Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1003694
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-३

Translated Chapter :

शतक-३

Section : उद्देशक-७ लोकपाल Translated Section : उद्देशक-७ लोकपाल
Sutra Number : 194 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] रायगिहे नगरे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी–सक्कस्स णं भंते! देविंदस्स देवरन्नो कति लोगपाला पन्नत्ता? गोयमा! चत्तारि लोगपाला पन्नत्ता, तं जहा–सोमे जमे वरुणे वेसमणे। एएसि णं भंते! चउण्हं लोगपालाणं कति विमाना पन्नत्ता? गोयमा! चत्तारि विमाना पन्नत्ता, तं जहा– संज्झप्पभे वरसिट्ठे सयंजले वग्गू। कहि णं भंते! सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो संज्झप्पभे नामं महाविमाने पन्नत्ते? गोयमा! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ उड्ढं चंदिम-सूरिय-गहगण-नक्खत्त तारारूवाणं बहूइं जोयणाइं जाव पंच वडेंसया पन्नत्ता, तं जहा–असोगवडेंसए, सत्तवण्णवडेंसए, चंपयवडेंसए, चूयवडेंसए, मज्झे सोहम्मवडेंसए। तस्स णं सोहम्मवडेंसयस्स महाविमानस्स पुरत्थिमे णं सोहम्मे कप्पे असंखेज्जाइं जोयणाइं वीइवइत्ता, एत्थ णं सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो संज्झप्पभे नामं महाविमाने पन्नत्ते– अद्धतेरसजोयणसयसहस्साइं आयाम-विक्खंभेणं उयालीसं जोयणसयसहस्साइं बावन्नं च सहस्साइं अट्ठ य अडयाले जोयणसए किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं पन्नत्ते। जा सूरिया-भविमानस्स वत्तव्वया सा अपरिसेसा भाणियव्वा जाव अभिसेओ, नवरं–सोमो देवो। संज्झप्पभस्स णं महाविमानस्स अहे, सपक्खिं, सपडिदिसिं असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता, एत्थ णं सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो सोमा नामं रायहानी पन्नत्ता–एगं जोयणसयसहस्सं आयाम-विक्खंभेणं जंबुद्दीवप्पमाणा। वेमाणियाणं पमाणस्स अद्धं नेयव्वं जाव ओवारियलेणं सोलस जोयणसहस्साइं आयाम-विक्खंभेणं, पण्णासं जोयणसहस्साइं पंच य सत्ताणउए जोयणसते किंचि विसेसूणे परिक्खेवेणं पन्नत्तं। पासायाणं चत्तारि परिवाडीओ नेयव्वाओ, सेसा नत्थि। सक्कस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो इमे देवा आणा-उववाय-वयण-निद्देसे चिट्ठंति, तं जहा–सोमकाइया इ वा, सोमदेवयकाइया इ वा, विज्जुकुमारा, विज्जुकुमारीओ, अग्गिकुमारा, अग्गिकुमारीओ, वायुकुमारा, वायुकुमारीओ, चंदा, सूरा, गहा, णक्खत्ता, तारारूवा–जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते त्तब्भत्तिया, तप्पक्खिया, त्तब्भारिया सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो आणा-उववाय-वयण-निद्देसे चिट्ठंति। जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स महारन्नो आणा-उववाय-वयण-निद्देसे चिट्ठंति। गहदंडा इ वा, गहमुसला इ वा, गहगज्जिया इ वा, गहजुद्धा इ वा, गहसिंघाडगा इ वा, गहावसव्वा इ वा, अब्भा इ वा अब्भरुक्खा इ वा, संज्झा इ वा, गंधव्वनगरा इ वा, उक्कापाया इ वा, दिसिदाहा इ वा, गज्जिया इ वा, विज्जुया इ वा, पंसुवुट्ठी इ वा, जूवे इ वा, जक्खालित्तए त्ति वा, धूमिया इ वा, महिया इ वा, रयुग्घाए त्ति वा, चदोवरागा इ वा, सूरोवरागा इ वा, चंदपरिवेसा