Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011874 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
15. अनेकान्त-अधिकार - (द्वैताद्वैत) |
Translated Chapter : |
15. अनेकान्त-अधिकार - (द्वैताद्वैत) |
Section : | 3. वस्तु की जटिलता | Translated Section : | 3. वस्तु की जटिलता |
Sutra Number : | 371 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | पं. ध.। उ. ६१६ | ||
Mool Sutra : | वृद्धैः प्रोक्तमतः सूत्रे, तत्त्वं वागतिशायि यत्। द्वादशांगबाह्यं वा, श्रुतं स्थूलार्थगोचरम् ।। | ||
Sutra Meaning : | तत्त्व वास्तव में वचनातीत है। द्वादशांग वाणी अथवा अंगबाह्य रूप विशाल आगम केवल स्थूल व व्यावहारिक पदार्थों को ही विषय करता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Vriddhaih proktamatah sutre, tattvam vagatishayi yat. Dvadashamgabahyam va, shrutam sthularthagocharam\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Tattva vastava mem vachanatita hai. Dvadashamga vani athava amgabahya rupa vishala agama kevala sthula va vyavaharika padarthom ko hi vishaya karata hai. |