Welcome to the Jain Elibrary: Worlds largest Free Library of JAIN Books, Manuscript, Scriptures, Aagam, Literature, Seminar, Memorabilia, Dictionary, Magazines & Articles

Global Search for JAIN Aagam & Scriptures

Search Results (2582)

Show Export Result
Note: For quick details Click on Scripture Name
Scripture Name Translated Name Mool Language Chapter Section Translation Sutra # Type Category Action
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-२८ आहार

उद्देशक-१ Hindi 554 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पुढविक्काइया णं भंते! आहारट्ठी? हंता! आहारट्ठी। पुढविक्काइयाणं भंते! केवतिकालस्स आहारट्ठे समुप्पज्जति? गोयमा! अनुसमयं अविरहिए आहरट्ठे समुप्पज्जति। पुढविक्काइया णं भंते! किमाहारमाहारेंति एवं जहा नेरइयाणं जाव–ताइं भंते! कति दिसिं आहारेंति? गोयमा! णिव्वाघाएणं छद्दिसिं, वाघायं पडुच्च सिय तिदिसिं सिय चउदिसिं सिय पंचदिसिं, नवरं– ओसन्नकारणं न भवति, वण्णतो काल-नील-लोहिय-हालिद्द-सुक्किलाइं, गंधओ सुब्भिगंध-दुब्भिगंधाइं, रसओ तित्त-कडुय-कसाय-अंबिल-महुराइं, फासतो कक्खड-मउय-गरुय-लहुय-सीय-उसिण-निद्ध-लुक्खाइं, तेसिं पोराणे वण्णगुणे गंधगुणे रसगुणे फासगुणे विप्परिणामइत्ता

Translated Sutra: भगवन्‌ ! क्या पृथ्वीकायिक जीव आहारार्थी होते हैं ? हाँ, गौतम ! होते हैं। पृथ्वीकायिक जीवों को कितने काल में आहार की अभिलाषा होती है ? गौतम ! प्रतिसमय बिना विरह के होती है। भगवन्‌ ! पृथ्वीकायिक जीव किस वस्तु का आहार करते हैं ? गौतम ! नैरयिकों के कथन के समान जानना; यावत्‌ पृथ्वीकायिक जीव कितनी दिशाओं से आहार करते हैं
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-२८ आहार

उद्देशक-१ Hindi 555 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] बेइंदिया णं भंते! आहारट्ठी? हंता गोयमा! आहारट्ठी। बेइंदिया णं भंते! केवतिकालस्स आहारट्ठे समुप्पज्जति? जहा नेरइयाणं, नवरं–तत्थ णं जेसे आभोगनिव्वत्तिए से णं असंखेज्जसमइए अंतोमुहुत्तिए वेमायाए आहारट्ठे समुप्पज्जति। सेसं जहा पुढविक्काइयाणं जाव आहच्च नीससंति, नवरं–नियमा छद्दिसिं। बेइंदिया णं भंते! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हंति ते णं तेसिं पोग्गलाणं सेयालंसि कतिभागं आहारेंति? कतिभागं अस्साएंति? गोयमा! असंखेज्जतिभागं आहारेंति, अनंतभागं अस्साएंति। बेइंदिया णं भंते! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हंति ते किं सव्वे आहारेंति? नो सव्वे आहारेंति? गोयमा! बेइंदियाणं दुविहे

Translated Sutra: भगवन्‌ ! क्या द्वीन्द्रिय जीव आहारार्थी होते हैं ? हाँ, गौतम ! होते हैं। भगवन्‌ ! द्वीन्द्रिय जीवों को कितने काल में आहार की अभिलाषा होत है ? गौतम ! नारकों के समान समझना। विशेष यह कि उनमें जो आभोग – निर्वर्तित आहार है, उसकी अभिलाषा असंख्यातसमय के अन्तर्मुहूर्त्त में विमात्रा से होती है। शेष कथन पृथ्वी – कायिकों
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-२८ आहार

उद्देशक-२ Hindi 562 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सलेसे णं भंते! जीवे किं आहारए? अनाहारए? गोयमा! सिय आहारए सिय अनाहारए। एवं जाव वेमानिए सलेसा णं भंते! जीवा किं आहारगा? अनाहारगा? गोयमा! जीवेगिंदिवज्जो तियभंगो। एवं कण्हलेसाए वि नीललेसाए वि काउलेसाए वि जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो। तेउलेस्साए पुढवि-आउ-वणप्फइकाइयाणं छब्भंगा। सेसाणं जीवादिओ तियभंगो जेसिं अत्थि तेउलेस्सा। पम्हलेस्साए य सुक्कलेस्साए य जीवादीओ तियभंगो। अलेस्सा जीवा मनूसा सिद्धा य एगत्तेण वि पुहत्तेण वि नो आहारगा, अनाहारगा।

Translated Sutra: भगवन्‌ ! सलेश्य जीव आहारक होता है या अनाहारक ? गौतम ! कदाचित्‌ आहारक और कदाचित्‌ अनाहारक होता है। इसी प्रकार वैमानिक तक जानना। भगवन्‌ ! (बहुत) सलेश्य जीव आहारक होते हैं या अनाहारक ? गौतम ! समुच्चय जीव और एकेन्द्रिय को छोड़कर इनके तीन भंग हैं। इसी प्रकार कृष्ण, नील और कापोतलेश्यी में भी समुच्चय जीव और एकेन्द्रिय
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-२९ उपयोग

Hindi 572 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कतिविहे णं भंते! उवओगे पन्नत्ते? गोयमा! दुविहे उवओगे पन्नत्ते, तं जहा–सागारोवओगे य अनागारोवओगे य। सागारोवओगे णं भंते! कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! अट्ठविहे पन्नत्ते, तं० आभिनिबोहियनाण-सागारोवओगे सुयनाणसागारोवओगे ओहिनाणसागारोवओगे मनपज्जवनाणसागारोवओगे केवल-नाणसागारोवओगे मतिअन्नाणसागारोवओगे सुयअन्नाणसागारोवओगे विभंगनाणसागारोवओगे अनागारोवओगे णं भंते! कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! चउव्विहे पन्नत्ते, तं० चक्खुदंसणअनागा-रोवओगे अचक्खुदंसणअनागारोवओगे ओहिदंसणअनागारोवओगे केवलदंसणअनागारोवओगे। एवं जीवाणं पि। नेरइयाणं भंते! कतिविहे उवओगे पन्नत्ते? गोयमा! दुविहे

Translated Sutra: भगवन्‌ ! उपयोग कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का – साकारोपयोग और अनाकारोपयोग। साकारोपयोग कितने प्रकार का कहा गया है ? गौतम ! आठ प्रकार का, आभिनिबोधिक – ज्ञानसाकारोपयोग, श्रुतज्ञान०, अवधिज्ञान०, मनःपर्यवज्ञान० और केवलज्ञान – साकारोपयोग, मति – अज्ञान०, श्रुत – अज्ञान और विभंग – ज्ञान – साकारोपयोग। अनाकारोपयोग
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-३० पश्यता

Hindi 573 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कतिविहा णं भंते! पासणया पन्नत्ता? गोयमा! दुविहा पासणया पन्नत्ता, तं जहा–सागारपासणया अनागारपासणया। सागारपासणया णं भंते! कइविहा पन्नत्ता? गोयमा! छव्विहा पन्नत्ता, तं जहा–सुयनाणसागारपासणया ओहिनाणसागारपासणया मनपज्जवनाणसागारपासणया केवलनाण-सागारपासणया सुयअन्नाणसागारपासणया विभंगनाणसागारपासणया। अनागारपासणया णं भंते! कतिविहा पन्नत्ता? गोयमा! तिविहा पन्नत्ता, तं जहा–चक्खुदंसणअनागारपासणया ओहिदंसणअनागारपासणया केवलदंसणअनागारपासणया। एवं जीवाणं पि। नेरइयाणं भंते! कतिविहा पासणया पन्नत्ता? गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–सागारपासणया अनागारपासणया। नेरइयाणं

Translated Sutra: भगवन्‌ ! पश्यत्ता कितने प्रकार की है ? गौतम ! दो प्रकार की, – साकारपश्यत्ता और अनाकारपश्यत्ता। साकारपश्यत्ता कितने प्रकार की है ? गौतम ! छह प्रकार की – श्रुतज्ञानसाकारपश्यत्ता, अवधिज्ञान०, मनःपर्यव – ज्ञान०, केवलज्ञान०, श्रुत – अज्ञान० और विभंगज्ञानसाकारपश्यत्ता। अनाकारपश्यत्ता कितने प्रकार की है ? गौतम!
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-३३ अवधि

Hindi 581 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेरइया णं भंते! केवतियं खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति? गोयमा! जहन्नेणं अद्धगाउयं, उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाइं ओहिणा जाणंति पासंति। रयणप्पभापुढविनेरइया णं भंते! केवतियं खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति? गोयमा! जहन्नेणं अद्धट्ठाइं गाउयाइं, उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाइं ओहिणा जाणंति पासंति। सक्करप्पभापुढविनेरइया जहन्नेणं तिन्नि गाउयाइं, उक्कोसेणं अद्धट्ठाइं गाउयाइं ओहिणा जाणंति पासंति। वालुयप्पभापुढविनेरइया जहन्नेणं अड्ढाइज्जाइं गाउयाइं उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाइं ओहिणा जाणंति पासंति। पंकप्पभापुढविनेरइया जहन्नेणं दोन्नि गाउयाइं, उक्कोसेणं अड्ढाइज्जाइं गाउयाइं

