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Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 224 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स बोधियसाला निस्साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २१९
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 225 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स दोसियसाला साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २१९
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 226 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स दोसियसाला निस्साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २१९
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 227 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स सोत्तियसाला साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २१९
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 228 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स सोत्तियसाला निस्साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २१९
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 229 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स बोडियसाला साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २१९
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 230 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स बोडियसाला निस्साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २१९
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 231 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स गंधियसाला साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २१९
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 232 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स गंधियसाला निस्साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २१९
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 233 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स ओसहीओ संथडाओ, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: दूसरों की अन्न – आदि रसोई में शय्यातर का हिस्सा हो, वखार में पड़े आम में उसका हिस्सा हो तो उसमें से दिया गया आहार आदि साधु को न कल्पे, यदि शय्यातर का हिस्सा न हो तो कल्पे। सूत्र – २३३–२३६
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 234 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स ओसहीओ असंथडाओ, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २३३
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 235 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स अंबफला संथडा, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २३३
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 236 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स अंबफला असंथडा, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २३३
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 237 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सत्तसत्तमिया णं भिक्खुपडिमा एगूणपन्नाए राइंदिएहिं एगेण छन्नउएणं भिक्खासएणं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं काएण फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया आणाए अनुपालिया भवइ।

Translated Sutra: सात दिन की सात पड़िमा समान तपश्चर्या के ४९ रात – दिन होते हैं। पहले सात दिन अन्न – पानी की एक दत्ति – दूसरे सात दिन दो – दो दत्ति – यावत्‌ सातवें सात दिन सात – सात दत्ति गिनते कुल १९६ दत्ति होती है वो तप जिस तरह से सूत्र में बताया है, जैसा मार्ग है, जैसा सत्य अनुष्ठान है, ऐसा सम्यक्‌ तरह से काया से छूने के द्वारा निरतिचार,
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 238 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अट्ठअट्ठमिया णं भिक्खुपडिमा चउसट्ठीए राइंदिएहिं दोहिं य अट्ठासीएहिं भिक्खासएहिं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं काएण फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया आणाए अनुपालिया भवइ।

Translated Sutra: (ऊपर कहने के अनुसार) आठ दिन की आठ पड़िमा समान तप कहा है। पहले आठ दिन अन्न – पानी की एक – एक दत्ति, उस तरह से आठवी पड़िमा – आठ दिन की आठ दत्ति गिनते कुल ६४ रात – दिन २८८ दत्ति से तप पूर्ण हो, उसी तरह नौ दिन की नौ पड़िमा ८१ रात – दिन और कुल दत्ति ४०५ दश दिन की दश पड़िमा १०० दत्ति और कुल दत्ति ५५० होती है। उसी तरह आठवीं, नौ, दश प्रतिमा
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 239 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नवनवमिया णं भिक्खुपडिमा एगासीए राइंदिएहिं चउहिं य पंचुत्तरेहिं भिक्खासएहिं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं काएण फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया आणाए अनुपालिया भवइ।

Translated Sutra: देखो सूत्र २३८
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 240 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] दसदसमिया णं भिक्खुपडिमा एगेणं राइंदियसएणं अद्धछट्ठेहि य भिक्खासएहिं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं काएण फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया आणाए अनुपालिया भवइ।

Translated Sutra: देखो सूत्र २३८
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 241 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] दो पडिमाओ पन्नत्ताओ, तं जहा–खुड्डिया चेव मोयपडिमा महल्लिया चेव मोयपडिमा।

Translated Sutra: दो प्रतिमा बताई है वो इस प्रकार है – छोटी पिशाब प्रतिमा और बड़ी पिशाब प्रतिमा।
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 242 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] खुड्डियण्णं मोयपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स कप्पइ से पढमसरदकालसमयंसि वा चरिमनिदाह-कालसमयंसि वा बहिया गामस्स वा जाव सन्निवेसस्स वा वनंसि वा वनविदुग्गंसि वा पव्वयंसि वा पव्वयविदुग्गंसि वा। भोच्चा आरुभइ चोदसमेणं पारेइ। अभोच्चा आरुभइ सोलसमेणं पारेइ। जाए मोए आईयव्वे, दिया आगच्छइ आईयव्वे, राइं आगच्छइ नो आईयव्वे, सपाणे आगच्छइ नो आईयव्वे, अप्पाणे आगच्छइ आईयव्वे, सबीए आगच्छइ नो आईयव्वे, अबीए आगच्छइ आई-यव्वे, ससणिद्धे आगच्छइ नो आईयव्वे, अससणिद्धे आगच्छइ आईयव्वे, ससरक्खे आगच्छइ नो आईयव्वे, अससरक्खे आगच्छइ आईयव्वे। जाए मोए आईयव्वे तं जहा–अप्पे वा बहुए वा। एवं खलु एसा

