Welcome to the Jain Elibrary: Worlds largest Free Library of JAIN Books, Manuscript, Scriptures, Aagam, Literature, Seminar, Memorabilia, Dictionary, Magazines & Articles

Global Search for JAIN Aagam & Scriptures

Search Results (2582)

Show Export Result
Note: For quick details Click on Scripture Name
Scripture Name Translated Name Mool Language Chapter Section Translation Sutra # Type Category Action
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 110 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं पुव्वानुपुव्वी? पुव्वानुपुव्वी–धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए जीवत्थिकाए पोग्गलत्थिकाए अद्धासमए। से तं पुव्वानुपुव्वी। से किं तं पच्छानुपुव्वी? पच्छानुपुव्वी–अद्धासमए पोग्गलत्थिकाए जीवत्थिकाए आगास-त्थिकाए अधम्मत्थिकाए धम्मत्थिकाए। से तं पच्छानुपुव्वी। से किं तं अनानुपुव्वी? अनानुपुव्वी–एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए छगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नब्भासो दुरूवूणो। से तं अनानुपुव्वी।

Translated Sutra: भगवन्‌ ! पूर्वानुपूर्वी क्या है ? वह इस प्रकार है – धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, जीवास्तिकाय, पुद्‌गलास्तिकाय, अद्धाकाल। इस प्रकार अनुक्रम से निक्षेप करने को पूर्वानुपूर्वी कहते हैं। पश्चानुपूर्वी क्या है ? वह इस प्रकार है – अद्धासमय, पुद्‌गलास्तिकाय, जीवास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 129 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणया? नेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणया–तिसमय-ट्ठिईए आनुपुव्वी जाव दससमयट्ठिईए आनुपुव्वी संखेज्जसमयट्ठिईए आनुपुव्वी असंखेज्जसमय-ट्ठिईए आनुपुव्वी। एगसमयट्ठिईए अनानुपुव्वी। दुसमयट्ठिईए अनानुपुव्वी। तिसमयट्ठिईयाओ आनुपुव्वीओ जाव दससमयट्ठिईयाओ आनुपुव्वीओ संखेज्जसमय-ट्ठिईयाओ आनुपुव्वीओ असंखेज्जसमयट्ठिईयाओ आनुपुव्वीओ। एगसमयट्ठिईयाओ अनानुपुव्वीओ दुसमयट्ठिईयाओ अवत्तव्वगाइं। से तं नेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणया। एयाए णं नेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए किं पओयणं? एयाए णं नेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए भंगसमुक्कित्तणया

Translated Sutra: नैगम – व्यवहारनयसंमत अर्थपदप्ररूपणता क्या है ? वह इस प्रकार है – तीन समय की स्थिति वाला द्रव्य आनुपूर्वी है यावत्‌ दस समय, संख्यात समय, असंख्यात समय की स्थितिवाला द्रव्य आनुपूर्वी है। एक समय की स्थिति वाला द्रव्य अनानुपूर्वी है। दो समय की स्थिति वाला द्रव्य अवक्तव्यक है। तीन समय की स्थिति वाले अनेक द्रव्य
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 131 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नेगम-ववहाराणं भंगोवदंसणया? नेगम-ववहाराणं भंगोवदंसणया–१. तिसमयट्ठिईए आनुपुव्वी २. एगसमयट्ठिईए अनानुपुव्वी ३. दुसमयट्ठिईए अवत्तव्वए ४. तिसमयट्ठिईयाओ आनु-पुव्वीओ ५. एगसमयट्ठिईयाओ अनानुपुव्वीओ ६. दुसमयट्ठिईयाओ अवत्तव्वगाइं। अहवा १. तिसमयट्ठिईए य एगसमयट्ठिईए य आनुपुव्वी य अनानुपुव्वी य। एवं तहा चेव दव्वानुपुव्विगमेणं छव्वीसं भंगा भाणियव्वा जाव। से तं नेगम-ववहाराणं भंगोवदंसणया।

Translated Sutra: नैगम – व्यवहारनयसम्मत भंगोपदर्शनता क्या है ? वह इस प्रकार है – त्रिसमयस्थितिक एक – एक परमाणु आदि द्रव्य आनुपूर्वी है, एक समय की स्थितिवाला एक – एक परमाणु आदि द्रव्य अनानुपूर्वी है और दो समय की स्थितिवाला परमाणु आदि द्रव्य अवक्तव्यक है। तीन समय की स्थिति वाले अनेक द्रव्य ‘आनुपूर्वियाँ’ इस पद के वाच्य हैं।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 145 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं भावानुपुव्वी? भावानुपुव्वी तिविहा पन्नत्ता, तं जहा–पुव्वानुपुव्वी पच्छानुपुव्वी अनानुपुव्वी। से किं तं पुव्वानुपुव्वी? पुव्वानुपुव्वी–उदइए उवसमिए खइए खओवसमिए पारिणामिए सन्निवाइए। से तं पुव्वानुपुव्वी। से किं तं पच्छानुपुव्वी? पच्छानुपुव्वी–सन्निवाइए जाव उदइए। से तं पच्छानुपुव्वी। से किं तं अनानुपुव्वी? अनानुपुव्वी–एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए छगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नब्भासो दुरूवूणो। से तं अनानुपुव्वी। से तं भावानुपुव्वी। से तं आनुपुव्वी।

Translated Sutra: भावानुपूर्वी क्या है ? तीन प्रकार की है। पूर्वानुपूर्वी, पश्चानुपूर्वी, अनानुपूर्वी। पूर्वानुपूर्वी क्या है ? औदयिकभाव, औपशमिकभाव, क्षायिकभाव, क्षायोपशमिकभाव, पारिणामिकभाव, सान्निपातिकभाव, इस क्रम से भावों का उपन्यास पूर्वानुपूर्वी है। पश्चानुपूर्वी क्या है ? सान्निपातिकभाव से लेकर औदयिकभाव पर्यन्त
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 150 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं दुनामे? दुनामे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–एगक्खरिए य अनेगक्खरिए य। से किं तं एगक्खरिए? एगक्खरिए अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–ह्रोः श्रीः धीः स्त्री। से तं एगक्खरिए। से किं तं अनेगक्खरिए? अनेगक्खरिए अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–कन्ना वीणा लता माला। से तं अनेगक्खरिए। अहवा दुनामे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–जीवनामे य अजीवनामे य। से किं तं जीवनामे? जीवनामे अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा-देवदत्तो जन्नदत्तो विण्हुदत्तो सोमदत्तो।से तं जीवनामे से किं तं अजीवनामे? अजीवनामे अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–घडो पडो कडो रहो। से तं अजीवनामे। अहवा दुनामे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–विसेसिए

Translated Sutra: द्विनाम क्या है ? द्विनाम के दो प्रकार हैं – एकाक्षरिक और अनेकाक्षरिक। एकाक्षरिक द्विनाम क्या है ? उसके अनेक प्रकार हैं। जैसे कि ह्री, श्री, धी, स्त्री आदि एकाक्षरिक नाम हैं। अनेकाक्षरिक द्विनाम का क्या स्वरूप है ? उसके अनेक प्रकार हैं। यथा – कन्या, वीणा, लता, माला आदि अनेकाक्षरिक द्विनाम हैं। अथवा द्विनाम के
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 151 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं तिनामे? तिनामे तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–दव्वनामे गुणनामे पज्जवनामे। से किं तं दव्वनामे? दव्वनामे छव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए जीवत्थि-काए पोग्गलत्थिकाए अद्धासमए। से तं दव्वनामे। से किं तं गुणनामे? गुणनामे पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा–वण्णनामे गंधनामे रसनामे फासनामे संठाणनामे। से किं तं वण्णनामे? वण्णनामे पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा–कालवण्णनामे नीलवण्णनामे लोहिय-वण्णनामे हालिद्दवण्णनामे सुक्किल्लवण्णनामे। से तं वण्णनामे। से किं तं गंधनामे? गंधनामे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–सुब्भिगंधनामे य दुब्भिगंधनामे य। से तं गंधनामे। से

Translated Sutra: त्रिनाम क्या है ? त्रिनाम के तीन भेद हैं। वे इस प्रकार – द्रव्यनाम, गुणनाम और पर्यायनाम। द्रव्यनाम क्या है ? द्रव्यनाम छह प्रकार का है। धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, जीवास्तिकाय, पुद्‌गलास्तिकाय, अद्धासमय। गुणनाम क्या है ? पाँच प्रकार से हैं। वर्णनाम, गंधनाम, रसनाम, स्पर्शनाम, संस्थाननाम। वर्णनाम
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 160 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं पंचनामे? पंचनामे पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा–१. नामिकं २. नैपातिकं ३. आख्यातिकं ४. औपसर्गिकं ५. मिश्रम्‌। अश्व इति नामिकम्‌। खल्विति नैपातिकम्‌। धावतीत्याख्यातिकम्‌। परीत्यौपसर्गिकम्‌। संयत इति मिश्रम्‌। से तं पंचनामे।