Translated Sutra: भगवन्‌ ! नैरयिक अवधि द्वारा कितने क्षेत्र को जानते – देखते हैं ? गौतम ! जघन्यतः आधा गाऊ और उत्कृष्टतः चार गाऊ। रत्नप्रभापृथ्वी के नैरयिक अवधि से कितने क्षेत्र को जानते – देखते हैं ? गौतम ! जघन्य साढ़े तीन गाऊ और उत्कृष्ट चार गाऊ। शर्कराप्रभापृथ्वी के नारक जघन्य तीन और उत्कृष्ट साढ़े तीन गाऊ को, अवधि – (ज्ञान) से
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-३३ अवधि

Hindi 582 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेरइयाणं भंते! ओही किंसंठिए पन्नत्ते? गोयमा! तप्पागारसंठिए पन्नत्ते। असुरकुमाराणं पुच्छा। गोयमा! पल्लगसंठिए। एवं जाव थणियकुमाराणं। पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा! णाणासंठाणसंठिए पन्नत्ते। एवं मनूसाण वि। वाणमंतराणं पुच्छा। गोयमा! पडहसंठाणसंठिए पन्नत्ते। जोतिसियाणं पुच्छा। गोयमा! झल्लरिसंठाणसंठिए पन्नत्ते। सोहम्मगदेवाणं पुच्छा। गोयमा! उद्धमुइंगागारसंठिए पन्नत्ते। एवं जाव अच्चुयदेवाणं पुच्छा। गेवेज्जगदेवाणं पुच्छा। गोयमा! पुप्फचंगेरिसंठिए पन्नत्ते। अनुत्तरोववाइयाणं पुच्छा। गोयमा! जवणालियासंठिए ओही पन्नत्ते।

Translated Sutra: भगवन्‌ ! नारकों का अवधि किस आकार वाला है ? गौतम ! तप्र के आकार का। असुरकुमारों का अवधि किस प्रकार का है ? गौतम ! पल्लक के आकार है। इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक जानना। पंचेन्द्रियतिर्यंचों का अवधि नाना आकारों वाला है। इसी प्रकार मनुष्यों में भी जानना। वाणव्यन्तर देवों का अवधिज्ञान पटह आकार का है। ज्योतिष्क देवों
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-३४ परिचारणा

Hindi 588 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] देवा णं भंते! किं सदेवीया सपरियारा? सदेवीया अपरियारा? अदेवीया सपरियारा? अदेवीया अपरियारा? गोयमा! अत्थेगइया देवा सदेवीया सपरियारा, अत्थेगइया देवा अदेवीया सपरियारा, अत्थेगइया देवा अदेवीया अपरियारा, नो चेव णं देवा सदेवीया अपरियारा। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चति–अत्थेगइया देवा सदेवीया सपरियारा, अत्थेगइया देवा अदेवीया सपरियारा, अत्थे-गइया देवा अदेवीया अपरियारा, नो चेव णं देवा सदेवीया अपरियारा? गोयमा! भवनवति-वाणमंतर-जोतिस-सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु देवा सदेवीया सपरियारा, सणंकुमार-माहिंद-बंभलोग-लंतग-महासुक्क-सहस्सार-आणय-पाणय-आरण-अच्चुएसु कप्पेसु देवा अदेवीया सपरियारा,

Translated Sutra: भगवन्‌ ! क्या देव देवियों सहित और सपरिचार होते हैं ? अथवा वे देवियों सहित एवं अपरिचार होते हैं ? अथवा वे देवीरहित एवं परिचारयुक्त होते हैं ? या देवीरहित एवं परिचाररहित होते हैं ? गौतम ! (१) कईं देव देवियों सहित सपरिचार होते हैं, (२) कईं देव देवियों के बिना सपरिचार होते हैं और (३) कईं देव देवीरहित और परिचार – रहित होते
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-३४ परिचारणा

Hindi 589 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कतिविहा णं भंते! परियारणा पन्नत्ता? गोयमा! पंचविहा परियारणा पन्नत्ता, तं जहा–कायपरियारणा फासपरियारणा रूवपरियारणा सद्दपरियारणा मणपरियारणा। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चति–पंचविहा परियारणा पन्नत्ता, तं जहा–कायपरियारणा जाव मणपरियारणा? गोयमा! भवनवति-वाणमंतर-जोइस-सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु देवा कायपरियारगा, सणंकुमारमाहिंदेसु कप्पेसु देवा फासपरियारगा, बंभलोय-लंतगेसु कप्पेसु देवा रूवपरियारगा, महासुक्कसहस्सारेसु देवा सद्दपरियारगा, आणय-पाणय-आरण-अच्चुएसु कप्पेसु देवा मनपरि-यारगा, गेवेज्जअनुत्तरोववाइया देवा अपरियारगा। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चति– पंचविहा

Translated Sutra: भगवन्‌ ! परिचारणा कितने प्रकार की है ? गौतम ! पाँच प्रकार की, कायपरिचारणा, स्पर्शपरिचारणा, रूपपरिचारणा, शब्दपरिचारणा, मनःपरिचारणा। गौतम ! भवनपति, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और सौधर्म – ईशानकल्प के देव कायपरिचारक होते हैं। सनत्‌कुमार और माहेन्द्रकल्प में स्पर्शपरिचारक होते हैं। ब्रह्मलोक और लान्तककल्प में देव
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-३६ समुद्घात

Hindi 600 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कति णं भंते! समुग्घाया पन्नत्ता? गोयमा! सत्त समुग्घाया पन्नत्ता, तं जहा–वेदनासमुग्घाए कसाय-समुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए वेउव्वियसमुग्घाए तेयासमुग्घाए आहारगसमुग्घाए केवलिसमुग्घाए। वेदनासमुग्घाए णं भंते! कतिसमइए पन्नत्ते? गोयमा! असंखेज्जसमइए अंतोमुहुत्तिए पन्नत्ते। एवं जाव आहारगसमुग्घाए। केवलिसमुग्घाए णं भंते! कतिसमइए पन्नत्ते? गोयमा! अट्ठसमइए पन्नत्ते। नेरइयाणं भंते! कति समुग्घाया पन्नत्ता? गोयमा! चत्तारि समुग्घाया पन्नत्ता, तं जहा–वेदनासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए वेउव्वियसमुग्घाए। असुरकुमाराणं भंते! कति समुग्घाया पन्नत्ता? गोयमा! पंच

Translated Sutra: भगवन्‌ ! समुद्‌घात कितने हैं ? गौतम ! सात – वेदनासमुद्‌घात, कषायसमुद्‌घात, मारणान्तिकसमुद्‌घात, वैक्रियसमुद्‌घात, तैजससमुद्‌घात, आहारकसमुद्‌घात और केवलिसमुद्‌घात। भगवन्‌ ! वेदनासमुद्‌घात कितने समय का है ? गौतम ! असंख्यात समयोंवाले अन्तमुहूर्त्त का। इसी प्रकार आहारकसमुद्‌घात पर्यन्त कहना। केवलिसमुद्‌घात
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-३६ समुद्घात

Hindi 602 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेरइयाणं भंते! केवतिया वेदनासमुग्घाया अतीता? गोयमा! अनंता। केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा! अनंता। एवं जाव वेमानियाणं। एवं जाव तेयगसमुग्घाए। एवं एते वि पंच चउवीसा दंडगा। नेरइयाणं भंते! केवतिया आहारगसमुग्घाया अतीता? गोयमा! असंखेज्जा। केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा! असंखेज्जा। एवं जाव वेमानियाणं, नवरं–वणप्फइकाइयाणं मनूसाण य इमं नाणत्तं– वणप्फइकाइयाणं भंते! केवतिया आहारगसमुग्घाया अतीता? गोयमा! अनंता। मनूसाणं भंते! केवतिया आहारगसमुग्घाया अतीता? गोयमा! सिय संखेज्जा सिय असंखेज्जा। एवं पुरेक्खडा वि। नेरइयाणं भंते! केवतिया केवलिसमुग्घाया अतीता? गोयमा! नत्थि। केवतिया पुरेक्खडा?

Translated Sutra: नारकों के कितने वेदनासमुद्‌घात अतीत हुए हैं ? गौतम ! अनन्त। भावी वेदनासमुद्‌घात कितने होते हैं ? गौतम ! अनन्त। इसी प्रकार वैमानिकों तक जानना। इसी प्रकार तैजससमुद्‌घात पर्यन्त समझना। इस प्रकार इन पाँचों समुद्‌घातों को चौबीसों दण्डकों में बहुवचन के रूप में समझ लेना। नारकों के कितने आहारकसमुद्‌घात अतीत हुए
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-३६ समुद्घात

Hindi 605 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] मारणंतियसमुग्घाओ सट्ठाणे वि परट्ठाणे वि एगुत्तरियाए नेयव्वो जाव वेमानियस्स वेमानियत्ते। एवमेते चउवीसं चउवीसा दंडगा भाणियव्वा। वेउव्वियसमुग्घाओ जहा कसायसमुग्घाओ तहा निरवसेसो भाणियव्वो, नवरं–जस्स नत्थि तस्स न वुच्चति। एत्थ वि चउवीसं चउवीसा दंडगा भाणियव्वा। तेयगसमुग्घाओ जहा मारणंतियसमुग्घाओ, नवरं–जस्स अत्थि। एवं एते वि चउवीसं चउवीसा दंडगा भाणियव्वा एगमेगस्स णं भंते! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवतिया आहारगसमुग्घाया अतीता? गोयमा! नत्थि। केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा! नत्थि। एवं जाव वेमानियत्ते, नवरं–मनूसत्ते अतीता कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि। जस्सत्थि जहन्नेणं

