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Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 206 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] निद्देसे पढमा होइ, बितिया उवएसणे तइया करणम्मि कया, चउत्थी संपयावणे

Translated Sutra: देखो सूत्र २०५
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 207 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पंचमी अवायाणे, छट्ठी सस्सामिवायणे सत्तमी सन्निहाणत्थे, अट्ठमाऽऽमंतणी भवे

Translated Sutra: देखो सूत्र २०५
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 208 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तत्थ पढमा विभत्ती, निद्देसेसो इमो अहं त्ति बिइया पुण उवएसेभण कुणसु इमं तं त्ति

Translated Sutra: निर्देश में प्रथमा विभक्ति होती है जैसे वह, यह अथवा मैं उपदेश में द्वितीया विभक्ति होती है जैसे इसको कहो, उसको करो आदि करण में तृतीया विभक्ति होती है जैसे उसके और मेरे द्वारा कहा गया अथवा उसके ओर मेरे द्वारा किया गया संप्रदान, नमः तथा स्वाहा अर्थ में चतुर्थी विभक्ति होती है अपादान में पंचमी होती
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 209 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तइया करणम्मि कयाभणियं कयं तेण मए वा हंदि नमो साहाए, हवइ चउत्थी पयाणम्मि

Translated Sutra: देखो सूत्र २०८
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 210 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अवनय गेण्ह एत्तो, इतो वा पंचमी अवायाणे छट्ठी तस्स इमस्स , गयस्स वा सामिसंबंधे

Translated Sutra: देखो सूत्र २०८
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 211 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] हवइ पुण सत्तमी तं, इमम्मि आधारकालभावे आमंतणी भवे अट्ठमी जह हे जुवाण! त्ति

Translated Sutra: देखो सूत्र २०८
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 212 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से तं अट्ठनामे

Translated Sutra: देखो सूत्र २०८
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 213 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नवनामे? नवनामेनव कव्वरसा पन्नत्ता, तं जहा

Translated Sutra: नवनाम क्या है ? काव्य के नौ रस नवनाम कहलाते हैं जिनके नाम हैं वीररस, शृंगाररस, अद्‌भुतरस, रौद्ररस, व्रीडनकरस, बीभत्सरस, हास्यरस, कारुण्यरस और प्रशांतरस सूत्र २१३, २१४
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 214 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] वीरो सिंगारो अब्भुओ रोद्दो होइ बोधव्वो वेलणओ बीभच्छो, हासो कलुणो पसंतो

Translated Sutra: देखो सूत्र २१३
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 215 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तत्थ परिच्चायम्मि , तवचरणे सत्तुजणविणासे अननुसय-धिति-परक्कमलिंगो वीरो रसो होइ

Translated Sutra: इन नव रसों में . परित्याग करने में गर्व या पश्चात्ताप होने, . तपश्चरण में धैर्य और . शत्रुओं का विनाश करने में पराक्रम होने रूप लक्षण वाला वीररस है राज्य वैभव का परित्याग करके जो दीक्षित हुआ और दीक्षित होकर काम क्रोध आदि रूप महाशत्रुपक्ष का जिसने विघात किया, वही निश्चय से महावीर है सूत्र २१५, २१६
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 216 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सो नाम महावीरो, जो रज्जं पयहिऊण पव्वइओ काम-क्कोह-महासत्तु-पक्खनिग्घायणं कुणइ

Translated Sutra: देखो सूत्र २१५
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 217 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सिंगारो नाम रसो, रतिसंजोगाभिलाससंजणणो मंडण-विलास-विब्बोय-हास-लीला-रमणलिंगो

Translated Sutra: शृंगाररस रति के कारणभूत साधनों के संयोग की अभिलाषा का जनक है तथा मंडन, विलास, विब्बोक, हास्य लीला और रमण ये सब शृंगाररस के लक्षण हैं कामचेष्टाओं से मनोहर कोई श्यामा क्षुद्र घंटिकाओं से मुखरित होने से मधुर तथा युवकों के हृदय को उन्मत्त करने वाले अपने कोटिसूत्र का प्रदर्शन करती है सूत्र २१७, २१८
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 218 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] महुरं विलास-ललियं, हिययुम्मादनकरं जुवाणाणं सामा सद्दुद्दामं, दाएती मेहलादामं

