Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011899 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
16. एकान्त व नय अधिकार - (पक्षपात-निरसन) |
Translated Chapter : |
16. एकान्त व नय अधिकार - (पक्षपात-निरसन) |
Section : | 5. नय-योजना-विधि | Translated Section : | 5. नय-योजना-विधि |
Sutra Number : | 396 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | नयचक्र बृहद । १९०; तुलना: विशेषावश्यक भाष्य । २६४४-२६४६ | ||
Mool Sutra : | पर्यायं गौणं कृत्वा, द्रव्यमपि च यो गृह्णाति लोके। स द्रव्यार्थिकः भणितः, विपरीतः पर्यायार्थिकः ।। | ||
Sutra Meaning : | पर्याय को गौण करके जो द्रव्य को मुख्यतः ग्रहण करता है, वह द्रव्यार्थिक नय है। उससे विपरीत पर्यायार्थिक नय है। अर्थात् द्रव्य को गौण करके जो पर्याय का मुख्यतः ग्रहण है, वह पर्यायार्थिक नय है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Paryayam gaunam kritva, dravyamapi cha yo grihnati loke. Sa dravyarthikah bhanitah, viparitah paryayarthikah\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Paryaya ko gauna karake jo dravya ko mukhyatah grahana karata hai, vaha dravyarthika naya hai. Usase viparita paryayarthika naya hai. Arthat dravya ko gauna karake jo paryaya ka mukhyatah grahana hai, vaha paryayarthika naya hai. |