Translated Sutra: मारणान्तिकसमुद्‌घात स्वस्थान में भी और परस्थान में भी पूर्वोक्त एकोत्तरिका से समझ लेना, यावत्‌ वैमानिक का वैमानिकपर्याय में कहना। इसी प्रकार ये चौबीस दण्डक चौबीसों दण्डकों में कहना। वैक्रियस – मुद्‌घात की समग्र वक्तव्यता कषायसमुद्‌घात के समान कहना। विशेष यह कि जिसके (वैक्रियसमुद्‌घात) नहीं होता, उसके
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-३६ समुद्घात

Hindi 606 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेरइयाणं भंते! नेरइयत्ते केवतिया वेदनासमुग्घाया अतीता? गोयमा! अनंता। केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा! अनंता। एवं जाव वेमानियत्ते। एवं सव्वजीवाणं भाणियव्वं जाव वेमानियाणं वेमानियत्ते। एवं जाव तेयगसमुग्घाओ, नवरं–उवउज्जिऊण नेयव्वं जस्सत्थि वेउव्वियतेयगा। नेरइयाणं भंते! नेरइयत्ते केवतिया आहारसमुग्घाता अतीता? गोयमा! नत्थि। केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा! नत्थि। एवं जाव वेमानियत्ते, नवरं–मनूसत्ते अतीता असंखेज्जा, पुरेक्खडा असंखेज्जा। एवं जाव वेमानियाणं, नवरं–वणस्सइका-इयाणं मनूसत्ते अतीता अनंता, पुरेक्खडा अनंता। मनूसाणं मनूसत्ते अतीता सिय संखेज्जा सिय असंखेज्जा,

Translated Sutra: भगवन्‌ ! (बहुत – से) नारकों के नारकपर्याय में रहते हुए कितने वेदनासमुद्‌घात अतीत हुए हैं ? गौतम ! अनन्त। भावी कितने होते हैं ? गौतम ! अनन्त। इसी प्रकार वैमानिकपर्याय तक जानना। इसी प्रकार सर्व जीवों के यावत्‌ वैमानिकों के वैमानिकपर्याय में समझना। इसी प्रकार तैजससमुद्‌घात पर्यन्त कहना। विशेष यह कि जिसके वैक्रिय
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-३६ समुद्घात

Hindi 607 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एतेसि णं भंते! जीवाणं वेयणासमुग्घाएणं कसायसमुग्घाएणं मारणंतियसमुग्घाएणं वेउव्विय-समुग्घाएणं तेयगसमुग्घाएणं आहारगसमुग्घाएणं केवलिसमुग्घाएणं समोहयाणं असमोहयाण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा जीवा आहारसमुग्घाएणं समोहया, केवलिसमुग्घाएणं समोहया संखे-ज्जगुणा, तेयगसमुग्घाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, मारणंतियसमुग्घाएणं समोहया अनंतगुणा, कसायसमुग्घाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, वेदना-समुग्घाएणं समोहया विसेसाहिया, असमोहया असंखेज्जगुणा।

Translated Sutra: भगवन्‌ ! इन वेदना, कषाय, मारणान्तिक, वैक्रिय, तैजस, आहारक और केवलिसमुद्‌घात से समवहत एवं असमवहत जीवों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे कम आहारकस – मुद्‌घात से समवहत जीव हैं, (उनसे) केवलिसमुद्‌घात से समवहत जीव संख्यातगुणा है, उनसे तैजससमुद्‌घात से समवहत जीव असंख्यातगुणा है, उनसे वैक्रियसमुद्‌घात
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-३६ समुद्घात

Hindi 608 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एतेसि णं भंते! नेरइयाणं असमोहयाण य कतरे कतरेहिंतो मारणंतियसमुग्घाएणं वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहयाणं असमोहयाण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा नेरइया मारणंतियसमुग्घाएणं समोहया, वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, कसायसमुग्घाएणं समोहया संखेज्जगुणा, वेदनासमुग्घाएणं समोहया संखेज्जगुणा, असमोहया संखेज्जगुणा। एतेसि णं भंते! असुरकुमाराणं वेदनासमुग्घाएणं कसायसमुग्घाएणं मारणंतियसमुग्घाएणं वेउव्वियसमुग्घाएणं तेयगसमुग्घाएणं समोहयाणं असमोहयाण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा!

Translated Sutra: भगवन्‌ ! इन वेदना, कषाय, मारणान्तिक एवं वैक्रियसमुद्‌घात से समवहत और असमवहत नैरयिकों में अल्पबहुत्व – गौतम ! सबसे कम मारणान्तिकसमुद्‌घात से समवहत नैरयिक हैं, उनसे वैक्रियसमुद्‌घातवाले असंख्यात गुणा हैं, उनसे कषायसमुद्‌घातवाले नैरयिक संख्यातगुणा हैं, उनसे वेदनासमुद्‌घात से समवहत नारक संख्यातगुणा हैं,
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-३६ समुद्घात

Hindi 609 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कति णं भंते! कसायसमुग्घाया पन्नत्ता? गोयमा! चत्तारि कसायसमुग्घाया पन्नत्ता, तं जहा–कोहसमुग्घाए मानसमुग्घाए मायासमुग्घाए लोभसमुग्घाए। नेरइयाणं भंते! कति कसायसमुग्घाया पन्नत्ता? गोयमा! चत्तारि कसायसमुग्घाया पन्नत्ता। एवं जाव वेमानियाणं। एगमेगस्स णं भंते! नेरइयस्स केवइया कोहसमुग्घाया अतीता? गोयमा! अनंता। केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा! कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि। जस्सत्थि जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा। एवं जाव वेमानियस्स। एवं जाव लोभसमुग्घाए। एते चत्तारि दंडगा। नेरइयाणं भंते! केवतिया कोहसमुग्घाया अतीता? गोयमा!

Translated Sutra: भगवन्‌ ! कषायसमुद्‌घात कितने हैं ? गौतम ! चार – क्रोधसमुद्‌घात, मानससमुद्‌घात, मायासमुद्‌घात और लोभसमुद्‌घात। नारकों के कितने कषायसमुद्‌घात हैं ? गौतम ! चारों हैं। इसी प्रकार वैमानिकों तक जानना। एक – एक नारक के कितने क्रोधसमुद्‌घात अतीत हुए हैं ? गौतम ! अनन्त। भावी कितने होते हैं ? गौतम ! किसी के होते हैं, किसी
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-३६ समुद्घात

Hindi 611 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कति णं भंते! छाउमत्थिया समुग्घाया पन्नत्ता? गोयमा! छ छाउमत्थिया समुग्घाया पन्नत्ता, तं जहा–वेदनासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए वेउव्वियसमुग्घाए तेयगसमुग्घाए आहारग-समुग्घाए। नेरइयाणं भंते! कति छाउमत्थिया समुग्घाया पन्नत्ता? गोयमा! चत्तारि छाउमत्थिया समुग्घाया पन्नत्ता, तं जहा–वेदनासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए वेउव्वियसमुग्घाए। असुरकुमाराणं पुच्छा। गोयमा! पंच छाउमत्थिया समुग्घाया पन्नत्ता, तं जहा–वेदनासमुग्घाए कसायसमुग्घाए, मारणंतियसमुग्घाए वेउव्वियसमुग्घाए तेयगसमुग्घाए। एगिंदिय-विगलिंदियाणं पुच्छा। गोयमा! तिन्नि छाउमत्थिया

Translated Sutra: भगवन्‌ ! छाद्मस्थिकसमुद्‌घात कितने हैं ? गौतम ! छह – वेदनासमुद्‌घात, कषायसमुद्‌घात, मारणान्तिक – समुद्‌घात, वैक्रियसमुद्‌घात, तैजससमुद्‌घात और आहारकसमुद्‌घात। नारकों में कितने छाद्मस्थिकसमुद्‌घात हैं ? गौतम ! चार – वेदनासमुद्‌घात, कषायसमुद्‌घात, मारणान्तिकसमुद्‌घात और वैक्रियसमुद्‌घात। असुरकुमारों
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-३६ समुद्घात

Hindi 612 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जीवे णं भंते! वेदनासमुग्घाए समोहए समोहणित्ता जे पोग्गले णिच्छुभति तेहि णं भंते! पोग्गलेहिं केवतिए खेत्ते अफुण्णे? केवतिए खेत्ते फुडे? गोयमा! सरीरपमाणमेत्ते विक्खंभ-बाहल्लेणं नियमा छद्दिसिं एवइए खेत्ते अफुण्णे एवइए खेत्ते फुडे। से णं भंते! खेत्ते केवइकालस्स अफुण्णे? केवइकालस्स फुडे? गोयमा! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेण वा एवइकालस्स अफुण्णे एवइकालस्स फुडे। ते णं भंते! पोग्गला केवइकालस्स णिच्छुभति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तस्स, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तस्स। ते णं भंते! पोग्गला निच्छूढा समाणा जाइं तत्थ पाणाइं भूयानं जीवाइं सत्ताइं अभिहणंति वत्तेंति

Translated Sutra: भगवन्‌ ! वेदनासमुद्‌घात से समवहत हुआ जीव समवहत होकर जिन पुद्‌गलों को निकालता है, भंते ! उन पुद्‌गलों से कितना क्षेत्र परिपूर्ण तथा स्पृष्ट होता है ? गौतम ! विस्तार और स्थूलता की अपेक्षा शरीरप्रमाण क्षेत्र को नियम से छहों दिशाओं में व्याप्त करता है। इतना क्षेत्र आपूर्ण और इतना ही क्षेत्र स्पृष्ट होता है। वह
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-३६ समुद्घात