इ वा, सूरपरिवेसा इ वा, पडिचंदा इ वा, पडिसूरा इ वा, इदधणू इ वा, उदगमच्छा इ वा, कपिहसिया इ वा, अमोहा इ वा, पाईणवाया इ वा, पईणवाया इ वा, दाहिणवाया इ वा, उदीणवाया इ वा, उड्ढावाया इ वा, अहोवाया इ वा, तिरियवाया इ वा, विदिसीवाया इ वा, वाउब्भामा इ वा, वाउक्कलिया इ वा, वायमंडलिया इ वा, उक्कलियावाया इ वा, मंडलियावाया इ वा, गुंजावाया इ वा, ज्झंज्झावाया इ वा, संवट्टयवाया इ वा, गामदाहा इ वा, जाव सन्निवेसदाहा इ वा, पाणक्खया, जणक्खया, धणक्खया, कुलक्खया, वसणब्भूया मणारिया– जे यावण्णे तहप्पगारा ण ते सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो अन्नाया अदिट्ठा असुया अमुया अविण्णाया, तेसिं वा सोमकाइयाणं देवाणं। सक्कस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो इमे देवा अहावच्चा अभिण्णाया होत्था, तं जहा–इंगालए वियालए लोहियक्खे सण्णिच्चरे चंदे सूरे सूक्के बुहे बहस्सई राहू। सक्कस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो सतिभागं पलिओवमं ठिई पन्नत्ता। अहावच्चाभिण्णायाणं देवाणं एगं पलिओवमं ठिई पन्नत्ता। एमहिड्ढीए जाव महानुभागे सोमे महाराया।
Sutra Meaning : राजगृह नगर में यावत्‌ पर्युपासना करते हुए गौतम स्वामी ने (पूछा – ) भगवन्‌ ! देवेन्द्र देवराज शक्र के कितने लोकपाल कहे गए हैं ? गौतम ! चार। सोम, यम, वरुण और वैश्रमण। भगवन्‌ ! इन चारों लोकपालों के कितने विमान हैं ? गौतम ! चार। सन्ध्याप्रभ, वरशिष्ट, स्वयंज्वल और वल्गु। भगवन्‌ ! देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल सोम नामक महाराज का सन्ध्याप्रभ नामक महाविमान कहाँ है? गौतम ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप के मन्दर (मेरु) पर्वत से दक्षिण दिशा में इस रत्नप्रभा पृथ्वी के बहुसम भूमि भाग से ऊपर चन्द्र, सूर्य, ग्रहगण, नक्षत्र और तारारूप आते हैं। उनसे बहुत योजन ऊपर यावत्‌ पाँच अवतंसक कहे गए हैं – अशोकावतंसक, सप्तपर्णावतंसक, चम्पकावतंसक, चूतावतंसक और मध्य में सौधर्मावतंसक है। उस सौधर्मा – वतंसक महाविमान से पूर्वमें, सौधर्मकल्प से असंख्य योजन दूर जाने के बाद, वहाँ पर देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल – सोम नामक महाराज का सन्ध्याप्रभ नामक महाविमान आता है, जिसकी लम्बाई – चौड़ाई साढ़े बारह लाख योजन है। उसका परिक्षेप उनचालीस लाख बावन हजार आठ सौ अड़तालीस योजन से कुछ अधिक है। इस विषय में सूर्याभदेव के विमान की वक्तव्यता, ‘अभिषेक’ तक कहना। विशेष यह कि सूर्याभदेव के स्थान में ‘सोमदेव’ कहना सन्ध्याप्रभ महाविमान के सपक्ष – सप्रतिदेश, अर्थात्‌ – ठीक नीचे, असंख्य लाख योजन आगे (दूर) जाने पर देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल सोम महाराज की सोमा नाम की राजधानी है, जो एक लाख योजन लम्बी – चौड़ी है, और जम्बूद्वीप जितनी है। इस राजधानी में जो किले आदि हैं, उनका परिमाण वैमानिक देवों के किले आदि के परिमाण से आधा कहना चाहिए। इस तरह यावत्‌ घर के ऊपर के पीठबन्ध तक कहना चाहिए। घर के पीठबन्ध का आयाम (लम्बाई) और विष्कम्भ (चौड़ाई) सोलह हजार योजन है। उसका परिक्षेप (परिधि) पचास हजार पाँच सौ सतानवे योजन से कुछ अधिक कहा गया है। प्रासादों की चार परिपाटियाँ कहनी चाहिए, शेष नहीं। देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल – सोम महाराज की आज्ञा में, सेवा में, वचन – पालन में और निर्देश में ये देव रहते हैं, यथा – सोमकायिक, अथवा सोमदेवकायिक, विद्युत्कुमार – विद्युत्कुमारियाँ, अग्निकुमार – अग्निकुमारियाँ, वायुकुमार – वायुकुमारियाँ, चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र और तारारूप; ये तथा इसी प्रकार के दूसरे सब उसकी भक्ति वाले, उसके पक्ष वाले, उससे भरण – पोषण पाने वाले देव उसकी आज्ञा, सेवा, वचनपालन और निर्देश में रहते हैं। इस जम्बूद्वीप नामक द्वीप के मेरुपर्वत के दक्षिण में जो ये कार्य होते हैं, यथा – ग्रहदण्ड, ग्रहमूसल, ग्रह – गर्जित, ग्रहयुद्ध, ग्रह – शृंगाटक, ग्रहापसव्य, अभ्र, अभ्रवृक्ष, सन्ध्या, गन्धर्वनगर, उल्कापात, दिग्दाह, गर्जित, विद्युत, धूल की वृष्टि, यूप, यक्षादीप्त, धूमिका, महिका, रजउद्‌घात, चन्द्रग्रहण, सूर्यग्रहण, चन्द्रपरिवेष, सूर्यपरिवेष, प्रति – चन्द्र, इन्द्रधनुष अथवा उदकमत्स्य, कपिहसित, अमोघ, पूर्वदिशा का वात और पश्चिमदिशा का वात, यावत्‌ संवर्तक वात, ग्रामदाह यावत्‌ सन्निवेशदाह, प्राणक्षय, जनक्षय, धनक्षय, कुलक्षय यावत्‌ व्यसनभूत अनार्य तथा उस प्रकार के दूसरे सभी कार्य देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल – सोम महाराज से अज्ञात, अदृष्ट, अश्रुत, अस्मृत तथा अविज्ञात नहीं होते देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल – सोम महाराज के ये देव अपत्यरूप से अभिज्ञात (जाने – माने) होते हैं, जैसे – अंगारक (मंगल), विकालिक, लोहिताक्ष, शनैश्चर, चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बुध, बृहस्पति और राहु। देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल – सोम महाराज की स्थिति तीन भाग सहित एक पल्योपम की होती है, और उसके द्वारा अपत्यरूप से अभिमत देवों की स्थिति एक पल्योपम की होती है। इस प्रकार सोम महाराज, महाऋद्धि और यावत्‌ महाप्रभाव वाला है।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] rayagihe nagare java pajjuvasamane evam vayasi–sakkassa nam bhamte! Devimdassa devaranno kati logapala pannatta? Goyama! Chattari logapala pannatta, tam jaha–some jame varune vesamane. Eesi nam bhamte! Chaunham logapalanam kati vimana pannatta? Goyama! Chattari vimana pannatta, tam jaha– samjjhappabhe varasitthe sayamjale vaggu. Kahi nam bhamte! Sakkassa devimdassa devaranno somassa maharanno samjjhappabhe namam mahavimane pannatte? Goyama! Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa dahine nam imise rayanappabhae pudhavie bahusamaramanijjao bhumibhagao uddham chamdima-suriya-gahagana-nakkhatta tararuvanam bahuim joyanaim java pamcha vademsaya pannatta, tam jaha–asogavademsae, sattavannavademsae, champayavademsae, chuyavademsae, majjhe sohammavademsae. Tassa nam sohammavademsayassa mahavimanassa puratthime nam sohamme kappe asamkhejjaim joyanaim viivaitta, ettha nam sakkassa devimdassa devaranno somassa maharanno samjjhappabhe namam