Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003628 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-२ |
Translated Chapter : |
शतक-२ |
Section : | उद्देशक-५ अन्यतीर्थिक | Translated Section : | उद्देशक-५ अन्यतीर्थिक |
Sutra Number : | 128 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] एगजीवस्स णं भंते! एगभवग्गहणेणं केवइया जीवा पुत्तत्ताए हव्वमागच्छंति? गोयमा! जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं सयसहस्सपुहत्तं जीवा णं पुत्तत्ताए हव्वमागच्छंति। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं सयसहस्सपुहत्तं जीवा णं पुत्तत्ताए हव्वमागच्छंति? गोयमा! इत्थीए पुरिसस्स य कम्मकडाए जोणीए मेहुणवत्तिए नामं संजोए समुप्पज्जइ। ते दुहओ सिणेहं चिणंति, चिणित्ता तत्थ णं जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं सयसहस्सपुहत्तं जीवा णं पुत्तत्ताए हव्वमागच्छंति। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ–जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिण्णिं वा, उक्कोसेणं सयसहस्सपुहत्तं जीवा णं पुत्तत्ताए हव्वामागच्छंति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! एक जनीव के एक भव में कितने जीव पुत्ररूप में (उत्पन्न) हो सकते हैं ? गौतम ! जघन्य एक, दो अथवा तीन जीव और उत्कृष्ट लक्षपृथक्त्व जीव पुत्ररूप में (उत्पन्न) हो सकते हैं। भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है ? हे गौतम ! कर्मकृत योनि में स्त्री और पुरुष का जब मैथुनवृत्तिक संयोग निष्पन्न होता है, तब उन दोनों के स्नेह सम्बन्ध होता है, फिर उसमें से जघन्य एक, दो अथवा तीन और उत्कृष्ट लक्षपृथक्त्व जीव पुत्ररूप में उत्पन्न होते हैं। हे गौतम ! इसीलिए पूर्वोक्त कथन किया गया है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] egajivassa nam bhamte! Egabhavaggahanenam kevaiya jiva puttattae havvamagachchhamti? Goyama! Jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam sayasahassapuhattam jiva nam puttattae havvamagachchhamti. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam sayasahassapuhattam jiva nam puttattae havvamagachchhamti? Goyama! Itthie purisassa ya kammakadae jonie mehunavattie namam samjoe samuppajjai. Te duhao sineham chinamti, chinitta tattha nam jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam sayasahassapuhattam jiva nam puttattae havvamagachchhamti. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai–jahannenam ekko va do va tinnim va, ukkosenam sayasahassapuhattam jiva nam puttattae havvamagachchhamti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Eka janiva ke eka bhava mem kitane jiva putrarupa mem (utpanna) ho sakate haim\? Gautama ! Jaghanya eka, do athava tina jiva aura utkrishta lakshaprithaktva jiva putrarupa mem (utpanna) ho sakate haim. Bhagavan ! Kisa karana se aisa kaha jata hai\? He gautama ! Karmakrita yoni mem stri aura purusha ka jaba maithunavrittika samyoga nishpanna hota hai, taba una donom ke sneha sambandha hota hai, phira usamem se jaghanya eka, do athava tina aura utkrishta lakshaprithaktva jiva putrarupa mem utpanna hote haim. He gautama ! Isilie purvokta kathana kiya gaya hai. |