Hindi 613 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जीवे णं भंते! वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहए समोहणित्ता जे पोग्गले णिच्छुभति तेहि णं भंते! पोग्गलेहिं केवतिए खेत्ते अफुण्णे? केवतिए खेत्ते फुडे? गोयमा! सरीरप्पमाणमेत्ते विक्खंभ-बाहल्लेणं, आयामेणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं संखेज्जाइं जोयणाइं एगदिसिं विदिसिं वा एवतिए खेत्ते अफुण्णे एवतिए खेत्ते फुडे। से णं भंते! खेत्ते केवतिकालस्स अफुण्णे? केवतिकालस्स फुडे? गोयमा! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेण एवतिकालस्स अफुण्णे एवतिकालस्स फुडे। सेसं तं चेव जाव पंचकिरिया वि। एवं नेरइए वि, नवरं–आयामेणं जहन्नेणं अंगुलस्स संखेज्जइभागं, उक्कोसेणं

Translated Sutra: भगवन्‌ ! मारणान्तिकसमुद्‌घात के द्वारा समवहत हुआ जीव, समवहत होकर जिन पुद्‌गलों को आत्म – प्रदेशों से पृथक्‌ करता है, उन पुद्‌गलों से कितना क्षेत्र आपूर्ण तथा स्पृष्ट होता है ? गौतम ! विस्तार और बाहल्य की अपेक्षा से शरीरप्रमाण क्षेत्र तथा लम्बाई में जघन्य अंगुल का असंख्यातवां भाग तथा उत्कृष्ट असंख्यात योजन
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-३ अल्पबहुत्त्व

Gujarati 257 Gatha Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] १. दिसि २. गति ३. इंदिय ४. काए, ५. जोगे ६. वेदे ७. कसाय ८. लेसा य । ९. सम्मत्त १०. नाण ११. दंसण, १२. संजय १३. उवओग १४. आहारे ॥

Translated Sutra: સૂત્ર– ૨૫૭. દિશા, ગતિ, ઇન્દ્રિય, કાય, યોગ, વેદ, કષાય, લેશ્યા, સમ્યક્ત્વ, જ્ઞાન, દર્શન, સંયત, ઉપયોગ, આહાર, સૂત્ર– ૨૫૮. ભાષક, પરિત્ત, પર્યાપ્ત, સૂક્ષ્મ, સંજ્ઞી, ભવ, અસ્તિકાય, જીવ, ક્ષેત્ર, બંધ, પુદ્‌ગલ અને મહાદંડક એમ ત્રીજા પદના ૨૭ – દ્વારો છે.. સૂત્ર સંદર્ભ– ૨૫૭, ૨૫૮
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-३ अल्पबहुत्त्व

Gujarati 260 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] दिसानुवाएणं सव्वत्थोवा पुढविकाइया दाहिणेणं, उत्तरेणं विसेसाहिया, पुरत्थिमेणं विसेसाहिया, पच्चत्थिमेणं विसेसाहिया। दिसानुवाएणं सव्वत्थोवा आउक्काइया पच्चत्थिमेणं, पुरत्थिमेणं विसेसाहिया, दाहिणेणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया। दिसानुवाएणं सव्वत्थोवा तेउक्काइया दाहिणुत्तरेणं, पुरत्थिमेणं संखेज्जगुणा, पच्चत्थिमेणं विसेसाहिया। दिसानुवाएणं सव्वत्थोवा वाउकाइया पुरत्थिमेणं, पच्चत्थिमेणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया, दाहिणेणं विसेसाहिया। दिसानुवाएणं सव्वत्थोवा वणस्सइकाइया पच्चत्थिमेणं, पुरत्थिमेणं विसेसाहिया, दाहिणेणं विसेसाहिया, उत्तरेणं

Translated Sutra: દિશાની અપેક્ષાએ સૌથી થોડા પૃથ્વીકાયિકો છે. તેથી ઉત્તરમાં વિશેષાધિક પૂર્વમાં તેનાથી વિશેષાધિક, પશ્ચિમમાં તેનાથી વિશેષાધિક છે. દિશાની અપેક્ષાએ સૌથી થોડા અપ્‌કાયિકો પશ્ચિમમાં છે, પૂર્વમાં તેનાથી વિશેષાધિક, દક્ષિણમાં તેનાથી વિશેષાધિક, ઉત્તરમાં તેનાથી વિશેષાધિક છે. દિશાની અપેક્ષાએ સૌથી થોડાં તેઉકાયિકો
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-३ अल्पबहुत्त्व

Gujarati 263 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एतेसि णं भंते! सकाइयाणं पुढविकाइयाणं आउकाइयाणं तेउकाइयाणं वाउकाइयाणं वणस्सति-काइयाणं अकाइयाण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा तसकाइया, तेउकाइया असंखेज्जगुणा, पुढविकाइया विसेसाहिया, आउकाइया विसेसाहिया, वाउकाइया विसेसाहिया, अकाइया अनंतगुणा, वणस्सइकाइया अनंतगुणा, सकाइया विसेसाहिया। एतेसि णं भंते! सकाइयाणं पुढविकाइयाणं आउकाइयाणं तेउकाइयाणं वाउकाइयाणं वणस्सतिकाइयाणं तसकाइयाण य अपज्जत्तगाणं कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा तसकाइया अपज्जत्तगा, तेउकाइया अपज्जत्तगा

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! આ સકાયિક, પૃથ્વીકાયિક, અપ્‌કાયિક, તેઉકાયિક, વાયુકાયિક, વનસ્પતિકાયિક, ત્રસકાયિક, અકાયિકોમાં કોણ કોનાથી અલ્પ, બહુ, તુલ્ય કે વિશેષાધિક છે? ગૌતમ! સૌથી થોડાં ત્રસકાયિક, તેનાથી તેઉકાયિક અસંખ્યાતગણા, પૃથ્વીકાયિક તેનાથી વિશેષાધિક, અપ્‌કાયિક તેનાથી વિશેષાધિક, વાયુકાયિક તેનાથી વિશેષાધિક, અકાયિક તેનાથી અનંતગણા,
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-३ अल्पबहुत्त्व

Gujarati 264 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एतेसि णं भंते! सुहुमाणं सुहुमपुढविकाइयाणं सुहुमआउकाइयाणं सुहुमतेउकाइयाणं सुहुम-वाउकाइयाणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं सुहुमणिओयाण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया, सुहुमपुढविकाइया विसेसाहिया, सुहुम-आउकाइया विसेसाहिया, सुहुमवाउकाइया विसेसाहिया, सुहुमनिगोदा असंखेज्जगुणा, सुहुम-वणस्सइकाइया अनंतगुणा, सुहुमा विसेसाहिया। एतेसि णं भंते! सुहुमअपज्जत्तगाणं सुहुमपुढविकाइयापज्जत्तयाणं सुहुमआउकाइया-पज्जत्तयाणं सुहुमतेउकाइयापज्जत्तयाणं सुहुमवाउकाइयापज्जत्तयाणं सुहुमवणस्सइकाइयापज्ज-त्तयाणं सुहुमनिगोदापज्जत्तयाणं

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! સૂક્ષ્મો, સૂક્ષ્મપૃથ્વીકાયિકો, સૂક્ષ્મ અપ્‌કાયિકો, સૂક્ષ્મ તેઉકાયિકો, સૂક્ષ્મ વાયુકાયિકો, સૂક્ષ્મ વનસ્પતિકાયિકો, સૂક્ષ્મ નિગોદોમાં કોણ કોનાથી અલ્પ, બહુ, તુલ્ય કે વિશેષાધિક છે ? ગૌતમ ! સૌથી થોડાં સૂક્ષ્મ તેઉકાયિકો છે, સૂક્ષ્મ પૃથ્વીકાયિક – અપ્‌કાયિક – વાયુકાયિક ક્રમશઃ વિશેષાધિક છે. સૂક્ષ્મ નિગોદો
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-३ अल्पबहुत्त्व

Gujarati 265 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एतेसि णं भंते! बादराणं बादरपुढविकाइयाणं बादरआउकाइयाणं बादरतेउकाइयाणं बादर-वाउकाइयाणं बादरवणस्सइकाइयाणं पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइयाणं बादरनिगोदाणं बादरतस-काइयाण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा बादरतसकाइया, बादरा तेउकाइया असंखेज्जगुणा, पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइया असंखेज्ज-गुणा, बादरा निगोदा असंखेज्जगुणा, बादरपुढविकाइया असंखेज्जगुणा, बादरआउकाइया असंखेज्जगुणा, बादरवाउकाइया असंखेज्जगुणा, बादरवणस्सइकाइया अनंतगुणा, बादरा विसेसाहिया। एतेसि णं भंते! बादरअपज्जत्तगाणं बादरपुढविकाइयअपज्जत्तगाणं बादरआउकाइय-अपज्जत्तगाणं

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! આ બાદરો, બાદર પૃથ્વીકાયિક, બાદર અપ્‌કાયિક, બાદર તેઉકાયિક, બાદર વાયુકાયિક, બાદર વનસ્પતિકાયિક, પ્રત્યેક શરીર બાદર વનસ્પતિકાયિક, બાદર નિગોદ, બાદર ત્રસકાયિકોમાં કોણ કોનાથી અલ્પ બહુ, તુલ્ય કે વિશેષાધિક છે ? ગૌતમ ! સૌથી થોડાં બાદર ત્રસકાયિક, બાદર તેઉકાયિક અસંખ્યાતગણા, પ્રત્યેક શરીર બાદર વનસ્પતિકાયિક અસંખ્યાતગણા,
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-१ प्रज्ञापना