Translated Sutra: पंचनाम क्या है ? पाँच प्रकार का है। नामिक, नैपातिक, आख्यातिक, औपसर्गिक और मिश्र। जैसे ‘अश्व’ यह नामिकनाम का, ‘खलु’ नैपातिकनाम का, ‘धावति’ आख्यातिकनाम का, ‘परि’ औपसर्गिक और ‘संयत’ यह मिश्रनाम का उदाहरण है।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 161 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं छनामे? छनामे छव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–१. उदइए २. उवसमिए ३. खइए ४. खओवसमिए ५. पारिणामिए ६. सन्निवाइए। से किं तं उदइए? उदइए दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–उदए य उदयनिप्फन्ने य। से किं तं उदए? उदए–अट्ठण्हं कम्मपयडीणं उदए णं। से तं उदए। से किं तं उदयनिप्फन्ने? उदयनिप्फन्ने दुविहे पन्नत्ते, तं जहा– जीवोदयनिप्फन्ने य अजीवो-दयनिप्फन्ने य। से किं तं जीवोदयनिप्फन्ने? जीवोदयनिप्फन्ने अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–नेरइए तिरिक्ख-जोणिए मनुस्से देवे पुढविकाइए आउकाइए तेउकाइए वाउकाइए वणस्सइकाइए तसकाइए, कोहकसाई मानकसाई मायाकसाई लोभकसाई, इत्थिवेए पुरिसवेए नपुंसगवेए, कण्हलेसे

Translated Sutra: छहनाम क्या है ? छह प्रकार हैं। औदयिक, औपशमिक, क्षायिक, क्षायोपशमिक, पारिणामिक और सान्निपातिक। औदयिकभाव क्या है ? दो प्रकार का है। औदयिक और उदयनिष्पन्न। औदयिक क्या है ? ज्ञानावरणादिक आठ कर्मप्रकृतियों के उदय से होने वाला औदयिकभाव है। उदयनिष्पन्न औदयिकभाव क्या है ? दो प्रकार हैं – जीवोदयनिष्पन्न, अजीवोदयनिष्पन्न। जीवोदयनिष्पन्न
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 163 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] उक्कावाया दिसादाहा गज्जियं विज्जू निग्घाया जूवया जक्खालित्ता धूमिया महिया रयुग्घाओ चंदोवरागा सूरोवरागा चंदपरिवेसा सूरपरिवेसा पडिचंदा पडिसूरा इंदधणू उदगमच्छा कविहसिया अमोहा वासा वासधरा गामा नगरा घरा पव्वता पायाला भवणा निरया रयणप्पभा सक्करप्पभा वालुयप्पभा पंकप्पभा धूमप्पभा तमा तमतमा सोहम्मे ईसाणे सणंकुमारे माहिंदे बंभलोए लंतए महासुक्के सहस्सारे आणए पाणए आरणे अच्चुए गेवेज्जे अनुत्तरे ईसिप्पब्भारा परमाणुपोग्गले दुपएसिए जाव अनंतपएसिए। से तं साइपारिणामिए। से किं तं अनाइ-पारिणामिए? अनाइ-पारिणामिए–धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगास-त्थिकाए जीवत्थिकाए

Translated Sutra: उल्कापात, दिग्दाह, मेघगर्जना, विद्युत, निर्घात्‌, यूपक, यक्षादिप्त, धूमिका, महिका, रजोद्‌घात, चन्द्रग्रहण, सूर्यग्रहण, चन्द्रपरिवेष, सूर्यपरिवेष, प्रतिचन्द्र, प्रतिसूर्य, इन्द्रधनुष, उदकमत्स्य, कपिहसित, अमोघ, वर्ष, वर्षधर पर्वत, ग्राम, नगर, घर, पर्वत, पातालकलश, भवन, नरक, रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, पंकप्रभा,
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 169 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सत्तसरा जीवनिस्सिया पन्नत्ता, तं जहा–

Translated Sutra: जीवनिश्रित – सप्तस्वरों का स्वरूप इस प्रकार है – मयूर षड्‌जस्वर में, कुक्कुट ऋषभस्वर, हंस गांधारस्वर में, गवेलक मध्यमस्वर में, कोयल पुष्पोत्पत्तिकाल में पंचमस्वर में, सारस और क्रौंच पक्षी धैवतस्वर में तथा – हाथी निषाद स्वर में बोलता है। सूत्र – १६९–१७१
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 217 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सिंगारो नाम रसो, रतिसंजोगाभिलाससंजणणो । मंडण-विलास-विब्बोय-हास-लीला-रमणलिंगो ॥

Translated Sutra: शृंगाररस रति के कारणभूत साधनों के संयोग की अभिलाषा का जनक है तथा मंडन, विलास, विब्बोक, हास्य – लीला और रमण ये सब शृंगाररस के लक्षण हैं। कामचेष्टाओं से मनोहर कोई श्यामा क्षुद्र घंटिकाओं से मुखरित होने से मधुर तथा युवकों के हृदय को उन्मत्त करने वाले अपने कोटिसूत्र का प्रदर्शन करती है। सूत्र – २१७, २१८
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 220 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अब्भुयतरमिह एत्तो, अन्नं किं अत्थि जीवलोगम्मि । जं जिनवयणेनत्था, तिकालजुत्ता वि नज्जंति ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र २१९
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 235 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं दसनामे? दसनामे दसविहे पन्नत्ते, तं जहा–१. गोण्णे २. नोगोण्णे ३. आयाणपएणं ४. पडिवक्खपएणं ५. पाहन्नयाए ६. अनाइसिद्धंतेणं ७. नामेणं ८. अवयवेणं ९. संजोगेणं १०. पमाणेणं। से किं तं गोण्णे? गोण्णे–खमतीति खमणो, तवतीति तवणो, जलतीति जलणो, पवतीति पवणो। से तं गोण्णे। से किं तं नोगोण्णे? नोगोण्णे–अकुंतो सकुंतो, अमुग्गो समुग्गो, अमुद्दो समुद्दो, अलालं पलालं, अकुलिया सकुलिया, नो पलं असतीति पलासो, अमाइवाहए माइवाहए, अबीयवावए बीयवावए, नो इंदं गोवयतीति इंदगोवए। से तं नोगोण्णे। से किं तं आयाणपएणं? आयाणपएणं–आवंती चाउरंगिज्जं असंखयं जन्नइज्जं पुरिसइज्जं एलइज्जं वीरियं धम्मो

Translated Sutra: दसनाम क्या है ? दस प्रकार के नाम दस नाम हैं। गौणनाम, नोगौणनाम, आदानपदनिष्पन्ननाम, प्रतिपक्षपदनिष्पन्न – नाम, प्रधानपदनिष्पन्ननाम, अनादिसिद्धान्तनिष्पन्ननाम, नामनिष्पन्ननाम, अवयवनिष्पन्ननाम, संयोगनिष्पन्ननाम, प्रमाणनिष्पन्न – नाम। गौण – क्या है ? जो क्षमागुण से युक्त हो उसका ‘क्षमण’ नाम होना, जो तपे उसे
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 236 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सिंगी सिही विसाणी, दाढी पक्खी खुरी नही वाली । दुपय चउप्पय बहुपय, नंगूली केसरी ककुही ॥

Translated Sutra: शृंगी, शिखी, विषाणी, दंष्ट्री, पक्षी, खुरी, नखी, वाली, द्विपद, चतुष्पद, बहुपद, लांगूली, केशरी, ककुदी आदि। परिकरबंधन – विशिष्ट रचना युक्त वस्त्रों के पहनने से – कमर कसने से योद्धा पहिचाना जाता है, विशिष्ट प्रकार के वस्त्रों को पहनने से महिला पहिचानी जाती है, एक कण पकने से द्रोणपरिमित अन्न का पकना और एक ही गाथा के
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 240 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नक्खत्तनामे? नक्खत्तनामे–कत्तियाहिं जाए–कत्तिए कत्तियादिन्ने कत्तियाधम्मे कत्तियासम्मे कत्तियादेवे कत्तियादासे कत्तियासेणे कत्तियारक्खिए। रोहिणीहिं जाए–रोहिणिए रोहिणिदिन्ने रोहिणिधम्मे रोहिणिसम्मे रोहिणिदेवे रोहिणि-दासे रोहिणिसेणे रोहिणिरक्खिए। एवं सव्वनक्खत्तेसु नामा भाणियव्वा। एत्थ संगहणिगाहाओ–