Translated Sutra: देखो सूत्र २१७
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 219 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] विम्हयकरो अपुव्वो, ऽनुभूयपुव्वो जो रसो होइ हरिसविसायुप्पत्तिलक्खणो अब्भुओ नाम

Translated Sutra: पूर्व में कभी अनुभव में नहीं आये अथवा अनुभव में आये किसी विस्मयकारी आश्चर्यकारक पदार्थ को देखकर जो आश्चर्य होता है, वह अद्‌भुतरस है हर्ष और विषाद की उत्पत्ति अद्‌भुतरस का लक्षण है इस जीवलोकमें इससे अधिक अद्‌भुत और क्या हो सकता है कि जिनवचन द्वारा त्रिकाल सम्बन्धी समस्त पदार्थ जान लिये जाते हैं सूत्र
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 220 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अब्भुयतरमिह एत्तो, अन्नं किं अत्थि जीवलोगम्मि जं जिनवयणेनत्था, तिकालजुत्ता वि नज्जंति

Translated Sutra: देखो सूत्र २१९
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 221 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] भयजणणरूव-सद्दंधकार-चिंता-कहासमुप्पन्नो संमोह-संभम-विसाय-मरणलिंगो रसो रोद्दो

Translated Sutra: भयोत्पादक रूप, शब्द अथवा अंधकार के चिन्तन, कथा, दर्शन आदि से रौद्ररस उत्पन्न होता है और संमोह, संभ्रम, विषाद एवं मरण उसके लक्षण हैं भृकुटियों से तेरा मुख विकराल बन गया है, तेरे दाँत होठों को चबा रहे हैं, तेरा शरीर खून से लथपथ हो रहा है, तेरे मुख से भयानक शब्द निकल रहे हैं, जिससे तू राक्षस जैसा हो गया है और पशुओं की
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 222 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] भिउडी-विडंबियमुहा! संदट्ठोट्ठ! इय रुहिरमोकिन्ना हणसि पसुं असुरणिभा! भीमरसिय! अइरोद्द! रोद्दोसि

Translated Sutra: देखो सूत्र २२१
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 223 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] विनओवयार-गुज्झ-गुरुदार-मेरावइक्कमुप्पन्नो वेलणओ नाम रसो, लज्जासंकाकरणलिंगो

Translated Sutra: विनय करने योग्य माता पिता आदि गुरुजनों का विनयन करने से, गुप्त रहस्यों को प्रकट करने से तथा गुरुपत्नी आदि के साथ मर्यादा का उल्लंघन करने से व्रीडनकरस उत्पन्न होता है लज्जा और शंका उत्पन्न होना, इस रस के लक्षण हैं इस लौकिक व्यवहार से अधिक लज्जास्पद अन्य बात क्या हो सकती है मैं तो इससे बहुत लजाती हूँ कि
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 224 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] किं लोइयकरणीओ, लज्जनीयतरं लज्जिया मो त्ति वारेज्जम्मि गुरुजनो, परिवंदइ जं वहूपोत्तिं

Translated Sutra: देखो सूत्र २२३
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 225 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] असुइ-कुणव-दुद्दंसण-संजोगब्भासगंधनिप्फन्नो निव्वेयविहिंसालक्खणो रसो होइ बीभत्सो

Translated Sutra: अशुचि, शव, मृत शरीर, दुर्दर्शन को बारंबार देखने रूप अभ्यास से या उसकी गंध से बीभत्सरस उत्पन्न होता है निर्वेद और अविहिंसा बीभत्सरस के लक्षण हैं अपवित्र मल से भरे हुए झरनों से व्याप्त और सदा सर्वकाल स्वभावतः दुर्गन्ध युक्त यह शरीर सर्व कलहों का मूल है ऐसा जानकर जो व्यक्ति उसकी मूर्च्छा का त्याग करते हैं,
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 226 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] असुइमलभरियनिज्झर, सभावदुग्गंधिसव्वकालं पि धन्ना सरीरकलिं, बहुमलकलुसं विमुंचंति

