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Scripture Name Translated Name Mool Language Chapter Section Translation Sutra # Type Category Action
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1490 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] वण्णओ सुक्किले जे उ भइए से उ गंधओ । रसओ फासओ चेव भइए संठाणओ वि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १४८६
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1491 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] गंधओ जे भवे सुब्भी भइए से उ वण्णओ । रसओ फासओ चेव भइए संठाणओ वि य ॥

Translated Sutra: जो पुद्‌गल गन्ध से सुगन्धित है, या दुर्गन्धित है, वह वर्ण, रस, स्पर्श और संस्थान से भाज्य है। सूत्र – १४९१, १४९२
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1492 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] गंधओ जे भवे दुब्भी भइए से उ वण्णओ । रसओ फासओ चेव भइए संठाणओ वि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १४९१
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1493 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] रसओ तित्तए जे उ भइए से उ वण्णओ । गंधओ फासओ चेव भइए संठाणओ वि य ॥

Translated Sutra: जो पुद्‌गल रस से तिक्त है, कटु है, कसैला है, खट्टा है या मधुर है वह वर्ण, गन्ध, स्पर्श और संस्थान से भाज्य है। सूत्र – १४९३–१४९७
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1494 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] रसओ कडुए जे उ भइए से उ वण्णओ । गंधओ फासओ चेव भइए संठाणओ वि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १४९३
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1495 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] रसओ कसाए जे उ भइए से उ वण्णओ । गंधओ फासओ चेव भइए संठाणओ वि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १४९३
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1496 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] रसओ अंबिले जे उ भइए से उ वण्णओ । गंधओ फासओ चेव भइए संठाणओ वि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १४९३
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1497 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] रसओ महुरए जे उ भइए से उ वण्णओ । गंधओ फासओ चेव भइए संठाणओ वि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १४९३
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1498 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] फासओ कक्खडे जे उ भइए से उ उण्णओ । गंधओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य ॥

Translated Sutra: जो पुद्‌गल स्पर्श से कर्कश है – मृदु है – गुरु है – लघु है – शीत है – उष्ण है – स्निग्ध है या रूक्ष है वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य है। सूत्र – १४९८–१५०५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1499 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] फासओ मउए जे उ भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १४९८
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1500 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] फासओ गुरुए जे उ भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १४९८
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1501 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] फासओ लहुए जे उ भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १४९८
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1502 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] फासओ सीयए जे उ भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १४९८
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1503 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] फासओ उण्हए जे उ भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १४९८
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1504 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] फासओ निद्धए जे उ भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १४९८
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1505 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] फासओ लुक्खए जे उ भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १४९८
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1506 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] परिमंडलसंठाणे भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव भइए फासओ वि य ॥

Translated Sutra: जो पुद्‌गल संस्थान से परिमण्डल है – वृत्त है – त्रिकोण है – चतुष्कोण है या आयत है वह वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श से भाज्य है। सूत्र – १५०६–१५१०
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1507 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] संठाणओ भवे वट्टे भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव भइए फासओ वि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५०६
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1508 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] संठाणओ भवे तंसे भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव भइए फासओ वि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५०६
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1509 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] संठाणओ य चउरंसे भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव भइए फासओ वि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५०६
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1510 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जे आययसंठाणे भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव भइए फासओ वि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५०६
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1511 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एसा अजीवविभत्ति समासेण वियाहिया । इत्तो जीवविभत्ति वुच्छामि अणुपुव्वसो ॥

Translated Sutra: यह संक्षेप से अजीव विभाग का निरूपण किया गया है। अब क्रमशः जीवविभाग का निरूपण करूँगा।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1512 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] संसारत्था य सिद्धा य दुविहा जीवा वियाहिया । सिद्धा णेगविहा वुत्ता तं मे कित्तयओ सुण ॥

Translated Sutra: जीव के दो भेद हैं – संसारी और सिद्ध। सिद्ध अनेक प्रकार के हैं। उनका कथन करता हूँ, सुनो।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1513 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] इत्थी पुरिससिद्धा य तहेव य नपुंसगा । सलिंगे अन्नलिंगे य गिहिलिंगे तहेव य ॥

Translated Sutra: स्त्रीलिंग सिद्ध, पुरुषलिंग सिद्ध, नपुंसकलिंग सिद्ध और स्वलिंग सिद्ध, अन्यलिंग सिद्ध तथा गृहलिंग सिद्ध
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1514 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उक्कोसोगाहणाए य जहन्नमज्झिमाइ य । उड्ढं अहे य तिरियं य समुद्दम्मि जलम्मि य ॥