Translated Sutra: नक्षत्रनाम – क्या है ? वह इस प्रकार है – कृतिका नक्षत्र में जन्मे का कृत्तिक, कृत्तिकादत्त, कृत्तिकाधर्म, कृत्तिकाशर्म, कृत्तिकादेव, कृत्तिकादास, कृत्तिकासेन, कृत्तिकारक्षित आदि नाम रखना। रोहिणी नक्षत्र में उत्पन्न हुए का रौहिणेय, रोहिणीदत्त, रोहिणीधर्म, रोहिणीशर्म, रोहिणीदेव, रोहिणीदास, रोहिणीसेन, रोहिणीरक्षित
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 241 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] १. कत्तिय २. रोहिणि ३. मिगसिर, ४. अद्दा य ५. पुणव्वसू य ६. पुस्से य । तत्तो य ७. अस्सिलेसा, ८. मघाओ ९.-१०. दो फग्गुणीओ य ॥

Translated Sutra: कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्र्लेषा, मधा, पूर्वफाल्गुनी, उत्तरफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुरादा, ज्येष्ठा, मूला, पूर्वाषाढा, उत्तराषाढा, अभिजित, श्रवण, धनिष्ठा, शतभि, पूर्वाभाद्रपदा, उत्तराभाद्रपदा, रेवती, अश्र्विनी, भरिणी, य नक्षत्रों के नामों की परिपाटी है। इस प्रकार
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 245 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] १ अग्गि २ पयावइ ३ सोमे, ४ रुद्दे ५ अदिती ६ बहस्सई ७ सप्पे । ८ पिति ९ भग १० अज्जम ११ सविया, १२ तट्ठा १३ वाऊ य १४ इंदग्गी ॥

Translated Sutra: अग्नि, प्रजापति, सोम, रुद्र, अदिति, बृहस्पति, सर्प, पिता, भग, अर्यमा, सविता, त्वष्टा, वायु, इन्द्राग्नि, मित्र, इन्द्र, निर्ऋति, अम्भ, विश्व, ब्रह्मा, विष्णु, वसु, वरुण, अज, विवर्द्धि, पूषा, अश्व और यम, यह अट्ठाईस देवताओं के नाम जानना चाहिए। यह देवनाम का स्वरूप है। कुलनाम किसे कहते हैं ? जैसे उग्र, भोग, राजन्य, क्षत्रिय,
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 249 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं दंदे? दंदे–दन्ताश्च ओष्ठौ च दन्तोष्ठम्‌, स्तनौ च उदरं च स्तनोदरम्‌, वस्त्रं च पात्रं च वस्त्रपात्रम्‌, अश्वाश्च महिषाश्च अश्वमहिषम्‌, अहिश्च नकुलश्च अहिनकुलम्‌। से तं दंदे। से किं तं बहुव्वीही? बहुव्वीही–फुल्ला जम्मि गिरिम्मि कुडय-कयंबा सो इमो गिरी फुल्लिय-कुडय-कयंबो। से तं बहुव्वीही। से किं तं कम्मधारए? कम्मधारए–धवलो वसहो धवलवसहो, किण्हो मिगो किण्हमिगो, सेतो पडो सेतपडो, रत्तो पडो रत्तपडो। से तं कम्मधारए। से किं तं दिगू? दिगू–तिन्नि कडुयाणि तिकडुयं, तिन्नि महुराणि तिमहुरं, तिन्नि गुणा तिगुणं, तिन्नि पुराणि तिपुरं, तिन्नि सराणि तिसरं, तिन्नि पुक्खराणि

Translated Sutra: द्वन्द्वसमास क्या है ? ‘दंताश्च ओष्ठौ च इति दंतोष्ठम्‌’, ‘स्तनौ च उदरं च इति स्तनोदरम्‌’, ‘वस्त्रं च पात्रं च वस्त्रपात्रम्‌’ ये सभी शब्द द्वन्द्वसमास रूप हैं। बहुव्रीहिसमास का लक्षण यह है – इस पर्वत पर पुष्पित कुटज और कदंब वृक्ष होने से यह पर्वत फुल्लकुटजकदंब है। यहाँ ‘फुल्लकुटजकदंब’ पर बहुव्रीहिसमास
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 251 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं कम्मनामे? कम्मनामे–दोसिए सोत्तिए कप्पासिए भंडवेयालिए कोलालिए। से तं कम्मनामे। से किं तं सिप्पनामे? सिप्पनामे–वत्थिए तंतिए तुन्नाए तंतुवाए पट्टकारे देअडे वरुडे मुंजकारे कट्ठकारे छत्तकारे वज्झकारे पोत्थकारे चित्तकारे दंतकारे लेप्पकारे कोट्टिमकारे। से तं सिप्पनामे। से किं तं सिलोगनामे? सिलोगनामे–समणे माहणे सव्वातिही। से तं सिलोगनामे। से किं तं संजोगनामे? संजोगनामे–रण्णो ससुरए, रण्णो जामाउए, रण्णो साले, रण्णो भाउए, रण्णो भगिणीवई से तं संजोगनामे। से किं तं समीवनामे? समीवनामे–गिरिस्स समीवे नगरं गिरिनगरं, विदिसाए समीवे नगरं वेदिसं, वेन्नाए समीवे

Translated Sutra: कर्मनाम क्या है ? दौष्यिक, सौत्रिक, कार्पासिक, सूत्रवैचारिक, भांडवैचारि, कौलालिक, ये सब कर्म – निमित्तज नाम हैं। तौन्निक तान्तुवायिक, पाट्टकारिक, औद्‌वृत्तिक, वारुंटिक मौञ्जकारिक, काष्ठकारिक छात्रकारिक वाह्यकारिक, पौस्तकारिक चैत्रकारिक दान्तकारिक लैप्यकारिक शैलकारिक कौटिटमकारिक। यह शिल्पनाम हैं। सभी
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 253 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं दव्वप्पमाणे? दव्वप्पमाणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–पएसनिप्फन्ने य विभागनिप्फन्ने य। से किं तं पएसनिप्फन्ने? पएसनिप्फन्ने–परमाणुपोग्गले दुपएसिए जाव दसपएसिए संखेज्ज-पएसिए असंखेज्जपएसिए अनंतपएसिए। से तं पएसनिप्फन्ने। से किं तं विभागनिप्फन्ने? विभागनिप्फन्ने पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा–१. माने २. उम्माने ३. ओमाने ४. गणिमे ५. पडिमाणे। से किं तं माने? माणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–धन्नमाणप्पमाणे य रसमाणप्पमाणे य। से किं तं धन्नमाणप्पमाणे? धन्नमाणप्पमाणे–दो असतीओ पसती दो पसतीओ सेतिया, चत्तारि सेतियाओ कुलओ, चत्तारि कुलया पत्थो, चत्तारि पत्थया आढगं, चत्तारि

Translated Sutra: द्रव्यप्रमाण क्या है ? दो प्रकार का है, यथा – प्रदेशनिष्पन्न और विभागनिष्पन्न। प्रदेशनिष्पन्न द्रव्यप्रमाण क्या है ? परमाणु पुद्‌गल, द्विप्रदेशों यावत्‌ दस प्रदेशों, संख्यात प्रदेशों, असंख्यात प्रदेशों और अनन्त प्रदेशों से जो निष्पन्न – सिद्ध होता है। विभागनिष्पन्न द्रव्यप्रमाण पाँच प्रकार है। मानप्रमाण,
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 263 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एएणं अंगुलप्पमाणेणं छ अंगुलाइं पाओ, दो पाया विहत्थी, दो विहत्थीओ रयणी, दो रयणीओ कुच्छी, दो कुच्छीओ दंडं धणू जुगे नालिया अक्खे मुसले, दो धणुसहस्साइं गाउयं, चत्तारि गाउयाइं जोयणं। एएणं आयंगुलप्पमाणेणं किं पओयणं? एएणं आयंगुलप्पमाणेणं–जे णं जया मणुस्सा भवंति तेसि णं तया अप्पणो अंगुलेणं अगड-तलाग-दह-नदी-वावी-पुक्खरिणी-दीहिया-गुंजालियाओ सरा सरपंतियाओ सरसरपंतियाओ बिलपंतियाओ आरामुज्जाण-काणण-वण-वणसंड-वणराईओ देवकुल-सभा-पवा-थूभ-खाइय-परिहाओ, पागार-अट्टालय-चरिय-दार-गोपुर-पासाय-घर-सरण-लेण-आवण- सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह- महापह-पह- सगड-रह-जाण-जुग्ग-गिल्लि-थिल्लि-सीय-संदमाणियाओ

