Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004567 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | ३३. संलेखनासूत्र | Translated Section : | ३३. संलेखनासूत्र |
Sutra Number : | 567 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | उत्तराध्ययन 23/73 | ||
Mool Sutra : | शरीरमाहुर्नौरिति, जीव उच्यते नाविकः। संसारोऽर्णव उक्तः, यं तरन्ति महर्षयः।।१।। | ||
Sutra Meaning : | शरीर को नाव कहा गया है और जीव को नाविक। यह संसार समुद्र है, जिसे महर्षिजन तैर जाते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Shariramahurnauriti, jiva uchyate navikah. Samsarornava uktah, yam taranti maharshayah..1.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Sharira ko nava kaha gaya hai aura jiva ko navika. Yaha samsara samudra hai, jise maharshijana taira jate haim. |