Translated Sutra: देखो सूत्र २२५
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 227 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] रूव-वय-वेस-भासाविवरीयविलंबणासमुप्पन्नो हासो मनप्पहासो, पगासलिंगो रसो होइ

Translated Sutra: रूप, वय, वेष और भाषा की विपरीतता से हास्यरस उत्पन्न होता है हास्यरस मन को हर्षित करनेवाला है और प्रकाश मुख, नेत्र आदि का विकसित होना, अट्टहास आदि उनके लक्षण हैं प्रातः सोकर उठे, कालिमा से काजल की रेखाओं से मंडित देवर के मुख को देखकर स्तनयुगल के भार से नमित मध्यभाग वाली कोई युवती ही ही करती हँसती है सूत्र
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 228 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पासुत्त-मसीमंडिय-पडिबुद्धं देयरं पलोयंती ही! जह थण-भर-कंपण-पणमियमज्झा हवइ सामा

Translated Sutra: देखो सूत्र २२७
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 229 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पियविप्पओग-बंध-वह-वाहि-विनिवाय-संभमुप्पन्नो सोइय-विलविय-पव्वाय-रुन्नलिंगो रसो करुणो

Translated Sutra: प्रिय के वियोग, बंध, वध, व्याधि, विनिपात, पुत्रादि मरण एवं संभ्रम परचक्रादि के भय आदि से करुणरस उत्पन्न होता है शोक, विलाप, अतिशय म्लानता, रुदन आदि करुणरस के लक्षण हैं हे पुत्रिके ! प्रियतम के वियोग में उसकी वारंवार अतिशय चिन्ता से क्लान्त मुर्झाया हुआ और आंसुओं से व्याप्त नेत्रोंवाला तेरा मुख दुर्बल
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 230 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पज्झाय-किलामिययं, बाहागयपप्पुयच्छियं बहुसो तस्स विओगे पुत्तिय! दुब्बलयं ते मुहं जायं

Translated Sutra: देखो सूत्र २२९
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 231 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] निद्दोसमण-समाहाणसंभवो जो पसंतभावेणं अविकारलक्खणो सो, रसो पसंतो त्ति नायव्वो

Translated Sutra: निर्दोष, मन की समाधि से और प्रशान्त भाव से जो उत्पन्न होता है तथा अविकार जिसका लक्षण है, उसे प्रशान्तरस जानना चाहिए सद्‌भाव के कारण निर्विकार, रूपादि विषयों के अवलोकन की उत्सुकता के परित्याग से उपशान्त एवं क्रोधादि दोषों के परिहार से प्रशान्त, सौम्य दृष्टि से युक्त मुनि का मुखकमल वास्तव में अतीव श्रीसम्पन्न
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 232 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सब्भाव-निव्विगारं, उवसंत-पसंत-सोमदिट्ठीयं ही! जह मुणिणो सोहइ, मुहकमलं पीवरसिरीयं

Translated Sutra: देखो सूत्र २३१
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Hindi 233 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एए नव कव्वरसा, बत्तीसदोसविहिसमुप्पन्ना गाहाहिं मुणेयव्वा, हवंति सुद्धा मीसा वा

Translated Sutra: गाथाओं द्वारा कहे गये नव काव्यरस अलीकता आदि सूत्र के बत्तीस दोषों से उत्पन्न होते हैं और ये रस कहीं शुद्ध भी होते हैं और कहीं मिश्रित भी होते हैं
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 234 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से तं नवनामे