Translated Sutra: इस आत्मांगुल से छह अंगुल का एक पाद होता है। दो पाद की एक वितस्ति, दो वितस्ति की एक रत्नि और दो रत्नि की एक कुक्षि होती है। दो कुक्षि का एक दंड, धनुष, युग, नालिका अक्ष और मूसल जानना। दो हजार धनुष का एक गव्यूत और चार गव्यूत का एक योजन होता है। आत्मांगुलप्रमाण का क्या प्रयोजन है ? इस से कुआ, तडाग, द्रह, वापी, पुष्करिणी,
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 267 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अनंताणं वावहारियपरमाणुपोग्गलाणं समुदय-समिति-समागमेणं सा एगा उसण्ह-सण्हिया इ वा, सण्हसण्हिया इ वा, उड्ढरेणू इ वा, तसरेणू इ वा, रहरेणू इ वा, वालग्गे इ वा, लिक्खा इ वा, जूया इ वा, जवमज्झे इ वा, अंगुले इ वा? । अट्ठ उसण्हसण्हियाओ सा एगा सण्हसण्हिया, अट्ठ सण्हसण्हियाओ सा एगा उड्ढरेणू, अट्ठ उड्ढरेणूओ सा एगा तसरेणू, एगा तसरेणू, अट्ठ तसरेणूओ सा एगा रहरेणू, अट्ठ रहरेणूओ देवकुरु-उत्तरकुरुगाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे अट्ठ देवकुरु-उत्तरकुरु-गाणं मणुस्साणं वालग्गा हरिवास-रम्मगवासाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्ठ हरिवास-रम्मगवासाणं मणुस्साणं वालग्गा हेमवय-हेरन्नवयाणं मणुस्साणं

Translated Sutra: अत्यन्त तीक्ष्ण शस्त्र से भी कोई जिसका छेदन – भेदन करने में समर्थ नहीं है, उसको ज्ञानसिद्ध केवली भगवान्‌ परमाणु कहते हैं। वह सर्व प्रमाणों का आदि प्रमाण है। उस अनन्तान्त व्यावहारिक परमाणुओं के समुदयसमितिसमागम से एक उत्‌श्र्लक्ष्णलक्ष्णिका, श्र्लक्ष्णश्र्लक्ष्णिका, ऊर्ध्व – रेणु, त्रसरेणु और रथरेणु उत्पन्न
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 270 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] मणुस्साणं भंते केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं एणं पमाणंगुलेणं किं पओयणं? एएणं पमाणंगुलेणं पुढवीणं कंडाणं पातालाणं भवणाणं भवणपत्थडाणं निरयाणं निरयावलियाणं निरयपत्थडाणं कप्पाणं विमाणाणं विमाणावलियाणं विमाणपत्थडाणं टंकाणं कूडाणं सेलाणं सिहरीणं पब्भ-राणं विजयाणं वक्खाराणं वासाणं वासहराणं पव्वयाणं वेलाणं वेइयाणं दाराणं तोरणाणं दीवाणं समुद्दाणं आयाम-विक्खंभ-उच्चत्त-उव्वेह-परिक्खेवा मविज्जंति। से समासओ तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–सेढीअंगुले पयरंगुले घणंगुले। असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीओ सेढी, सेढी सेढीए गुणिया पयरं, पयरं सेढीए गुणियं लोगो,

Translated Sutra: मनुष्यों की शरीरावगाहना कितनी है ? गौतम ! जघन्य अंगुल का असंख्यातवाँ भाग और उत्कृष्ट तीन गव्यूति है। संमूर्च्छिम मनुष्यों की जघन्य और उत्कृष्ट अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण है। गर्भज मनुष्यों की जघन्य अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट तीन गव्यूति प्रमाण है। अपर्याप्त गर्भव्युत्क्रान्त
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 275 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं समए? समयस्स णं परूवणं करिस्सामि–से जहानामए तुन्नागदारए सिया तरुणे बलवं जुगवं जुवाणे अप्पातंके थिरग्गहत्थे दढपाणि-पाय-पास-पिट्ठं-तरोरुपरिणते तलजमलजुयल-परिघनिभबाहू चम्मेट्ठग-दुहण-मुट्ठिय-समाहत-निचित-गत्तकाए उरस्सबलसमन्नागए लंघण, पवण-जइण-वायामसमत्थे छेए दक्खे पत्तट्ठे कुसले मेहावी निउणे निउणसिप्पोवगए एगं महतिं पडसाडियं वा पट्टसाडियं वा गहाय सयराहं हत्थमेत्तं ओसारेज्जा। तत्थ चोयए पन्नवयं एवं वयासी–जेणं कालेणं तेणं तुन्नागदारएणं तीसे पडसाडियाए वा पट्टसाडियाए वा सयराहं हत्थमेत्तं ओसारिए से समए भवइ? नो इणमट्ठे समट्ठे। कम्हा? जम्हा संखेज्जाणं

Translated Sutra: समय किसे कहते हैं ? समय की प्ररूपणा करूँगा। जैसे कोई एक तरुण, बलवान्‌, युगोत्पन्न, नीरोग, स्थिरहस्ताग्र, सुद्रढ़ – विशाल हाथ – पैर, पृष्ठभाग, पृष्ठान्त और उरु वाला, दीर्घता, सरलता एवं पीनत्व की दृष्टि से समान, समश्रेणी में स्थित तालवृक्षयुगल अथवा कपाट – अर्गला तुल्य दो भुजाओं का धारक, चर्मेष्टक, मुद्‌गर मुष्टिक
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 289 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेरइयाणं भंते! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं दसवाससहस्साइं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं। जहा पन्नवणाए ठिईपए सव्वसत्ताणं। से तं सुहुमे अद्धापलिओवमे। से तं अद्धापलिओवमे जाव जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखिज्जइभागो अंतोमुहुत्तो एत्थ एएसिं संगहणि गाहाओ भवंति तं जहा–

Translated Sutra: नैरयिक जीवों की स्थिति कितने काल की है ? गोतम ! सामान्य रूप में जघन्य १०००० वर्ष की और उत्कृष्ट तेंतीस सागरोपम की है। रत्नप्रभा पृथ्वी के नारकों की स्थिति जघन्य दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट एक सागरोपम की होती है। रत्नप्रभा पृथ्वी के अपर्याप्तक नारकों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त्त की होती है।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 292 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] मणुस्साणं भंते! केवइअं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं जाव अजहन्नमणुक्कोसं तेत्तीसं सागरोवमाइं से तं सुहुमे अद्धापलिओवमे से तं अद्धा पलिओवमे।

Translated Sutra: मनुष्यों की स्थिति कितने काल की है ? जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की है। संमूर्च्छिम मनुष्यों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की है। गर्भव्युत्क्रान्तिक मनुष्यों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट तीन पल्योपम है। अपर्याप्तक गर्भव्युत्क्रान्तिक मनुष्यों
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 298 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कइविहा णं भंते! दव्वा पन्नत्ता? गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तं०–जीवदव्वा य अजीवदव्वा य। अजीवदव्वा णं भंते! कइविहा पन्नत्ता? गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–अरूविअजीवदव्वा य रूविअजीवदव्वा य। अरूविअजीवदव्वा णं भंते! कइविहा पन्नत्ता? गोयमा! दसविहा पन्नत्ता, तं जहा–धम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसा धम्मत्थिकायस्स पएसा, अधम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसा अधम्मत्थिकायस्स पएसा, आगासत्थिकाए आगास-त्थिकायस्स देसा आगासत्थिकायस्स पएसा, अद्धासमए। रूविअजीवदव्वा णं भंते! कइविहा पन्नत्ता? गोयमा! चउव्विहा पन्नत्ता, तं जहा–खंधा खंधदेसा खंधप्पएसा परमाणुपोग्गला। ते णं भंते!

