Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003684 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-३ |
Translated Chapter : |
शतक-३ |
Section : | उद्देशक-४ यान | Translated Section : | उद्देशक-४ यान |
Sutra Number : | 184 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अनगारे णं भंते! भाविअप्पा देवं वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहयं जाणरूवेणं जामाणं जाणइ-पासइ? गोयमा! १. अत्थेगइए देवं पासइ, नो जाणं पासइ। २. अत्थेगइए जाणं पासइ, नो देवं पासइ। ३. अत्थेगइए देवं पि पासइ, जाणं पि पासइ। ४. अत्थेगइए नो देवं पासइ, नो जाणं पासइ। अनगारे णं भंते! भाविअप्पा देविं वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहयं जाणरूवेणं जामाणिं जाणइ-पासइ? गोयमा! १. अत्थेगइए देविं पासइ, नो जाणं पासइ। २. अत्थेगइए जाणं पासइ, नो देविं पासइ। ३. अत्थेगइए देविं पि पासइ, जाणं पि पासइ। ४. अत्थेगइए नो देविं पासइ, नो जाणं पासइ। अनगारे णं भंते! भाविअप्पा देवं सदेवीअं वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहयं जाणरूवेणं जामाणं जाणइ-पासइ? गोयमा! १. अत्थेगइए देवं सदेवीअं पासइ, नो जाणं पासइ। २. अत्थेगइए जाणं पासइ, नो देवं सदेवीअं पासइ। ३. अत्थेगइए देवं सदेवीअं पि पासइ, जाणं पि पासइ। ४. अत्थेगइए नो देवं सदेवीअं पासइ, नो जाणं पासइ। अनगारे णं भंते! भाविअप्पा रुक्खस्स किं अंतो पासइ? बाहिं पासइ? गोयमा! १. अत्थेगइए रुक्खस्स अंतो पासइ, नो बाहिं पासइ। २. अत्थेगइए रुक्खस्स बाहिं पासइ, नो अंतो पासइ। ३. अत्थेगइए रुक्खस्स अंतो पि पासइ, बाहिं पि पासइ। ४. अत्थेगइए रुक्खस्स नो अंतो पासइ, नो बाहिं पासइ। अनगारे णं भंते! भाविअप्पा रुक्खस्स किं मूलं पासइ? कंदं पासइ? गोयमा! १. अत्थेगइए रुक्खस्स मूलं पासइ, नो कंदं पासइ। २. अत्थेगइए रुक्खस्स कंदं पासइ, नो मूलं पासइ। ३. अत्थे-गइए रुक्खस्स मूलं पि पासइ, कंदं पि पासइ। ४. अत्थेगइए रुक्खस्स नो मूलं पासइ, नो कंदं पासइ। मूलं पासइ? खंधं पासइ? चउभंगो। एवं मूलेणं [जाव?] बीजं संजोएयव्वं। एवं कंदेण वि समं संजोएयव्वं जाव बीयं। एवं जाव पुप्फेण समं बीयं संजोएयव्वं। अनगारे णं भंते! भाविअप्पा रुक्खस्स किं फलं पासइ? बीयं पासइ? चउभंगो। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! क्या भावितात्मा अनगार, वैक्रिय समुद्घात से समवहत हुए और यानरूप से जाते हुए देव को जानता देखता है ? गौतम ! (१) कोई (भावितात्मा अनगार) देव को तो देखता है, किन्तु यान को नहीं देखता; (२) कोई यान को देखता है, किन्तु देव को नहीं देखता; (३) कोई देव को भी देखता है और यान को भी देखता है; (४) कोई न देव को देखता है और न यान को देखता है। भगवन् ! क्या भावितात्मा अनगार, वैक्रिय समुद्घात से समवहत हुई और यानरूप से जाती हुई देवी को जानता – देखता है ? गौतम ! जैसा देव के विषय में कहा, वैसा ही देवी के विषय में भी जानना चाहिए। भगवन् ! भावितात्मा अनगार, वैक्रिय समुद्घात से समवहत तथा यानरूप से जाते हुए, देवीसहित देव को जानता – देखता है? गौतम ! कोई देवीसहित देव को तो देखता है, किन्तु यान को नहीं देखता; इत्यादि चार भंग पूर्ववत् जानना। भगवन् ! भावितात्मा अनगार क्या वृक्ष के आन्तरिक भाग को (भी) देखता है अथवा बाह्य भाग को देखता है? (हे गौतम !) यहाँ भी पूर्वोक्त प्रकार से चार भंग कहना। इसी तरह पृच्छा की – क्या वह मूल को देखता है, (अथवा) कन्द को (भी) देखता है ? तथा क्या वह मूल को देखता है, अथवा स्कन्ध को (भी) देखता है ? हे गौतम ! चार – चार भंग पूर्ववत् कहने चाहिए। इसी प्रकार मूल के साथ बीज के चार भंग कहने चाहिए। तथा कन्द के साथ यावत् बीज तक का संयोजन कर लेना चाहिए। इसी तरह यावत् पुष्प के साथ बीज का संयोजन कर लेना चाहिए। भगवन् ! क्या भावितात्मा अनगार वृक्ष के फल को देखता है, अथवा बीज को (भी) देखता है ? गौतम ! (यहाँ भी पूर्वोक्त प्रकार से) चार भंग कहने चाहिए। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] anagare nam bhamte! Bhaviappa devam veuvviyasamugghaenam samohayam janaruvenam jamanam janai-pasai? Goyama! 