Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003623 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-२ |
Translated Chapter : |
शतक-२ |
Section : | उद्देशक-५ अन्यतीर्थिक | Translated Section : | उद्देशक-५ अन्यतीर्थिक |
Sutra Number : | 123 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अन्नउत्थिया णं भंते! एवमाइक्खंति भासंति पण्णवंति परूवेंति– १. एवं खलु नियंठे कालगए समाणे देवब्भूएणं अप्पाणेणं से णं तत्थ नो अन्ने देवे, नो अन्नेसिं देवाणं देवीओ आभिजुंजिय-अभिजुंजिय परियारेइ, नो अप्पणिच्चियाओ देवीओ अभिजुंजिय-अभिजुंजिय परियारेइ, अप्पणामेव अप्पाणं विउव्विय-विउ-व्विय परियारेइ। २. एगे वि य णं जीवे एगेणं समएणं दो वेदे वेदेइ, तं जहा–इत्थिवेदं च, पुरिसवेदं च। जं समयं इत्थिवेयं वेएइ तं समयं पुरिसवेयं वेएइ। इत्थिवेयस्स वेयणाए पुरिसवेयं वेएइ, पुरिसवेयस्स वेयणाए इत्थिवेयं वेएइ। एवं खलु एगे वि य णं जीवे एगेणं समएणं दो वेदे वेदेइ, तं जहा– इत्थिवेदं च, पुरिसवेदं च। से कहमेयं भंते! एवं? गोयमा! जं णं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति जाव इत्थिवेदं च, पुरिसवेदं च। जे ते एवमाहंसु, मिच्छं ते एवमाहंसु। अहं पुण गोयमा! एवमाइक्खामि भासामि पन्नवेमि परूवेमि– १. एवं खलु नियंठे कालगए समाणे अन्नयरेसु सु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति–महिड्ढिएसु महज्जुतीएसु महाबलेसु महायसेसु महासोक्खेसु महानुभागेसु दूरगतीसु चिरट्ठितीएसु। से णं तत्थ देवे भवइ महिड्ढिए जाव दस दिसाओ उज्जोएमाणे पभासेमाणे पासाइए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे। से णं तत्थ अन्ने देवे, अन्नेसिं देवाणं देवीओ अभिजुंजिय-अभिजुंजिय परियारेइ, अप्पणिच्चियाओ देवीओ अभिजुंजिय-अभिजुंजिय परियारेइ, नो अप्पणामेव अप्पाणं विउव्विय-विउव्विय परियारेइ। २. एगे वि य णं जीवे एगेणं समएणं एगं वेदं वेदेइ, तं जहा–इत्थिवेदं वा, पुरिसवेदं वा। जं समयं इत्थिवेदं वेदेइ नो तं समयं पुरिसवेदं वेदेइ। जं समयं पुरिसवेदं वेदेइ, नो तं समयं इत्थिवेदं वेदेइ। इत्थिवेदस्स उदएणं नो पुरिसवेदं वेदेइ, पुरिसवेदस्स उदएणं नो इत्थिवेदं वेदेइ। एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एगं वेदं वेदेइ, तं जहा–इत्थीवेदं वा, पुरिसवेदं वा। इत्थी इत्थिवेदेणं उदिण्णेणं पुरिसं पत्थेइ। पुरिसो पुरिसवेदेणं उदिण्णेणं इत्थिं पत्थेइ। दो वि ते अन्नमन्नं पत्थेंति, तं जहा–इत्थी वा पुरिसं, पुरिसे वा इत्थिं। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! अन्यतीर्थिक इस प्रकार कहते हैं, भाषण करते हैं, बताते हैं और प्ररूपणा करते हैं कि कोई भी निर्ग्रन्थ मरने पर देव होता है और वह देव, वहाँ दूसरे देवों के साथ, या दूसरे देवों की देवियों के साथ, उन्हें वश में करके या उनका आलिंगन करके, परिचारणा नहीं करता, तथा अपनी देवियों को वशमें करके या आलिंगन करके उनके साथ भी परिचारणा नहीं करता। परन्तु वह देव वैक्रिय से स्वयं अपने ही दो रूप बनाता है। यों दो रूप बनाकर वह, उस वैक्रियकृत देवी के साथ परिचारणा करता है। इस प्रकार एक जीव एक ही समय में दो वेदों का अनुभव करता है, यथा – स्त्री – वेद का और पुरुषवेद का। इस प्रकार परतीर्थिक की वक्तव्यता एक जीव एक ही समय में स्त्रीवेद और पुरुषवेद का अनुभव करता है, यहाँ तक कहना चाहिए। भगवन् ! यह इस प्रकार कैसे हो सकता है ? हे गौतम ! वे