Translated Sutra: द्रव्य कितने प्रकार के हैं ? दो प्रकार के – जीवद्रव्य और अजीवद्रव्य। अजीवद्रव्य दो प्रकार के हैं – अरूपी अजीवद्रव्य और रूपी अजीवद्रव्य। अरूपी अजीवद्रव्य दस प्रकार के हैं – धर्मास्तिकाय, धर्मास्तिकाय के देश, धर्मास्तिकाय के प्रदेश, अधर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकायदेश, अधर्मास्तिकायप्रदेश, आकाशास्तिकाय, आकाशास्ति
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 299 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कइ णं भंते! सरीरा पन्नत्ता? गोयमा! पंच सरीरा पन्नत्ता, तं जहा–ओरालिए वेउव्विए आहारए तेयए कम्मए। नेरइयाणं भंते! कइ सरीरा पन्नत्ता? गोयमा! तओ सरीरा पन्नत्ता, तं जहा–वेउव्विए तेयए कम्मए। असुरकुमाराणं भंते! कइ सरीरा पन्नत्ता? गोयमा! तओ सरीरा पन्नत्ता, तं जहा–वेउव्विए तेयए कम्मए। एवं तिन्नि-तिन्नि एए चेव सरीरा जाव थणियकुमाराणं भाणियव्वा। पुढविकाइयाणं भंते! कइ सरीरा पन्नत्ता? गोयमा! तओ सरीरा पन्नत्ता, तं जहा–ओरालिए तेयए कम्मए। एवं आउ-तेउ-वणस्सइकाइयाण वि एए चेव तिन्नि सरीरा भाणियव्वा। वाउकाइयाणं भंते! कइ सरीरा पन्नत्ता? गोयमा! चत्तारि सरीरा पन्नत्ता, तं जहा–ओरालिए

Translated Sutra: भगवन्‌ ! शरीर कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! पाँच प्रकार – औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस, कार्मण। नैरयिकों के तीन शरीर हैं। – वैक्रिय, तैजस और कार्मण शरीर। असुरकुमारों के तीन शरीर हैं। वैक्रिय, तैजस और कार्मण। इसी प्रकार स्तनितकुमार पर्यन्त जानना। पृथ्वीकायिक जीवों के कितने शरीर हैं ? गौतम ! तीन, – औदारिक, तैजस और
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 310 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नयप्पमाणे? नयप्पमाणे तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–पत्थगदिट्ठंतेणं वसहिदिट्ठंतेणं पएसदिट्ठंतेणं। से किं तं पत्थगदिट्ठंतेणं? पत्थगदिट्ठंतेणं–से जहानामए केइ पुरिसे परसुं गहाय अडविहुत्तो गच्छेज्जा, तं च केइ पासित्ता वएज्जा–कहिं भवं गच्छसि? अविसुद्धो नेगमो भणति–पत्थगस्स गच्छामि। तं च केइ छिंदमाणं पासित्ता वएज्जा–किं भवं छिंदसि? विसुद्धो नेगमो भणति–पत्थगं छिंदामि। तं च केइ तच्छेमाणं पासित्ता वएज्जा–किं भवं तच्छेसि? विसुद्धतराओ नेगमो भणति–पत्थगं तच्छेमि। तं च केइ उक्किरमाणं पासित्ता वएज्जा–किं भवं उक्किरसि? विसुद्धतराओ नेगमो भणति–पत्थगं उक्किरामि। तं

Translated Sutra: नयप्रमाण क्या है ? वह तीन दृष्टान्तों द्वारा स्पष्ट किया गया है। जैसे कि – प्रस्थक के, वसति के और प्रदेश के दृष्टान्त द्वारा। भगवन्‌ ! प्रस्थक का दृष्टान्त क्या है ? जैसे कोई पुरुष परशु लेकर वन की ओर जाता है। उसे देखकर किसीने पूछा – आप कहाँ जा रहे हैं ? तब अविशुद्ध नैगमनय के मतानुसार उसने कहा – प्रस्थक लेने के लिए
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 317 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ४. असंतयं असंतएणं उवमिज्जइ–जहा खरविसाणं तहा ससविसाणं। से तं ओवम्मसंखा। से किं तं परिमाणसंखा? परिमाणसंखा दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–कालियसुयपरिमाणसंखा दिट्ठिवायसुयपरिमाणसंखा य। से किं तं कालियसुयपरिमाणसंखा? कालियसुयपरिमाणसंखा अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जवसंखा अक्खरसंखा संघायसंखा पयसंखा पायसंखा गाहासंखा सिलोगसंखा वेढसंखा निज्जुत्तिसंखा अनुओगदारसंखा उद्देसगसंखा अज्झयणसंखा सुयखंधसंखा अंगसंखा। से तं कालियसुयपरिमाणसंखा। से किं तं दिट्ठिवायसुयपरिमाणसंखा? दिट्ठिवायसुयपरिमाणसंखा अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जवसंखा अक्खरसंखा संघायसंखा पयसंखा पायसंखा

Translated Sutra: अविद्यमान पदार्थ को अविद्यमान पदार्थ से उपमित करना असद्‌ – असद्‌रूप औपम्यसंख्या है। जैसा – खर विषाण है वैसा ही शश विषाण है और जैसा शशविषाण है वैसा ही खरविषाण है। परिमाणसंख्या क्या है ? दो प्रकार की है। जैसे – कालिकश्रुतपरिमाणसंख्या और दृष्टिवादश्रुतपरिमाण – संख्या। कालिक श्रुतपरिमाणसंख्या अनेक प्रकार
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 322 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं समोयारे? समोयारे छव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–१. नामसमोयारे २. ठवणसमोयारे ३. दव्वसमोयारे ४. खेत्तसमोयारे ५. कालसमोयारे ६. भावसमोयारे। नामट्ठवणाओ गयाओ जाव। से तं भवियसरीरदव्वसमोयारे। से किं तं जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्वसमोयारे? जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्वसमोयारे तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–आयसमोयारे परसमोयारे तदुभयसमोयारे। सव्वदव्वा वि णं आयसमोयारेणं आयभावे समोयरंति, परसमोयारेणं जहा कुंडे वदराणि, तदुभयसमोयरेणं जहा घरे थंभो आयभावे य, जहा घडे गीवा आयभावे य। अहवा जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्वसमोयारे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–आयसमोयारे य

Translated Sutra: समवतार क्या है ? समवतार के छह प्रकार हैं, जैसे – नामसमवतार, स्थापनासमवतार, द्रव्यसमवतार, क्षेत्रसमवतार, कालसमवतार और भावसमवतार। नाम और स्थापना (समवतार) का वर्णन पूर्ववत्‌ जानना। द्रव्यसमवतार दो प्रकार का कहा है – आगमद्रव्यसमवतार, नोआगमद्रव्यसमवतार। यावत्‌ आगमद्रव्यसमवतार का तथा नोआगमद्रव्यसमवतार के
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 298 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कइविहा णं भंते! दव्वा पन्नत्ता? गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तं०–जीवदव्वा य अजीवदव्वा य। अजीवदव्वा णं भंते! कइविहा पन्नत्ता? गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–अरूविअजीवदव्वा य रूविअजीवदव्वा य। अरूविअजीवदव्वा णं भंते! कइविहा पन्नत्ता? गोयमा! दसविहा पन्नत्ता, तं जहा–धम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसा धम्मत्थिकायस्स पएसा, अधम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसा अधम्मत्थिकायस्स पएसा, आगासत्थिकाए आगास-त्थिकायस्स देसा आगासत्थिकायस्स पएसा, अद्धासमए। रूविअजीवदव्वा णं भंते! कइविहा पन्नत्ता? गोयमा! चउव्विहा पन्नत्ता, तं जहा–खंधा खंधदेसा खंधप्पएसा परमाणुपोग्गला। ते णं भंते!

Translated Sutra: [૧] હે ભગવન્‌ ! દ્રવ્યના કેટલા પ્રકાર છે ? હે ગૌતમ! દ્રવ્યના બે પ્રકાર છે. તે આ પ્રમાણે છે – જીવ દ્રવ્ય અને અજીવ દ્રવ્ય. હે ભગવન્‌! અજીવ દ્રવ્યના કેટલા પ્રકાર છે ? હે ગૌતમ! અજીવ દ્રવ્યના બે પ્રકાર છે. તે આ પ્રમાણે છે – અરૂપી અજીવ દ્રવ્ય અને રૂપી અજીવ દ્રવ્ય. હે ભગવન્‌! અરૂપી અજીવ દ્રવ્યના કેટલા પ્રકાર છે ? હે ગૌતમ! અરૂપી
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 299 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कइ णं भंते! सरीरा पन्नत्ता? गोयमा! पंच सरीरा पन्नत्ता, तं जहा–ओरालिए वेउव्विए आहारए तेयए कम्मए। नेरइयाणं भंते! कइ सरीरा पन्नत्ता? गोयमा! तओ सरीरा पन्नत्ता, तं जहा–वेउव्विए तेयए कम्मए। असुरकुमाराणं भंते! कइ सरीरा पन्नत्ता? गोयमा! तओ सरीरा पन्नत्ता, तं जहा–वेउव्विए तेयए कम्मए। एवं तिन्नि-तिन्नि एए चेव सरीरा जाव थणियकुमाराणं भाणियव्वा। पुढविकाइयाणं भंते! कइ सरीरा पन्नत्ता? गोयमा! तओ सरीरा पन्नत्ता, तं जहा–ओरालिए तेयए कम्मए। एवं आउ-तेउ-वणस्सइकाइयाण वि एए चेव तिन्नि सरीरा भाणियव्वा। वाउकाइयाणं भंते! कइ सरीरा पन्नत्ता? गोयमा! चत्तारि सरीरा पन्नत्ता, तं जहा–ओरालिए