Translated Sutra: छोटी पेशाब प्रतिमा वहनेवाले साधु को पहले शरद काल में (मागसर मास में) और अन्तिम उष्ण काल में (आषाढ़ मास में) गाँव के बाहर यावत्‌ सन्निवेश, वन, वनदूर्ग, पर्वत, पर्वतदूर्ग में यह प्रतिमा धारण करना कल्पे, भोजन करके प्रतिमा ग्रहण करे तो १४ भक्त से पूरी हो यानि छ उपवास के बाद पारणा करे, खाए बिना पड़िमा कने से १६ भक्त से यानि
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 243 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] महल्लियण्णं मोयपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स कप्पइ से पढमसरदकालसमयंसि वा चरिम-निदाहकालसमयंसि वा बहिया गामस्स वा जाव सन्निवेसस्स वा वणंसि वा वणविदुग्गंसि वा पव्वयंसि वा पव्वयविदुग्गंसि वा। भोच्चा आरुभइ सोलसमेणं पारेइ। अभोच्चा आरुभइ अट्ठारसमेणं पारेइ। जाए मोए आईयव्वे, दिया आगच्छइ आईयव्वे, राइं आगच्छइ नो आईयव्वे, सपाणे आगच्छइ नो आईयव्वे, अप्पाणे आगच्छइ आईयव्वे, सबीए आगच्छइ नो आईयव्वे, अबीए आगच्छई आईयव्वे, ससणिद्धे आगच्छइ नो आईयव्वे, अससणिद्धे आगच्छइ आईयव्वे, ससरक्खे आगच्छइ नो आईयव्वे, अससरक्खे आगच्छइ आईयव्वे, जाए मोए आईयव्वे, तं जहा–अप्पे वा बहुए वा। एवं खलु

Translated Sutra: बड़ी पिशाब प्रतिमा (अभिग्रह) अपनानेवाले साधु को ऊपर बताए अनुसार विधि से प्रतिमा वहन करनी हो। फर्क इतना कि भोजन करके प्रतिमा वहे तो, ७ – उपवास और भोजन किए बिना ८ – उपवास, बाकी सभी विधि छोटी प्रतिमा अनुसार मानना।
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 244 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] संखादत्तियस्स णं भिक्खुस्स पडिग्गहधारिस्स जावइयं-जावइयं केइ अंतो पडिग्गहंसि उवित्ता दलएज्जा तावइयाओ ताओ दत्तीओ वत्तव्वं सिया, तत्थ से केइ छव्वेण वा दूसएण वा वालएण वा अंतो पडिग्गहंसि उवित्ता दलएज्जा, सव्वा वि णं सा एगा दत्ती वत्तव्वं सिया। तत्थ से बहवे भुंजमाणा सव्वे ते सयं पिंडं अंतो पडिग्गहंसि उवित्ता दलएज्जा, सव्वा वि णं सा एगा दत्ती वत्तव्वं सिया।

Translated Sutra: अन्न – पानी की दत्ति की अमुक संख्या लेनेवाले साधु को पात्र धारक गृहस्थ के घर आहार के लिए प्रवेश बाद यात्रा में वो गृहस्थ अन्न की जितनी दत्ति दे उतनी दत्ति कहलाए। अन्न – पानी देते हुए धारा न तूटे वो एक दत्ति, उस साधु को किसी दातार वाँस की छाब में, वस्त्र से, चालणी से, पात्र उठाकर साधु को ऊपर से दे तब धारा तूटे नहीं
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 245 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] संखादत्तियस्स णं भिक्खुस्स पाणिपडिग्गहियस्स जावइयं-जावइयं केइ अंतो पाणिंसि उवित्ता दलएज्जा तावइयाओ ताओ दत्तीओ वत्तव्वं सिया। तत्थ से केइ छव्वेण वा दूसएण वा वालएण वा अंतो पाणिंसि उवित्ता दलएज्जा, सव्वा वि णं सा एगा दत्ती वत्तव्वं सिया। तत्थ से बहवे भुंजमाणा सव्वे ते सयं पिंडं अंतो पाणिंसि उवित्ता दलएज्जा, सव्वा वि णं सा एगा दत्ती वत्तव्वं सिया।

