Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003603 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१ |
Translated Chapter : |
शतक-१ |
Section : | उद्देशक-१० चलन | Translated Section : | उद्देशक-१० चलन |
Sutra Number : | 103 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अन्नउत्थिया णं भंते! एवमाइक्खंति, एवं भासंति, एवं पन्नवेंति, एवं परूवेंति–एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरियाओ पकरेति, तं जहा–इरियावहियं च, संपराइयं च। जं समयं इरियावहियं पकरेइ, तं समयं संपराइयं पकरेइ। जं समयं संपराइयं पकरेइ, तं समयं इरियावहियं पकरेइ। इरियावहियाए पकरणयाए संपराइयं पकरेइ। संपराइयाए पकरणयाए इरियावहियं पकरेइ। एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरियाओ पकरेति, तं जहा–इरियावहियं च, संपराइयं च। से कहमेयं भंते! एवं? गोयमा! जण्णं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति, एवं भासंति, एवं पन्नवेंति, एवं परूवेंति–एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरियाओ पकरेति, जाव इरियावहियं च, संपराइयं च। जे ते एवमाहंसु। मिच्छा ते एवमाहंसु। अहं पुण गोयमा! एवमाइक्खामि, एवं भासेमि, एवं पन्नवेमि, एवं परूवेमि–एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एक्कं किरियं पकरेइ, तं जहा–इरियावहियं वा, संपराइयं वा। जं समयं इरियावहियं पकरेइ, नो तं समयं संपराइयं पकरेइ। जं समयं संपराइयं पकरेइ नो तं समयं इरियावहियं पकरेइ। इरियावहियाए पकरणयाए नो संपराइयं पकरेइ। संपराइयाए पकरणयाए नो इरियावहियं पकरेइ। एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एगं किरियं पकरेइ, तं जहा–इरियावहियं वा, संपराइयं वा। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! अन्यतीर्थिक इस प्रकार कहते हैं – यावत् प्ररूपणा करते हैं कि एक जीव एक समय में दो क्रियाएं करता है। वह इस प्रकार – ऐर्यापथिकी और साम्परायिकी। जस समय (जीव) एर्यापथिकी क्रिया करता है, उस समय साम्परायिकी क्रिया करता है और जिस समय साम्परायिकी क्रिया करता है, उस समय ऐर्यापथिकी क्रिया करता है। ऐर्यापथिकी क्रिया करने से साम्परायिकी क्रिया करता है और साम्परायिकी क्रिया करने से ऐर्यापथिकी क्रिया करता है; हे भगवन् ! क्या यह इसी प्रकार है ? गौतम ! जो अन्यतीर्थिक ऐसा कहते हैं, यावत् – उन्होंने ऐसा जो कहा है, सो मिथ्या कहा है। हे गौतम ! मैं इस प्रकार कहता हूँ कि एक जीव एक समय में एक क्रिया करता है। यहाँ परतीर्थिकों का तथा स्वसिद्धान्त का वक्तव्य कहना चाहिए। यावत् ऐर्यापथिकी अथवा साम्परायिकि क्रिया करता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] annautthiya nam bhamte! Evamaikkhamti, evam bhasamti, evam pannavemti, evam paruvemti–evam khalu ege jive egenam samaenam do kiriyao pakareti, tam jaha–iriyavahiyam cha, samparaiyam cha. Jam samayam iriyavahiyam pakarei, tam samayam samparaiyam pakarei. Jam samayam samparaiyam pakarei, tam samayam iriyavahiyam pakarei. Iriyavahiyae pakaranayae samparaiyam pakarei. Samparaiyae pakaranayae iriyavahiyam pakarei. Evam khalu ege jive egenam samaenam do kiriyao pakareti, tam jaha–iriyavahiyam cha, samparaiyam cha. Se kahameyam bhamte! Evam? Goyama! Jannam te annautthiya evamaikkhamti, evam bhasamti, evam pannavemti, evam paruvemti–evam khalu ege jive egenam samaenam do kiriyao pakareti, java iriyavahiyam cha, samparaiyam cha. Je te evamahamsu. Michchha te evamahamsu. Aham puna goyama! Evamaikkhami, evam bhasemi, evam pannavemi, evam paruvemi–evam khalu ege jive egenam samaenam ekkam kiriyam pakarei, tam jaha–iriyavahiyam va, samparaiyam va. Jam samayam iriyavahiyam pakarei, no tam samayam samparaiyam pakarei. Jam samayam samparaiyam pakarei no tam samayam iriyavahiyam pakarei. Iriyavahiyae pakaranayae no samparaiyam pakarei. Samparaiyae pakaranayae no iriyavahiyam pakarei. Evam khalu ege jive egenam samaenam egam kiriyam pakarei, tam jaha–iriyavahiyam va, samparaiyam va. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Anyatirthika isa prakara kahate haim – yavat prarupana karate haim ki eka jiva eka samaya mem do kriyaem karata hai. Vaha isa prakara – airyapathiki aura samparayiki. Jasa samaya (jiva) eryapathiki kriya karata hai, usa samaya samparayiki kriya karata hai aura jisa samaya samparayiki kriya karata hai, usa samaya airyapathiki kriya karata hai. Airyapathiki kriya karane se samparayiki kriya karata hai aura samparayiki kriya karane se airyapathiki kriya karata hai; he bhagavan ! Kya yaha isi prakara hai\? Gautama ! Jo anyatirthika aisa kahate haim, yavat – unhomne aisa jo kaha hai, so mithya kaha hai. He gautama ! Maim isa prakara kahata hum ki eka jiva eka samaya mem eka kriya karata hai. Yaham paratirthikom ka tatha svasiddhanta ka vaktavya kahana chahie. Yavat airyapathiki athava samparayiki kriya karata hai. |