Translated Sutra: नवनाम का निरूपण पूर्ण हुआ
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Hindi 235 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं दसनामे? दसनामे दसविहे पन्नत्ते, तं जहा. गोण्णे . नोगोण्णे . आयाणपएणं . पडिवक्खपएणं . पाहन्नयाए . अनाइसिद्धंतेणं . नामेणं . अवयवेणं . संजोगेणं १०. पमाणेणं से किं तं गोण्णे? गोण्णेखमतीति खमणो, तवतीति तवणो, जलतीति जलणो, पवतीति पवणो से तं गोण्णे से किं तं नोगोण्णे? नोगोण्णेअकुंतो सकुंतो, अमुग्गो समुग्गो, अमुद्दो समुद्दो, अलालं पलालं, अकुलिया सकुलिया, नो पलं असतीति पलासो, अमाइवाहए माइवाहए, अबीयवावए बीयवावए, नो इंदं गोवयतीति इंदगोवए से तं नोगोण्णे से किं तं आयाणपएणं? आयाणपएणंआवंती चाउरंगिज्जं असंखयं जन्नइज्जं पुरिसइज्जं एलइज्जं वीरियं धम्मो

Translated Sutra: दसनाम क्या है ? दस प्रकार के नाम दस नाम हैं गौणनाम, नोगौणनाम, आदानपदनिष्पन्ननाम, प्रतिपक्षपदनिष्पन्न नाम, प्रधानपदनिष्पन्ननाम, अनादिसिद्धान्तनिष्पन्ननाम, नामनिष्पन्ननाम, अवयवनिष्पन्ननाम, संयोगनिष्पन्ननाम, प्रमाणनिष्पन्न नाम गौण क्या है ? जो क्षमागुण से युक्त हो उसका क्षमण नाम होना, जो तपे उसे
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 236 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सिंगी सिही विसाणी, दाढी पक्खी खुरी नही वाली दुपय चउप्पय बहुपय, नंगूली केसरी ककुही

Translated Sutra: शृंगी, शिखी, विषाणी, दंष्ट्री, पक्षी, खुरी, नखी, वाली, द्विपद, चतुष्पद, बहुपद, लांगूली, केशरी, ककुदी आदि परिकरबंधन विशिष्ट रचना युक्त वस्त्रों के पहनने से कमर कसने से योद्धा पहिचाना जाता है, विशिष्ट प्रकार के वस्त्रों को पहनने से महिला पहिचानी जाती है, एक कण पकने से द्रोणपरिमित अन्न का पकना और एक ही गाथा के
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 237 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] परियरबंधेण भडं, जाणेज्जा महिलियं निवसणेणं सित्थेण दोणपायं, कविं एगाए गाहाए

Translated Sutra: देखो सूत्र २३६
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 238 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से तं अवयवेणं से किं तं संजोगेणं? संजोगे चउव्विहे पन्नत्ते, तं जहादव्वसंजोगे खेत्तसंजोगे कालसंजोगे भावसंजोगे से किं तं दव्वसंजोगे? दव्वसंजोगे तिविहे पन्नत्ते, तं जहासचित्ते अचित्ते मीसए से किं तं सचित्ते? सचित्ते-गोहिं गोमिए, महिसीहिं माहिसिए, ऊरणीहिं ऊरणिए, उट्टीहिं उट्टिए से त्तं सचित्ते से किं तं अचित्ते? अचित्तेछत्तेण छत्ती, दंडेण दंडी, पडेण पडी, घडेण घडी, कडेण कडी से त्तं अचित्ते से किं तं मीसए? मीसएहलेणं हालिए, सगडेणं सागडिए, रहेणं रहिए, नावाए नाविए से तं मीसए से तं दव्वसंजोगे से किं तं खेत्तसंजोगे? खेत्तसंजोगेभारहे एरवए हेमवए हेरन्नवए

Translated Sutra: देखो सूत्र २३६
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Hindi 239 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] नक्खत्त-देवय-कुले, पासंड-गणे जीवियाहेउं आभिप्पाइयनामे, ठवणानामं तु सत्तविहं

Translated Sutra: नक्षत्रनाम, देवनाम, कुलनाम, पाषंडनाम, गणनाम, जीवितनाम और आभिप्रायिकनाम
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Hindi 240 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नक्खत्तनामे? नक्खत्तनामेकत्तियाहिं जाएकत्तिए कत्तियादिन्ने कत्तियाधम्मे कत्तियासम्मे कत्तियादेवे कत्तियादासे कत्तियासेणे कत्तियारक्खिए रोहिणीहिं जाएरोहिणिए रोहिणिदिन्ने रोहिणिधम्मे रोहिणिसम्मे रोहिणिदेवे रोहिणि-दासे रोहिणिसेणे रोहिणिरक्खिए एवं सव्वनक्खत्तेसु नामा भाणियव्वा एत्थ संगहणिगाहाओ