Translated Sutra: जिस साधु ने पानी की दत्ति का अभिग्रह किया है वो गृहस्थ के वहाँ पानी लेने जाए तब एक पात्र ऊपर से पानी देने के लिए उठाया है उन सबको धारा न तूटे तब तक एक दत्ति कहते हैं। (आदि सर्व हकीकत ऊपर के सूत्र २४४ की आहार की दत्ति मुताबिक जानना।)
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 246 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तिविहे उवहडे पन्नत्ते, तं जहा–सुद्धोवहडे फलिओवहडे संसट्ठोवहडे।

Translated Sutra: अभिग्रह तीन प्रकार के बताए, सफेद अन्न लेना, काष्ठ पात्र में सामने से लाकर दे वो हाथ से या बरतन से दे तो जो कोई ग्रहे, जो कोई दे, यदि कोई चीज को मुख में रखे वो चीज ही लेनी चाहिए। वो दूसरे प्रकार से तीन अभिग्रह। सूत्र – २४६, २४७
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 247 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तिविहे ओग्गहिए पन्नत्ते, तं जहा–जं च ओगिण्हइ, जं च साहरइ, जं च आसगंसि पक्खिवइ एगे एवमाहंसु।

Translated Sutra: देखो सूत्र २४६
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 248 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एगे पुण एवमाहंसु दुविहे ओग्गहिए पन्नत्ते, तं जहा–जं च ओगिण्हइ, जं च आसगंसि पक्खिवइ।

Translated Sutra: दो प्रकार से (भी) अभिग्रह बताए हैं। (१) जो हाथ में ले वो चीज लेना (२) जो मुख में रखे वो चीज लेना – ईस प्रकार मैं (तुम्हें) कहता हूँ।
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-१० Hindi 249 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] दो पडिमाओ पन्नत्ताओ तं जहा–जवमज्झा य चंदपडिमा, वइरमज्झा य चंदपडिमा। जवमज्झण्णं चंदपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स मासं निच्चं वोसट्ठकाए चत्तदेहे जे केइ उवसग्गा उप्पज्जंति तं जहा –दिव्वा वा माणुसा वा तिरिक्खजोणिया वा, अनुलोमा वा पडिलोमा वा–तत्थ अनुलोमा ताव वंदेज्जा वा नमंसेज्जा वा सक्कारेज्जा वा सम्माणेज्जा वा कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासेज्जा, तत्थ पडिलोमा अन्नयरेणं दंडेण वा, अट्ठीण वा, जोत्तेण वा, वेत्तेण वा कसेण वा काए आउडेज्जा–ते सव्वे उप्पण्णे सम्मं सहेज्जा खमेज्जा तितिक्खेज्जा अहियासेज्जा। जवमज्झण्णं चंदपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स सुक्कपक्खस्स

Translated Sutra: दो प्रतिमा (अभिग्रह) बताए हैं। वो इस प्रकार – जव मध्य चन्द्र प्रतिमा और वज्र मध्य चन्द्र प्रतिमा। जव मध्य चन्द्र प्रतिमाधारी साधु एक महिने तक काया की ममता का त्याग करते हैं। जो कोई देव या तिर्यंच सम्बन्धी अनुकूलया प्रतिकूल उपसर्ग उत्पन्न हो जिसमें वंदन – नमस्कार, सत्कार – सन्मान, कल्याण – मंगल, देवसर्दश आदि
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-१० Hindi 250 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] वइरमज्झण्णं चंदपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स मासं निच्चं वोसट्ठकाए चत्तदेहे जे केइ उवसग्गा उप्पज्जंति, तं जहा –दिव्वा वा माणुसा वा तिरिक्खजोणिया वा अनुलोमा वा पडिलोमा वा–तत्थ अनुलोमा ताव वंदेज्जा वा नमंसेज्जा वा सक्कारेज्जा वा सम्माणेज्जा वा कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासेज्जा, तत्थ पडिलोमा अन्नयरेणं दंडेण वा, अट्ठीण वा, जोत्तेण वा, वेत्तेण वा, कसेण वा, काए आउडेज्जा–ते सव्वे उप्पन्ने सम्मं सहेज्जा खमेज्जा तितिक्खेज्जा अहियासेज्जा। वइरमज्झण्णं चंदपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स बहुलपक्खस्स पाडिवए कप्पइ पण्णरस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, पण्णरस पाणणस्स।

