Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003846 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-७ |
Translated Chapter : |
शतक-७ |
Section : | उद्देशक-३ स्थावर | Translated Section : | उद्देशक-३ स्थावर |
Sutra Number : | 346 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से नूनं भंते! मूला मूलजीवफुडा, कंदा कंदजीवफुडा, खंधा खंधजीवफुडा, तया तयाजीवफुडा, साला सालजीवफुडा, पवाला पवालजीवफुडा, पत्ता पत्तजीवफुडा, पुप्फा पुप्फजीवफुडा, फला फलजीव-फुडा, बीया बीयजीवफुडा? हंता गोयमा! मूला मूलजीवफुडा जाव बीया बीयजीवफुडा। जइ णं भंते! मूला मूलजीवफुडा जाव बीया बीयजीवफुडा, कम्हा णं भंते! वणस्सइकाइया आहारेंति? कम्हा परिणामेंति? गोयमा! मूला मूलजीवफुडा पुढवीजीवपडिबद्धा तम्हा आहारेंति, तम्हा परिणामेंति। कंदा कंदजीव-फुडा मूलजीवपडिबद्धा, तम्हा आहारेंति, तम्हा परिणामेंति। एवं जाव बीया बीयजीवफुडा फलजीवपडिबद्धा तम्हा आहारेंति, तम्हा परिणामेंति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! क्या वनस्पतिकायिक के मूल, निश्चय ही मूल के जीवों से स्पृष्ट होते हैं, कन्द, कन्द के जीवों से स्पृष्ट, यावत् बीज, बीज के जीवों से स्पृष्ट होते हैं ? हाँ, गौतम ! मूल, मूल के जीवों से स्पृष्ट होते हैं यावत् बीज, बीज के जीवों से स्पृष्ट होते हैं। भगवन् ! यदि मूल, मूल के जीवों से स्पृष्ट होते हैं यावत् बीज, बीज के जीवों से स्पृष्ट होते हैं, तो फिर भगवन् ! वनस्पतिकायिक जीव किस प्रकार से आहार करते हैं और किस तरह से उसे परिणमाते हैं ? गौतम ! मूल, मूल के जीवों से व्याप्त हैं और वे पृथ्वी के जीव के साथ सम्बद्ध होते हैं, इस तरह से वनस्पतिकायिक जीव आहार करते हैं और उसे परिणमाते हैं। इसी प्रकार कन्द, कन्द के जीवों के साथ स्पृष्ट होते हैं और मूल के जीवों से सम्बद्ध रहते हैं; इसी प्रकार यावत् बीज, बीज के जीवों से व्याप्त होते हैं और फल के जीवों के साथ सम्बद्ध रहते हैं; इससे वे आहार करते और उसे परिणमाते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se nunam bhamte! Mula mulajivaphuda, kamda kamdajivaphuda, khamdha khamdhajivaphuda, taya tayajivaphuda, sala salajivaphuda, pavala pavalajivaphuda, patta pattajivaphuda, puppha pupphajivaphuda, phala phalajiva-phuda, biya biyajivaphuda? Hamta goyama! Mula mulajivaphuda java biya biyajivaphuda. Jai nam bhamte! Mula mulajivaphuda java biya biyajivaphuda, kamha nam bhamte! Vanassaikaiya aharemti? Kamha parinamemti? Goyama! Mula mulajivaphuda pudhavijivapadibaddha tamha aharemti, tamha parinamemti. Kamda kamdajiva-phuda mulajivapadibaddha, tamha aharemti, tamha parinamemti. Evam java biya biyajivaphuda phalajivapadibaddha tamha aharemti, tamha parinamemti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Kya vanaspatikayika ke mula, nishchaya hi mula ke jivom se sprishta hote haim, kanda, kanda ke jivom se sprishta, yavat bija, bija ke jivom se sprishta hote haim\? Ham, gautama ! Mula, mula ke jivom se sprishta hote haim yavat bija, bija ke jivom se sprishta hote haim. Bhagavan ! Yadi mula, mula ke jivom se sprishta hote haim yavat bija, bija ke jivom se sprishta hote haim, to phira bhagavan ! Vanaspatikayika jiva kisa prakara se ahara karate haim aura kisa taraha se use parinamate haim\? Gautama ! Mula, mula ke jivom se vyapta haim aura ve prithvi ke jiva ke satha sambaddha hote haim, isa taraha se vanaspatikayika jiva ahara karate haim aura use parinamate haim. Isi prakara kanda, kanda ke jivom ke satha sprishta hote haim aura mula ke jivom se sambaddha rahate haim; isi prakara yavat bija, bija ke jivom se vyapta hote haim aura phala ke jivom ke satha sambaddha rahate haim; isase ve ahara karate aura use parinamate haim. |