Translated Sutra: नक्षत्रनाम क्या है ? वह इस प्रकार है कृतिका नक्षत्र में जन्मे का कृत्तिक, कृत्तिकादत्त, कृत्तिकाधर्म, कृत्तिकाशर्म, कृत्तिकादेव, कृत्तिकादास, कृत्तिकासेन, कृत्तिकारक्षित आदि नाम रखना रोहिणी नक्षत्र में उत्पन्न हुए का रौहिणेय, रोहिणीदत्त, रोहिणीधर्म, रोहिणीशर्म, रोहिणीदेव, रोहिणीदास, रोहिणीसेन, रोहिणीरक्षित
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Hindi 241 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] . कत्तिय . रोहिणि . मिगसिर, . अद्दा . पुणव्वसू . पुस्से तत्तो . अस्सिलेसा, . मघाओ .-१०. दो फग्गुणीओ

Translated Sutra: कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्र्लेषा, मधा, पूर्वफाल्गुनी, उत्तरफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुरादा, ज्येष्ठा, मूला, पूर्वाषाढा, उत्तराषाढा, अभिजित, श्रवण, धनिष्ठा, शतभि, पूर्वाभाद्रपदा, उत्तराभाद्रपदा, रेवती, अश्र्विनी, भरिणी, नक्षत्रों के नामों की परिपाटी है इस प्रकार
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Hindi 242 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] ११. हत्थो १२. चित्ता १३. साती, १४. विसाहा तह होइ १५. अनुराहा १६ जेट्ठा १७. मूलो १८. पुव्वासाढा तह १९. उत्तरा चेवा

Translated Sutra: देखो सूत्र २४१
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Hindi 243 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] २०. अभिई २१. सवण २२. घणिट्ठा, २३. सतभिसया २४.-२५. दो होंति भद्दवया २६. रेवति २७. अस्सिणि २८. भरणि, एसा नक्खत्तपरिवाडी

Translated Sutra: देखो सूत्र २४१
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Hindi 244 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से तं नक्खत्तनामे से किं तं देवयानामे? देवयनामे अग्गिदेवयाहिं जाए अग्गिए अग्गिदिन्ने अग्गिधम्मे अग्गि-सम्मे अग्गिदेवे अग्गिदासे अग्गिसेने अग्गिरक्खिए एवं सव्वनक्खत्तदेवयानामा भाणियव्वा एत्थं पि संगहणिगाहाओ

Translated Sutra: देखो सूत्र २४१
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Hindi 245 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अग्गि पयावइ सोमे, रुद्दे अदिती बहस्सई सप्पे पिति भग १० अज्जम ११ सविया, १२ तट्ठा १३ वाऊ १४ इंदग्गी

Translated Sutra: अग्नि, प्रजापति, सोम, रुद्र, अदिति, बृहस्पति, सर्प, पिता, भग, अर्यमा, सविता, त्वष्टा, वायु, इन्द्राग्नि, मित्र, इन्द्र, निर्ऋति, अम्भ, विश्व, ब्रह्मा, विष्णु, वसु, वरुण, अज, विवर्द्धि, पूषा, अश्व और यम, यह अट्ठाईस देवताओं के नाम जानना चाहिए यह देवनाम का स्वरूप है कुलनाम किसे कहते हैं ? जैसे उग्र, भोग, राजन्य, क्षत्रिय,
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Hindi 246 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] १५ मित्तो १६ इंदो १७ निरती, १८ आऊ १९ विस्सो २० बंभ २१ विण्हू २२ वसु २३ वरुण २४ अय २५ विवद्धी, २६ पुस्से २७ आसे २८ जमे चेव