Translated Sutra: व्रज मध्य प्रतिमा (यानि अभिग्रह विशेष) धारण करनेवाले को काया की ममता का त्याग, उपसर्ग सहना आदि सब ऊपर के सूत्र २४९ में कहने के मुताबिक जानना। विशेष यह की प्रतिमा का आरम्भ कृष्ण पक्ष से होता है। एकम को पंद्रह दत्ति अन्न की और पंद्रह दत्ति पानी की लेकर तप का आरम्भ हो यावत्‌ अमावास तक एक – एक दत्ति कम होने से अमावास
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-१० Hindi 251 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पंचविहे ववहारे पन्नत्ते तं जहा–आगमे सुए आणा धारणा जीए। जहा से तत्थ आगमे सिया, आगमेणं ववहारं पट्ठवेज्जा। नो से तत्थ आगमे सिया, जहा से तत्थ सुए सिया, सुएणं ववहारं पट्ठवेज्जा। नो से तत्थ सुए सिया, जहा से तत्थ आणा सिया, आणाए ववहारं पट्ठवेज्जा। नो से तत्थ आणा सिया, जहा से तत्थ धारणा सिया, धारणाए ववहारं पट्ठवेज्जा। नो से तत्थ धारणा सिया, जहा से तत्थ जीए सिया, जीएणं ववहारं पट्ठवेज्जा। इच्चेतेहिं पंचहिं ववहारेहिं ववहारं पट्ठवेज्जा, तं जहा–आगमेणं सुएणं आणाए धारणाए जीएणं। जहा-जहा से आगमे सुए आणा धारणा जीए तहा-तहा ववहारे पट्ठवेज्जा। से किमाहु भंते? आगमबलिया समणा निग्गंथा। इच्चेयं

Translated Sutra: व्यवहार पाँच तरह से बताए हैं। वो इस प्रकार आगम, श्रुत्‌ आज्ञा, धारणा और जीत, जहाँ आगम व्यवहारी यानि कि केवली या पूर्वधर हो वहाँ आगम व्यवहार स्थापित करना। जहाँ आगम व्यवहारी न हो वहाँ सूत्र (आयारो आदि) व्यवहा स्थापित करना, जहाँ सूत्र ज्ञाता भी न हो वहाँ आज्ञा व्यवहार स्थापना, जहाँ आज्ञा व्यवहारी न हो वहाँ धारणा
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-१० Hindi 252 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–अट्ठकरे नाममेगे नो मानकरे, मानकरे नाममेगे नो अट्ठकरे, एगे अट्ठकरे वि मानकरे वि, एगे नो अट्ठकरे नो मानकरे।

Translated Sutra: चार तरह के पुरुष हैं वो कहते हैं। (१) उपकार करे लेकिन मान न करे, मान करे लेकिन उपकार न करे, दोनों करे, दोनों में से एक भी न करे, (२) समुदाय का काम करे लेकिन मान न करे, मान करे लेकिन समुदाय का काम न करे, दोनों करे, दोनों में से एक भी न करे, (३) समुदाय के लिए संग्रह करे लेकिन मान न करे, मान करे लेकिन समुदाय के लिए संग्रह न करे,
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-१० Hindi 253 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–गणट्ठकरे नाममेगे नो मानकरे, मानकरे नाममेगे नो गणट्ठकरे, एगे गणट्ठकरे वि मानकरे वि, एगे नो गणट्ठकरे नो मानकरे।