Translated Sutra: उत्कृष्ट, जघन्य और मध्यम अवगाहना में तथा ऊर्ध्व लोक में, तिर्यक्‌ लोक में एवं समुद्र और अन्य जलाशय में जीव सिद्ध होते हैं।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1515 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] दस चेव नपुंसेसुं वीसं इत्थियासु य । पुरिसेसु य अट्ठसयं समएणेगेण सिज्झई ॥

Translated Sutra: एक समय में दस नपुंसक, बीस स्त्रियाँ और एक – सौ आठ पुरुष एवं गृहस्थलिंग में चार, अन्यलिंग में दस, स्वलिंग में एक – सौ आठ एवं उत्कृष्ट अवगाहना में दो, जघन्य अवगाहना में चार और मध्यम अवगाहना में एक – सौ आठ एवं ऊर्ध्व लोक में चार, समुद्र में दो, जलाशय में तीन, अधो लोक में वीस, तिर्यक्‌ लोक में एक – सौ आठ जीव सिद्ध हो सकते
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1516 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] चत्तारि य गिहिलिंगे अन्नलिंगे दसेव य । सलिंगेण य अट्ठसयं समएणेगेण सिज्झई ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५१५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1517 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उक्कोसोगाहणाए य सिज्झंते जुगवं दुवे । चत्तारि जहन्नाए जवमज्झट्ठुत्तरं सयं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५१५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1518 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] चउरुड्ढलोए य दुवे समुद्दे तओ जले वीसमहे तहेव । सयं च अट्ठुत्तर तिरियलोए समएणेगेण उ सिज्झई उ ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५१५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1519 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कहिं पडिहया सिद्धा? कहिं सिद्धा पइट्ठिया? । कहिं बोंदिं चइत्ताणं? कत्थ गंतूण सिज्झई? ॥

Translated Sutra: सिद्ध कहाँ रुकते हैं ? कहाँ प्रतिष्ठित हैं ? शरीर को कहाँ छोड़कर, कहाँ जाकर सिद्ध होते हैं ? सिद्ध अलोक में रुकते हैं। लोक के अग्रभाग में प्रतिष्ठित हैं। मनुष्यलोक में शरीर को छोड़कर लोक के अग्रभाग में जाकर सिद्ध होते हैं। सूत्र – १५१९, १५२०
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1520 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अलोए पडिहया सिद्धा लोयग्गे य पइट्ठिया । इहं बोंदिं चइत्ताणं तत्थ गंतूण सिज्झई ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५१९
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1521 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] बारसहिं जोयणेहिं सव्वट्ठस्सुवरिं भवे । ईसीपब्भारनामा उ पुढवी छत्तसंठिया ॥

Translated Sutra: सर्वार्थ – सिद्ध विमान से बारह योजन ऊपर ईषत्‌ – प्राग्भारा पृथ्वी है। वह छत्राकार है। उसकी लम्बाई पैंतालीस लाख योजन है। चौड़ाई उतनी ही है। परिधि उससे तिगुनि है। मध्यम में वह आठ योजन स्थूल है। क्रमशः पतली होती होती अन्तिम भाग में मक्खी के पंख से भी अधिक पतली हो जाती है। सूत्र – १५२१–१५२३
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1522 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पणयालसयसहस्सा जोयणाणं तु आयया । तावइयं चेव वित्थिण्णा तिगुणो तस्सेव परिरओ ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५२१
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1523 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अट्ठजोयणबाहल्ला सा मज्झम्मि वियाहिया । परिहायंती चरिमंते मच्छियपत्ता तणुयरी ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५२१
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1524 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अज्जुणसुवण्णगमई सा पुढवी निम्मला सहावेणं । उत्ताणगछत्तगसंठिया य भणिया जिणवरेहिं ॥

Translated Sutra: जिनवरों ने कहा है – वह पृथ्वी अर्जुन स्वर्णमयी है, स्वभाव से निर्मल है और उत्तान छत्राकार है। शंख, अंकरत्न और कुन्द पुष्प के समान श्वेत है, निर्मल और शुभ है। इस सीता नाम की ईषत्‌ – प्राग्‌भारा पृथ्वी से एक योजन ऊपर लोक का अन्त है। सूत्र – १५२४, १५२५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1525 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] संखंककुंदसंकासा पंडरा निम्मला सुहा । सीयाए जोयणे तत्तो लोयंतो उ वियाहिओ ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५२४
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1526 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जोयणस्स उ जो तस्स कोसो उवरिमो भवे । तस्स कोसस्स छब्भाए सिद्धाणोगाहणा भवे ॥

