Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1000004 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-१ शस्त्र परिज्ञा |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-१ शस्त्र परिज्ञा |
Section : | उद्देशक-१ जीव अस्तित्व | Translated Section : | उद्देशक-१ जीव अस्तित्व |
Sutra Number : | 4 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] सेज्जं पुण जाणेज्जा–सहसम्मुइयाए, परवागरणेणं, अन्नेसिं वा अंतिए सोच्चा तं जहा–पुरत्थिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, दक्खिणाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, पच्चत्थिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, उत्तराओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, उड्ढाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, अहे वा दिसाओ आगओ अहमंसि, अन्नयरीओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, अनुदिसाओ वा आगओ अहमंसि। एवमेगेसिं जं णातं भवइ–अत्थि मे आया ओववाइए। जो इमाओ ‘दिसाओ अनुदिसाओ वा’ अनुसंचरइ सव्वाओ दिसाओ सव्वाओ अनुदिसाओ ‘जो आगओ अनुसंचरइ’ सोहं। | ||
Sutra Meaning : | कोई प्राणी अपनी स्वमति, स्वबुद्धि से अथवा प्रत्यक्ष ज्ञानियों के वचन से, अथवा उपदेश सूनकर यह जान लेता है, कि मैं पूर्वदिशा, या दक्षिण, पश्चिम, उत्तर, ऊर्ध्व अथवा अन्य किसी दिशा या विदिशा से आया हूँ। कुछ प्राणियों को यह भी ज्ञात होता है – मेरी आत्मा भवान्तर में अनुसंचरण करने वाली है, जो इन दिशाओं, अनुदिशाओं में कर्मानुसार परिभ्रमण करती है। जो इन सब दिशाओं और विदिशाओं में गमनागमन करती है, वही मैं (आत्मा) हूँ। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] sejjam puna janejja–sahasammuiyae, paravagaranenam, annesim va amtie sochcha tam jaha–puratthimao va disao agao ahamamsi, dakkhinao va disao agao ahamamsi, pachchatthimao va disao agao ahamamsi, uttarao va disao agao ahamamsi, uddhao va disao agao ahamamsi, ahe va disao agao ahamamsi, annayario va disao agao ahamamsi, anudisao va agao ahamamsi. Evamegesim jam natam bhavai–atthi me aya ovavaie. Jo imao ‘disao anudisao va’ anusamcharai savvao disao savvao anudisao ‘jo agao anusamcharai’ soham. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Koi prani apani svamati, svabuddhi se athava pratyaksha jnyaniyom ke vachana se, athava upadesha sunakara yaha jana leta hai, ki maim purvadisha, ya dakshina, pashchima, uttara, urdhva athava anya kisi disha ya vidisha se aya hum. Kuchha praniyom ko yaha bhi jnyata hota hai – meri atma bhavantara mem anusamcharana karane vali hai, jo ina dishaom, anudishaom mem karmanusara paribhramana karati hai. Jo ina saba dishaom aura vidishaom mem gamanagamana karati hai, vahi maim (atma) hum. |