mem sprishta kriya karate haim. Bhagavan ! Jambudvipa mem surya kitane umche kshetra ko tapate haim, kitane niche kshetra ko tapate haim aura kitane tirachhe kshetra ko tapate haim\? Gautama ! Ve sau yojana umche kshetra ko tapta karate haim, atharaha sau yojana niche ke kshetra ko tapta karate haim, aura saimtalisa hajara do sau tirasatha yojana tatha eka yojana ke satha bhagom mem se ikkisa bhaga tirachhe kshetra ko tapta karate haim bhagavan ! Manushottaraparvata ke andara jo chandra, surya, grahagana, nakshatra aura tararupa deva haim, ve kya urdhvaloka mem utpanna hue haim\? Gautama ! Jivabhigamasutra anusara kahana. Indrasthana kitane kala taka upapata – virahita kaha gaya hai\? Taka kahana chahie. Gautama ! Jaghanyatah eka samaya, utkrishtatah chhaha masa. ‘he bhagavan ! Yaha isi prakara hai.’ |