Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003540 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१ |
Translated Chapter : |
शतक-१ |
Section : | उद्देशक-३ कांक्षा प्रदोष | Translated Section : | उद्देशक-३ कांक्षा प्रदोष |
Sutra Number : | 40 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से नूनं भंते! अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ? नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ? हंता गोयमा! अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ। नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ। जं णं भंते! अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ, नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ, तं किं पयोगसा? वीससा? गोयमा! पयोगसा वि तं [अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ, नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ।] वीससा वि तं [अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ, नत्थित्ते परिणमइ।] जहा ते भंते! अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ, तहा ते नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ? जहा ते नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ, तहा ते अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ? हंता गोयमा! जहा मे अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ, तहा मे नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ। जहा मे नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ, तहा मे अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ। से नूनं भंते! अत्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्जं? नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्जं? हंता गोयमा! अत्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्जं नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्जं। जं णं भंते! अत्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्जं, नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्जं, तं किं पयोगसा? वीससा? गोयमा! पयोगसा वि तं [अत्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्जं, नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्जं।] वीससा वि तं [अत्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्जं, नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्जं।] | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! क्या अस्तित्व अस्तित्व में परिणत होता है, तथा नास्तित्व नास्तित्व में परिणत होता है ? हाँ, गौतम ! अस्तित्व अस्तित्व में परिणत होता है और नास्तित्व नास्तित्व में परिणत होता है। भगवन् ! वह जो अस्तित्व अस्तित्व में परिणत होता है और नास्तित्व नास्तित्व में परिणत होता है, सो क्या वह प्रयोग (जीव के व्यापार) से परिणत होता है अथवा स्वभाव से (विश्रसा) ? गौतम ! वह प्रयोग से भी परिणत होता है और स्वभाव से भी परिणत होता है। भगवन् ! जैसे आपके मत से अस्तित्व, अस्तित्व में परिणत होता है, उसी प्रकार नास्तित्व, नास्तित्व में परिणत होता है ? और जैसे आपके मत से नास्तित्व, नास्तित्व में परिणत होता है, उसी प्रकार अस्तित्व अस्तित्व में परिणत होता है ? गौतम ! जैसे मेरे मत से अस्तित्व, अस्तित्व में परिणत होता है, उसी प्रकार नास्तित्व, नास्तित्व में परिणत होता है और जिस प्रकार मेरे मत से नास्तित्व, नास्तित्व में परिणत होता है, उसी प्रकार अस्तित्व, अस्तित्व में परिणत होता है। भगवन् ! क्या अस्तित्व, अस्तित्व में गमनीय है ? हे गौतम ! जैसे – ‘परिणत होता है’ इस पद के आलापक कहे हें; उसी प्रकार यहाँ ‘गमनीय’ पद के साथ भी दो आलापक कहने चाहिए; यावत् ‘मेरे मत से अस्तित्व, अस्तित्व में गमनीय है।’ | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se nunam bhamte! Atthittam atthitte parinamai? Natthittam natthitte parinamai? Hamta goyama! Atthittam atthitte parinamai. Natthittam natthitte parinamai. Jam nam bhamte! Atthittam atthitte parinamai, natthittam natthitte parinamai, tam kim payogasa? Visasa? Goyama! Payogasa vi tam [atthittam atthitte parinamai, natthittam natthitte parinamai.] Visasa vi tam [atthittam atthitte parinamai, natthitte parinamai.] Jaha te bhamte! Atthittam atthitte parinamai, taha te natthittam natthitte parinamai? Jaha te natthittam natthitte parinamai, taha te atthittam atthitte parinamai? Hamta goyama! Jaha me atthittam atthitte parinamai, taha me natthittam natthitte parinamai. Jaha me natthittam natthitte parinamai, taha me atthittam atthitte parinamai. Se nunam bhamte! Atthittam atthitte gamanijjam? Natthittam natthitte gamanijjam? Hamta goyama! Atthittam atthitte gamanijjam natthittam natthitte gamanijjam. Jam nam bhamte! Atthittam atthitte gamanijjam, natthittam natthitte gamanijjam, tam kim payogasa? Visasa? Goyama! Payogasa vi tam [atthittam atthitte gamanijjam, natthittam natthitte gamanijjam.] Visasa vi tam [atthittam atthitte gamanijjam, natthittam natthitte gamanijjam.] | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Kya astitva astitva mem parinata hota hai, tatha nastitva nastitva mem parinata hota hai\? Ham, gautama ! Astitva astitva mem parinata hota hai aura nastitva nastitva mem parinata hota hai. Bhagavan ! Vaha jo astitva astitva mem parinata hota hai aura nastitva nastitva mem parinata hota hai, so kya vaha prayoga (jiva ke vyapara) se parinata hota hai athava svabhava se (vishrasa)\? Gautama ! Vaha prayoga se bhi parinata hota hai aura svabhava se bhi parinata hota hai. Bhagavan ! Jaise apake mata se astitva, astitva mem parinata hota hai, usi prakara nastitva, nastitva mem parinata hota hai\? Aura jaise apake mata se nastitva, nastitva mem parinata hota hai, usi prakara astitva astitva mem parinata hota hai\? Gautama ! Jaise mere mata se astitva, astitva mem parinata hota hai, usi prakara nastitva, nastitva mem parinata hota hai aura jisa prakara mere mata se nastitva, nastitva mem parinata hota hai, usi prakara astitva, astitva mem parinata hota hai. Bhagavan ! Kya astitva, astitva mem gamaniya hai\? He gautama ! Jaise – ‘parinata hota hai’ isa pada ke alapaka kahe hem; usi prakara yaham ‘gamaniya’ pada ke satha bhi do alapaka kahane chahie; yavat ‘mere mata se astitva, astitva mem gamaniya hai.’ |