Translated Sutra: देखो सूत्र २४५
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Hindi 247 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से तं देवयानामे से किं तं कुलनामे? कुलनामे उग्गे भोगे राइन्ने खत्तिए इक्खागे नाते कोरव्वे से तं कुलनामे से किं तं पासंडनामे? पासंडनामेसमणे पंडरंगे भिक्खू कावालिए तावसे परिव्वायगे से तं पासंडनामे से किं तं गणनामे? गणनामेमल्ले मल्लदिन्ने मल्लधम्मे मल्लसम्मे मल्लदेवे मल्लदासे मल्लसेणे मल्लरक्खिए से तं गणनामे से किं तं जीवियानामे? जीवियानामेअवकरए उक्कुरुडए उज्झियए कज्जवए सुप्पए से तं जीवियानामे से किं तं आभिप्पाइयनामे? आभिप्पाइयनामेअंबए निंबए बबुलए पलासए सिणए पीलुए करीरए से तं आभिप्पाइयनामे से तं ठवणप्पमाणे से किं तं दव्वप्पमाणे? दव्वप्पमाणे

Translated Sutra: देखो सूत्र २४५
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Hindi 248 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] . दंदे . बहुव्वीही, . कम्मधारए . दिऊ तहा . तप्पुरिस . व्वईभावे, . एगसेसे सत्तमे

Translated Sutra: द्वन्द्व, बहुव्रीहि, कर्मधारय, द्विगु, तत्पुरुष, अव्ययीभाव और एकशेष
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 249 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं दंदे? दंदेदन्ताश्च ओष्ठौ दन्तोष्ठम्‌, स्तनौ उदरं स्तनोदरम्‌, वस्त्रं पात्रं वस्त्रपात्रम्‌, अश्वाश्च महिषाश्च अश्वमहिषम्‌, अहिश्च नकुलश्च अहिनकुलम्‌ से तं दंदे से किं तं बहुव्वीही? बहुव्वीहीफुल्ला जम्मि गिरिम्मि कुडय-कयंबा सो इमो गिरी फुल्लिय-कुडय-कयंबो से तं बहुव्वीही से किं तं कम्मधारए? कम्मधारएधवलो वसहो धवलवसहो, किण्हो मिगो किण्हमिगो, सेतो पडो सेतपडो, रत्तो पडो रत्तपडो से तं कम्मधारए से किं तं दिगू? दिगूतिन्नि कडुयाणि तिकडुयं, तिन्नि महुराणि तिमहुरं, तिन्नि गुणा तिगुणं, तिन्नि पुराणि तिपुरं, तिन्नि सराणि तिसरं, तिन्नि पुक्खराणि

Translated Sutra: द्वन्द्वसमास क्या है ? दंताश्च ओष्ठौ इति दंतोष्ठम्‌, स्तनौ उदरं इति स्तनोदरम्‌, वस्त्रं पात्रं वस्त्रपात्रम्‌ ये सभी शब्द द्वन्द्वसमास रूप हैं बहुव्रीहिसमास का लक्षण यह है इस पर्वत पर पुष्पित कुटज और कदंब वृक्ष होने से यह पर्वत फुल्लकुटजकदंब है यहाँ फुल्लकुटजकदंब पर बहुव्रीहिसमास
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Hindi 250 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] . कम्मे . सिप्प . सिलोए, . संजोग . समीवओ . संजूहे इस्सरिया . वच्चेण , तद्धितनामं तु अट्ठविहं

Translated Sutra: कर्म, शिल्प, श्र्लोक, संयोग, समीप, संयूथ, ऐश्वर्य, अपत्य, इस प्रकार तद्धितनिष्पन्ननाम आठ प्रकार का है
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Hindi 251 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं कम्मनामे? कम्मनामेदोसिए सोत्तिए कप्पासिए भंडवेयालिए कोलालिए से तं कम्मनामे से किं तं सिप्पनामे? सिप्पनामेवत्थिए तंतिए तुन्नाए तंतुवाए पट्टकारे देअडे वरुडे मुंजकारे कट्ठकारे छत्तकारे वज्झकारे पोत्थकारे चित्तकारे दंतकारे लेप्पकारे कोट्टिमकारे से तं सिप्पनामे से किं तं सिलोगनामे? सिलोगनामेसमणे माहणे सव्वातिही से तं सिलोगनामे से किं तं संजोगनामे? संजोगनामेरण्णो ससुरए, रण्णो जामाउए, रण्णो साले, रण्णो भाउए, रण्णो भगिणीवई से तं संजोगनामे से किं तं समीवनामे? समीवनामेगिरिस्स समीवे नगरं गिरिनगरं, विदिसाए समीवे नगरं वेदिसं, वेन्नाए समीवे