Translated Sutra: उस योजन के ऊपर का जो कोस है, उस कोस के छठे भाग में सिद्धों की अवगाहना होती है। भवप्रपंच से मुक्त, महाभाग, परम गति ‘सिद्धि’ को प्राप्त सिद्ध वहाँ अग्रभाग में स्थित हैं। सूत्र – १५२६, १५२७
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1527 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तत्थ सिद्धा महाभागा लोयग्गम्मि पइट्ठिया । भवप्पवंच उम्मुक्का सिद्धिं वरगइं गया ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५२६
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1528 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उस्सेहो जस्स जो होइ भवम्मि चरिमम्मि उ । तिभागहीणा तत्तो य सिद्धाणोगाहणा भवे ॥

Translated Sutra: अन्तिम भव में जिसकी जितनी ऊंचाई होती है, उससे त्रिभागहीन सिद्धों की अवगाहना होती है।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1529 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एगत्तेण साईया अपज्जवसिया वि य । पुहुत्तण अणाईया अपज्जवसिया वि य ॥

Translated Sutra: एक की अपेक्षा से सिद्ध सादि अनन्त है। और बहुत्व की अपेक्षा से सिद्ध अनादि, अनन्त हैं।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1530 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अरूविणो जीवघणा नाणदंसणसण्णिया । अउलं सुहं संपत्ता उवमा जस्स नत्थि उ ॥

Translated Sutra: वे अरूप हैं, सघन हैं, ज्ञान – दर्शन से संपन्न हैं। जिसकी कोई उपमा नहीं है, ऐसा अतुल सुख उन्हें प्राप्त है
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1531 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] लोएगदेसे ते सव्वे नाणदंसणसण्णिया । संसारपारनिच्छिन्ना सिद्धिं वरगइं गया ॥

Translated Sutra: ज्ञान – दर्शन से युक्त, संसार के पार पहुँचे हुए, परम गति सिद्धि को प्राप्त वे सभी सिद्ध लोक के एक देश में स्थित हैं।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1532 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] संसारत्था उ जे जीवा दुविहा ते वियाहिया । तसा य थावरा चेव थावरा तिविहा तहिं ॥

Translated Sutra: संसारी जीव के दो भेद हैं – त्रस और स्थावर। उनमें स्थावर तीन प्रकार के हैं।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1533 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पुढवी आउजीवा य तहेव य वणस्सई । इच्चेए थावरा तिविहा तेसिं भेए सुणेह मे ॥

Translated Sutra: पृथ्वी, जल और वनस्पति – ये तीन प्रकार के स्थावर हैं। अब उनके भेदों को मुझसे सुनो।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1534 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] दुविहा पुढवीजीवा उ सुहुमा बायरा तहा । पज्जत्तमपज्जत्ता एवमेए दुहा पुणो ॥

Translated Sutra: पृथ्वीकाय जीव के दो भेद हैं – सूक्ष्म और बादर। पुनः दोनों के पर्याप्त और अपर्याप्त दो – दो भेद हैं। बादर पर्याप्त पृथ्वीकाय जीव के दो भेद हैं – श्लक्षण और खर। मृदु के सात भेद हैं – कृष्ण, नील, रक्त, पीत, श्वेत, पाण्डु और पनक। कठोर पृथ्वी के छत्तीस प्रकार हैं – सूत्र – १५३४–१५३६
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1535 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] बायरा जे उ पज्जत्ता दुविहा ते वियाहिया । सण्हा खरा य बोद्धव्वा सण्हा सत्तविहा तहिं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५३४
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1536 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] किण्हा नीला य रुहिरा य हालिद्दा सुक्किला तहा । पण्डुपणगमट्टिया खरा छत्तीसईविहा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५३४
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1537 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पुढवी य सक्करा वालुया य उवले सिला य लोणूसे । अयतंब-तउय सीसग रुप्पसुवन्ने य वइरे य ॥

Translated Sutra: शुद्ध पृथ्वी, शर्करा, बालू, उपल – पत्थर, शिला, लवण, क्षाररूप नौनी मिट्टी, लोहा, ताम्बा, त्रपुक, शीशा, चाँदी, सोना, वज्र, हरिताल, हिंगुल, मैनसिल, सस्यक, अंजन, प्रवाल, अभ्र – पटल, अभ्रबालुक – अभ्रक की पड़तों से मिश्रित बालू। और विविध मणि भी बादर पृथ्वीकाय के अन्तर्गत हैं – गोमेदक, रुचक, अंक, स्फटिक, लोहिताक्ष, मरकत, मसारगल्ल,
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1538 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] हरियाले हिंगुलुए मणोसिला सासगंजणपवाले । अब्भपडलब्भवालुय बायरकाए मणिविहाणा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५३७
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1539 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] गोमेज्जए य रुयगे अंके फलिहे य लोहियक्खे य । मरगयमसारगल्ले भुयमोयगइंदनीले य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५३७
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