Gujarati 12 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं अरूविअजीवपन्नवणा? अरूविअजवपन्नवणा दसविहा पन्नत्ता, तं जहा–धम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे धम्मत्थिकायस्स पदेसा, अधम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसे अधम्मत्थि-कायस्स पदेसा, आगासत्थिकाए आगासत्थिकायस्स देसे आगासत्थिकायस्स पदेसा, अद्धासमए। से त्तं अरूविअजीवपन्नवणा।

Translated Sutra: તે અરૂપી અજીવ પ્રજ્ઞાપના કેટલા ભેદે છે ? તે દશ ભેદે કહેલી છે – ધર્માસ્તિકાય, ધર્માસ્તિકાય દેશ અને ધર્માસ્તિકાય પ્રદેશ, અધર્માસ્તિકાય, અધર્માસ્તિકાય દેશ અને અધર્માસ્તિકાય પ્રદેશ. આકાશાસ્તિકાય, આકાશાસ્તિકાય દેશ, આકાશાસ્તિકાય પ્રદેશ અને અદ્ધા સમય. તે આ અરૂપી અજીવ પ્રજ્ઞાપના છે.
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-१ प्रज्ञापना

Gujarati 19 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं एगेंदियसंसारसमावन्नजीवपन्नवणा? एगेंदियसंसारसमावन्नजीवपन्नवणा पंचविहा पन्नत्ता, तं जहा –पुढविकाइया आउकाइया तेउकाइया वाउकाइया वणस्सइकाइया।

Translated Sutra: એકેન્દ્રિય સંસારી જીવ પ્રજ્ઞાપનાના કેટલા ભેદો છે ? તે પાંચ ભેદે છે – પૃથ્વીકાયિક એકેન્દ્રિય સંસારી જીવ પ્રજ્ઞાપના, અપ્‌કાયિક૦ – તેઉકાયિક૦ – વાયુકાયિક૦ – વનસ્પતિકાયિક એકેન્દ્રિય સંસારી જીવ પ્રજ્ઞાપના.
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-१ प्रज्ञापना

Gujarati 24 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं खरबादरपुढविकाइया? खरबादरपुढविकाइया अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–

Translated Sutra: સૂત્ર– ૨૪. તે ખર બાદર પૃથ્વી કેટલા ભેદે છે? અનેક ભેદે છે. તે આ પ્રમાણે – સૂત્ર– ૨૫. પૃથ્વી, કાંકરા, રેતી, ઉપલ, શિલા, લવણ, ખારો, લોઢું, તાંબુ, જસત, સીસું, રૂપું, સોનું, વજ્રરત્ન, સૂત્ર– ૨૬. હડતાલ, હિંગલોક, મણસીલ, પારો, અંજનરત્ન, પ્રવાલ, અભ્રપટલ, અભ્ર વાલુકા, એ બધા બાદર પૃથ્વીકાય જાણવા. હવે મણિવિધાન. સૂત્ર– ૨૭. ગોમેધ્યક, રુચક,
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-१ प्रज्ञापना

Gujarati 33 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं वणस्सइकाइया? वणस्सइकाइया दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–सुहुमवणस्सइकाइया य बादरवणस्सइकाइया य।

Translated Sutra: સૂત્ર– ૩૩. વનસ્પતિકાયિકના કેટલા ભેદ છે ? બે ભેદ છે – સૂક્ષ્મ વનસ્પતિકાયિક અને બાદર વનસ્પતિકાયિક. સૂત્ર– ૩૪. સૂક્ષ્મ વનસ્પતિકાયિક કેટલા ભેદે છે ? બે ભેદે છે – પર્યાપ્તા સૂક્ષ્મ વનસ્પતિકાયિક અને અપર્યાપ્તા સૂક્ષ્મ વનસ્પતિકાયિક. તે સૂક્ષ્મ વનસ્પતિકાયિક કહ્યા. સૂત્ર– ૩૫. બાદર વનસ્પતિકાયિક કેટલા ભેદે છે ? બે
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-१ प्रज्ञापना

Gujarati 38 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं रुक्खा? रुक्खा दुविहा पन्नत्ता, तं जहा– एगट्ठिया य बहुबीयगा य। से किं तं एगट्ठिया? एगट्ठिया अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–

Translated Sutra: સૂત્ર– ૩૮. તે વૃક્ષો કેટલા ભેદે છે ? બે ભેદે છે. એકાસ્થિક અને બહુબીજક. તે એકાસ્થિક કેટલા ભેદે છે ? તે અનેક ભેદે છે. સૂત્ર– ૩૯. લીંબડો, આંબો, જાંબુ, કોશામ્ર, ક્ષુદ્રામ, જંગલી આંબો, સાલ, અંકોલ, પીલુ, સેલુ, શલ્લકી, મોચકી, માલુક, બકુલ, પલાસ, કરંજ, સૂત્ર– ૪૦. પુત્રંજીવ, અરીઠા, બહેડા, હરિતક, ભીલામાં, ઉંબેભરિકા, ક્ષીરિણી, ધાતકી,
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-१ प्रज्ञापना

Gujarati 82 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं साहारणसरीरबादरवणस्सइकाइया? साहारणसरीरबादरवणस्सइकाइया अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–

Translated Sutra: સૂત્ર– ૮૨. સાધારણ શરીર બાદર વનસ્પતિકાયિકના કેટલા ભેદ છે ? તે અનેક ભેદે કહ્યા છે – સૂત્ર– ૮૩. અવક, પનક, સેવાલ, રોહિણી, થિહુ, થિભગ, અશ્વકર્ણી, સિંહકર્ણી, સિઉંઢી, મુસુંઢી. સૂત્ર– ૮૪. રુરુ, કુંડરિકા, જીરુ, ક્ષીરવિદારિકા, કિટ્ટિ, હળદર, આદુ, આલુ, મૂળા. સૂત્ર– ૮૫. કંબૂય, કન્નુક્કડ, મહુપીવલઈ, મધુશૃંગી, નીરુહા, સર્પ્પસુગંધા,
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-१ प्रज्ञापना

Gujarati 120 Gatha Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] चक्कागं भज्जमाणस्स, गंठी चुण्णघनो भवे । पुढवीसरिसभेदेण अनंतजीवं बियाणाहि ॥

Translated Sutra: સૂત્ર– ૧૨૦. જેને ભાંગતા ભંગસ્થાન ચક્રાકાર હોય અને ગાંઠ ચૂર્ણ – રજથી વ્યાપ્ત હોય, ભંગસ્થાન પૃથ્વી સમાન હોય તે અનંત જીવવાળી વનસ્પતિ જાણવી. સૂત્ર– ૧૨૧. જે ગુપ્તશિરાક, ક્ષીરવાળું કે વિનાનું હોય, પ્રનષ્ટ સંધિ હોય તે પાંદડું અનંત જીવાત્મક જાણવું. સૂત્ર– ૧૨૨. જલજ, સ્થલજ, વૃંતબદ્ધ, નાલબદ્ધ પુષ્પો સંખ્યાત, અસંખ્યાત,
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-१ प्रज्ञापना

Gujarati 135 Gatha Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] समयं वक्कंताणं, समयं तेसिं सरीरनिव्वत्ती । समयं आणुग्गहणं, समयं ऊसास-नीसासे ॥

Translated Sutra: સૂત્ર– ૧૩૫. એક સાથે ઉત્પન્ન થયેલ જીવોની એક કાળે શરીર નિષ્પત્તિ, સાથે જ શ્વાસ ગ્રહણ અને સાથે જ નિઃશ્વાસ હોય છે. સૂત્ર– ૧૩૬. એકને જે આહારાદિ ગ્રહણ છે, તે જ સાધારણ જીવોને હોય છે, અને જે બહુ જીવોને હોય, તે સંક્ષેપથી એકને હોય છે. સૂત્ર– ૧૩૭. સાધારણ જીવોને સાધારણ આહાર, સાધારણ શ્વાસ – ઉચ્છ્‌વાસનું ગ્રહણ એ સાધારણ જીવોનું
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-१ प्रज्ञापना

Gujarati 150 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं तेंदियसंसारसमावन्नजीवपन्नवणा? तेंदियसंसारसमावन्नजीवपन्नवणा अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा –ओवइया रोहिणीया कुंथू पिपीलिया उद्दंसगा उद्देहिया उक्कलिया उप्पाया उक्कडा उप्पाडा तणाहारा कट्ठाहारा मालुया पत्ताहारा तणबिंटिया पुप्फबिंटिया फलबिंटिया बीयबिंटिया तेदुरण-मज्जिया तउसमिंजिया कप्पासट्ठिसमिंजिया हिल्लिया झिल्लिया झिंगिरा झिंगिरिडा पाहुया सुभगा सोवच्छिया सुयबिंटा इंदिकाइया इंदगोवया उरुलुंचगा कोत्थलवाहगा जूया हालाहला पिसुया सतवाइया गोम्ही हत्थिसोंडा, जे यावन्ने तहप्पगारा। सव्वेते सम्मुच्छिया नपुंसगा। ते समासतो दुविहा पन्नत्ता, तं

Translated Sutra: તેઇન્દ્રિય સંસાર સમાપન્ન જીવ પ્રજ્ઞાપના કેટલા ભેદે છે ? અનેક ભેદે છે – ઔપયિક, રોહિણિય, કુંથુ, પિપીલિકા, ડાંસ, ઉદ્ધઈ, ઉક્કલિયા, ઉત્પાદ, ઉપ્પાડ, ઉત્પાટક, તૃણાહાર, કાષ્ઠાહાર, માલુકા, પત્રાહાર, તણબેંટિય, પત્રબેંટિય, પુષ્પબેંટિય, ફલબેંટિય, બીજબેંટિય, તેબુરણમિંજિયા, તઓસમિંજિયા, કપ્પાસઠ્ઠિમિંજિય, હિલ્લિય, ઝિલ્લિય,
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-१ प्रज्ञापना