mahavimane pannatte– addhaterasajoyanasayasahassaim ayama-vikkhambhenam uyalisam joyanasayasahassaim bavannam cha sahassaim attha ya adayale joyanasae kimchi visesahie parikkhevenam pannatte. Ja suriya-bhavimanassa vattavvaya sa aparisesa bhaniyavva java abhiseo, navaram–somo devo. Samjjhappabhassa nam mahavimanassa ahe, sapakkhim, sapadidisim asamkhejjaim joyanasahassaim ogahitta, ettha nam sakkassa devimdassa devaranno somassa maharanno soma namam rayahani pannatta–egam joyanasayasahassam ayama-vikkhambhenam jambuddivappamana. Vemaniyanam pamanassa addham neyavvam java ovariyalenam solasa joyanasahassaim ayama-vikkhambhenam, pannasam joyanasahassaim pamcha ya sattanaue joyanasate kimchi visesune parikkhevenam pannattam. Pasayanam chattari parivadio neyavvao, sesa natthi. Sakkassa nam devimdassa devaranno somassa maharanno ime deva ana-uvavaya-vayana-niddese chitthamti, tam jaha–somakaiya i va, somadevayakaiya i va, vijjukumara, vijjukumario, aggikumara, aggikumario, vayukumara, vayukumario, chamda, sura, gaha, nakkhatta, tararuva–je yavanne tahappagara savve te ttabbhattiya, tappakkhiya, ttabbhariya sakkassa devimdassa devaranno somassa maharanno ana-uvavaya-vayana-niddese chitthamti. Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa maharanno ana-uvavaya-vayana-niddese chitthamti. Gahadamda i va, gahamusala i va, gahagajjiya i va, gahajuddha i va, gahasimghadaga i va, gahavasavva i va, abbha i va abbharukkha i va, samjjha i va, gamdhavvanagara i va, ukkapaya i va, disidaha i va, gajjiya i va, vijjuya i va, pamsuvutthi i va, juve i va, jakkhalittae tti va, dhumiya i va, mahiya i va, rayugghae tti va, chadovaraga i va, surovaraga i va, chamdaparivesa i va, suraparivesa i va, padichamda i va, padisura i va, idadhanu i va, udagamachchha i va, kapihasiya i va, amoha i va, painavaya i va, painavaya i va, dahinavaya i va, udinavaya i va, uddhavaya i va, ahovaya i va, tiriyavaya i va, vidisivaya i va, vaubbhama i va, vaukkaliya i va, vayamamdaliya i va, ukkaliyavaya i va, mamdaliyavaya i va, gumjavaya i va, jjhamjjhavaya i va, samvattayavaya i va, gamadaha i va, java sannivesadaha i va, panakkhaya, janakkhaya, dhanakkhaya, kulakkhaya, vasanabbhuya manariya– je yavanne tahappagara na te sakkassa devimdassa devaranno somassa maharanno annaya adittha asuya amuya avinnaya, tesim va somakaiyanam devanam. Sakkassa nam devimdassa devaranno somassa maharanno ime deva ahavachcha abhinnaya hottha, tam jaha–imgalae viyalae lohiyakkhe sannichchare chamde sure sukke buhe bahassai rahu. Sakkassa nam devimdassa devaranno somassa maharanno satibhagam paliovamam thii pannatta. Ahavachchabhinnayanam devanam egam paliovamam thii pannatta. Emahiddhie java mahanubhage some maharaya.