Translated Sutra: देखो सूत्र २५२
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-१० Hindi 254 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–गणसंगहकरे नाममेगे नो मानकरे, मानकरे नाममेगे नो गणसंगहकरे, एगे गणसंगहकरे वि मानकरे वि, एगे नो गणसंगहकरे नो मानकरे।

Translated Sutra: देखो सूत्र २५२
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-१० Hindi 255 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–गणसोभकरे नाममेगे नो मानकरे, मानकरे नाममेगे नो गणसोभकरे, एगे गणसोभकरे वि मानकरे वि, एगे नो गणसोभकरे नो मानकरे।

Translated Sutra: देखो सूत्र २५२
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-१० Hindi 256 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–गणसोहिकरे नाममेगे नो मानकरे, मानकरे नाममेगे नो गणसोहिकरे, एगे गणसोहिकरे वि मानकरे वि, एगे नो गणसोहिकरे नो मानकरे।

Translated Sutra: देखो सूत्र २५२
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-१० Hindi 257 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–रूवं नाममेगे जहइ नो धम्मं, धम्मं नाममेगे जहइ नो रूवं, एगे रूवं पि जहइ धम्मं पि जहइ, एगे नो रूवं जहइ नो धम्मं जहइ।

Translated Sutra: देखो सूत्र २५२
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-१० Hindi 258 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–धम्मं नाममेगे जहइ नो गणसंठितिं, गणसंठितिं नाममेगे जहइ नो धम्मं, एगे गणसंठितिं पि जहइ धम्मं पि जहइ, एगे नो गणसंठितिं जहइ नो धम्मं जहइ।

Translated Sutra: देखो सूत्र २५२
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-१० Hindi 259 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–पियधम्मे नाममेगे नो दढधम्मे, दढधम्मे नाममेगे नो पियधम्मे, एगे पियधम्मे वि दढधम्मे वि, एगे नो पियधम्मे नो दढधम्मे।

Translated Sutra: देखो सूत्र २५२
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-१० Hindi 260 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चत्तारि आयरिया पन्नत्ता, तं जहा–पव्वावणायरिए नाममेगे नो उवट्ठावणायरिए, उवट्ठावणायरिए नाममेगे नो पव्वावणायरिए, एगे पव्वावणायरिए वि उवट्ठावणायरिए वि, एगे नो पव्वावणायरिए नो उवट्ठावणायरिए–धम्मायरिए।

Translated Sutra: चार तरह के आचार्य बताए – (१) प्रव्रज्या आचार्य लेकिन उपस्थापना आचार्य नहीं, उपस्थापना आचार्य मगर प्रव्रज्या आचार्य नहीं, दोनों हो, दोनों में से एक भी न हो, (२) उद्देशाचार्य हो लेकिन वंदनाचार्य न हो, वंदनाचार्य हो लेकिन उद्देशाचार्य न हो, दोनों हो, दोनों में से एक भी न हो। सूत्र – २६०, २६१
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-१० Hindi 261 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चत्तारि आयरिया पन्नत्ता, तं जहा–उद्देसणायरिए नाममेगे नो वायणायरिए, वायणायरिए नाममेगे नो उद्देसणायरिए, एगे उद्देसणायरिए वि वायणायरिए वि, एगे नो उद्देसणायरिए नो वायणायरिए–धम्मायरिए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २६०
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-१० Hindi 262 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चत्तारि अंतेवासी पन्नत्ता, तं जहा–पव्वावणंतेवासी नाममेगे नो उवट्ठावणंतेवासी, उवट्ठावणंतेवासी नाममेगे नो पव्वावणंतेवासी, एगे पव्वावणंतेवासी वि उवट्ठावणंतेवासी वि, एगे नो पव्वावणंतेवासी नो उवट्ठावणंतेवासी–धम्मंतेवासी।

Translated Sutra: चार अन्तेवासी शिष्य बताए हैं – (१) प्रव्रज्या शिष्य हो लेकिन उपस्थापना शिष्य न हो, उपस्थापना शिष्य हो लेकिन प्रव्रज्या शिष्य न हो, दोनों हो, दोनों में से एक भी न हो, (२) उद्देशा करवाए लेकिन वांचना न दे, वांचना दे लेकिन उद्देशा न करवाए, दोनों करवाए, दोनों में से कुछ भी न करवाए। सूत्र – २६२, २६३
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-१० Hindi 263 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चत्तारि अंतेवासी पन्नत्ता, तं जहा–उद्देसणंतेवासी नाममेगे नो वायणंतेवासी, वायणंतेवासी नाममेगे नो उद्देसणंतेवासी, एगे उद्देसणंतेवासी वि वायणंतेवासी वि, एगे नो उद्देसणंतेवासी नो वायणंतेवासी–धम्मंतेवासी।