Translated Sutra: [૧] હે ભગવન્‌! શરીરના કેટલા પ્રકાર છે? હે ગૌતમ! શરીરના પાંચ પ્રકાર છે, તે આ પ્રમાણે છે – ૧. ઔદારિક શરીર, ૨. વૈક્રિય શરીર, ૩. આહારક શરીર, ૪. તૈજસ શરીર, ૫. કાર્મણ શરીર. [૨] હે ભગવન્‌ ! નારકીઓને કેટલા શરીર છે ? હે ગૌતમ! નારકીઓને ત્રણ શરીર હોય છે, ૧. વૈક્રિય, ૨. તૈજસ, ૩. કાર્મણ. હે ભગવન્‌ ! અસુરકુમારને કેટલા શરીર હોય છે ? હે ગૌતમ! તેને
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 21 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं कुप्पावयणियं दव्वावस्सयं? कुप्पावयणियं दव्वावस्सयं–जे इमे चरग चोरिय चम्मखंडिय भिक्खोंड पंडुरंग गोयम गोव्वइय गिहिधम्म धम्मचिंतग अविरुद्ध विरुद्ध वुड्ढसावगप्पभिइओ पासंडत्था कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए सुविमलाए फुल्लुप्पल कमल कोमलुम्मिलियम्मि अहपंडुरे पभाए रत्तासोगप्पगास किंसुय सुयमुह गुंजद्धरागसरिसे कमलागर नलिणिसंडबोहए उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिनयरे तेयसा जलंते इंदस्स वा खंदस्स वा रुद्दस्स वा सिवस्स वा वेसमणस्स वा देवस्स वा नागस्स वा जक्खस्स वा भूयस्स वा मुगुंदस्स वा अज्जाए वा कोट्टकिरियाए वा उवलेवण-सम्मज्जण-आवरिसण धूव पुप्फ

Translated Sutra: કુપ્રાવચની દ્રવ્ય આવશ્યકનું સ્વરૂપ કેવું છે ? જેઓ ચરક, ચીરિક, ચર્મખંડિક, ભિક્ષોદંડક, પાંડુરંગ, ગૌતમ, ગોવ્રતિક, ગૃહસ્થ, ધર્મચિંતક, વિનયવાદી, અક્રિયાવાદી, વૃદ્ધ શ્રાવક વગેરે વિવિધ વ્રતધારક પાષંડીઓ રાત્રિ વ્યતીત થઈ પ્રભાતકાળે સૂર્ય ઉદય પામે ત્યારે ઇન્દ્ર, સ્કંધ, રુદ્ર, શિવ, વૈશ્રમણદેવ અથવા દેવ, નાગ, યક્ષ, ભૂત,
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 46 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं लोगुत्तरियं भावसुयं? लोगुत्तरियं भावसुयं– जं इमं अरहंतेहिं भगवंतेहिं उप्पन्ननाणदंसणधरेहिं तीय-पडुप्पन्न मनागयजाणएहिं सव्वन्नूहिं सव्वदरिसीहिं तेलोक्कचहिय-महियपूइएहिं पणीयं दुवालसंगं गणि-पिडगं, तं जहा– १.आयारो २. सूयगडो ३. ठाणं ४. समवाओ ५. वियाहपन्नत्ती ६. नायाधम्मकहाओ ७. उवासगदसाओ ८. अंतगडदसाओ ९. अनुत्तरोव-वाइयदसाओ १०. पण्हावागरणाइं ११. विवागसुयं १२. दिट्ठिवाओ। से तं लोगुत्तरियं भावसुयं। से तं नोआगमओ भावसुयं। से तं भावसुयं।

Translated Sutra: લોકોત્તરિક ભાવશ્રુતનું સ્વરૂપ કેવું છે ? ઉત્પન્ન જ્ઞાન – દર્શનને ધારણ કરનાર, ભૂત – ભવિષ્ય, વર્તમાનકાલિક પદાર્થને જાણનાર, સર્વજ્ઞ, સર્વદર્શી, ત્રિલોકવર્તી જીવો દ્વારા અવલોકિત, મહિત, પૂજિત, અપ્રતિહત, શ્રેષ્ઠ જ્ઞાન – દર્શનના ધારક એવા અરિહંત ભગવાન દ્વારા પ્રણીત ૧. આચાર, ૨. સૂયગડ, ૩. ઠાણ, ૪. સમવાય, ૫. વ્યાખ્યાપ્રજ્ઞપ્તિ,
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 99 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं कयरम्मि भावे होज्जा–किं उदइए भावे होज्जा? उवसमिए भावे होज्जा? खइए भावे होज्जा? खओवसमिए भावे होज्जा? पारिणामिए भावे होज्जा? सन्निवाइए भावे होज्जा? नियमा साइपारिणामिए भावे होज्जा। एवं दोन्नि वि।

Translated Sutra: નૈગમ વ્યવહાર નય સંમત આનુપૂર્વી દ્રવ્ય કયા ભાવમાં વર્તે છે ? ૧. ઔદયિક, ૨. ઔપશમિક, ૩. ક્ષાયિક, ૪. ક્ષાયોપશમિક, ૫. પારિણામિક કે ૬. સાન્નિપાતિક ભાવમાં હોય છે ? સમસ્ત આનુપૂર્વી દ્રવ્ય નિયમા સાદિ પારિણામિક ભાવમાં હોય છે. અનાનુપૂર્વી અને અવક્તવ્ય દ્રવ્ય માટે પણ આ પ્રમાણે જ જાણવુ અર્થાત્‌ તે પણ સાદિ પારિણામિક ભાવમાં વર્તે
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 110 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं पुव्वानुपुव्वी? पुव्वानुपुव्वी–धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए जीवत्थिकाए पोग्गलत्थिकाए अद्धासमए। से तं पुव्वानुपुव्वी। से किं तं पच्छानुपुव्वी? पच्छानुपुव्वी–अद्धासमए पोग्गलत्थिकाए जीवत्थिकाए आगास-त्थिकाए अधम्मत्थिकाए धम्मत्थिकाए। से तं पच्छानुपुव्वी। से किं तं अनानुपुव्वी? अनानुपुव्वी–एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए छगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नब्भासो दुरूवूणो। से तं अनानुपुव्वी।

Translated Sutra: પૂર્વાનુપૂર્વીનું સ્વરૂપ કેવું છે ? ૧. ધર્માસ્તિકાય, ૨. અધર્માસ્તિકાય, ૩. આકાશાસ્તિકાય, ૪. જીવાસ્તિકાય, ૫. પુદ્‌ગલાસ્તિકાય, ૬. અદ્ધાકાળ. આ પ્રમાણે અનુક્રમથી કથન કરાય કે સ્થાપન કરાય, તેને પૂર્વાનુપૂર્વી કહે છે. આ પૂર્વાનુપૂર્વીનું વર્ણન થયું. પશ્ચાનુપૂર્વીનું સ્વરૂપ કેવું છે ? ૬. અદ્ધાસમય, ૫. પુદ્‌ગલાસ્તિકાય,
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 131 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नेगम-ववहाराणं भंगोवदंसणया? नेगम-ववहाराणं भंगोवदंसणया–१. तिसमयट्ठिईए आनुपुव्वी २. एगसमयट्ठिईए अनानुपुव्वी ३. दुसमयट्ठिईए अवत्तव्वए ४. तिसमयट्ठिईयाओ आनु-पुव्वीओ ५. एगसमयट्ठिईयाओ अनानुपुव्वीओ ६. दुसमयट्ठिईयाओ अवत्तव्वगाइं। अहवा १. तिसमयट्ठिईए य एगसमयट्ठिईए य आनुपुव्वी य अनानुपुव्वी य। एवं तहा चेव दव्वानुपुव्विगमेणं छव्वीसं भंगा भाणियव्वा जाव। से तं नेगम-ववहाराणं भंगोवदंसणया।

Translated Sutra: નૈગમ – વ્યવહાર નય સંમત ભંગોપદર્શનતાનું સ્વરૂપ કેવું છે ? ત્રણ, ચાર આદિ સમયની સ્થિતિ વાળા એક – એક દ્રવ્ય આનુપૂર્વી, એક સમયની સ્થિતિવાળા એક – એક દ્રવ્ય અનાનુપૂર્વી અને બે સમયની સ્થિતિવાળા એક – એક દ્રવ્ય અવક્તવ્ય કહેવાય છે. ત્રણ સમયની સ્થિતિવાળા અનેક દ્રવ્ય અનેક આનુપૂર્વી, એક સમયની સ્થિતિવાળા અનેક દ્રવ્ય અનેક
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 145 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं भावानुपुव्वी? भावानुपुव्वी तिविहा पन्नत्ता, तं जहा–पुव्वानुपुव्वी पच्छानुपुव्वी अनानुपुव्वी। से किं तं पुव्वानुपुव्वी? पुव्वानुपुव्वी–उदइए उवसमिए खइए खओवसमिए पारिणामिए सन्निवाइए। से तं पुव्वानुपुव्वी। से किं तं पच्छानुपुव्वी? पच्छानुपुव्वी–सन्निवाइए जाव उदइए। से तं पच्छानुपुव्वी। से किं तं अनानुपुव्वी? अनानुपुव्वी–एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए छगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नब्भासो दुरूवूणो। से तं अनानुपुव्वी। से तं भावानुपुव्वी। से तं आनुपुव्वी।