अन्यतीर्थिक जो यह कहते यावत् प्ररूपणा करते हैं कि – यावत् स्त्रीवेद और पुरुषवेद; उनका वह कथन मिथ्या है। हे गौतम ! मैं इस प्रकार कहता हूँ, भाषण करता हूँ, बताता हूँ और प्ररूपणा करता हूँ कि कोई एक निर्ग्रन्थ जो मरकर, किन्हीं महर्द्धिक यावत् महाप्रभावयुक्त, दूरगमन करने की शक्ति से सम्पन्न, दीर्घकाल की स्थिति (आयु) वाले देवलोकों में से किसी एक में देवरूप में उत्पन्न होता है, ऐसे देवलोक में वह महती ऋद्धि से युक्त यावत् दशों दिशाओं में उद्योत करता हुआ, विशिष्ट कान्ति से शोभायमान यावत् अतीव रूपवान देव होता है। और वह देव वहाँ दूसरे देवों के साथ, तथा दूसरे देवों की देवियों के साथ, उन्हें वशमें करके, परिचारणा करता है और अपनी देवियों को वशमें करके उनके साथ भी परिचारणा करता है; किन्तु स्वयं वैक्रिय करके अपने दो रूप बनाकर परिचारणा नहीं करता, (क्योंकि) एक जीव एक समय में स्त्रीवेद और पुरुषवेद, इन दोनों वेदों में से किसी एक वेद का ही अनुभव करता है। जब स्त्रीवेद को वेदता है, तब पुरुषवेद को नहीं वेदता, जिस समय पुरुषवेद को वेदता है, उस समय स्त्रीवेद को नहीं वेदता। स्त्रीवेद के उदय होने से पुरुषवेद को नहीं वेदता और पुरुषवेद का उदय होने से स्त्रीवेद को नहीं वेदता। अतः एक जीव एक समय में स्त्रीवेद और पुरुषवेद, इन दोनों वेदों में से किसी एक वेद को ही वेदता है। जब स्त्रीवेद का उदय होता है, तब स्त्री, पुरुष की अभिलाषा करती हे और जब पुरुषवेद का उदय होता है, तब पुरुष, स्त्री की अभिलाषा करता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] annautthiya nam bhamte! Evamaikkhamti bhasamti pannavamti paruvemti– 1. Evam khalu niyamthe kalagae samane devabbhuenam appanenam se nam tattha no anne deve, no annesim devanam devio abhijumjiya-abhijumjiya pariyarei, no appanichchiyao devio abhijumjiya-abhijumjiya pariyarei, appanameva appanam viuvviya-viu-vviya pariyarei. 2. Ege vi ya nam jive egenam samaenam do vede vedei, tam jaha–itthivedam cha, purisavedam cha. Jam samayam itthiveyam veei tam samayam purisaveyam veei. Itthiveyassa veyanae purisaveyam veei, purisaveyassa veyanae itthiveyam veei. Evam khalu ege vi ya nam jive egenam samaenam do vede vedei, tam jaha– itthivedam cha, purisavedam cha. Se kahameyam bhamte! Evam? Goyama! Jam nam te annautthiya evamaikkhamti java itthivedam cha, purisavedam cha. Je te evamahamsu, michchham te evamahamsu. Aham puna goyama! Evamaikkhami bhasami pannavemi paruvemi– 1. Evam khalu niyamthe kalagae samane annayaresu su devaloesu devattae uvavattaro bhavamti–mahiddhiesu mahajjutiesu mahabalesu mahayasesu mahasokkhesu mahanubhagesu duragatisu chiratthitiesu. Se nam tattha deve bhavai mahiddhie java dasa disao ujjoemane pabhasemane pasaie darisanijje abhiruve padiruve. Se nam tattha anne deve, annesim devanam devio abhijumjiya-abhijumjiya pariyarei, appanichchiyao devio abhijumjiya-abhijumjiya pariyarei, no appanameva appanam viuvviya-viuvviya pariyarei. 