Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004587 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | ३३. संलेखनासूत्र | Translated Section : | ३३. संलेखनासूत्र |
Sutra Number : | 587 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | मोक्खपाहुड 16 | ||
Mool Sutra : | परद्रव्यात् दुर्गतिः, स्वद्रव्यात् खलु सुगतिः भवति। इति ज्ञात्वा स्वद्रव्ये, कुरुत रतिं विरतिं इतरस्मिन्।।२१।। | ||
Sutra Meaning : | पर-द्रव्य अर्थात् धन-धान्य, परिवार व देहादि में अनुरक्त होने से दुर्गति होती है और स्व-द्रव्य अर्थात् अपनी आत्मा में लीन होने से सुगति होती है। ऐसा जानकर स्व-द्रव्य में रत रहो और पर-द्रव्य से विरत। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Paradravyat durgatih, svadravyat khalu sugatih bhavati. Iti jnyatva svadravye, kuruta ratim viratim itarasmin..21.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Para-dravya arthat dhana-dhanya, parivara va dehadi mem anurakta hone se durgati hoti hai aura sva-dravya arthat apani atma mem lina hone se sugati hoti hai. Aisa janakara sva-dravya mem rata raho aura para-dravya se virata. |