Translated Sutra: ભાવાનુપૂર્વીનું સ્વરૂપ કેવું છે ? ભાવાનુપૂર્વીના ત્રણ પ્રકાર તે આ પ્રમાણે છે – ૧. પૂર્વાનુપૂર્વી, ૨. પશ્ચાનુપૂર્વી, ૩. અનાનુપૂર્વી. પૂર્વાનુપૂર્વીનું સ્વરૂપ કેવું છે ? ૧. ઔદયિકભાવ, ૨. ઔપશમિકભાવ, ૩. ક્ષાયિકભાવ, ૪. ક્ષાયોપશમિકભાવ, ૫. પારિણામિકભાવ, ૬. સાન્નિપાતિકભાવ. આ ક્રમથી ભાવોના ઉપન્યાસને પૂર્વાનુપૂર્વી કહે
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 150 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं दुनामे? दुनामे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–एगक्खरिए य अनेगक्खरिए य। से किं तं एगक्खरिए? एगक्खरिए अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–ह्रोः श्रीः धीः स्त्री। से तं एगक्खरिए। से किं तं अनेगक्खरिए? अनेगक्खरिए अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–कन्ना वीणा लता माला। से तं अनेगक्खरिए। अहवा दुनामे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–जीवनामे य अजीवनामे य। से किं तं जीवनामे? जीवनामे अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा-देवदत्तो जन्नदत्तो विण्हुदत्तो सोमदत्तो।से तं जीवनामे से किं तं अजीवनामे? अजीवनामे अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–घडो पडो कडो रहो। से तं अजीवनामे। अहवा दुनामे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–विसेसिए

Translated Sutra: [૧] ‘દ્વિનામ’નું સ્વરૂપ કેવું છે ? દ્વિનામના બે પ્રકાર છે. તે આ પ્રમાણે છે – ૧. એકાક્ષરિક અને ૨. અનેકાક્ષરિક. એકાક્ષરિક દ્વિનામનું સ્વરૂપ કેવું છે ? એકાક્ષરિક દ્વિનામના અનેક પ્રકાર છે, તે આ પ્રમાણે છે – હ્રી દેવી., શ્રી લક્ષ્મી દેવી., ધી બુદ્ધિ., સ્ત્રી વગેરે એકાક્ષરિક દ્વિનામ છે. અનેકાક્ષરિક દ્વિનામનું સ્વરૂપ
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 151 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं तिनामे? तिनामे तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–दव्वनामे गुणनामे पज्जवनामे। से किं तं दव्वनामे? दव्वनामे छव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए जीवत्थि-काए पोग्गलत्थिकाए अद्धासमए। से तं दव्वनामे। से किं तं गुणनामे? गुणनामे पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा–वण्णनामे गंधनामे रसनामे फासनामे संठाणनामे। से किं तं वण्णनामे? वण्णनामे पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा–कालवण्णनामे नीलवण्णनामे लोहिय-वण्णनामे हालिद्दवण्णनामे सुक्किल्लवण्णनामे। से तं वण्णनामे। से किं तं गंधनामे? गंधनामे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–सुब्भिगंधनामे य दुब्भिगंधनामे य। से तं गंधनामे। से

Translated Sutra: [૧] ત્રિનામનું સ્વરૂપ કેવું છે ? ત્રિનામના ત્રણ પ્રકાર કહ્યા છે, તે આ પ્રમાણે – ૧. દ્રવ્યનામ, ૨. ગુણનામ અને ૩. પર્યાયનામ. [૨] દ્રવ્યનામનું સ્વરૂપ કેવું છે ? દ્રવ્યનામના છ પ્રકાર કહ્યા છે, તે આ પ્રમાણે છે – ૧. ધર્માસ્તિકાય, ૨. અધર્માસ્તિકાય, ૩. આકાશાસ્તિકાય, ૪. જીવાસ્તિકાય, ૫. પુદ્‌ગલાસ્તિકાય અને ૬. અદ્ધાસમય. [૩] ગુણનામનું
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 160 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं पंचनामे? पंचनामे पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा–१. नामिकं २. नैपातिकं ३. आख्यातिकं ४. औपसर्गिकं ५. मिश्रम्‌। अश्व इति नामिकम्‌। खल्विति नैपातिकम्‌। धावतीत्याख्यातिकम्‌। परीत्यौपसर्गिकम्‌। संयत इति मिश्रम्‌। से तं पंचनामे।

Translated Sutra: પંચનામનું સ્વરૂપ કેવું છે ? પંચનામ પાંચ પ્રકારે છે, જેમ કે – નામિક, નૈપાતિક, આખ્યાતિક, ઔપસર્ગિક અને મિશ્ર. અશ્વ’ એ નામિક નામનું, ‘ખલુ’ એ નૈપાતિક નામનું, ‘ધાવતિ’ એ આખ્યાતિક નામનું, ‘પરિ’ ઔપસર્ગિક નામનું અને ‘સંયત’ એ મિશ્રનામનું ઉદાહરણ છે.
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 161 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं छनामे? छनामे छव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–१. उदइए २. उवसमिए ३. खइए ४. खओवसमिए ५. पारिणामिए ६. सन्निवाइए। से किं तं उदइए? उदइए दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–उदए य उदयनिप्फन्ने य। से किं तं उदए? उदए–अट्ठण्हं कम्मपयडीणं उदए णं। से तं उदए। से किं तं उदयनिप्फन्ने? उदयनिप्फन्ने दुविहे पन्नत्ते, तं जहा– जीवोदयनिप्फन्ने य अजीवो-दयनिप्फन्ने य। से किं तं जीवोदयनिप्फन्ने? जीवोदयनिप्फन्ने अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–नेरइए तिरिक्ख-जोणिए मनुस्से देवे पुढविकाइए आउकाइए तेउकाइए वाउकाइए वणस्सइकाइए तसकाइए, कोहकसाई मानकसाई मायाकसाई लोभकसाई, इत्थिवेए पुरिसवेए नपुंसगवेए, कण्हलेसे

Translated Sutra: [૧] છ નામનું સ્વરૂપ કેવું છે ? છ નામમાં છ પ્રકારના ભાવ કહ્યા છે, તે આ પ્રમાણે છે – ૧. ઔદારિક, ૨. ઔપશમિક, ૩. ક્ષાયિક, ૪. ક્ષાયોપશમિક, ૫. પારિણામિક, ૬. સાન્નિપાતિક. [૨] ઔદયિક ભાવનું સ્વરૂપ કેવું છે ? ઔદયિક ભાવના બે પ્રકાર છે. તે આ પ્રમાણે છે – ઉદય અને ઉદયનિષ્પન્ન. ઉદય – ઔદયિક ભાવનું સ્વરૂપ કેવું છે ? જ્ઞાનાવરણીયાદિ આઠ પ્રકારના
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 163 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] उक्कावाया दिसादाहा गज्जियं विज्जू निग्घाया जूवया जक्खालित्ता धूमिया महिया रयुग्घाओ चंदोवरागा सूरोवरागा चंदपरिवेसा सूरपरिवेसा पडिचंदा पडिसूरा इंदधणू उदगमच्छा कविहसिया अमोहा वासा वासधरा गामा नगरा घरा पव्वता पायाला भवणा निरया रयणप्पभा सक्करप्पभा वालुयप्पभा पंकप्पभा धूमप्पभा तमा तमतमा सोहम्मे ईसाणे सणंकुमारे माहिंदे बंभलोए लंतए महासुक्के सहस्सारे आणए पाणए आरणे अच्चुए गेवेज्जे अनुत्तरे ईसिप्पब्भारा परमाणुपोग्गले दुपएसिए जाव अनंतपएसिए। से तं साइपारिणामिए। से किं तं अनाइ-पारिणामिए? अनाइ-पारिणामिए–धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगास-त्थिकाए जीवत्थिकाए