Gujarati 157 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया? जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया पंचविहा पन्नत्ता, तं जहा–मच्छा, कच्छभा, गाहा, मगरा, सुंसुमारा। से किं तं मच्छा? मच्छा अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–सण्हमच्छा खवल्लमच्छा जुगमच्छा विज्झिडियमच्छा हलिमच्छा मग्गरिमच्छा रोहियमच्छा हलीसागरा गागरा वडा वडगरा तिमी तिमिंगिला णक्का तंदुलमच्छा कणिक्कामच्छा सालिसच्छियामच्छा लंभणमच्छा पडागा पडागातिपडागा। जे यावन्ने तहप्पगारा। से त्तं मच्छा।

Translated Sutra: સૂત્ર– ૧૫૭. જલચર પંચેન્દ્રિય તિર્યંચયોનિકો કેટલા ભેદે છે ? તે પાંચ ભેદે કહ્યા છે – મત્સ્ય, કચ્છપ, ગાહા, મગર, શિશુમાર. મત્સ્યો કેટલા ભેદે છે ? અનેકવિધ કહ્યા છે – શ્લક્ષ્ણ મત્સ્યો, ખવલ્લ મત્સ્યો, જુંગ મત્સ્યો, વિજ્‌ઝડિય મત્સ્યો, હલિ મત્સ્ય, મકરી મત્સ્ય, રોહિત મત્સ્ય, હલીસાગર, ગાગર, વડ, વડગર, ગબ્ભય, ઉસગાર, તિમિતિમિંગલ,
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-१ प्रज्ञापना

Gujarati 161 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं थलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया? थलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया य परिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया य। से किं तं चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया? चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया चउव्विहा पन्नत्ता, तं जहा–एगखुरा दुखुरा गंडीपदा सणप्फदा। से किं तं एगखुरा? एगखुरा अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–अस्सा अस्सतरा घोडगा गद्दभा गोरक्खरा कंदलगा सिरिकंदलगा आवत्ता। जे यावन्ने तहप्पगारा। से त्तं एगखुरा। से किं तं दुखुरा? दुखुरा अनेगविहा पन्नत्ता, तं० उट्टा गोणा गवया रोज्झा पसया महिसा मिया संवरा वराहा अय-एलग-रुरु-सरभ-चमर-कुरंग-गोकण्णमादी।

Translated Sutra: સ્થલચર પંચેન્દ્રિય તિર્યંચયોનિકના કેટલા ભેદ છે ? બે ભેદે છે – ચતુષ્પદ સ્થલચર પંચેન્દ્રિય. તિર્યંચ યોનિક અને પરિસર્પ સ્થલચર પંચેન્દ્રિય તિર્યંચયોનિક. ચતુષ્પદ સ્થલચર પંચેન્દ્રિય તિર્યંચ યોનિકના કેટલા ભેદ છે ? ચાર ભેદ છે – એક ખુરા, બે ખુરા, ગંડીપદ, સનખપદ. એક ખુરા કેટલા ભેદે છે ? અનેક ભેદે – અશ્વ, અશ્વતર ખચ્ચર.
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-२ स्थान

Gujarati 166 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं मनुस्सा? मनुस्सा दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–समुच्छिममनुस्सा य गब्भवक्कंतियमनुस्सा य। से किं तं सम्मुच्छिममनुस्सा? सम्मुच्छिममनुस्सा एगागारा पन्नत्ता। कहि णं भंते! सम्मुच्छिममनुस्सा सम्मुच्छंति? गोयमा! अंतोमनुस्सखेत्ते पणतालीसाए जोयणसयसहस्सेसु अड्ढाइज्जेसु दीव-समुद्देसु पन्नरससु कम्मभूमीसु तीसाए अकम्मभूमीसु छप्पन्नाए अंतरदीवएसु गब्भवक्कंतियमनुस्साणं चेव उच्चारेसु वा पासवणेसु वा खेलेसु वा सिंघाणेसु वा वंतेसु वा पित्तेसु वा पूएसु वा सोणिएसु वा सुक्केसु वा सुक्कपोग्गलपरिसाडेसु वा विगतजीव-कलेवरेसु वा थीपुरिससंजोएसु वा गामनिद्धमणेसु वा?

Translated Sutra: [૧] તે મનુષ્યો કેટલા ભેદે છે ? બે ભેદે – સંમૂર્ચ્છિમ અને ગર્ભવ્યુત્ક્રાંતિક. તે સંમૂર્ચ્છિમ મનુષ્યો કેટલા ભેદે છે ? ભગવન્‌ ! તે સંમૂર્ચ્છિમ મનુષ્યો ક્યાં સંમૂર્ચ્છે છે ? ગૌતમ ! પીસ્તાળીશ લાખ યોજન પ્રમાણ મનુષ્ય ક્ષેત્રમાં અઢી દ્વીપ અને સમુદ્રોમાં પંદર કર્મભૂમિમાં, ત્રીશ અકર્મભૂમિમાં તથા છપ્પન અંતર્દ્વીપોમાં
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-२ स्थान

Gujarati 167 Gatha Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] रायगिह मगह चंपा, अंगा तह तामलित्ति बंगा य । कंचणपुरं कलिंगा, वाणारसिं चेव कासी य ॥

Translated Sutra: સૂત્ર– ૧૬૭. રાજગૃહ – મગધ, ચંપા – અંગ, તામલિપ્તી – બંગ, કંચનપુર – કલિંગ, વાણારસી – કાશી, સૂત્ર– ૧૬૮. સાકેત – કોશલ, ગજપુર – કુરુ, શૌરિય – કુશાર્ત્ત, કાંપિલ્ય – પંચાલ, અહિચ્છત્રા – જંગલ, સૂત્ર– ૧૬૯. દ્વારાવતી – સૌરાષ્ટ્ર, મિથિલા – વિદેહ, વત્સ – કૌશાંબી, નંદિપુર – શાંડિલ્ય, ભદ્દિલપુર – મલય, સૂત્ર– ૧૭૦. વરાટ – વત્સ, વરણ –
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-२ स्थान

Gujarati 191 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं देवा? देवा चउव्विहा पन्नत्ता, तं जहा–भवनवासी वाणमंतरा जोइसिया वेमानिया। से किं तं भवनवासी? भवनवासी दसविहा पन्नत्ता, तं जहा–असुरकुमारा नागकुमारा सुवण्ण-कुमारा विज्जुकुमारा अग्गिकुमारा दीवकुमारा उदहिकुमारा दिसाकुमारा वाउकुमारा थणियकुमारा। ते समासतो दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य। से त्तं भवनवासी। से किं तं वाणमंतरा? वाणमंतरा अट्ठविहा पन्नत्ता, तं जहा–किन्नरा किंपुरिसा महोरगा गंधव्वा जक्खा रक्खसा भूया पिसाया। ते समासतो दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य। से त्तं वाणमंतरा। से किं तं जोइसिया? जोइसिया पंचविहा पन्नत्ता,

Translated Sutra: દેવો કેટલા ભેદે છે ? ચાર ભેદે – ભવનવાસી, વ્યંતર, જ્યોતિષ અને વૈમાનિક. ભવનવાસી કેટલા ભેદે છે ? દશ ભેદે છે – અસુરકુમાર, નાગકુમાર, સુવર્ણકુમાર, વિદ્યુત્કુમાર, અગ્નિકુમાર, દ્વીપકુમાર, ઉદધિકુમાર, દિશાકુમાર, વાયુકુમાર, સ્તનિતકુમાર. તે સંક્ષેપથી બે ભેદે છે – પર્યાપ્તા અને અપર્યાપ્તા. આ ભવનવાસી કહ્યા. તે વ્યંતર કેટલા
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-२ स्थान

Gujarati 193 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कहि णं भंते! बादरवाउकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! सट्ठाणेणं सत्तसु घनवाएसु सत्तसु घनवायवलएसु सत्तसु तनुवाएसु सत्तसु तनुवायवलएसु। अहोलोए–पायालेसु भवनेसु भवनपत्थडेसु भवनछिंद्देसु भवनणिक्खुडेसु निरएसु निरयावलियासु निरयपत्थडेसु निरयछिद्देसु निरयणिक्खुडेसु। उड्ढलोए–कप्पेसु विमानेसु वियाणावलियासु विमानपत्थडेसु विमानछिद्देसु विमानणिक्खुडेसु। तिरियलोए–पाईण-पडीण-दाहिण-उदीण सव्वेसु चेव लोगागासछिद्देसु लोय-निक्खुड्डेसु य। एत्थ णं बादरवाउकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता। उववाएणं लोयस्स असंखे-ज्जेसु भागेसु, समुग्घाएणं लोयस्स असंखेज्जेसु

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! પર્યાપ્તા બાદર વાયુકાયિકોના સ્થાનો ક્યાં કહ્યા છે ? ગૌતમ ! સ્વસ્થાનની અપેક્ષાએ સાત ઘનવાતમાં, સાત ઘનવાત વલયોમાં, સાત તનુવાતમાં, સાત તનુવાત વલયમાં, અધોલોકમાં – પાતાળ, ભવન, ભવનપ્રસ્તટ, ભવનછિદ્ર, ભવનનિષ્કુટ, નરક, નરકાવલિ, નરકપ્રસ્તટ, નરકછિદ્ર, નરકનિષ્કૂટોમાં, ઉર્ધ્વલોકમાં કલ્પ, વિમાન, વિમાનવલિકા, વિમાન
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-२ स्थान

