Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003783 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-६ |
Translated Chapter : |
शतक-६ |
Section : | उद्देशक-३ महाश्रव | Translated Section : | उद्देशक-३ महाश्रव |
Sutra Number : | 283 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कति णं भंते! कम्मप्पगडीओ पन्नत्ताओ? गोयमा! अट्ठ कम्मप्पगडीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–१. नाणावरणिज्जं, २. दरिसणावरणिज्जं, ३. वेदणिज्जं, ४. मोहणिज्जं, ५. आउगं, ६. नामं, ७. गोयं, ८. अंतराइयं। नाणावरणिज्जस्स णं भंते! कम्मस्स केवतियं कालं बंधट्ठिती पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ, तिन्नि य वाससहस्साइं अबाहा, अबाहूणिया कम्म-ट्ठिती–कम्मनिसेओ। दरिसावरणिज्जं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ, तिन्नि य वाससहस्साइं अबाहा, अबाहूणिया कम्म-ट्ठिती–कम्मनिसेओ। वेदणिज्जं जहन्नेणं दो समया, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ, तिन्नि य वाससहस्साइं अबाहा, अबाहूणिया कम्म-ट्ठिती–कम्मनिसेओ। मोहणिज्जं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सत्तरिसागरोवमकोडाकोडीओ, सत्त य वाससहस्साणि अबाहा, अबाहूणिया कम्म-ट्ठिती–कम्मनिसेओ। आउगं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाणि पुव्वकोडितिभागमब्भहियाणि, कम्मट्ठिती–कम्मनिसेओ। नाम-गोयाणं जहन्नेणं अट्ठ मुहुत्ता, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ, दोन्निय वाससहस्साणि अबाहा, अबाहूणिया कम्मट्ठिती–कम्मनिसेओ। अंतराइयं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ, तिन्नि य वाससहस्साइं अबाहा, अबाहूणिया कम्म-ट्ठिती–कम्मनिसेओ। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! कर्मप्रकृतियाँ कितनी कही गई है ? गौतम ! कर्मप्रकृतियाँ आठ कही गई हैं, वे इस प्रकार हैं – ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय यावत् अन्तराय। भगवन् ! ज्ञानावरणीय कर्म की बन्धस्थिति कितने काल की कही गई है ? गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट तीस कोड़ाकोड़ी सागरोपम की है। उसका अबाधाकाल तीन हजार वर्ष का है। अबाधाकाल जितनी स्थिति को कम करने से शेष कर्मस्थिति कर्मनिषेधकाल जानना। इसी प्रकार दर्शनावरणीय कर्म के विषय में भी जानना। वेदनीय कर्म की जघन्य (बन्ध – ) स्थिति दो समय की है, उत्कृष्ट स्थिति तीस कोड़ाकोड़ी सागरोपम की जाननी चाहिए मोहनीय कर्म की बन्धस्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट ७० कोड़ाकोड़ी सागरोपम की है। सात हजार वर्ष का अबाधाकाल है। अबाधाकाल की स्थिति को कम करने से शेष कर्मस्थिति कर्मनिषेककाल जानना चाहिए। आयुष्यकर्म की बन्धस्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट पूर्वकोटि के त्रिभाग से अधिक तैंतीस सागरोपम की है। इसका कर्मनिषेक काल (तैंतीस सागरोपम का तथा शेष) अबाधाकाल जानना चाहिए। नामकर्म और गोत्र कर्म की बन्धस्थिति जघन्य आठ मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट २० कोड़ाकोड़ी सागरोपम की है। इसका दो हजार वर्ष का अबाधाकाल है। उस अबाधाकाल की स्थिति को कम करने से शेष कर्मस्थिति कर्मनिषेक काल होता है। अन्तरायकर्म के विषय में ज्ञानावरणीय कर्म की तरह समझ लेना चाहिए। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kati nam bhamte! Kammappagadio pannattao? Goyama! Attha kammappagadio pannattao, tam jaha–1. Nanavaranijjam, 2. Darisanavaranijjam, 3. Vedanijjam, 4. Mohanijjam, 5. Augam, 6. Namam, 7. Goyam, 8. Amtaraiyam. Nanavaranijjassa nam bhamte! Kammassa kevatiyam kalam bamdhatthiti pannatta? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam tisam sagarovamakodakodio, tinni ya vasasahassaim abaha, abahuniya kamma-tthiti–kammaniseo. Darisavaranijjam jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam tisam sagarovamakodakodio, tinni ya vasasahassaim abaha, abahuniya kamma-tthiti–kammaniseo. Vedanijjam jahannenam do samaya, ukkosenam tisam sagarovamakodakodio, tinni ya vasasahassaim abaha, abahuniya kamma-tthiti–kammaniseo. Mohanijjam jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam sattarisagarovamakodakodio, satta ya vasasahassani abaha, abahuniya kamma-tthiti–kammaniseo. Augam jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam tettisam sagarovamani puvvakoditibhagamabbhahiyani, kammatthiti–kammaniseo. Nama-goyanam jahannenam attha muhutta, ukkosenam visam sagarovamakodakodio, donniya vasasahassani abaha, abahuniya kammatthiti–kammaniseo. Amtaraiyam jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam tisam sagarovamakodakodio, tinni ya vasasahassaim abaha, abahuniya kamma-tthiti–kammaniseo. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Karmaprakritiyam kitani kahi gai hai\? Gautama ! Karmaprakritiyam atha kahi gai haim, ve isa prakara haim – jnyanavaraniya, darshanavaraniya yavat antaraya. Bhagavan ! Jnyanavaraniya karma ki bandhasthiti kitane kala ki kahi gai hai\? Gautama ! Jaghanya antarmuhurtta aura utkrishta tisa korakori sagaropama ki hai. Usaka abadhakala tina hajara varsha ka hai. Abadhakala jitani sthiti ko kama karane se shesha karmasthiti karmanishedhakala janana. Isi prakara darshanavaraniya karma ke vishaya mem bhi janana. Vedaniya karma ki jaghanya (bandha – ) sthiti do samaya ki hai, utkrishta sthiti tisa korakori sagaropama ki janani chahie mohaniya karma ki bandhasthiti jaghanya antarmuhurtta ki aura utkrishta 70 korakori sagaropama ki hai. Sata hajara varsha ka abadhakala hai. Abadhakala ki sthiti ko kama karane se shesha karmasthiti karmanishekakala janana chahie. Ayushyakarma ki bandhasthiti jaghanya antarmuhurtta ki aura utkrishta purvakoti ke tribhaga se adhika taimtisa sagaropama ki hai. Isaka karmanisheka kala (taimtisa sagaropama ka tatha shesha) abadhakala janana chahie. Namakarma aura gotra karma ki bandhasthiti jaghanya atha muhurtta ki aura utkrishta 20 korakori sagaropama ki hai. Isaka do hajara varsha ka abadhakala hai. Usa abadhakala ki sthiti ko kama karane se shesha karmasthiti karmanisheka kala hota hai. Antarayakarma ke vishaya mem jnyanavaraniya karma ki taraha samajha lena chahie. |