2. Ege vi ya nam jive egenam samaenam egam vedam vedei, tam jaha–itthivedam va, purisavedam va. Jam samayam itthivedam vedei no tam samayam purisavedam vedei. Jam samayam purisavedam vedei, no tam samayam itthivedam vedei. Itthivedassa udaenam no purisavedam vedei, purisavedassa udaenam no itthivedam vedei. Evam khalu ege jive egenam samaenam egam vedam vedei, tam jaha–itthivedam va, purisavedam va. Itthi itthivedenam udinnenam purisam patthei. Puriso purisavedenam udinnenam itthim patthei. Do vi te annamannam patthemti, tam jaha–itthi va purisam, purise va itthim. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Anyatirthika isa prakara kahate haim, bhashana karate haim, batate haim aura prarupana karate haim ki koi bhi nirgrantha marane para deva hota hai aura vaha deva, vaham dusare devom ke satha, ya dusare devom ki deviyom ke satha, unhem vasha mem karake ya unaka alimgana karake, paricharana nahim karata, tatha apani deviyom ko vashamem karake ya alimgana karake unake satha bhi paricharana nahim karata. Parantu vaha deva vaikriya se svayam apane hi do rupa banata hai. Yom do rupa banakara vaha, usa vaikriyakrita devi ke satha paricharana karata hai. Isa prakara eka jiva eka hi samaya mem do vedom ka anubhava karata hai, yatha – stri – veda ka aura purushaveda ka. Isa prakara paratirthika ki vaktavyata eka jiva eka hi samaya mem striveda aura purushaveda ka anubhava karata hai, yaham taka kahana chahie. Bhagavan ! Yaha isa prakara kaise ho sakata hai\? He gautama ! Ve anyatirthika jo yaha kahate yavat prarupana karate haim ki – yavat striveda aura purushaveda; unaka vaha kathana mithya hai. He gautama ! Maim isa prakara kahata hum, bhashana karata hum, batata hum aura prarupana karata hum ki koi eka nirgrantha jo marakara, kinhim maharddhika yavat mahaprabhavayukta, duragamana karane ki shakti se sampanna, dirghakala ki sthiti (ayu) vale devalokom mem se kisi eka mem devarupa mem utpanna hota hai, aise devaloka mem vaha mahati riddhi se yukta yavat dashom dishaom mem udyota karata hua, vishishta kanti se shobhayamana yavat ativa rupavana deva hota hai. Aura vaha deva vaham dusare devom ke satha, tatha dusare devom ki deviyom ke satha, unhem vashamem karake, paricharana karata hai aura apani deviyom ko vashamem karake unake satha bhi paricharana karata hai; kintu svayam vaikriya karake apane do rupa banakara paricharana nahim karata, (kyomki) eka jiva eka samaya mem striveda aura purushaveda, ina donom vedom mem se kisi eka veda ka hi anubhava karata hai. Jaba striveda ko vedata hai, taba purushaveda ko nahim vedata, jisa samaya purushaveda ko vedata hai, usa samaya striveda ko nahim vedata. Striveda ke udaya hone se purushaveda ko nahim vedata aura purushaveda ka udaya hone se striveda ko nahim vedata. Atah eka jiva eka samaya mem striveda aura purushaveda, ina donom vedom mem se kisi eka veda ko hi vedata hai. Jaba striveda ka udaya hota hai, taba stri, purusha ki abhilasha karati he aura jaba purushaveda ka udaya hota hai, taba purusha, stri ki abhilasha karata hai. |