1. Atthegaie devam pasai, no janam pasai. 2. Atthegaie janam pasai, no devam pasai. 3. Atthegaie devam pi pasai, janam pi pasai. 4. Atthegaie no devam pasai, no janam pasai. Anagare nam bhamte! Bhaviappa devim veuvviyasamugghaenam samohayam janaruvenam jamanim janai-pasai? Goyama! 1. Atthegaie devim pasai, no janam pasai. 2. Atthegaie janam pasai, no devim pasai. 3. Atthegaie devim pi pasai, janam pi pasai. 4. Atthegaie no devim pasai, no janam pasai. Anagare nam bhamte! Bhaviappa devam sadeviam veuvviyasamugghaenam samohayam janaruvenam jamanam janai-pasai? Goyama! 1. Atthegaie devam sadeviam pasai, no janam pasai. 2. Atthegaie janam pasai, no devam sadeviam pasai. 3. Atthegaie devam sadeviam pi pasai, janam pi pasai. 4. Atthegaie no devam sadeviam pasai, no janam pasai. Anagare nam bhamte! Bhaviappa rukkhassa kim amto pasai? Bahim pasai? Goyama! 1. Atthegaie rukkhassa amto pasai, no bahim pasai. 2. Atthegaie rukkhassa bahim pasai, no amto pasai. 3. Atthegaie rukkhassa amto pi pasai, bahim pi pasai. 4. Atthegaie rukkhassa no amto pasai, no bahim pasai. Anagare nam bhamte! Bhaviappa rukkhassa kim mulam pasai? Kamdam pasai? Goyama! 1. Atthegaie rukkhassa mulam pasai, no kamdam pasai. 2. Atthegaie rukkhassa kamdam pasai, no mulam pasai. 3. Atthe-gaie rukkhassa mulam pi pasai, kamdam pi pasai. 4. Atthegaie rukkhassa no mulam pasai, no kamdam pasai. Mulam pasai? Khamdham pasai? Chaubhamgo. Evam mulenam [java?] bijam samjoeyavvam. Evam kamdena vi samam samjoeyavvam java biyam. Evam java pupphena samam biyam samjoeyavvam. Anagare nam bhamte! Bhaviappa rukkhassa kim phalam pasai? Biyam pasai? Chaubhamgo. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Kya bhavitatma anagara, vaikriya samudghata se samavahata hue aura yanarupa se jate hue deva ko janata dekhata hai\? Gautama ! (1) koi (bhavitatma anagara) deva ko to dekhata hai, kintu yana ko nahim dekhata; (2) koi yana ko dekhata hai, kintu deva ko nahim dekhata; (3) koi deva ko bhi dekhata hai aura yana ko bhi dekhata hai; (4) koi na deva ko dekhata hai aura na yana ko dekhata hai. Bhagavan ! Kya bhavitatma anagara, vaikriya samudghata se samavahata hui aura yanarupa se jati hui devi ko janata – dekhata hai\? Gautama ! Jaisa deva ke vishaya mem kaha, vaisa hi devi ke vishaya mem bhi janana chahie. Bhagavan ! Bhavitatma anagara, vaikriya samudghata se samavahata tatha yanarupa se jate hue, devisahita deva ko janata – dekhata hai? Gautama ! Koi devisahita deva ko to dekhata hai, kintu yana ko nahim dekhata; ityadi chara bhamga purvavat janana. Bhagavan ! Bhavitatma anagara kya vriksha ke antarika bhaga ko (bhi) dekhata hai athava bahya bhaga ko dekhata hai? (he gautama !) yaham bhi purvokta prakara se chara bhamga kahana. Isi taraha prichchha ki – kya vaha mula ko dekhata hai, (athava) kanda ko (bhi) dekhata hai\? Tatha kya vaha mula ko dekhata hai, athava skandha ko (bhi) dekhata hai\? He gautama ! Chara – chara bhamga purvavat kahane chahie. Isi prakara mula ke satha bija ke chara bhamga kahane chahie. Tatha kanda ke satha yavat bija taka ka samyojana kara lena chahie. Isi taraha yavat pushpa ke satha bija ka samyojana kara lena chahie. Bhagavan ! Kya bhavitatma anagara vriksha ke phala ko dekhata hai, athava bija ko (bhi) dekhata hai\? Gautama ! (yaham bhi purvokta prakara se) chara bhamga kahane chahie. |