Sutra Meaning Transliteration : Rajagriha nagara mem yavat paryupasana karate hue gautama svami ne (puchha – ) bhagavan ! Devendra devaraja shakra ke kitane lokapala kahe gae haim\? Gautama ! Chara. Soma, yama, varuna aura vaishramana. Bhagavan ! Ina charom lokapalom ke kitane vimana haim\? Gautama ! Chara. Sandhyaprabha, varashishta, svayamjvala aura valgu. Bhagavan ! Devendra devaraja shakra ke lokapala soma namaka maharaja ka sandhyaprabha namaka mahavimana kaham hai? Gautama ! Jambudvipa namaka dvipa ke mandara (meru) parvata se dakshina disha mem isa ratnaprabha prithvi ke bahusama bhumi bhaga se upara chandra, surya, grahagana, nakshatra aura tararupa ate haim. Unase bahuta yojana upara yavat pamcha avatamsaka kahe gae haim – ashokavatamsaka, saptaparnavatamsaka, champakavatamsaka, chutavatamsaka aura madhya mem saudharmavatamsaka hai. Usa saudharma – vatamsaka mahavimana se purvamem, saudharmakalpa se asamkhya yojana dura jane ke bada, vaham para devendra devaraja shakra ke lokapala – soma namaka maharaja ka sandhyaprabha namaka mahavimana ata hai, jisaki lambai – chaurai sarhe baraha lakha yojana hai. Usaka parikshepa unachalisa lakha bavana hajara atha sau aratalisa yojana se kuchha adhika hai. Isa vishaya mem suryabhadeva ke vimana ki vaktavyata, ‘abhisheka’ taka kahana. Vishesha yaha ki suryabhadeva ke sthana mem ‘somadeva’ kahana Sandhyaprabha mahavimana ke sapaksha – sapratidesha, arthat – thika niche, asamkhya lakha yojana age (dura) jane para devendra devaraja shakra ke lokapala soma maharaja ki soma nama ki rajadhani hai, jo eka lakha yojana lambi – chauri hai, aura jambudvipa jitani hai. Isa rajadhani mem jo kile adi haim, unaka parimana vaimanika devom ke kile adi ke parimana se adha kahana chahie. Isa taraha yavat ghara ke upara ke pithabandha taka kahana chahie. Ghara ke pithabandha ka ayama (lambai) aura vishkambha (chaurai) solaha hajara yojana hai. Usaka parikshepa (paridhi) pachasa hajara pamcha sau satanave yojana se kuchha adhika kaha gaya hai. Prasadom ki chara paripatiyam kahani chahie, shesha nahim. Devendra devaraja shakra ke lokapala – soma maharaja ki ajnya mem, seva mem, vachana – palana mem aura nirdesha mem ye deva rahate haim, yatha – somakayika, athava somadevakayika, vidyutkumara – vidyutkumariyam, agnikumara – agnikumariyam, vayukumara – vayukumariyam, chandra, surya, graha, nakshatra aura tararupa; ye tatha isi prakara ke dusare saba usaki bhakti vale, usake paksha vale, usase bharana – poshana pane vale deva usaki ajnya, seva, vachanapalana aura nirdesha mem rahate haim. Isa jambudvipa namaka dvipa ke meruparvata ke dakshina mem jo ye karya hote haim, yatha – grahadanda, grahamusala, graha – garjita, grahayuddha, graha – shrimgataka, grahapasavya, abhra, abhravriksha, sandhya, gandharvanagara, ulkapata, digdaha, garjita, vidyuta, dhula ki vrishti, yupa, yakshadipta, dhumika, mahika, rajaudghata, chandragrahana, suryagrahana, chandraparivesha, suryaparivesha, prati – chandra, indradhanusha athava udakamatsya, kapihasita, amogha, purvadisha ka vata aura pashchimadisha ka vata, yavat samvartaka vata, gramadaha yavat sanniveshadaha, pranakshaya, janakshaya, dhanakshaya, kulakshaya yavat vyasanabhuta anarya tatha usa prakara ke dusare sabhi karya devendra devaraja shakra ke lokapala – soma maharaja se ajnyata, adrishta, ashruta, asmrita tatha avijnyata nahim hote Devendra devaraja shakra ke lokapala – soma maharaja ke ye deva apatyarupa se abhijnyata (jane – mane) hote haim, jaise – amgaraka (mamgala), vikalika, lohitaksha, shanaishchara, chandra, surya, shukra, budha, brihaspati aura rahu. Devendra devaraja shakra ke lokapala – soma maharaja ki sthiti tina bhaga sahita eka palyopama ki hoti hai, aura usake dvara apatyarupa se abhimata devom ki sthiti eka palyopama ki hoti hai. Isa prakara soma maharaja, mahariddhi aura yavat mahaprabhava vala hai.