Translated Sutra: [૧] ચંદ્ર – સૂર્ય ગ્રહણ, ચંદ્ર – સૂર્ય પરિવેશ, પ્રતિચંદ્ર – પ્રતિસૂર્ય, મેઘધનુષ્ય, મેઘધનુષ્યના ટૂકડા, કપિહસિત, અમોઘ, ક્ષેત્ર, વર્ષધર પર્વત, ગામ, નગર, ઘર, પર્વત, પાતાળકળશ, ભવન, નરક, રત્નપ્રભા, શર્કરાપ્રભા, વાલુકાપ્રભા, પંકપ્રભા, ધૂમપ્રભા, તમઃપ્રભા, તમસ્તમપ્રભા, સૌધર્મ, ઇશાનથી લઈ આનત, પ્રાણત, આરણ – અચ્યુત દેવલોકો, ગ્રૈવેયક,
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 220 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अब्भुयतरमिह एत्तो, अन्नं किं अत्थि जीवलोगम्मि । जं जिनवयणेनत्था, तिकालजुत्ता वि नज्जंति ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૧૯
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 235 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं दसनामे? दसनामे दसविहे पन्नत्ते, तं जहा–१. गोण्णे २. नोगोण्णे ३. आयाणपएणं ४. पडिवक्खपएणं ५. पाहन्नयाए ६. अनाइसिद्धंतेणं ७. नामेणं ८. अवयवेणं ९. संजोगेणं १०. पमाणेणं। से किं तं गोण्णे? गोण्णे–खमतीति खमणो, तवतीति तवणो, जलतीति जलणो, पवतीति पवणो। से तं गोण्णे। से किं तं नोगोण्णे? नोगोण्णे–अकुंतो सकुंतो, अमुग्गो समुग्गो, अमुद्दो समुद्दो, अलालं पलालं, अकुलिया सकुलिया, नो पलं असतीति पलासो, अमाइवाहए माइवाहए, अबीयवावए बीयवावए, नो इंदं गोवयतीति इंदगोवए। से तं नोगोण्णे। से किं तं आयाणपएणं? आयाणपएणं–आवंती चाउरंगिज्जं असंखयं जन्नइज्जं पुरिसइज्जं एलइज्जं वीरियं धम्मो

Translated Sutra: [૧] દસનામના દસ પ્રકાર કહ્યા છે, તે આ પ્રમાણે છે – ૧. ગૌણનામ, ૨. નોગૌણનામ, ૩. આદાનપદ નિષ્પન્ન નામ, ૪. પ્રતિપક્ષપદ નિષ્પન્નનામ, ૫. પ્રધાનપદ નિષ્પન્નનામ, ૬. અનાદિ સિદ્ધાંત નિષ્પન્નનામ, ૭. નામનિષ્પન્નનામ ૮. અવયવ નિષ્પન્નનામ, ૯. સંયોગ નિષ્પન્નનામ, ૧૦. પ્રમાણ નિષ્પન્નનામ. [૨] ગુણનિષ્પન્ન ગૌણનામ. નામનું સ્વરૂપ કેવું છે ? ક્ષમાગુણયુક્ત
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 238 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] –से तं अवयवेणं। से किं तं संजोगेणं? संजोगे चउव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–दव्वसंजोगे खेत्तसंजोगे कालसंजोगे भावसंजोगे। से किं तं दव्वसंजोगे? दव्वसंजोगे तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–सचित्ते अचित्ते मीसए। से किं तं सचित्ते? सचित्ते-गोहिं गोमिए, महिसीहिं माहिसिए, ऊरणीहिं ऊरणिए, उट्टीहिं उट्टिए। से त्तं सचित्ते। से किं तं अचित्ते? अचित्ते–छत्तेण छत्ती, दंडेण दंडी, पडेण पडी, घडेण घडी, कडेण कडी। से त्तं अचित्ते। से किं तं मीसए? मीसए–हलेणं हालिए, सगडेणं सागडिए, रहेणं रहिए, नावाए नाविए। से तं मीसए। से तं दव्वसंजोगे। से किं तं खेत्तसंजोगे? खेत्तसंजोगे–भारहे एरवए हेमवए हेरन्नवए

Translated Sutra: સૂત્ર– ૨૩૮. [૧] સંયોગ નિષ્પન્ન નામનું સ્વરૂપ કેવું છે? સંયોગનિષ્પન્ન નામના ચાર પ્રકાર છે, તે આ પ્રમાણે છે – ૧. દ્રવ્ય સંયોગ, ૨. ક્ષેત્ર સંયોગ, ૩. કાળ સંયોગ અને ૪. ભાવ સંયોગ. [૨] દ્રવ્ય સંયોગ નિષ્પન્ન નામનું સ્વરૂપ કેવું છે ? દ્રવ્ય સંયોગ નિષ્પન્ન નામ ત્રણ પ્રકારના કહ્યા છે. તે આ પ્રમાણે છે – ૧. સચિત્ત દ્રવ્ય સંયોગ નિષ્પન્ન
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 240 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नक्खत्तनामे? नक्खत्तनामे–कत्तियाहिं जाए–कत्तिए कत्तियादिन्ने कत्तियाधम्मे कत्तियासम्मे कत्तियादेवे कत्तियादासे कत्तियासेणे कत्तियारक्खिए। रोहिणीहिं जाए–रोहिणिए रोहिणिदिन्ने रोहिणिधम्मे रोहिणिसम्मे रोहिणिदेवे रोहिणि-दासे रोहिणिसेणे रोहिणिरक्खिए। एवं सव्वनक्खत्तेसु नामा भाणियव्वा। एत्थ संगहणिगाहाओ–

Translated Sutra: નક્ષત્ર નામનું સ્વરૂપ કેવું છે ? નક્ષત્રના આધારે સ્થાપિત નામ નક્ષત્રનામ કહેવાય છે. તે આ પ્રમાણે, કૃતિકાનક્ષત્રમાં જન્મેલ બાળકનું કૃતિક – કાર્તિક, કૃતિકાદત્ત, કૃતિકાધર્મ, કૃતિકાદેવ, કૃતિકાદાસ, કૃતિકાસેન, કૃતિકા રક્ષિત વગેરે નામ રાખવા. રોહિણીમાં જન્મેલનું રોહિણેય, રોહિણીદત્ત, રોહિણીધર્મ, રોહિણીશર્મ, રોહિણીદેવ,
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 244 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] –से तं नक्खत्तनामे। से किं तं देवयानामे? देवयनामे – अग्गिदेवयाहिं जाए– अग्गिए अग्गिदिन्ने अग्गिधम्मे अग्गि-सम्मे अग्गिदेवे अग्गिदासे अग्गिसेने अग्गिरक्खिए। एवं सव्वनक्खत्तदेवयानामा भाणियव्वा। एत्थं पि संगहणिगाहाओ–

Translated Sutra: દેવનામનું સ્વરૂપ કેવું છે ? નક્ષત્રના અધિષ્ઠાતા દેવના નામ ઉપરથી નામ સ્થાપવામાં આવે તો તે દેવનામ કહેવાય. જેમ કે કૃતિકા નક્ષત્રના અધિષ્ઠાતા દેવ અગ્નિ છે. અગ્નિ દેવથી અધિષ્ઠિત નક્ષત્રમાં જન્મેલ બાળકનું નામ આગ્નિક, અગ્નિદત્ત, અગ્નિધર્મ, અગ્નિશર્મ, અગ્નિદાસ, અગ્નિસેન, અગ્નિરક્ષિત વગેરે રાખવું. આ જ પ્રમાણે અન્ય
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 247 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] –से तं देवयानामे। से किं तं कुलनामे? कुलनामे– उग्गे भोगे राइन्ने खत्तिए इक्खागे नाते कोरव्वे। से तं कुलनामे। से किं तं पासंडनामे? पासंडनामे–समणे पंडरंगे भिक्खू कावालिए तावसे परिव्वायगे। से तं पासंडनामे। से किं तं गणनामे? गणनामे–मल्ले मल्लदिन्ने मल्लधम्मे मल्लसम्मे मल्लदेवे मल्लदासे मल्लसेणे मल्लरक्खिए। से तं गणनामे। से किं तं जीवियानामे? जीवियानामे–अवकरए उक्कुरुडए उज्झियए कज्जवए सुप्पए। से तं जीवियानामे। से किं तं आभिप्पाइयनामे? आभिप्पाइयनामे–अंबए निंबए बबुलए पलासए सिणए पीलुए करीरए। से तं आभिप्पाइयनामे। से तं ठवणप्पमाणे। से किं तं दव्वप्पमाणे? दव्वप्पमाणे

Translated Sutra: [૧ ] કુળનામનું સ્વરૂપ કેવું છે ? જે નામનો આધાર કુળ હોય તે નામ કુળનામ કહેવાય છે. જેમ કે ઉગ્ર, ભોગ, રાજન્ય, ક્ષત્રિય, ઇક્ષ્વાકુ, જ્ઞાત, કૌરવ્ય વગેરે. [૨] પાષંડનામનું સ્વરૂપ કેવું છે? શ્રમણ, પાંડુરંગ, ભિક્ષુ, કાપાલિક, તાપસ, પરિવ્રાજક, તે પાષંડનામ જાણવા. [૩] ગણનામનું સ્વરૂપ કેવું છે ? ગણના આધારે જે નામ સ્થાપિત થાય તે ગણનામ
Showing 101 to 150 of 2582 Results