Translated Sutra: देखो सूत्र २६२
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उद्देशक-१० Hindi 264 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तओ थेरभूमीओ पन्नत्ताओ तं जहा–जातिथेरे सुयथेरे परियायथेरे। सट्ठिवासजाए समणे निग्गंथे जातिथेरे, ठाणसमवायधरे समणे निग्गंथे सुयथेरे, वीसवासपरियाए समणे निग्गंथे परियायथेरे।

Translated Sutra: तीन स्थविर भूमि बताई है। वय स्थविर, श्रुत स्थविर और पर्याय स्थविर। ६० सालवाले वय स्थविर, ठाण – समवाय के धारक वो श्रुतस्थविर, बीस साल का पर्याय यानि पर्याय स्थविर।
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-१० Hindi 265 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तओ सेहभूमीओ पण्णत्तओ, तं जहा–जहण्णा मज्झिमा उक्कोसा। सत्तराइंदिया जहण्णा, चाउम्मासिया मज्झिमा, छम्मासिया उक्कोसा।

Translated Sutra: तीन शिष्य की भूमि कही है। जघन्य को सात रात्रि की, मध्यम वो चार मास की और उत्कृष्ट छ मास की
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उद्देशक-१० Hindi 266 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा खुड्डगं वा खुड्डियं वा ऊणट्ठवासजायं उवट्ठावेत्तए वा संभुंजित्तए वा।

Translated Sutra: साधु – साध्वी को लघु साधु या साध्वी जिनको आठ साल से कुछ कम उम्र है उसकी उपस्थापना या सह – भोजन करना न कल्पे, आठ साल से कुछ ज्यादा हो तो कल्पे। सूत्र – २६६, २६७
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उद्देशक-१० Hindi 267 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा खुड्डगं वा खुड्डियं वा साइरेगट्ठवासजायं उवट्ठावेत्तए वा संभुंजित्तए वा।

Translated Sutra: देखो सूत्र २६६
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उद्देशक-१० Hindi 268 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा खुड्डगस्स वा खुड्डियाए वा अवंजणजायस्स आयारपकप्पं नामं अज्झयणं उद्दिसित्तए।

Translated Sutra: साधु – साध्वी को बाल साधु या बाल साध्वी जिन्हें अभी बगल में बाल भी नहीं आए यानि वैसी छोटी वयवाले को आचार प्रकल्प नामक अध्ययन पढ़ाना न कल्पे, बगल में बाल उगे उतनी वय के होने के बाद कल्पे। सूत्र – २६८, २६९
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उद्देशक-१० Hindi 269 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा खुड्डगस्स वा खुड्डियाए वा वंजणजायस्स आयारपकप्पं नामं अज्झयणं उद्दिसित्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २६८
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-१० Hindi 270 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तिवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पइ आयारपकप्पं नामं अज्झयणं उद्दिसित्तए।

Translated Sutra: जिस साधु का दीक्षा पर्याय तीन साल का हुआ हो उसे आचार प्रकल्प अध्ययन पढ़ाना कल्पे, उसी तरह चार साल के पर्याय से, सूयगड़ो, पाँच साल पर्याय से दसा, कप्प, ववहार, आठ साल पर्याय से ठाण, समवाय, दश साल पर्याय से विवाह पन्नत्ति यानि भगवई, ११ साल पर्याय से खुड्डियाविमाणपविभत्ति, महल्लियाविमाणपविभत्ति, अंगचूलिया, वग्गचूलिया,
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उद्देशक-१० Hindi 271 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चउवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पइ सूयगडे नामं अंगे उद्दिसित्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २७०
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उद्देशक-१० Hindi 272 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पंचवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पइ दसाकप्पववहारे उद्दिसित्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २७०
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उद्देशक-१० Hindi 273 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अट्ठवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पइ ठाण-समवाए नामं अंगे उद्दिसित्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २७०
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