Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004565 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | ३२. आत्मविकाससूत्र (गुणस्थान) | Translated Section : | ३२. आत्मविकाससूत्र (गुणस्थान) |
Sutra Number : | 565 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | वासुनन्दिश्रावकाचार 536 | ||
Mool Sutra : | सो तस्मिन् चैव समये, लोकाग्रे ऊर्ध्वगमनस्वभावः। संचेष्टते अशरीरः, प्रवराष्टगुणात्मको नित्यम्।।२०।। | ||
Sutra Meaning : | इस (चौदहवें) गुणस्थान को प्राप्त कर लेने के उपरान्त उसी समय ऊर्ध्वगमन स्वभाववाला वह अयोगीकेवली अशरीरी तथा उत्कृष्ट आठगुण सहित होकर सदा के लिए लोक के अग्रभाग पर चला जाता है। (उसे सिद्ध कहते हैं।) | ||
Mool Sutra Transliteration : | So tasmin chaiva samaye, lokagre urdhvagamanasvabhavah. Samcheshtate asharirah, pravarashtagunatmako nityam..20.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Isa (chaudahavem) gunasthana ko prapta kara lene ke uparanta usi samaya urdhvagamana svabhavavala vaha ayogikevali ashariri tatha utkrishta athaguna sahita hokara sada ke lie loka ke agrabhaga para chala jata hai. (use siddha kahate haim.) |