Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 2011855 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
14. सृष्टि-व्यवस्था |
Translated Chapter : |
14. सृष्टि-व्यवस्था |
Section : | 3. कर्म-कारणवाद | Translated Section : | 3. कर्म-कारणवाद |
Sutra Number : | 352 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | परमात्म प्रकाश । १.५९ | ||
Mool Sutra : | जीवानां कर्म अनादीनि जीव जनितं कर्म न तेन। कर्मणा जोवोऽपि जनितो नापि, द्वयोरपि आदिः न येन ।। | ||
Sutra Meaning : | हे आत्मन्! जीवों के कर्म अनादि काल से हैं। न तो जीव ने कर्म उत्पन्न किये हैं और न ही कर्मों ने जीव को उत्पन्न किया है। क्योंकि जीव व कर्म दोनों की ही कोई आदि नहीं है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Jivanam karma anadini jiva janitam karma na tena. Karmana jovopi janito napi, dvayorapi adih na yena\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | He atman! Jivom ke karma anadi kala se haim. Na to jiva ne karma utpanna kiye haim aura na hi karmom ne jiva ko utpanna kiya hai. Kyomki jiva va karma donom ki hi koi adi nahim hai. |