Gujarati 203 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कहि णं भंते! भवनवासीणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता? कहि णं भंते! भवनवासी देवा परिवसंति? गोयमा! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तरजोयणसतसहस्सबाहल्लाए उवरिं एगं जोयणसहस्सं ओगाहित्ता हेट्ठा वेगं जोयणसहस्सं वज्जेत्ता मज्झे अट्ठहत्तरे जोयणसतसहस्से, एत्थ णं भवनवासीणं देवाणं सत भवनकोडीओ बावत्तरिं च भवनावाससतसहस्सा भवंतीति मक्खातं। ते णं भवना बाहिं वट्टा अंतो समचउरंसा अहे पुक्खरकण्णियासंठाणसंठिता उक्किन्नंतर- विउलगंभीरखातप्परिहा पाणारट्टालय-कवाड-तोरग-पडिदुवारदेसभागा जंत-सयग्घि-मुसल-मुसुंढि-परिवारिया अओज्झा सदाजता सदागुत्ता अडयाल-कोट्ठगरइया

Translated Sutra: સૂત્ર– ૨૦૩. ભગવન્‌ ! પર્યાપ્તા – અપર્યાપ્તા ભવનવાસી દેવોના સ્થાનો ક્યાં કહ્યા છે ? ભગવન્‌! ભવનવાસી દેવો ક્યાં વસે છે ? ગૌતમ! આ રત્નપ્રભા પૃથ્વીની ૧,૮૦,૦૦૦ યોજનની જાડાઈના ઉપર – નીચેના એક – એક હજાર છોડીને વચ્ચેના ૧,૭૮,૦૦૦ યોજન ભાગમાં ભવનવાસી દેવોના સાતક્રોડ બોંતેર લાખ ભવનો છે. તે ભવનો બહારથી ગોળ, અંદરથી ચોરસ, નીચે
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-२ स्थान

Gujarati 217 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कहि णं भंते! वाणमंतराणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता? कहि णं भंते! वाणमंतरा देवा परिवसंति? गोयमा! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए रयणामयस्स कंडस्स जोयणसहस्सबाहल्लस्स उवरिं एगं जोयणसतं ओगाहित्ता हेट्ठा वि एगं जोयणसतं वज्जेत्ता मज्झे अट्ठसु जोयणसएसु, एत्थ णं वाणमंतराणं देवाणं तिरियमसंखेज्जा भोमेज्जनगरावाससतसहस्सा भवंतीति मक्खातं। ते णं भोमेज्जा नगरा बाहिं वट्टा अंतो चउरंसा अहे पुक्खरकण्णियासंठाणसंठिता उक्किन्नंतरविउलगंभीरखायपरिहा पागारट्टालय कबाड तोरण पडिदुवारदेसभागा जंत सयग्घि मुसल मुसुंढिपरिवारिया अओज्झा सदाजता सदागुत्ता अडयालकोट्ठगरइया

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! વ્યંતરોમાં પર્યાપ્તા – અપર્યાપ્તા દેવોના સ્થાનો ક્યાં કહેલા છે ? ભગવન્‌ ! વ્યંતર દેવો ક્યાં વસે છે ? ગૌતમ ! આ રત્નપ્રભા પૃથ્વીના ૧૦૦૦ યોજન પ્રમાણ જાડા રત્નમય કાંડના ઉપર – નીચેના ૧૦૦ યોજન છોડીને વચ્ચેના ૮૦૦ યોજનમાં અહીં વ્યંતર દેવોના તિર્છા ભૂમિ સંબંધી અસંખ્યાતા લાખો નગરો છે એમ કહેલ છે. તે ભૌમેય નગરો
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-२ स्थान

Gujarati 218 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कहि णं भंते! पिसायाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता? कहि णं भंते! पिसाया देवा परिवसंति? गोयमा! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए रयणाययस्स कंडस्स जोयणसहस्सबाहल्लस्स उवरिं एगं जोयणसतं ओगाहित्ता हेट्ठा वेगं जोयणसतं वज्जेत्ता मज्झे अट्ठसु जोयणसएसु एत्थ णं पिसायाणं देवाणं तिरियमसंखेज्जा भोमेज्जानगरावाससतसहस्सा भवंतीति मक्खातं। ते णं भोमेज्जानगरा बाहिं वट्टा जहा ओहिओ भवनवण्णओ तहा भाणितव्वो जाव पडिरूवा। एत्थ णं पिसायाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता। तिसु वि लोगस्स असंखेज्जइभागे। तत्थ णं बहवे पिसाया देवा परिवसंति–महिड्ढिया जहा ओहिया जाव

Translated Sutra: સૂત્ર– ૨૧૮. ભગવન્‌ ! પર્યાપ્તા – અપર્યાપ્તા પિશાચ દેવોના સ્થાનો ક્યાં છે ? ભગવન્‌ ! પિશાચ દેવો ક્યાં રહે છે ? ગૌતમ ! આ રત્નપ્રભા પૃથ્વીના હજાર યોજન જાડા રત્નમય કાંડના ઉપર – નીચેના સો – સો યોજન છોડીને વચ્ચેના ૮૦૦ યોજનમાં પિશાચ દેવોના તીર્છા અસંખ્યાત લાખ ભૌમેય નગરો છે. એમ કહેલ છે. તે ભૌમેયનગરો બહારના ભાગે ગોળ છે
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-२ स्थान

Gujarati 225 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कहि णं भंते! जोइसियाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता? कहि णं भंते! जोइसिया देवा परिवसंति? गोयमा! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ सत्तानउते जोयणसते उड्ढं उप्पइत्ता दसुत्तरे जोयणसतबाहल्ले तिरियमसंखेज्जे जोतिसविसये, एत्थ णं जोइसियाणं देवाणं तिरियमसंखेज्जा जोइसियविमानावाससतसहस्सा भवंतीति मक्खातं। ते णं विमाना अद्धकविट्ठगसंठाणसंठिता सव्वफालियामया अब्भुग्गयमूसियपहसिया इव विविहमणि कनग रतणभत्तिचित्ता वाउद्धुतविजयवेजयंतीपडागछत्ताइछत्तकलिया तुंगा गगन-तलमणुलिहमाणसिहरा जालंतररत्तणपंजरुम्मिलिय व्व मणि-कनगभूमियागा वियसियसयवत्त-पुंडरीय

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! પર્યાપ્તા – અપર્યાપ્તા જ્યોતિષ્ક દેવોના સ્થાનો ક્યાં છે ? ભગવન્‌! જ્યોતિષ્ક દેવો ક્યાં રહે છે? ગૌતમ ! આ રત્નપ્રભા પૃથ્વીના બહુસમ રમણીય ભૂમિભાગથી ૭૯૦ યોજન ઉપર જઈએ એટલે ૧૧૦ યોજન પહોળા અને તીર્છા અસંખ્યાતા યોજન પ્રમાણ ક્ષેત્રમાં જ્યોતિષ્ક દેવોનો નિવાસ છે. અહીં જ્યોતિષ્ક દેવોના તીર્છા અસંખ્યાતા લાખ
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-२ स्थान

Gujarati 226 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कहि णं भंते! वेमानियाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता? कहि णं भंते! वेमानिया देवा परिवसंति? गोयमा! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जातो भूमिभागातो उड्ढं चंदिम-सूरिय-गह-नक्खत्त-तारारूवाणं बहूइं जोयणसताइं बहूइं जोयणसहस्साइं बहूइं जोयणसयसहस्साइं बहुगीओ जोयणकोडीओ बहुगीओ जोयणकोडाकोडीओ उड्ढं दूरं उप्पइत्ता, एत्थ णं सोहम्मीसाण-सणंकुमार-माहिंद- बंभलोय-लंतय- महासुक्क-सहस्सार- आणय-पाणय- आरण-अच्चुत- गेवेज्ज-अनुत्तरेसु, एत्थ णं वेमानियाणं देवाणं चउरासीइ विमानावाससतसहस्सा सत्तानउइं च सहस्सा तेवीसं च विमाना भवंतीति मक्खातं। ते णं विमाना सव्वरतणामया

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! પર્યાપ્તા – અપર્યાપ્તા વૈમાનિક દેવોના સ્થાનો ક્યાં કહ્યા છે ? ભગવન્‌ ! વૈમાનિક દેવો ક્યાં વસે છે ? ગૌતમ ! આ રત્નપ્રભા પૃથ્વીના બહુસમ રમણીય ભૂમિભાગથી ઊંચે ચંદ્ર – સૂર્ય – ગ્રહ – નક્ષત્ર – તારારૂપથી ઘણા સેંકડો યોજન, ઘણા હજારો યોજન, ઘણા લાખો યોજન, ઘણા કરોડ યોજનો, ઘણા કોડાકોડી યોજનો ઉપર દૂર જઈએ એટલે અહીં સૌધર્મ,
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-२ स्थान

Gujarati 228 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कहि णं भंते! ईसानगदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता? कहि णं भंते! ईसानगदेवा परिवसंति? गोयमा! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वतस्स उत्तरेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ उड्ढं चंदिम-सूरिय-गह-नक्खत्त-तारारूवाणं बहूइं जोयणसताइं बहूइं जोयणसहस्साइं जाव उप्पइत्ता, एत्थ णं ईसाने नामं कप्पे पन्नत्ते–पाईण पडीणायते उदीण-दाहिणविच्छिण्णे एवं जहा सोहम्मे जाव पडिरूवे। तत्थ णं ईसाणदेवगाणं अट्ठावीसं विमानावाससतसहस्सा हवंतीति मक्खातं। ते णं विमाना सव्वरयणामया जाव पडिरूवा। तेसि णं बहुमज्झदेसभाए पंच वडेंसगा पन्नत्ता, तं जहा–अंकवडेंसए फलिहवडेंसए