Translated Sutra: कर्मनाम क्या है ? दौष्यिक, सौत्रिक, कार्पासिक, सूत्रवैचारिक, भांडवैचारि, कौलालिक, ये सब कर्म निमित्तज नाम हैं तौन्निक तान्तुवायिक, पाट्टकारिक, औद्‌वृत्तिक, वारुंटिक मौञ्जकारिक, काष्ठकारिक छात्रकारिक वाह्यकारिक, पौस्तकारिक चैत्रकारिक दान्तकारिक लैप्यकारिक शैलकारिक कौटिटमकारिक यह शिल्पनाम हैं सभी
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Hindi 252 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं पमाणे? पमाणे चउव्विहे पन्नत्ते, तं जहा. दव्वप्पमाणे . खेत्तप्पमाणे . कालप्पमाणे . भावप्पमाणे

Translated Sutra: भगवन्‌ ! प्रमाण क्या है ? प्रमाण चार प्रकार का है द्रव्यप्रमाण, क्षेत्रप्रमाण, कालप्रमाण और भावप्रमाण
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Hindi 253 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं दव्वप्पमाणे? दव्वप्पमाणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहापएसनिप्फन्ने विभागनिप्फन्ने से किं तं पएसनिप्फन्ने? पएसनिप्फन्नेपरमाणुपोग्गले दुपएसिए जाव दसपएसिए संखेज्ज-पएसिए असंखेज्जपएसिए अनंतपएसिए से तं पएसनिप्फन्ने से किं तं विभागनिप्फन्ने? विभागनिप्फन्ने पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा. माने . उम्माने . ओमाने . गणिमे . पडिमाणे से किं तं माने? माणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहाधन्नमाणप्पमाणे रसमाणप्पमाणे से किं तं धन्नमाणप्पमाणे? धन्नमाणप्पमाणेदो असतीओ पसती दो पसतीओ सेतिया, चत्तारि सेतियाओ कुलओ, चत्तारि कुलया पत्थो, चत्तारि पत्थया आढगं, चत्तारि

Translated Sutra: द्रव्यप्रमाण क्या है ? दो प्रकार का है, यथा प्रदेशनिष्पन्न और विभागनिष्पन्न प्रदेशनिष्पन्न द्रव्यप्रमाण क्या है ? परमाणु पुद्‌गल, द्विप्रदेशों यावत्‌ दस प्रदेशों, संख्यात प्रदेशों, असंख्यात प्रदेशों और अनन्त प्रदेशों से जो निष्पन्न सिद्ध होता है विभागनिष्पन्न द्रव्यप्रमाण पाँच प्रकार है मानप्रमाण,
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Hindi 254 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] दंडं धणुं जुगं नालियं , अक्खं मुसलं चउहत्थं दसनालियं रज्जुं, वियाण ओमाणसन्नाए

Translated Sutra: दंड, धनुष युग, नालिका, अक्ष और मूसल चार हाथ प्रमाण होते हैं दस नालिका की एक रज्जू होती है ये सभी अवमान कहलाते हैं
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Hindi 255 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] वत्थुम्मि हत्थमेज्जं, खित्ते दंडं धणुं पंथम्मि खायं नालियाए, वियाण ओमाणसन्नाए

Translated Sutra: वास्तु को हाथ द्वारा, क्षेत्र दंड द्वारा, मार्ग को धनुष द्वारा और खाई को नालिका द्वारा नापा जाता है इन सबको अवमान इस नाम से जानना
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