Translated Sutra: સૂત્ર– ૨૨૮. ભગવન્‌ ! પર્યાપ્તા – અપર્યાપ્તા ઈશાન દેવોના સ્થાનો ક્યાં છે ? ભગવન્‌ ! ઈશાન દેવો ક્યાં વસે છે ? ગૌતમ! જંબૂદ્વીપ દ્વીપના મેરુ પર્વતની ઉત્તરે આ રત્નપ્રભા પૃથ્વીના બહુસમ – રમણીય ભૂમિભાગથી ઉપર ચંદ્ર – સૂર્ય – ગ્રહ – નક્ષત્ર – તારારૂપથી ઘણા સો યોજન, ઘણા હજારો યોજન યાવત્‌ ઉર્ધ્વ જઈને ઈશાન નામ કલ્પ કહેલ
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-२ स्थान

Gujarati 235 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कहि णं भंते! सिद्धाणं ठाणा पन्नत्ता? कहि णं भंते! सिद्धा परिवसंति? गोयमा! सव्वट्ठसिद्धस्स महाविमानस्स उवरिल्लाओ थूभियग्गाओ दुवालस जोयणे उड्ढं अबाहाए, एत्थ णं ईसीपब्भारा नामं पुढवी पन्नत्ता– पणतालीसं जोयणसतसहस्साणि आयामविक्खंभेणं, एगा जोयणकोडी बायालीसं च सतसहस्साइं तीसं च सहस्साइं दोन्नि य अउणापण्णे जोयणसते किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं पन्नत्ता। ईसीपब्भाराए णं पुढवीए बहुमज्झदेसभाए अट्ठजोयणिए खेत्ते अट्ठ जोयणाइं बाहल्लेणं पन्नत्ते, ततो अनंतरं च णं माताए माताए–पएसपरिहाणीए परिहायमाणी-परिहायमाणी सव्वेसु चरिमंतेसु मच्छियपत्तातो तनुयरी अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं

Translated Sutra: સૂત્ર– ૨૩૫. ભગવન્‌ ! સિદ્ધોના સ્થાનો ક્યાં કહ્યા છે ? ભગવન્‌ ! સિદ્ધો ક્યાં વસે છે ? ગૌતમ ! સર્વાર્થસિદ્ધ મહા – વિમાનની ઉપરની સ્તૂપિકાથી બાર યોજન ઊંચે ઇષત્‌ પ્રાગ્ભારા નામે પૃથ્વી છે. તે ૪૫ – લાખ યોજન લંબાઈ – પહોળાઈથી છે. તેની પરિધિ ૧,૪૨,૩૦,૨૪૯ યોજનથી કંઈક અધિક છે. ઇષત્‌ પ્રાગ્ભારા પૃથ્વીના બહુમધ્ય દેશભાગનું આઠ
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-३ अल्पबहुत्त्व

Gujarati 266 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एतेसि णं भंते! सुहुमाणं सुहुमपुढविकाइयाणं सुहुमआउकाइयाणं सुहुमतेउकाइयाणं सुहुम-वाउकाइयाणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं सुहुमनिगोदाणं बादराणं बादरपुढविकाइयाणं बादरआउ-काइयाणं बादरतेउकाइयाणं बादरवाउकाइयाणं बादरवणस्सइकाइयाणं पत्तेयसरीरबादरवणस्सइ-काइयाणं बादरनिगोदाणं बादरतसकाइयाणं य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा बादरतसकाइया, बादरतेउकाइया असंखेज्जगुणा, पत्तेयसरीरबादर-वणस्सइकाइया असंखेज्जगुणा, बादरनिगोदा असंखेज्जगुणा, बादरपुढविकाइया असंखेज्जगुणा, बादरआउकाइया असंखेज्जगुणा, बादरवाउकाइया असंखेज्जगुणा, सुहुमतेउकाइया

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! આ સૂક્ષ્મો, સૂક્ષ્મ એવા પૃથ્વીકાયિક – અપ્‌કાયિક – તેઉકાયિક – વાયુકાયિક – વનસ્પતિકાયિક – નિગોદ, બાદર, બાદર પૃથ્વીકાયિક – અપ્‌કાયિક – તેઉકાયિક – વાયુકાયિક – વનસ્પતિકાયિક, પ્રત્યેક શરીરી બાદર વનસ્પતિકાયિક, બાદર નિગોદો, બાદર ત્રસકાયિકોમાં કોણ કોનાથી અલ્પ, બહુ, તુલ્ય, વિશેષ છે? ગૌતમ ! સૌથી થોડાં બાદર ત્રસકાયિકો
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-३ अल्पबहुत्त्व

Gujarati 283 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एतेसि णं भंते! धम्मत्थिकाय-अधम्मत्थिकाय-आगासत्थिकाय-जीवत्थिकाय-पोग्गलत्थिकाय-अद्धासमयाणं दव्वट्ठयाए कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए य एए तिन्नि वि तुल्ला दव्वट्ठयाए सव्वत्थोवा, जीवत्थिकाए दव्वट्ठयाए अनंतगुणे, पोग्गलत्थिकाए दव्वट्ठयाए अनंतगुणे, अद्धासमए दव्वट्ठयाए अनंतगुणे। एतेसि णं भंते! धम्मत्थिकाय-अधम्मत्थिकाय-आगासत्थिकाय-जीवत्थिकाय-पोग्गलत्थि-काय-अद्धासमयाणं पदेसट्ठयाए कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए य एते णं दो

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! ધર્માસ્તિકાય, અધર્માસ્તિકાય, આકાશાસ્તિકાય, જીવાસ્તિકાય, પુદ્‌ગલાસ્તિકાય અને અદ્ધા – સમયોમાં દ્રવ્યાર્થરૂપે કોણ કોનાથી અલ્પ, બહુ, તુલ્ય કે વિશેષાધિક છે ? ગૌતમ ! ધર્માસ્તિકાય, અધર્માસ્તિકાય, આકાશાસ્તિકાય ત્રણે અસ્તિકાય દ્રવ્યાર્થતાથી તુલ્ય અને સૌથી થોડાં છે. તેથી જીવાસ્તિકાય દ્રવ્યાર્થતાથી અનંતગણા
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-३ अल्पबहुत्त्व

Gujarati 292 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पुढविकाइया उड्ढलोय-तिरियलोए अहेलोय-तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्ढलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया। खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पुढविकाइया अपज्जत्तया उड्ढलोय-तिरियलोए, अहेलोय-तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्ढलोए असंखेज्ज-गुणा, अहेलोए विसेसाहिया। खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पुढविकाइया पज्जत्तया उड्ढलोय-तिरियलोए, अहेलोय-तिरिय-लोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्ढलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया। खेत्ताणुवाएणं

Translated Sutra: ક્ષેત્રની અપેક્ષાએ સૌથી થોડાં પૃથ્વીકાયિકો ઉર્ધ્વલોક – તિર્છાલોકમાં છે, અધોલોક તિર્છાલોકમાં વિશેષાધિક છે. તિર્છાલોક – ત્રિલોક – ઉર્ધ્વલોકમાં અનુક્રમે અસંખ્યાતગણા અધોલોકમાં વિશેષાધિક છે. અપર્યાપ્તા અને પર્યાપ્તા પૃથ્વીકાયના બંને આલાવા ઔઘિક પૃથ્વીકાય માફક જ જાણવા. ક્ષેત્રની અપેક્ષાએ સૌથી થોડાં અપ્‌કાયિકો
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-३ अल्पबहुत्त्व

Gujarati 296 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एतेसि णं भंते! परमाणुपोग्गलाणं संखेज्जपदेसियाणं असंखेज्जपदेसियाणं अनंतपदेसियाण य खंधाणं दव्वट्ठयाए पदेसट्ठयाए दव्वट्ठपदेसट्ठयाए कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा अनंतपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए, परमाणुपोग्गला दव्वट्ठयाए अनंतगुणा, संखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा; पदेसट्ठयाए–सव्वत्थोवा अनंतपदेसिया खंधा पदेसट्ठयाए, परमाणुपोग्गला अपदेस-ट्ठयाए अनंतगुणा, संखेज्जपदेसिया खंधा पदेसट्ठयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जपदेसिया खंधा पदेसट्ठयाए असंखेज्जगुणा; दव्वट्ठ-पदेसट्ठयाए–सव्वत्थोवा

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! આ પરમાણુ પુદ્‌ગલ, સંખ્યાત પ્રદેશિક, અસંખ્યાત પ્રદેશી, અનંતપ્રદેશી સ્કંધોમાં દ્રવ્યાર્થતાથી, પ્રદેશાર્થપણાથી, દ્રવ્યાર્થ – પ્રદેશાર્થતાથી કોણ કોનાથી અલ્પ, બહુ, તુલ્ય કે વિશેષાધિક છે ? ગૌતમ! સૌથી થોડાં અનંતપ્રદેશી સ્કંધો દ્રવ્યાર્થપણે, પરમાણુ પુદ્‌ગલો દ્રવ્યાર્થપણે અનંતગણા, સંખ્યાત પ્રદેશી સ્કંધો
Showing 1701 to 1750 of 2582 Results